मन कस्तूरी रे - वरुण ग्रोवर
बनारस की पृष्ठभूमि पर वरुण ग्रोवर का यह गीत कबीर की जमीन पर सारगर्भित तरीके से 'मसान' की थीम की अभिव्यक्ति है। पहली बार इसे सुनने के बाद ही मुझे वरुण के प्रयास और अभ्यास ने प्रभावित किया था। चंद शब्दों में भावों की यह उलटबांसी प्रशेसनीय है। हिंदी फिल्मों के गीतों की परंपरा में पंडित इसे जहां स्थान दे,फिलहाल यह हमारे समय की मुखर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति है। इसे संगीत से इंडियन ओसन ने सजाया है। धन्यवाद वरुण... अल्लाह काे न मानते हुए भी मुहावरे में कहें तो 'अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज्यादा.....'
मुखड़ा
पाट ना पाया मीठा पानी
ओर-छोर की दूरी रे
मन कस्तूरी।
Even the purest of things, river water,
Couldn't bridge the gap of this side and that side.
मन कस्तूरी रे जग दस्तूरी रे
बात हुयी ना पूरी रे
मन कस्तूरी रे।
Heart is like kasturi, in this ritualistic world
And it doesn't get a closure ever.
खोजे अपनी गंध ना पावे
चादर का पैबंद ना पावे
Searches for own essence, but can't find it
Can't find the paiband for the torn chaadar of existence
बिखरे-बिखरे छंद सा टहले
दोहों में ये बंध ना पावे
Moves around like a broken verse,
Can't be composed into poetry.
नाचे हो के फिरकी लट्टू
खोजे अपनी धूरी रे
Revolves like a lattu
Looking for its own axis.
मन कस्तूरी रे ।
अंतरा
उमर की गिनती हाथ ना आई
पुरखों ने ये बात बताई
Ageing, growing up is a mystery
And old people have told us this
उल्टा कर के देख सके तो
अम्बर भी है गहरी खाई
If you turn it upside down,
Even the sky is like a bottomless pit.
रेखाओं के पार नजर को,
जिसने फेंका अंधे मन से
So if you can see beyond the 3-D world,
And see with a blinded heart (unprejudiced heart)
सतरंगी बाजार का खोला
दरवाजा फिर बिना जतन के
The door to a seven colored world,
Opens without much efforts.
फिर तो झूमा बावल हो के
फिर तो झूमा बावल हो के
And then it dances, like a mad man
सर पे डाल फितूरी रे
मन कस्तूरी रे ।
With an exceptional craziness,
Heart, like Kasturi.
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विनय