खुद पर हमेशा रखना चट्टान सा भरोसा -करीना कपूर खान
-अजय ब्रह्मात्मज
-क्या कुछ है ‘बजरंगी भाईजान’ और जाहिर तौर पर क्या निभा रही हैं आप?
फिल्म के साथ सबसे रोचक बात तो यह है कि सलमान के संग फिर से काम कर रही हूं। ‘बॉडीगार्ड’ सफल रही थी। आम जनता भी काफी उत्साहित है कि हम दोनों साथ आ रहे हैं। फिल्म की यूएसपी कबीर खान भी हैं। मैंने पहले कभी उनके संग काम नहीं किया। वह बड़ा रोचक अनुभव रहा। मेरा किरदार बड़ा मजेदार है। वह चांदनी चौक के एक स्कूल में टीचर है। वह कैसे सलमान के किरदार से मिलती है? कैसे एक बच्ची उनकी जिंदगी में आती है? दोनों फिर कैसे उसे उसके घर पहुंचाते हैं, वह सब कुछ फिल्म में है।
- बाकी फिल्म में गाने-वाने तो होंगे ही?
हां, पर वे सब जरा हटकर हैं। ऐसे नहीं कि लंदन में प्रेमी-प्रेमिका नाच-गाना कर रहे हैं।
-और वह टीचर कैसी है? साड़ी वाली या..?
नहीं, यंग और मॉडर्न। टिपिकल चांदनी चौक वाली। वह लुक और फील तो आएगा।
- .. लेकिन दिल्ली वाली लड़कियों का रोल तो आपने पहले भी किया है?
यह वाली बड़ी मैच्योर है। पहले थोड़े बबली, चर्पी किस्म की लड़की का किरदार निभाया था। ‘जब वी मेट’ वाला तो बिल्कुल अलग ही मामला था। हां, उसे लोग मेरा सिग्नेचर रोल कहते हैं, मगर इसमें मेरा अवतार एक बेहद मैच्योर लड़की का है।
-अच्छा और फिल्म में सुनने को मिल रहा है कि पाकिस्तान की लड़की है। वहां से आ जाती है..? अगर इस पर थोड़ी रौशनी डाल सकें तो, क्योंकि कइयों का मानना है कि जैसे ‘हिना’ में नायक हिंदुस्तान से पाकिस्तान चला जाता है, फिर वह कैसे हिंदुस्तान आता है? यहां उलटे क्रम में वह हो रहा है?
नहीं, जैसा ट्रेलर में दिखाया गया है कि सलमान का किरदार कैसे उस बच्ची को पाकिस्तान छोड़ कर आता है? उस सफर में क्या कुछ होता है, वह है इस फिल्म में। यह ‘हिना’ जैसी नहीं है। वह तो लव स्टोरी थी। यह तो ड्रामा है।
-कबीर खान के संग क्या खास बात लगी?
मेरे ख्याल से वे हमेशा बड़ी पिक्चरें बनाते हैं, लेकिन उनमें अच्छी कहानी होती है। यह नहीं कि उनमें महज गाने चल रहे हैं। वे बड़ी रस्टिक फिल्में बनाते हैं। स्क्रीन पर उनकी फिल्म काफी विश्वसनीय लगती है, इसलिए जिस सलमान को हम उनकी बाकी की फिल्मों में देखते हैं, कबीर की फिल्मों में वह बेहद अलग होता है।
-करीना को हमने ग्रो और मैच्योर होते देखा है। आप अपनी जर्नी को किस तरह देखती हैं?
लोग अक्सर कहते हैं कि एक एक्ट्रेस की शेल्फ लाइफ दस साल की होती है।
- आप के मामले में ऐसा नहीं है?
जी हां, जिस दिन ‘उड़ता पंजाब’ रिलीज होगी, उस दिन इंडस्ट्री में मैं 16 साल पूरे कर लूंगी। एक्टिंग में इतनी ताकत और दिलचस्पी आज भी है कि क्या कहूं? मुझे वह करना पसंद है। अच्छे व निरंतर परफॉरमेंसेज करना भाता है। वह मेरी रगों में दौड़ रहा है। कुछ कमर्शियल फिल्में कई लीक से जुदा फिल्में, सब कुछ करने को मिला है।
-ऑफबीट फिल्में तो आप ने तब ही कर दी थीं, जब उनकी चर्चा नहीं होती थी?
हां, पर लोग अब कह रहे हैं। मैंने विमेन सेंट्रिक फिल्में तो काफी पहले ही कर दी थी।
- पर अब जिस गति से वैसी फिल्में आ रही हैं तो कैसा लगता है?
बड़ी खुशी होती है। आज अभिनेत्रियां अपनी मर्जी व मिजाज की फिल्में कर रही हैं, वह बहुत बड़ी बात है।
- आप वे फिल्में देख पाती हैं ?
हां, कुछ तो देखी हैं, पर सब नहीं देख पाती। हां, उनके बारे में समाचारों में जो कुछ आता है, उनके बारे काफी कुछ पढ़ जरूर पाती हूं। यह भी बड़ी अच्छी बात है कि हर दशक की टॉप अभिनेत्रियां टॉप अभिनेताओं के संग काम रही हैं। वह चाहे शर्मिला जी हों, जिन्होंने राजेश खन्ना के संग काम किया। हेमा जी धर्मेंद्र के साथ। श्रीदेवी अनिल कपूर के संग। रेखा जी अमिताभ जी के साथ। वह तो हमेशा से होता आया है, लेकिन लोग पता नहीं क्यों कहते हैं कि खान के साथ बार-बार काम नहीं करना चाहिए। उन्हें विमेन सेंट्रिक फिल्में करनी चाहिए, पर कमर्शियल फिल्मों का मजबूत वजूद तो है ही। मसाला फिल्में तो बननी ही चाहिए। आम जनता को पसंद पड़ती हैं वे और कंटेंट ड्रिवेन फिल्में भी यकीनन करनी चाहिए। एक संतुलन रहे।
-लेकिन आप खुद को किस मूड में पा रही हैं? आप ‘मूडी’ भी कही जाती हैं। आप से शिकायत रही है कि आपने इंडस्ट्री को हंड्रेड पर्सेंट नहीं दिया है?
बिल्कुल, लेकिन वह समर्पण शायद अगले पांच सालों में आप लोगों को दिखे। अभी मैं वैसा कर रही हूं। मैंने बाल्की के संग पहले कभी काम नहीं किया, उनके संग कर रही हूं। अभिषेक चौबे के साथ कर रही हूं। कबीर के संग भी पहले कभी काम नहीं किया था। उनके साथ कर रही हूं। उक्त सभी की खासियत है कि उनकी फिल्में कमर्शियल जोन में रहते हुए भी काफी रियल रहती हैं।
- यानी यह माना जाए कि सिनेमा को लेकर आप की सोच व अप्रोच में फर्क आया है। अपने सफर में आपने हर किस्म के अनुभव हासिल भी कर लिए हैं?
वाकई। 15-16 साल के सफर के बाद भी काम कर रही हूं। हर किस्म के डायरेक्टर के साथ काम कर रही हूं। उन पर मेरा व मेरा उन पर पूरा भरोसा भी है।
- मुझे तो आप का वह फेज भी याद है, जब आप के बारे में एक टाइटिल दिया गया था ‘फ्लॉप फिल्मों की हिट हीरोइन’। तो उस दौर में भी खुद को भटकने व किसी और पर नाराज न होने देने से खुद को कैसे रोका?
मेरे ख्याल से अपनी प्रतिभा पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। मैं ऐसी ही हूं। जब कभी लोगों ने कहना शुरू किया कि करीना नहीं कर पा रही है तो बाद मैं फिनिक्स की तरह बाहर निकली हूं। मंै बचपन से ही ऐसी हूं। वह चट्टानी इरादा मुझे मेरी मां से मिला। मेरी मॉम काफी स्ट्रौंग शख्सियत रही हैं तो इन मामलों में मैं उन जैसी ही हूं।
- अच्छा खुद को आप कितनी सिंधी और कितनी पंजाबी?
सिंधी खाना बहुत पसंद है, पर दिल से, दिमाग से पूरी पंजाबी हूं। पूरी कपूर ही हूं मैं। दिल बड़ा है और खाने का शौक है।
-सैफ के संग जुड़ने के बाद तो नवाबी रंग भी चढ़ गया?
जी हां, पर हम सब बड़े मेहनती हैं। काम के लिए जो हमारी ख्वाहिश है, जो आग है, वह आज भी अंदर जलती रहती है। मुझे पूरी उम्मीद है कि पच्चीस साल बाद भी हम जब बात कर रहे हों तो कहें कि ढाई दशक गुजर भी गए और पता भी नहीं चला।
- वैसा आप की वर्किंग से झलक रहा है। आजकल तो 40 पार अभिनेत्रियों के लिए भी रोल लिखे जा रहे हैं?
एज को ग्रेसफुली ही लेना चाहिए। उसके खिलाफ नहीं होना चाहिए?
बिल्कुल नहीं, मुझे तो वह सब पसंद नहीं है।
-तो आगे की क्या रूपरेखा है? सैफ के संग इल्युमिनाटी में सक्रिय होंगी?
जी नहीं। मुझे प्रॉडक्शन में बिल्कुल इंट्रेस्ट नहीं है। अभी इतने अच्छे किरदार गढ़े जा रहे हैं। नए निर्देशक काफी अच्छा कर रहे हैं,मैं उनके साथ अभिनय करूंगी। प्रोडक्शन की ओर जरा भी ध्यान नहीं है।
-...नहीं पर जैसे अभी अनुष्का ने किया। दीपिका कर रही हैं। प्रियंका ने भी किया ताकि फिल्मों की लागत कम हो जाए। ऐसा कभी ख्याल आया हो या कोई डायरेक्टर पसंद है, जिनके संग काम करना चाहें?
जी हां डायरेक्टर तो कई पसंद हैं, जहां तक लागत कम करने की बात है तो आजकल जैसे प्रॉफिट शेयरिंग हो रही है। पहले किया भी है। वह मैं कर सकती हूं, पर एक्टिव प्रोड्यूसर होना मुमकिन नहीं। मेरी उसमें दिलचस्पी भी नहीं है।
-एक्टिंग से फुर्सत मिलते ही कहां भागती हैं?
घूमने का शौक है। दुनिया देखने निकल पड़ती हूं। फैमिली के साथ, सैफ के संग, क्योंकि हम दोनों बिजी रहते हैं। घूमना तो अच्छा भी लगता है। हर तीन-चार महीने में कोशिश रहती है कि घूमने पर निकल जाएं।
-किस तरह की यात्राएं भाती हैं?
जाड़ों में तो राजस्थान या फिर लंदन।
-राजस्थान इसलिए तो नहीं कि वहां राजे-रजवाड़े रहे हैं?
नहीं-नहीं। वहां जिस किस्म के होटल हैं। मौसम है। वहां का खाना बहुत पसंद है मुझे। घूमने का टाइम आता है तो खाना तो अहम हो ही जाता है।
-‘चमेली’ जैसी फिल्म फिर से करने का इरादा है?
वैसा कुछ तो ‘तलाश’ में भी किया था, जो मुझे बहुत अच्छी लगी थी। आज की तारीख में तो वैसे रोल लिखे जा रहे हैं। खासकर नए निर्देशकों के द्वारा तो वैसी कहानी, भूमिका आती है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है वह सब करने में।
-इन दिनों यह बात भी उठ रही है कि अभिनेत्रियों को भी अभिनेताओं के बराबर फीस मिलनी चाहिए, क्योंकि कंगना की फिल्म 100 करोड़ करती है तो ...?
बिल्कुल बराबरी होनी चाहिए। हम भी उतनी ही मेहनत करते हैं, जितनी अभिनेता। खूबसूरत लगना भी बहुत टफ है। वह एक ऐडेड रेसपॉन्सिबिलिटी है। हीरोइन के बना हीरो भी कम है। एक अधूरापन तो रह ही जाता है।
-वह अधूरापन तो खैर जिंदगी की बाकी चीजों में भी है। दोनों के परस्पर जुड़ने व अच्छे व्यवहार से ही जिंदगी सरल-सहज बनती है?
बिल्कुल सही। रिश्ता भी लंबा निभता है तब। हीरोइन के संग भी वैसी ही बात है। वह भी बिना हीरो के अधूरी ही है। नमक होना चाहिए फिल्म में।
-‘उड़ता पंजाब’ के बारे में बता सकती हैं थोड़ा बहुत? नाम बड़ा अजीब है?
बिल्कुल। यह ड्रग ड्रामा पर बेस्ड है। बड़ी एजी फिल्म है। अलग है उसकी कहानी। कास्ट भी बड़े प्यारे हैं। सब का रोल अलहदा है। मैं उसमें ड्रग रिहैब में एक डॉक्टर का रोल प्ले कर रही हूं। मैं बड़ी एक्साइटेड हूं। लोगों ने मुझे उस सेटिंग में नहीं देखा है।
-सेटिंग मतलब क्या, लो कॉस्ट या कुछ और?
नहीं लोगों ने अब तक मुझे ग्लैमरस अवतार में ही देखा है। इस बार पहली दफा वे मुझे रियल व डीग्लैम अवतार में देखेंगे।
-और दूसरी जो आर. बाल्की वाली फिल्म है, वह उनके मिजाज वाली ही है?
यकीनन। जैसी फिल्में बनाने में उनको महारथ हासिल है। मिसाल के तौर पर ‘चीनी कम’ जैसी। उसके बाद तो अन्य स्क्रिप्ट सुन ही रही हूं, क्योंकि अभी ‘उड़ता पंजाब’ की शूटिंग खत्म ही की है। फिर बाल्की की फिल्म की शूटिंग प्रारंभ होगी। तीन-चार महीने उसमें जाएंगे।
- सलमान के बारे में क्या कुछ कहना चाहेंगी?
वे सक्सेस व फेल्योर से बहुत आगे की चीज हैं। वे इंडिया के सबसे महान कलाकार हैं।
-कोई पर्सनल एक्सपीरिएंस अगर शेयर कर सकें?
पहली बार तो उनसे भप्पी सोनी की ‘निश्चय’ के सेट पर मिली थी। मैं दस साल की थी तब। आज मैं 34 की हूं। तो बचपन से लेकर शादी से पहले तक। अब शादी के बाद हमारा एक लंबा सफर रहा है। तब से लेकर आज तक उनके नेचर में कोई बदलाव नहीं आया है। तभी वे ग्रेट हैं। बस,तब उनके मसल्स बढ़े हुए थे।
- पर बतौर एक्टर उनकी खासियत क्या है?
मेरे ख्याल से उनकी स्माइल। वह सुपरस्टार वाली स्माइल है। पूरी दुनिया उस पर फिदा हो जाए।
- आप की भी एक आभा है। उनकी भी है। आप दोनों से सालों से हम मिल भी रहे हैं। आप लोग समझ पाते हैं कि सामने वाला आप की आभा से प्रभावित हो रहा है?
मुझे तो महसूस नहीं होता। मेरे ख्याल से जो कलाकार अपने आप को ज्यादा सीरियसली नहीं लेते, उनका सदा अच्छा होता है। स्टारडम को सीरियसली नहीं लेना चाहिए। अगर लोग मेरे आभामंडल से प्रभावित होते हैं तो मैं समझ जाती हूं, पर मैं रिएक्ट नहीं करती। वैसे भी एक सुपरस्टार की इफेक्ट होनी तो चाहिए।
-नहीं, क्योंकि सोसायटी में आप जितना कंट्रीब्यूट करते हो उस अनुपात में आप लोगों को मिल नहीं रहा। मिसाल के तौर पर आप एयरपोर्ट पर जाती हैं तो वहां के सभी लोग आप को देख अलग किस्म की खुशी महसूस करते हैं?
वही हमारी कमाई है। वह अच्छा भी लगता है। लोगों में रेस्पेक्ट की भावना है। आंखों की शरम उनमें है। मैं इस मामले में लकी हूं कि लंबे समय तक काम करने के अलावा मैं जिस परिवार से ताल्लुक रखती हूं, उसको लेकर भी पब्लिक प्लेस पर लोग मुझे बहुत सम्मान देते हैं।
-क्योंकि सलमान ने भी एक बात कही थी कि लोग जब उनकी फिल्म देखने आते हैं तो उसी फिल्म भर में उन्हें नहीं देख रहे होते। उनकी पूरी पर्सनैलिटी के साथ उनका किरदार पर्दे पर देखा जाता है?
तभी तो लोगों में उनको लेकर क्रेज है, जो लोग समझ नहीं पाते। वही एक फैन का नशा है, जो सलमान को, करीना को, शाह रुख को उस अवतार में बार-बार देखना पसंद करते हंै।
फिल्म के साथ सबसे रोचक बात तो यह है कि सलमान के संग फिर से काम कर रही हूं। ‘बॉडीगार्ड’ सफल रही थी। आम जनता भी काफी उत्साहित है कि हम दोनों साथ आ रहे हैं। फिल्म की यूएसपी कबीर खान भी हैं। मैंने पहले कभी उनके संग काम नहीं किया। वह बड़ा रोचक अनुभव रहा। मेरा किरदार बड़ा मजेदार है। वह चांदनी चौक के एक स्कूल में टीचर है। वह कैसे सलमान के किरदार से मिलती है? कैसे एक बच्ची उनकी जिंदगी में आती है? दोनों फिर कैसे उसे उसके घर पहुंचाते हैं, वह सब कुछ फिल्म में है।
- बाकी फिल्म में गाने-वाने तो होंगे ही?
हां, पर वे सब जरा हटकर हैं। ऐसे नहीं कि लंदन में प्रेमी-प्रेमिका नाच-गाना कर रहे हैं।
-और वह टीचर कैसी है? साड़ी वाली या..?
नहीं, यंग और मॉडर्न। टिपिकल चांदनी चौक वाली। वह लुक और फील तो आएगा।
- .. लेकिन दिल्ली वाली लड़कियों का रोल तो आपने पहले भी किया है?
यह वाली बड़ी मैच्योर है। पहले थोड़े बबली, चर्पी किस्म की लड़की का किरदार निभाया था। ‘जब वी मेट’ वाला तो बिल्कुल अलग ही मामला था। हां, उसे लोग मेरा सिग्नेचर रोल कहते हैं, मगर इसमें मेरा अवतार एक बेहद मैच्योर लड़की का है।
-अच्छा और फिल्म में सुनने को मिल रहा है कि पाकिस्तान की लड़की है। वहां से आ जाती है..? अगर इस पर थोड़ी रौशनी डाल सकें तो, क्योंकि कइयों का मानना है कि जैसे ‘हिना’ में नायक हिंदुस्तान से पाकिस्तान चला जाता है, फिर वह कैसे हिंदुस्तान आता है? यहां उलटे क्रम में वह हो रहा है?
नहीं, जैसा ट्रेलर में दिखाया गया है कि सलमान का किरदार कैसे उस बच्ची को पाकिस्तान छोड़ कर आता है? उस सफर में क्या कुछ होता है, वह है इस फिल्म में। यह ‘हिना’ जैसी नहीं है। वह तो लव स्टोरी थी। यह तो ड्रामा है।
-कबीर खान के संग क्या खास बात लगी?
मेरे ख्याल से वे हमेशा बड़ी पिक्चरें बनाते हैं, लेकिन उनमें अच्छी कहानी होती है। यह नहीं कि उनमें महज गाने चल रहे हैं। वे बड़ी रस्टिक फिल्में बनाते हैं। स्क्रीन पर उनकी फिल्म काफी विश्वसनीय लगती है, इसलिए जिस सलमान को हम उनकी बाकी की फिल्मों में देखते हैं, कबीर की फिल्मों में वह बेहद अलग होता है।
-करीना को हमने ग्रो और मैच्योर होते देखा है। आप अपनी जर्नी को किस तरह देखती हैं?
लोग अक्सर कहते हैं कि एक एक्ट्रेस की शेल्फ लाइफ दस साल की होती है।
- आप के मामले में ऐसा नहीं है?
जी हां, जिस दिन ‘उड़ता पंजाब’ रिलीज होगी, उस दिन इंडस्ट्री में मैं 16 साल पूरे कर लूंगी। एक्टिंग में इतनी ताकत और दिलचस्पी आज भी है कि क्या कहूं? मुझे वह करना पसंद है। अच्छे व निरंतर परफॉरमेंसेज करना भाता है। वह मेरी रगों में दौड़ रहा है। कुछ कमर्शियल फिल्में कई लीक से जुदा फिल्में, सब कुछ करने को मिला है।
-ऑफबीट फिल्में तो आप ने तब ही कर दी थीं, जब उनकी चर्चा नहीं होती थी?
हां, पर लोग अब कह रहे हैं। मैंने विमेन सेंट्रिक फिल्में तो काफी पहले ही कर दी थी।
- पर अब जिस गति से वैसी फिल्में आ रही हैं तो कैसा लगता है?
बड़ी खुशी होती है। आज अभिनेत्रियां अपनी मर्जी व मिजाज की फिल्में कर रही हैं, वह बहुत बड़ी बात है।
- आप वे फिल्में देख पाती हैं ?
हां, कुछ तो देखी हैं, पर सब नहीं देख पाती। हां, उनके बारे में समाचारों में जो कुछ आता है, उनके बारे काफी कुछ पढ़ जरूर पाती हूं। यह भी बड़ी अच्छी बात है कि हर दशक की टॉप अभिनेत्रियां टॉप अभिनेताओं के संग काम रही हैं। वह चाहे शर्मिला जी हों, जिन्होंने राजेश खन्ना के संग काम किया। हेमा जी धर्मेंद्र के साथ। श्रीदेवी अनिल कपूर के संग। रेखा जी अमिताभ जी के साथ। वह तो हमेशा से होता आया है, लेकिन लोग पता नहीं क्यों कहते हैं कि खान के साथ बार-बार काम नहीं करना चाहिए। उन्हें विमेन सेंट्रिक फिल्में करनी चाहिए, पर कमर्शियल फिल्मों का मजबूत वजूद तो है ही। मसाला फिल्में तो बननी ही चाहिए। आम जनता को पसंद पड़ती हैं वे और कंटेंट ड्रिवेन फिल्में भी यकीनन करनी चाहिए। एक संतुलन रहे।
-लेकिन आप खुद को किस मूड में पा रही हैं? आप ‘मूडी’ भी कही जाती हैं। आप से शिकायत रही है कि आपने इंडस्ट्री को हंड्रेड पर्सेंट नहीं दिया है?
बिल्कुल, लेकिन वह समर्पण शायद अगले पांच सालों में आप लोगों को दिखे। अभी मैं वैसा कर रही हूं। मैंने बाल्की के संग पहले कभी काम नहीं किया, उनके संग कर रही हूं। अभिषेक चौबे के साथ कर रही हूं। कबीर के संग भी पहले कभी काम नहीं किया था। उनके साथ कर रही हूं। उक्त सभी की खासियत है कि उनकी फिल्में कमर्शियल जोन में रहते हुए भी काफी रियल रहती हैं।
- यानी यह माना जाए कि सिनेमा को लेकर आप की सोच व अप्रोच में फर्क आया है। अपने सफर में आपने हर किस्म के अनुभव हासिल भी कर लिए हैं?
वाकई। 15-16 साल के सफर के बाद भी काम कर रही हूं। हर किस्म के डायरेक्टर के साथ काम कर रही हूं। उन पर मेरा व मेरा उन पर पूरा भरोसा भी है।
- मुझे तो आप का वह फेज भी याद है, जब आप के बारे में एक टाइटिल दिया गया था ‘फ्लॉप फिल्मों की हिट हीरोइन’। तो उस दौर में भी खुद को भटकने व किसी और पर नाराज न होने देने से खुद को कैसे रोका?
मेरे ख्याल से अपनी प्रतिभा पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। मैं ऐसी ही हूं। जब कभी लोगों ने कहना शुरू किया कि करीना नहीं कर पा रही है तो बाद मैं फिनिक्स की तरह बाहर निकली हूं। मंै बचपन से ही ऐसी हूं। वह चट्टानी इरादा मुझे मेरी मां से मिला। मेरी मॉम काफी स्ट्रौंग शख्सियत रही हैं तो इन मामलों में मैं उन जैसी ही हूं।
- अच्छा खुद को आप कितनी सिंधी और कितनी पंजाबी?
सिंधी खाना बहुत पसंद है, पर दिल से, दिमाग से पूरी पंजाबी हूं। पूरी कपूर ही हूं मैं। दिल बड़ा है और खाने का शौक है।
-सैफ के संग जुड़ने के बाद तो नवाबी रंग भी चढ़ गया?
जी हां, पर हम सब बड़े मेहनती हैं। काम के लिए जो हमारी ख्वाहिश है, जो आग है, वह आज भी अंदर जलती रहती है। मुझे पूरी उम्मीद है कि पच्चीस साल बाद भी हम जब बात कर रहे हों तो कहें कि ढाई दशक गुजर भी गए और पता भी नहीं चला।
- वैसा आप की वर्किंग से झलक रहा है। आजकल तो 40 पार अभिनेत्रियों के लिए भी रोल लिखे जा रहे हैं?
एज को ग्रेसफुली ही लेना चाहिए। उसके खिलाफ नहीं होना चाहिए?
बिल्कुल नहीं, मुझे तो वह सब पसंद नहीं है।
-तो आगे की क्या रूपरेखा है? सैफ के संग इल्युमिनाटी में सक्रिय होंगी?
जी नहीं। मुझे प्रॉडक्शन में बिल्कुल इंट्रेस्ट नहीं है। अभी इतने अच्छे किरदार गढ़े जा रहे हैं। नए निर्देशक काफी अच्छा कर रहे हैं,मैं उनके साथ अभिनय करूंगी। प्रोडक्शन की ओर जरा भी ध्यान नहीं है।
-...नहीं पर जैसे अभी अनुष्का ने किया। दीपिका कर रही हैं। प्रियंका ने भी किया ताकि फिल्मों की लागत कम हो जाए। ऐसा कभी ख्याल आया हो या कोई डायरेक्टर पसंद है, जिनके संग काम करना चाहें?
जी हां डायरेक्टर तो कई पसंद हैं, जहां तक लागत कम करने की बात है तो आजकल जैसे प्रॉफिट शेयरिंग हो रही है। पहले किया भी है। वह मैं कर सकती हूं, पर एक्टिव प्रोड्यूसर होना मुमकिन नहीं। मेरी उसमें दिलचस्पी भी नहीं है।
-एक्टिंग से फुर्सत मिलते ही कहां भागती हैं?
घूमने का शौक है। दुनिया देखने निकल पड़ती हूं। फैमिली के साथ, सैफ के संग, क्योंकि हम दोनों बिजी रहते हैं। घूमना तो अच्छा भी लगता है। हर तीन-चार महीने में कोशिश रहती है कि घूमने पर निकल जाएं।
-किस तरह की यात्राएं भाती हैं?
जाड़ों में तो राजस्थान या फिर लंदन।
-राजस्थान इसलिए तो नहीं कि वहां राजे-रजवाड़े रहे हैं?
नहीं-नहीं। वहां जिस किस्म के होटल हैं। मौसम है। वहां का खाना बहुत पसंद है मुझे। घूमने का टाइम आता है तो खाना तो अहम हो ही जाता है।
-‘चमेली’ जैसी फिल्म फिर से करने का इरादा है?
वैसा कुछ तो ‘तलाश’ में भी किया था, जो मुझे बहुत अच्छी लगी थी। आज की तारीख में तो वैसे रोल लिखे जा रहे हैं। खासकर नए निर्देशकों के द्वारा तो वैसी कहानी, भूमिका आती है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है वह सब करने में।
-इन दिनों यह बात भी उठ रही है कि अभिनेत्रियों को भी अभिनेताओं के बराबर फीस मिलनी चाहिए, क्योंकि कंगना की फिल्म 100 करोड़ करती है तो ...?
बिल्कुल बराबरी होनी चाहिए। हम भी उतनी ही मेहनत करते हैं, जितनी अभिनेता। खूबसूरत लगना भी बहुत टफ है। वह एक ऐडेड रेसपॉन्सिबिलिटी है। हीरोइन के बना हीरो भी कम है। एक अधूरापन तो रह ही जाता है।
-वह अधूरापन तो खैर जिंदगी की बाकी चीजों में भी है। दोनों के परस्पर जुड़ने व अच्छे व्यवहार से ही जिंदगी सरल-सहज बनती है?
बिल्कुल सही। रिश्ता भी लंबा निभता है तब। हीरोइन के संग भी वैसी ही बात है। वह भी बिना हीरो के अधूरी ही है। नमक होना चाहिए फिल्म में।
-‘उड़ता पंजाब’ के बारे में बता सकती हैं थोड़ा बहुत? नाम बड़ा अजीब है?
बिल्कुल। यह ड्रग ड्रामा पर बेस्ड है। बड़ी एजी फिल्म है। अलग है उसकी कहानी। कास्ट भी बड़े प्यारे हैं। सब का रोल अलहदा है। मैं उसमें ड्रग रिहैब में एक डॉक्टर का रोल प्ले कर रही हूं। मैं बड़ी एक्साइटेड हूं। लोगों ने मुझे उस सेटिंग में नहीं देखा है।
-सेटिंग मतलब क्या, लो कॉस्ट या कुछ और?
नहीं लोगों ने अब तक मुझे ग्लैमरस अवतार में ही देखा है। इस बार पहली दफा वे मुझे रियल व डीग्लैम अवतार में देखेंगे।
-और दूसरी जो आर. बाल्की वाली फिल्म है, वह उनके मिजाज वाली ही है?
यकीनन। जैसी फिल्में बनाने में उनको महारथ हासिल है। मिसाल के तौर पर ‘चीनी कम’ जैसी। उसके बाद तो अन्य स्क्रिप्ट सुन ही रही हूं, क्योंकि अभी ‘उड़ता पंजाब’ की शूटिंग खत्म ही की है। फिर बाल्की की फिल्म की शूटिंग प्रारंभ होगी। तीन-चार महीने उसमें जाएंगे।
- सलमान के बारे में क्या कुछ कहना चाहेंगी?
वे सक्सेस व फेल्योर से बहुत आगे की चीज हैं। वे इंडिया के सबसे महान कलाकार हैं।
-कोई पर्सनल एक्सपीरिएंस अगर शेयर कर सकें?
पहली बार तो उनसे भप्पी सोनी की ‘निश्चय’ के सेट पर मिली थी। मैं दस साल की थी तब। आज मैं 34 की हूं। तो बचपन से लेकर शादी से पहले तक। अब शादी के बाद हमारा एक लंबा सफर रहा है। तब से लेकर आज तक उनके नेचर में कोई बदलाव नहीं आया है। तभी वे ग्रेट हैं। बस,तब उनके मसल्स बढ़े हुए थे।
- पर बतौर एक्टर उनकी खासियत क्या है?
मेरे ख्याल से उनकी स्माइल। वह सुपरस्टार वाली स्माइल है। पूरी दुनिया उस पर फिदा हो जाए।
- आप की भी एक आभा है। उनकी भी है। आप दोनों से सालों से हम मिल भी रहे हैं। आप लोग समझ पाते हैं कि सामने वाला आप की आभा से प्रभावित हो रहा है?
मुझे तो महसूस नहीं होता। मेरे ख्याल से जो कलाकार अपने आप को ज्यादा सीरियसली नहीं लेते, उनका सदा अच्छा होता है। स्टारडम को सीरियसली नहीं लेना चाहिए। अगर लोग मेरे आभामंडल से प्रभावित होते हैं तो मैं समझ जाती हूं, पर मैं रिएक्ट नहीं करती। वैसे भी एक सुपरस्टार की इफेक्ट होनी तो चाहिए।
-नहीं, क्योंकि सोसायटी में आप जितना कंट्रीब्यूट करते हो उस अनुपात में आप लोगों को मिल नहीं रहा। मिसाल के तौर पर आप एयरपोर्ट पर जाती हैं तो वहां के सभी लोग आप को देख अलग किस्म की खुशी महसूस करते हैं?
वही हमारी कमाई है। वह अच्छा भी लगता है। लोगों में रेस्पेक्ट की भावना है। आंखों की शरम उनमें है। मैं इस मामले में लकी हूं कि लंबे समय तक काम करने के अलावा मैं जिस परिवार से ताल्लुक रखती हूं, उसको लेकर भी पब्लिक प्लेस पर लोग मुझे बहुत सम्मान देते हैं।
-क्योंकि सलमान ने भी एक बात कही थी कि लोग जब उनकी फिल्म देखने आते हैं तो उसी फिल्म भर में उन्हें नहीं देख रहे होते। उनकी पूरी पर्सनैलिटी के साथ उनका किरदार पर्दे पर देखा जाता है?
तभी तो लोगों में उनको लेकर क्रेज है, जो लोग समझ नहीं पाते। वही एक फैन का नशा है, जो सलमान को, करीना को, शाह रुख को उस अवतार में बार-बार देखना पसंद करते हंै।
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