दरअसल : पहली छमाही की उपलब्धि रहीं कंगना
-अजय ब्रह्मात्मज
पहली छमाही खत्म होने पर आ गई है। इस छमाही में अन्य सालों की तुलना में कम फिल्में रिलीज हुई हैं। लगभग 60 फिल्मों की रिलीज तो हुई,लेकिन उनका बिजनेस प्रतिशत भी पिछले सालों की तुलना में कम रहा। इस साल अभी तक केवल ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ ही स्पष्ट तौर पर 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकी है। छह महीनों में सिर्फ एक फिल्म की सौ करोड़ी कामयाबी शुभ संकेत नहीं है। पहले छह महीनों में पॉपुलर स्टारों की फिल्में भी आई हैं,लेकिन उनमें से किसी ने भी बाक्स आफिस पर धमाल नहीं मचाया। जिन फिल्मों से बेहतरीन प्रदर्शन और कमाई की उम्मीद थी,उन फिल्मों ने अधिक निराश किया। किसी भी फिल्म ने चौंकाया नहीं। ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ ने तो पहले प्रोमो से ही दर्शकों के दिल में जगह बना ली थी। हां,ट्रेड पंडित यह समझने में लगे हैं कि कैसे कंगना रनोट की फिल्म ने ऐसा चमत्कारिक कारोबार किया? हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के घाघ ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ की सफलता को पचा नहीं पा रहे हैं। वे अस्वीकार की मुद्रा अपना चुके हैं। अब आंकड़ों को कौन झुठला सकता है?
हिंदी की सर्वाधिक कारोबार करने वाली फिल्मों की सूची में ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ 142 करोड़ के बिजनेस से अभी तेरहवें स्थान पर है। थिएटर से निकलने तक यह कुछ और ऊपर जा सकती है। किसी हीरोइन की फिल्म ने अभी तक ऐसा कारोबार नहीं किया है। निश्चित ही इस फिल्म की कामयाबी में कंगना की बड़ी भूमिका है। उनके प्रति दर्शकों का रवैया सकारात्मक है। पर क्या आनंद राय के योगदान को नकारा जा सकता है ? उन्होंने हिमांशु शर्मा के लेखन को अपने निर्देशन से पर्दे तक पहुंचाया और सभी दर्शकों की पसंद बना दिया। इस फिल्म के कंटेंट को लेकर बातें हो सकती हैं। आनंद राय तो स्वीकार करते हैं कि वे अपनी फिल्मों में क्रांति नहीं कर सकते। वे सामान्य किस्म की मनोरंजक फिल्में ही बना सकते हैं। इसे कोई आनंद राय का डिफेंस मान सकता है। सभी प्रकार की आश्ंकाओं और आरोपों के बावजूद ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ पहली छमाही की बड़ी हिट है। इसे ब्लॉकबस्टर या सुपरहिट कहते हैं। और कंगना रनोट इस छमाही की उपलब्धि हैं।
‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के साथ ‘बदलापुर’,’दम लगा के हइसा’,’एनएच 10’,’हंटर’ और ‘पीकू’ पहली छमाही की हिट फिल्में हैं। इन फिल्मों के कलाकारों और कंटेंट पर गौर करें तो कुछ समान तथ्य निकलते हैं। इन सभी फिल्मों में कोई मेल सुपरस्टार नहीं है। छह में से तीन फिल्में नायिका प्रधान है। उन फिल्मों में अनुष्का शर्मा,दीपिका पादुकोण और कंगना रनोट ने साबित किया है कि लेखक और निर्देशक ढंग से उनका इस्तेमाल करें तो वे अपनी करतब से बजब ढा सकती है। उक अकेली ‘बदलापुर’ ऐसी फिल्म है,जिसमें अपेक्षाकृत पॉपुलर स्टार था। वरुण धवन को अभी सुपरस्टार नहीं कहा जा सकता। उस फिल्म में सहयोगी कलाकारों की भूमिका उल्लेखनीय रही। इन सभी फिल्मों के निर्देशक नए और प्रयोगशील हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों के पारंपरिक ढांचे में ही रह कर कुछ नया किया है। अच्छी बात है कि इनमें रेगुलर प्रेमकहानी भी नहीं है। और न ही हिंदी फिल्मों के बाकी प्रचलित मसालों का इस्तेमाल किया गया है।
2015 की दूसरी छमाही में पॉपुलर स्टारों की फिल्में आएंगी। इन फिल्मों की शुरूआत सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ से हो रही है।पहली छमाही में रह गई कसर दूसरी छमाही की फिल्मों की कमाई से शायद संतुलित हो जाए। दो-चार सौ करोड़ी फिल्में भी आ जाएं। देखना रोचक होगा कि कंगना की छलांग को कौन-कौन पार कर पाता है ?
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