सबसे काबिल शिक्षक है पिता - महेश भट्ट

पिता महेश भट्ट

प्रस्‍तुति-अजय ब्रह्मात्‍मज
पिता हजारों शिक्षक से अधिक प्रभावशाली होता है। स्‍कूल और जिंदगी के ज्‍यादातर शिक्षक किताबी होते हैं। वे सिखाते तो हैं,लेकिन उनका सीमित असर होता है। पिता अपने बच्‍चों के जहन पर गहरा छाप छोड़ता है। खास कर अपनी बेटियों पर ... जिसका पगभाव अकल्‍पनीय होता है। अगर मेरी बेटियां और बेटा आत्‍मनिर्भर हैं तो इसमें मेरा असर है। पूजा अभी जयपुर के पास रेगिस्‍तान में शूटिंग कर रही है। फिल्‍म इंडस्‍ट्री में आए आर्थिक संकट के दौर में उनलोगों के साथ फिल्‍म बना रही है,जो स्‍आर नहीं माने जाते हें। यह उसकी अपनी जीत और हिम्‍मत है। आलिया ने अपनी जिंदगी में 21 की उम्र में वह मुकाम हासिल कर लिया है,जो मुझे 50 की उम्र में भी नहीं मिला था।

अपना क्लोन न बनाएं 
यह पिता का विश्‍वास होता है कि हमारे बच्‍चे हमारे तो होते हैं,लेकिन वे हम से अलग होते हैं। यह तो मानव अधिकार की बात है कि हर किसी को अलग होने और रहने का अधिकार है। इस मुल्‍क में यह बात हम भूल जाते हैं कि बच्‍चों को अपना क्‍लोन न बनाएं। कुदरत के बेमिसाल क्रिएशन को उसकी पृथक पहचान पर अपनी मानसिकता थोपेंगे तो फिर उनकी खासियत को आप मिटा देंगे। पिता को अपने अनुभव से बेटे-बेटियों को उन हथियारों से लैस करें,जो इस जिंदगी में उनके काम आएं। उन्‍हें संस्‍कृति,सामाजिकता और नैतिकता का इल्‍म अवश्‍य दें,लेकिन उनकी पहचान को न मोड़ें या तोड़ें। उन्‍हें पसंद के फील्‍ड में जाने दें। मेरा बेटा राहुल फिटनेस फ्रीक है। उसे वही पसंद है। दूसरे बच्‍चे तो लगे रहते हैं बापों के पीछे कि मुझे लांच करो। राहुल ने हमेशा कहा कि मैं अपने मन का ही काम करुंगा। वह फिल्‍म इंडस्‍ट्री की चकाचौंध से प्रभावित नहीं है। शाहीन गजब लिखती है। वह अधीर नहीं है। उसे पेज 3 पर आने की हड़बड़ी नहीं है। परिवार में मुझे अगर कोई अंतदृष्टि देता है तो वह शाहीन ही है। बहुत ही जहीन बच्‍ची हैं।
आप के बच्‍चे तभी हीरे रह पाएंगे,जब आप अपनी धूल उन पर न लपेटें। हम होते कौन हैं बच्‍चों को आजादी देने वाले... वे आजाद पैदा होते हैं। क्‍या सूरज की रोशनी,धरती की हरियाली या आसमान की निरभ्रता आ ने दी है? इस देश में खास कर बेटियों को सदियों से नाइंसाफी झेलनी पड़ी है। हमें उनकी रक्षा तो करनी चाहिए,लेकिन उन्‍हें वह औजार भी देना चाहिए कि वे अत्‍मारक्षा कर सकें। प्‍यार के नाम पर जुल्‍म ढाना बंद करें। मर्यादा की लक्ष्‍मण रेखा न खींचें। खुले आसमान में उन्‍हें उड़ने दें। गिरने दें। गिरने की चोट और दर्द से वे सीखेंगे। दर्द तराशता है। उन्‍हें अपाहिज बना देंगे तो आप कब तक बैसाखी बने रहेंगे ? बुद्ध ने कहा था कि स्‍वयं प्रकाशित हो जाओ। फिल्‍म इंडस्‍ट्री में देख लें कितने बच्‍चे अपने पिताओं की सस्‍ती नकल बन कर रह गए। वे चाह कर भी अपने पिता की तरह नहीं हो पाते।
मेरे बच्चे समझते हैं मुझे  
मुझे याद है कि अपनी किताब ए टेस्‍ट ऑफ लाइफ का कुछ अंश मैंने शाहीन को पढ़ कर सुनाया था। उसने जिस अंदाज से सुना। सुनने के बाद उसने इतना ही कहा कि डैड अब आप की जिंदगी पूरी हो गई। लोग एहसास के जिस शिखर पर पहुंचना चाहते हैं,वहां आप पहुंच चुके हैं। मुझे लगा था कि मेरी बच्‍ची के अंदर कोई बूढ़ी औरत बैठी हुई है। आलिया बचपन से ही मुझे आत्‍मस्‍थ लगती थी। मुझे याद है कि मैं घर के पास जिस्‍म की शूटिंग कर रहा था। वह स्‍कूल जाने के लिए निकली तो सेट पर आ गई। उसने बिपाशा बसु  को यों देखा कि जैसे उसे वहां होना चाहिए था। मैंने पूछा भी कि क्‍या सोच रही हो ? तुम्‍हें होना चाहिए? उसने मुस्‍करा कर कहा ,हां। पूजा के अंदर अलग चाल चलने की अदा थी। मैंने जब उसे डैडी के लिए राजी किया था तो मुकेश भट्ट नाराज हो गया था। उसके तेवर तभी दिख गए थे। कम लोगों को मालूम है कि पूजा ने आशिकी करने से मना कर दिया था। राहुल के साथ मैंने ज्‍यादा बचपन नहीं गुजारा है। मैं घर से अलग हो गया था। उसके जहन में एक कड़वा चैप्‍टर था। जाहिर है अगर बाप उसकी मां को छोड़ कर किसी और औरत के साथ रहेगा तो उसे गुस्‍सा आएगा। पाप की शूटिंग के दौरान हम बाप-बेटे एक कमरे में डेढ़ महीने ठहरे तो रिश्‍ता कायम हुआ। मैंने बताया भी कि मुझे अपने पिता से जो शिकायत थी,वही मैंने तुम्‍हारे साथ कर दिया। मेरेपता वह फासला कम नहीं कर सके। मैं करना चाहूंगा। तुम्‍हारे पास च्‍वॉयस है कि किसी विक्टिम की तरह दर्द जीते रहो या सरवाइवर की तरह दर्द को सीढ़ी बना कर आगे निकल जाओ। मैंने अपने पिता के साथ के कड़वे अनुभवों को फिल्‍मों में लाकर करिअर का स्प्रिंगबोर्ड बना दिया। उस समय उसने थोड़ा समझा। बाद में डेविड हेडली के मुद्दे के समय मैंने पिता की तरह उसकी रक्षा की थी। उस वक्‍त राहुल को एहसास हुआ कि मेरा बाप मुझे छोड़ कर कहीं नहीं गया था।

मिसफिट हूं मैं 
मेरा घर सामान्‍य घर नहीं था। आज भी नहीं है। मैंने अपने अंदाज से इनकी परवरिश की है। कभी सोनी राजदान के माता-पिता आते हैं और हमारी बेटियां उनसे झाुल-मिल रही होती हैं तो मैं दूर से उन्‍हें देख कर चकित होता रहता हूं। वैसा बचपन मुझे नहीं मिल पाया। मैं पारिवारिक जिंदगी में मिसफिट सा हूं। बच्‍चे अपने तरीके से मुझे प्‍यार करते है। आदर देते हैं। 

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