कान में भारत का डंका : नीरज घेवन की मसान


-अजय ब्रह्मात्मज
    नीरज घेवन की फिल्म ‘मसान’ इस साल कान फिल्म फेस्टिवल के अनसर्टेन रिगार्ड खंड में प्रदर्शित होगी। 2010 में विक्रमादित्य मोटवाणी की फिल्म ‘उड़ान’ भी इसी खंड के लिए चुनी गई थी। कान फिल्म फेस्टिवल में सुंदरियों की परेड की तस्वीरें तो हम विस्तार से छपते और देखते हैं, लेकिन युवा फिल्मकारों की उपलब्धियों पर हमारा ध्यान नहीं जाता। नीरज घेवन की फिल्म ‘मसान’ की पृष्ठभूमि बनारस की है। यह श्मशान के इर्द-गिर्द चल रहे कुछ किरदारों की तीन कहानियों का संगम है।
    नीरज घेवन खुद को ‘दिल से भैया’ कहते हैं। उनका दिल बनारस में लगता है। मराठी मां-बाप की संतान नीरज का जन्म हैदराबाद में हुआ। वहीं आरंभिक पढ़ाई-लिखाई हुई। पारिवारिक और सामाजिक दवाब में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर एमबीए किया और फिर मोटी पगार की एक नौकरी भी कर ली। कॉलेज के दिनों में एफटीआईआई से आए एक समर नखाटे के लिए फिल्म संबंधी एक लेक्चर का ऐसा असर रह गया कि सालों बाद वह सिनेमा में रुचि के अंकुर की तरह फूटा। फिल्मों के मशहूर ब्लॉग ‘पैशन फॉर सिनेमा’ से परिचय हुआ। सिनेमा की रुचि शब्दों में ढलने लगी। आत्मविश्वास के साथ फिल्मों की समझ बढ़ती गई। एक दिन उन्होंने फैसला ले ली लिया। दरअसल अनुराग कश्यप ने प्रेरित किया कि जो करना चाहते हो उसे आजमा लो। फिल्मों की दुनिया में आ जाओ।
    नीरज ने आव देखा न ताव.. उसी दिन नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। मां-पिता को सूचित किया। जाहिर सी बात थी कि वे नाराज और चिंतित हुए। उसी दिन नीरज को एक लड़की से भी मिलना था, जिनके संग उनकी शादी की बात चल रही थी। नीरज ने छलांग मारी और कैमरे के पीछे आ गए। अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उनकी सक्रिय भागीदारी और जिम्मेदारी रही। नीरज ने फिल्ममेकिंग की औपचारिक शिक्षा नहीं ली है। उनके लिए अनुराग कश्यप शिक्षक रहे और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की शूटिंग स्कूल। ढाई सालों में नीरज ने फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझा और पचाया। अनुराग चाहते थे कि उनका समर्थ और योग्य सहायक ‘बांबे वेलवेट’ में भी उनके साथ रहे, लेकिन नीरज ने तय कर लिया कि अब वे निर्देशन करेंगे। साथियों को बढ़ावा देने में अव्वल अनुराग ने नीरज को नहीं रोका।
    नीरज घेवन के पास ‘मसान’ की कहानी पहले से थी। कॉलेज के दिनों में उन्होंने एक ड्रॉफ्ट तैयार किया था। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की शूटिंग के दौरान उन्होंने बनारस को करीब से देखा और अपनी कहानी पुख्ता करते गए। नीरज नहीं चाहते थे कि यह कहानी किसी आउटसाइडर या शहरी दृष्टिकोण से कही जाए। एक समय के बाद उन्होंने वरुण ग्रोवर को जोड़ा। दोनों ने बनारस में रह कर अनगिनत लोगों से बातें की और उन बातों का सार कहानी में पिरोते गए। विचार-विमर्श, बहस और परिष्कार की लंबी प्रक्रिया से ‘मसान’ की स्क्रिप्ट पूरी हुई। वरूए ग्रोवर ने इसकी पटकथा लिखी और किरदारों के अनुरूप संवाद लिखे।  
         ‘मसान’ के निर्माताओं में अनुराग कश्यप, मनीष मुंद्रा और गुनीत मोंगा रहे। उसके बाद फ्रांस की मैक्सार, आर्टे फ्रंास और पार्श फिल्म्स आई। भारत और फ्रांस के सहयोग से बनी ‘मसान’ कान फिल्म फेस्टिवल के बाद फ्रांस में प्रदर्शित की जाएगी। ‘मसान’ भारत की उन चंद फिल्मों में से है, जिसके प्रति इंटरनेशनल जिज्ञासा बनी हुई है। स्क्रिप्ट ही निर्माताओं और वितरकों को पसंद आ गई थी। नीरज चाहते हैं कि विदेशों के साथ यह फिल्म भारत में भी रिलीज हो और उन दर्शकों के बीच पहुंचे, जो इस फिल्म के किरदार हैं।
    इस फिल्म में ऋचा चड्ढा और श्वेता त्रिपाठी के साथ विक्की कौशल हैं। विक्की कौशल का सुझाव कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने दिया था। उनके अलावा संजय मिश्रा और विनीत कुमार फिल्म की अहम भूमिकाओं में हैं। 13 मई से आरंभ हो रहे कान फिल्म फेस्टिवल के दौरान ‘मसान’ का पहला प्रदर्शन होगा।


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