दरअसल : जीवन राजेश खन्ना का
-अजय ब्रह्मात्मज
राजेश खन्ना की जिंदगी दिलचस्प है। चूंकि उनके करीबी और राजदार में से कोई भी उनकी जिंदगी के तनहा लमहों को शेयर नहीं करना चाहता,इसलिए हमें उनकी जिंदगी की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। उनकी लोकप्रियता और स्टारडम से सभी वाकिफ हैं। पहली किताब आने के पहले से उनके प्रशंसक उनके करिअर का हिसाब-कितपब रखते हैं। उन्हें मालूम है कि काका ने कब और कैसे कामयाबी हासिल की और कब वे नेपथ्य में चले गए। उन्हें अपनी किीकत मालूम थी,लेकिन वे उसके साथ जीने और स्वीकार करने से हिचकते रहे। यही कारण है कि उनके अतीत की परछाइयों ने उनके व्यक्तित्व को अंधेरे से बाहर ही नहीं आने दिया। बस,एक आकृति घूमती-टहलती रही दुनिया में। उसकी सांसें चल रही थीं,लेकिन सांसों की खुश्बू और गर्मी गायब थी। राजेश खन्ना जीते जी ही अपनी मूर्ति बन गए थे। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके जीवनीकारों ने भी इसी निष्पंद व्यक्ति के जीवन चरित अपने साक्ष्यों,अनुभवों और अनुमानों के आधार पर लिखे हैं।
यासिर उस्मान ने उनकी जिंदगी और करिअर को 256 पृष्इों की किताब राजेश खन्ना : कुछ तो लोग कहेंगे में सरल तरीके से समेटने की कोशिश की है। उन्हें बधाई कि उन्होंने यह काम हिंदी में किया है। हिंदी में सिनेमा पर लिखी जा रही पुस्तकों में अधिकांश प्रकाशक-लेखक संबंध की वजह से फिजूल और अपठनीय हैं। उनके छपने-छापने की वजहें स्पष्ट हैं। स्वतंत्र रूप से कुछ लेखक बढिय़ा काम कर रहे हैं। कुछ किताबें अंग्रेजी से अनूदित होकर आ रही हैं। उनके बारे में मेरी दोटूक राय है कि वे मूलत: हिंदी पाठकों के लिए नहीं लिखी जाती हैं। उनका उद्देश्य अंग्रेजी पाठकों को लुभाना है,जो हिंदी सिनेमा के प्रति मिश्रित अभिरुचि रखते हैं। इनमें से कुछ विदेशी पाठक भी होते हैं। इस पृष्ठभूमि में यासिर उस्मान की राजेश खन्ना की लिखी जीवनी का महत्व बढ़ जाता है। यासिर ने यह जीवनी हिंदी में हिंदी पाठकों के लिए लिखी है। लेखन में उनकी सरलता उल्लेखनीय है।
इस जीवनी के लेखन में उन्होंने अपने तई राजेश खन्ना के करीबी रहे लोगों से बातें की हैं। उन्हें अपने ध्येय के अनुसार इस्तेमाल किया है। सभी ने राजेश खन्ना के बारे में मोटी जानकारियां शेयर की हैं। अगर कोई रिसर्च करे तो विभिन्न स्रोतों की मदद से ये जानकारियां हासिल कर सकता है। यासिज ने मिली जानकारियों को तरतीब दी है। उन्हें रोचक तरीके से पेश किया है। यों लगता है कि लाइव रिर्पोटिंग चल रही है। टीवी पत्रकार होने के असर से शायद शब्दों में दृश्यांकन की कोशिश सी रही है। अच्छी बात है कि यासिर कहीं भी संलग्न नहीं होते। वे बेलाग तरीके से जानकारियां परोसते जाते हैं। संभवत: इसी वजह इस जीवनी में राजेश खन्ना से अंतरंगता नहीं महसूस होती। हमें पर्याप्त जानकारियां मिलती हैं। व्यक्ति के अंदर चल रहे उथल-पुथल से हम अधिक वाकिफ नहीं हो पाते।
लोकप्रियता से राजेश खन्ना का स्खलन,शादी के तुरंत बाद बीवी से मनमुटाव,डिंपल की किसी और की अंतरंगता,फिल्म इंडस्ट्री का बदलता रवैया,राजनीति में फिसलन,अप्रासंगिक होने की ग्रंथि और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की विस्तृत जानकारी मिलती तो यह जीवन अधिक रोचक और प्रभावशाली हो जाती। सीमित संसाधनों और स्रोतों के बावजूद यासिर उस्मान राजेश खन्ना का जीवन चरित रचने में सफल रहे हैं। मुमकिन है भविष्य में राजेश खन्ना की आधिकारिक जीवनी आए। उनकी जिंदगी में आए सभी व्यक्ति कुछ समय तक ही उनके साथ रहे,इसलिए किसी एक एक व्यक्ति से मिली जानकारी नाकाफी होगी। राजेश खन्ना ने स्वयं कहा था,‘ये सच है कि मैँ रीचे गिर गया और ये तकलीफदेह है ़ ़ ़ ़अगर मुझे सामान्य सफलता मिली होती तो उसे संभालना आसान होता। लेकिन उस ऊंचाई से गिर कर मैं अंदर से जख्मी हुआ हूं। चोट इसलिए भी ज्यादा लगी है क्योंकि मैं माउंट एवरेस्ट से गिरा।’
राजेश ख्न्ना : कुछ तो लोग कहेंगे
लेखक- यासिर उस्मान
पेंगुइन बुक्स
मूल्य- 250 रूपए
Comments