चवन्नी पर होली
होली पर चवन्नी के आर्काइव से तीन लेखत्र इस साल शबना आजमी और अनुराग कश्यप ने दोस्तों के साथ होली को सार्वजनिक रंग दिया। कभी इस फिल्म इंडस्ट्री में रंगों की फुहार और ढोलक की थाप पर सभी सितारे ठुमकते और सराबोर होते थे। अग फिॅल्म इंडस्ट्री की होली सराबोर से घट कर बोर हो गई है। न रहा रांग, न रहे रंग। होली हो गई निस्संग।
हां, यहां यह याद दिलाना आवश्यक होगा कि सेटेलाइट चैनलों के आगमन और सीरियल
के बढ़ते प्रसार के दिनों में सीरियल निर्माताओं ने अपनी यूनिट के लिए
होली का आयोजन आरंभ किया। इस प्रकार की होली चुपके से होली के पहले ही होली
के दृश्य जोड़ने के काम आने लगी। होली ने कृत्रिम रूप ले लिया। अभी फिल्म
इंडस्ट्री घोषित-अघोषित तरीके से इतने खेमों में बंट गई है कि किसी ऐसी
होली के आयोजन की उम्मीद ही नहीं की जा सकती, जहां सभी एकत्रित हों और बगैर
किसी वैमनस्य के होली के रंगों में सराबोर हो सकें!
Friday, March 21, 2008
खेमों में बंटी फ़िल्म इंडस्ट्री, अब नहीं मनती होली
हां, यहां यह याद दिलाना आवश्यक होगा कि सेटेलाइट चैनलों के आगमन और सीरियल
के बढ़ते प्रसार के दिनों में सीरियल निर्माताओं ने अपनी यूनिट के लिए
होली का आयोजन आरंभ किया। इस प्रकार की होली चुपके से होली के पहले ही होली
के दृश्य जोड़ने के काम आने लगी। होली ने कृत्रिम रूप ले लिया। अभी फिल्म
इंडस्ट्री घोषित-अघोषित तरीके से इतने खेमों में बंट गई है कि किसी ऐसी
होली के आयोजन की उम्मीद ही नहीं की जा सकती, जहां सभी एकत्रित हों और बगैर
किसी वैमनस्य के होली के रंगों में सराबोर हो सकें!
Sunday, March 4, 2012
हाय वो होली हवा हुई
पोज बना कर होली
फिल्मी
इवेंट के पेशेवर फोटोग्राफर कई सालों से परेशान हैं कि उन्हें होली के
उत्सव और उमंग की नैचुरल तस्वीरें नहीं मिल पा रही हैं। सब कुछ बनावटी हो
गया है। रंग-गुलाल लगाकर एक्टर पोज देते हैं और ऐसी होली होलिकादहन के पहले
ही खेल ली जाती है। मामला फिल्मी है तो होली का त्योहार भी फिल्मी हो गया
है। हवा की फगुनाहट से थोड़े ही मतलब है। स्विमिंग पूल में बच्चों के लिए
बने पौंड में रंग घोल दिया जाता है या किसी सेटनुमा हॉल में होली मिलन का
नाटक रच दिया जाता है।
Tuesday, March 26, 2013
नसीम बानो के साथ होली - मंटो
पार्टी में जब कुछ और लोग शामिल हुए तो शाहिद लतीफ ने बा आवाज-ए-बुलन्द कहा, ‘चलो परी चेहरा नसीम के घर रुख करो।’
रंगों से
मुसल्लह गिरोह घोड़ बन्दर रोड की ऊंची-नीची तारकोल लगी सतह पर बेढंगे बेल-बूटे बनाता
और शोर मचाता नसीम के बंगले की तरफ रवाना हुआ। चन्द मिनटों ही में हम सब वहां थे। शोर
सुन कर नसीम और एहसान बाहर निकले। नसीम हल्के रंग की जारजट की साड़ी में मलबूस मेकअप
की नोक पलक निकाले, जब हुजूम
के सामने बरामदे में नमूदार हुई, तो शाहिद ने बिजन का हुक्म दिया। मगर मैंने उसे रोका, ‘ठहरो! पहले इनसे कहा कपड़े
बदल आयें।’
नसीम से कपड़े तब्दील करने के लिए
कहा गया तो वह एक अदा के साथ मुस्कराई, ‘यही ठीक है।’
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