बांध लिया एनएच 10 की स्क्रिप्‍ट ने - अनुष्‍का शर्मा


-अजय ब्रह्मात्मज
 ‘एनएच 10’ की घोषणा के समय एक ही सवाल गूंजा कि अनुष्का शर्मा को इतनी जल्दी निर्माता बनने की जरूरत क्यों महसूस हुई ? पहले हिंदी फिल्मों की हीरोइनें करिअर की ढलान पर स्वयं फिल्मों का निर्माण कर टेक लगाती थीं। या फिर रिटायरमेंट के बाद करिअर ऑप्शन के तौर पर प्रोडक्शन में इंवेस्ट करती थीं। फिल्मों सब्जेक्ट इत्यादि में उनकी राय नहीं चलती थी। अनुष्का शर्मा ने ‘एनएच 10’ के निर्माण के साथ नवदीप सिंह को निर्देशन का मौका भी दिया। नवदीप सिंह ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’ के बाद अगली फिल्म नहीं बना पा रहे थे। किस्सा है कि नवदीप सिंह ने पढऩे और सोचने के लिए अनुष्का के पास स्क्रिप्ट भेजी थी। अनुष्‍का को स्क्रिप्ट इतनी अच्छी लगी कि वह लीड रोल के साथ प्रोडक्शन के लिए भी तैयार हो गईं। अनुष्का से यह मुलाकात उनके घर में हुई। इन दिनों फिल्म स्टार इंटरव्यू के लिए भी किसी पंचतारा होटल के कमरे या स्टूडियो के फ्लोर का चुनाव करते हैं। घर पर बुलाना बंद सा हो गया। प्रसंगवश बता दें कि अनुष्का के घर की सजावट में सादगी है। लगता नहीं कि आप किसी फिल्म स्टार के घर में बैठे हों। फिल्मों की चमक से परे है उनका घर। घर की दीवारों पर सामान्य कलाकृतियां औा एनलार्ज की गई तस्वीरें हैं। सब कुछ स्नेहिल और सहज है। अनुष्का का व्यवहार और बातचीत भी।
    अनुष्का ने क्यों ‘एनएच 10’ के साथ निर्माता बनने की ठानी। जाहिर सी बात है कि फिल्म निर्माण चैरिटी नहीं है। यह फैसला यक-ब-यक नहीं लिया गया होगा। वह कहती हैं,‘मेरे पास फिल्म आई तो इसकी स्क्रिप्ट ने मुझे बांध लिया। कभी-कभी ऐसी स्क्रिप्ट मिलती है,जो चुनौती के साथ ऊर्जा देती है कि इसे तो कर के दिखाना है। मैं स्पष्ट थी कि कमर्शियल संभावना के बावजूद यह कमर्शियल फिल्म नहीं है। मुझे लगा कि अगर मैं निर्माता के तौर पर जुट जाऊं तो फिल्म में लगा निवेश फिल्म के निर्माण में खर्च होगा। मैंने हमेशा अपने फैसले शुद्ध भाव से लिए हैं। मुझे एहसास हुआ कि करना चाहिए। फिर मैंने परवाह नहीं की कि कौन क्या कहेगा? मैं दो और दो जोड़ कर नहीं देखती। मैं क्रिएटिव पर्सन हूं। मैंने अंदर की आवाज सुनी और प्रोड्यूस करने का डिसीजन ले लिया। मुझे नवदीप का इरादा सही लगा। वे अपना काम जानते हैं। को-प्रोड्यूसर फैंटम को मैं जान रही थी। सोच के स्तर पर हम एक ही पेज पर थे। इसे आप मेरा आत्मविश्वास भी कह सकते हैं।’
    ‘एनएच 10’ थ्रिलर फिल्म है। अनुष्का को थिलर फिल्में पसंद हैं। वह अपने अनुभव बताती हैं,‘इस फिल्म को करते हुए मैंने महसूस किया कि थ्रिलर फिल्में शूट करने में भी मजा आता है। यह वर्किंग कपल की कहानी है। गुडग़ांव में वे रहते हैं। फिल्म में मेरा बर्थडे है। उसके लिए हम बाहर जा रहे हैं। रास्ते में ऐसे मामले में फंस जाते हैं कि हमारा प्लान कबगड़ जाता है। उसके बाद यह सेल्फ रियलाइजेशन की कहानी है। हमें पता नहीं होता कि हम क्या-क्या कर सकते हैं। मुश्किल स्थिति में फंसने पर ही पता चलता है। अपने ही अनजान पहलुओं की जानकरी मिलती है। संक्षेप में यह ‘रोड ट्रिप गॉन रौंग’ की कहानी है।’
    अनुष्का ने ज्यादातर कमर्शियल और मेनस्ट्रीम फिल्मों के डायरेक्टर के साथ काम किया है। रियलिस्ट डायरेक्टर नवदीप सिंह के साथ कैसा तर्जुबा रहा? अनुष्का ज्यादा सोचती नहीं। वह बताती हैं,‘हर डायरेक्टर का अप्रोच अलग होता है। एक्टर में लचीलापन होना चाहिए कि वह नए सांचों में ढल सके। मैंने एक साथ ही ‘पीके’,‘बांबे वेलवेट’ और ‘एनएच 10’ में काम किया। मुझे तीनों में अपने किरदार के हिसाब से बदलना पड़ता था। फिल्म की थीम के हिसाव से ‘एनएच 10’ रियल और नैचुरल है। म़झे यह जरूरी भी लगता है। पहनी फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ में पहले शॉट के समय ही शाह रुख खान ने मेरे नैचुरल डिलीवरी की तारीफ की थी। उससे मुझे काफी बल मिला। अगर उस समय उन्होंने मेरे अप्रोच को सही नहीं कहा होता तो शायद मेरा विकास किसी और रूप में हुआ होता।’
    ‘एनएच 10’ में रूरल और अर्बन का फर्क नजर आएगा। अनुष्का के शब्दों में ,‘पापा के साथ ट्रैवल करते समय मुझे इसका एहसास हो रखा था। हम एक ही देश में कई स्तरों पर जी रहे हैं। इस फिल्म में समाज का यह फर्क भी है।मैं इस मायने में भागयशाली हूं कि मैंने अपना देश देख रखा है। यहां के लोगों से हिली-मिली हूं। मेरे लिए फिल्मों का हर किरदार कोई न कोई परिचित व्यक्ति होता है। ऐसा अनुभव नहीं रहने पर सिनेमा के अनुभवों से काम चलाना पड़ता है। लेखक-निर्देशक की व्याख्या पर निर्भर होना होगा।’ इस साल अनुष्का की दो और फिल्में आएंगी। अनुराग कश्यप की ‘बांबे वेलवेट’ और जोया अख्तर की ‘दिल धडक़ने दो’ जैसी दो बड़ी फिल्मों के साथ उन्होंने ‘एनएच 10’ भी पूरी कर ली है। इसे साहस कहें या जोखिम? इतना तय है कि अनुष्का अपनी समकालीनों से अलग,सजग और आगे हैं। वह अपनी सोच में स्पष्ट और बातचीत में सरल हैं।
   


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