फेमस होने के लिए फिल्में नहीं करती- राधिका आप्टे
-अजय ब्रह्मात्मज
इस साल राधिका आप्टे की पांच फिल्में रिलीज होंगी। सबसे पहले 20 फरवरी को श्रीराम राघवन की ‘बदलापुर’ आएगी। उसके बाद र्फैटम और शेमारू के कोप्रोडक्शन में बनी ‘हंटर’ आएगी। फिर ‘कौन कितने पानी में’ आ जाएगी। ‘पाच्र्ड’ भी इसी साल रिलीज होगी। केतन मेहता की ‘माउंटेन मैन’ की तारीख की घोषणा नहीं हुई है। हिंदी की पांच फिल्मों के साथ एक मलयाली फिल्म ‘हरम’ है। एक तेलुगू फिल्म की शूटिंग चल रही है। रोहित बत्रा की इंटरनेशनल फिल्म ‘द फील्ड’ की तैयारी चल रही है। हिंदी फिल्मों के दो बड़े डायरेक्टर के साथ इंटरनेशनल सहयोग से बन रही दो शॉर्ट फिल्में भी हैं। अनुराग बसु के साथ एपिक चैनल के लिए ‘चोखेर बाली’ मिनी सीरिज पूरी हो चुकी है।
कह सकते हैं कि राधिका आप्टे बहुभाषी अभिनेत्री हैं। महाराष्ट्र के पुणे की निवासी इस सक्रियता के बावजूद हिंदी की सामान्य अभिनेत्रियों की तरह बात-व्यवहार नहीं करतीं। अपने काम के प्रति उत्साह तो रहता है,लेकिन उसके बारे में शोर मचाने से परहेज करती हैं राधिका। इधर एक फर्क आया है कि अब वह हिंदी फिल्मों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं,इसलिए उनकी अन्य भाषाओं की फिल्में धीरे-धीरे कम हो रही हैं। अंग्रेजी पर भी उनकी नजर है। राधिका आप्टे हिंदी दर्शकों के लिए परिचित चेहरा नहीं हैं,लेकिन उनकी फिल्मों की संख्या बताती है कि जल्दी ही वह पहचान और नाम हासिल करेंगीं।
राधिका के माता-पिता पुणे के मशहूर डॉक्टर हैं। चौदह सालों से थिएटर में सक्रिय राधिका ने मुंबई के पृथ्वी थिएटर और एनसीपीए मेंं कुछ शो किए थे। वहीं निर्देशकों ने उन्हें देखा और अपनी फिल्मों के ऑफर दिए। राधिका बताती है, ‘मुझे ‘शोर इन द सिटी’ और ‘रक्तचरित्र’ ऐसे ही मिल गई थी। इन दोनों फिल्मों की रिलीज के पहले मैं लंदन चली गई थी। वहां क्लासिकल डांस सीखने गई थी। उसकी वजह से दो साल का गैप आ गया।’ अन्य अभिनेत्रियां फिल्मों में एक बार आ जाने के बाद अगले काम की उम्मीद में यहां से टसकती नहीं हैं। राधिका के लंदन जाने के निर्णय पर सभी को हैरानी हुई थी। वह स्पष्ट करती हैं,‘फिल्मों की तो मेरी प्लानिंग ही नहीं थी। मैं थिएटर में व्यस्त थी। मेरे पांच-छह शो एक साथ चल रहे थे। उन्हें समेटने के बाद मैंने लंदन की तैयारी कर रखी थी,इसलिए मौका मिलते ही मैं निकल गई। हिंदी फिल्मों का तो मालूम है न ़ ़ ़ एक बार सिलसिला चल गया तो फिर कुछ और नहीं कर सकती। मुझे कंटेम्पररी डांस सीखना था,उसके लिए जितनी कम उम्र हो उतना अच्छा।’
राधिका अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट हैं। बेलाग तरीके से वह अपनी बात रखती हैं,‘मुझे हिंदी फिल्मों का स्टार नहीं बनाना है। मुझे इंटरनेशनल फिल्में करनी हंै। मालूम नहीं है कि मेरा रास्ता क्या होगा? इस लक्ष्य के लिए मुझे अच्छी फिल्में करनी हैं। इंटरनेशनल से मेरा आशय हालीवुड या किसी और देश की फिल्मों से नहीं है। ऐसी इंटरनेशनल फिल्में भारत की भी हो सकती हैं। थोड़ा आउट ऑफ बॉक्स काम हो तो अच्छा लगता है। मन लगता है। हिंदी में ‘बदलापुर’ जैसी फिल्में हों तो ठीक है। इरादा है कि कंटेंट ड्रिवेन फिल्में करूं।’ राधिका जोर देती हंै कि मुझे कंटेंट और एक्सपेरिमेंट पसंद है। एक जैसी फिल्में करने का क्या फायदा? वह समझाती हैं,‘मकसद अलग-अलग काम करना है। फेमस होने के लिए फिल्में नहीं करनी हैं। मेरी इच्छा एक्टिंग के नए आयामों को छूना है।’ स्कूल के समय से ही थिएटर से जुड़ी राधिका पढऩे-लिखने में तेज थीं। 11 वीें करने के बाद एक वर्कशॉप में मोहित टाकरकर से हुई मुलाकात ने दिशा दे दी। उन्होंने ‘ब्रेन सर्जन’ प्ले के लिए आमंत्रित किया। पुणे के आसक्त थिएटर से राधिका 2003 में जुड़ीं और अभी तक उनके साथ रंगमंच पर सक्रिय हैं।
नृत्य,रंगमंच और फिलमों में एक साथ एक्टिव राधिका मानती हैं कि फॉर्म में अलग होने के बावजूद इनमें एकात्मता है। वह उनमें अधिक भेद नहीं करतीं। राधिका बताती हैं,‘परफारमेंस की चिंता एक सी रहती है। एक्सप्रेशन बदलता है। थिएटर में डायरेक्ट ऑडिएंस के सामने रहना होता है,जबकि फिल्म में प्रिंट होने के पहले सुधारने की संभावना रहती है। फिल्म में एकरेखीय शूटिंग नहीं होती है,इसलिए परितृप्ति अलग किस्म की होती है। चूंकि मैं अलग किस्म की फिल्में करती हूं,इसलिए मेरे अनुभव अलग हैं। शुरू की दोनों फिल्मों के बद मुझे अबला नारी की ढेर सारी फिल्में मिलीं। मैंने सिरे से मना कर दिया। मुझे किसी छवि में नहीं बंधना है। इंडस्ट्री बांधने की कोशिश करती है।’
शादीशुदा राधिका आप्टे लोगों के इस सवाल या विस्मय से परेशान हो जाती है ़ ़ ़ ‘अरे, आप की शादी हो गई है।’ ‘शादी हो जाने से अभिनेत्री होने की मेरी योग्यता में क्या फर्क पड़ता है। हिंदी फिल्मों में हीरोइनों की शादी क्यों बड़ा मुद्दा बन जाता है? मरी जिंदगी है? मैं चाहे जब शादी करूं?’ पूछती है राधिका आप्टे।
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