फिल्म समीक्षा : खामोशियां
-अजय ब्रह्मात्मज
प्रमुख कलाकार: गुरमीत चौधरी, सपना पब्बी और अली फजल।
निर्देशक: करण दारा
संगीतकार: अंकित तिवारी, जीत गांगुली, बॉबी इमरान और नवद जफर।
स्टार: 1.5
निर्देशक: करण दारा
संगीतकार: अंकित तिवारी, जीत गांगुली, बॉबी इमरान और नवद जफर।
स्टार: 1.5
भट्ट कैंप की 'खामोशियां' नए निर्देशक करण दारा ने निर्देशित की है। उन्हें
दो नए कलाकार गुरमीत चौधरी और सपना पब्बी दिए गए हैं। उनके साथ अली फजल
हैं। कहानी विक्रम भट्ट ने लिखी है और एक किरदार में वे स्वयं भी मौजूद
हैं। ऐसा लगता है कि अभी तक भट्ट कैंप अपनी फिल्मों में जिन मसालों का
इस्तेमाल करता रहा है, उनकी बची-खुची और मिस्क मात्रा करण को दे दी गई है।
प्रस्तुति और स्वभाव में भट्ट कैंप की यह फिल्म उनकी पिछली फिल्मों से
कमजोर है। इस बार भट्ट कैंप अपनी एक्सपेरिमेंट देने में चूक गया है।
सस्पेंस, मर्डर, हॉरर, भूत-प्रेत, सेक्स, रोमांस और प्रेम जैसे सभी तत्वों
के होने के बावजूद यह फिल्म प्रभावित नहीं करती। कारण स्पष्ट है कि
लेखक-निर्देशक की विधा और प्रस्तुति के प्रति स्पष्ट नहीं है। कथा बढऩे के
साथ छिटकती रहती है और आखिरकार बिखर जाती है। किरदारों में केवल कबीर (अली
फजल) पर मेहनत की गई। मीरा (सपना पब्बी) और जयदेव (गुरमीत चौधरी) आधे-अधूरे
रचे गए हैं।
'खामोशियां' का लोकेशन सुंदर है। दक्षिण अफ्रीका में कश्मीर रच दिया गया
है। फिल्म में गीतों के फिल्मांकन पर पूरा ध्यान दिया गया है। गीत-संगीत के
चुनाव में भट्ट बंधु हमेशा सफल रहते हैं। उनकी फिल्मों के गीत लोकप्रिय
होते हैं। 'खामोशियां' में भी यही बात हुई है। फिल्म देखते हुए लगता है कि
गानों के म्यूजिक वीडियो से एक लचर कथा को जोड़ा गया है। भूत, आत्मा, प्रेम
ओर आकर्षण की 'खामोशियां' में तर्क खामोश ही रहते हैं। यह फिल्म प्रेम और
विश्वास से अधिक अंधविश्वास पर टिकी हुई है। ऐसी फिल्मों में मंत्र, जाप और
उपचार का मनगढ़ंत उपयोग किया जाता है। लेखक-निर्देशक तथ्यों और साक्ष्यों
पर गौर नहीं करते। 'खामोशियां' में ऐसी लापरवाहियों की अति हो गई है।
कलाकारों में अली फजल अपनी सीमाओं में कबीर को निभाते हैं। उन्हें अपने
अभिनय में प्रवाह पर ध्यान देना चाहिए। इस फिल्म के प्रचार में गुरमीत
चौधरी के नाम का शोर मचाया गया, लेकिन फिल्म में उन्हें बहुत कम स्पेस और
फुटेज मिला है। इनमें से भी आधे दृश्यों में वे अचेत लेटे रहते हैं। सपना
पब्बी अपने किरदार मीरा की जरूरतों को पूरा नहीं कर पातीं।
'खामोशियां' का गीत-संगीत पॉपुलर रुचि का है। यों फिल्म की कथा से उसका अधिक तालमेल नहीं है।
अवधि: 123 मिनट
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