दीवार
40 साल पहले आज ही के दिन 21 जनवरी 1975 को दीवार रिलीज हुई थी। इसके निर्देशक यश चोपड़ा थे। इस फिल्म ने ही अमिताभ बच्चन को स्टारडम की ऊचाई दी थी। इस फिल्म में उनके साथ शशि कपूर और निरूपा राय की भी खास भूमिका थी। इसके पहले 'जंजीर' से उन्हें एंग्री यंग मैन की मिली छवि का 'दीवार' ने पुख्ता कर दिया था। दोनों ही फिल्मों के लेखक सलीम-जावेद थे।
यश चोपड़ा ने पहले राजेश खन्ना को विजय और नवीन निश्चल को रवि की भूमिका देने की सोची थी। तब उनकी मां की भूमिका वैजयंती माला निभाने वाली थीं। कहते हैं सलीम-जावेद ने शत्रुघ्न सिन्हा को ध्यान में रख कर विजय का रोल लिखा था। वे राजेश खन्ना के नाम पर राजी नहीं थे,क्योंकि उनसे उनकी अनबन चल रही थी। राजेश खन्ना के नहीं चुने जाने पर नवीन निश्चल और वैजयंती माला ने भी फिल्म छोड़ दी। मां की भूमिका के लिए यश चोपड़ा ने वहीदा रहमान के बारे में भी सोचा था,लेकिन 'कभी कभी' में पति-पत्नी की भूमिका निभा रहे अमिताभ बच्चन और वहीदा रहमान को साथ में लेना उचित नहीं लगा।
अमिताभ बच्चन ने 'दीवार' के साथ-साथ 'शोले' और 'कभी कभी' की भी शूटिंग की। आदत के मुताबिक वे कहीं भी देर से नहीं पहुंचते थे। 'आज खुश तो बहुत होगे' श्ाॉट के समय अमिताभ बच्चन ने सेट खाली करवा दिया था। 15 रीटेक के बाद यह शॉट परफेक्ट हुआ था। मां की गोद में मरने के दृश्य के संवाद नहीं लिखे गए थे। यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन को आजादी दी थी कि वे स्वयं ही कुछ बोलें।
'दीवार' के पोस्टर में अमिताभ बच्चन की कमीज बंधी हुई है। दाअसल,वह कमीज इतनी लंबी हो गई थी कि उसमें गांठ बांधनी पड़ी। इसी प्रकार 'सरकार' की शूटिंग के समय कमीज को कॉलर बड़ा होने पर अमिताभ बच्चन ने उसे कटवा दिया था।
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