दरअसल : सेंसर के यू/ए सर्टिफिकेट का औचित्य
अजय ब्रह्मात्मज
अगर आप केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की हिंदी वेबसाइट पर जाएंगे तो वहां पहले पृष्ठ पर ही बताया गया है कि किन-किन श्रेणियों में प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। चार श्रेणियां हैं- अंग्रेजी में उन्हें यू, यू/ए, ए और एस कहते हैं। हिंदी में उन्हें अ, व /अ और अ लिखा गया है। हिंदी में चौथी श्रेणी एस का विवरण नहीं है। इसके साथ सेंसर प्रमाणन बोर्ड के हिंदी पृष्ठ पर वर्तनी की अनेक गलतियां हैं। सबसे पहले तो सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सूचना को ही ‘सुचना’ लिखा गया है। नीचे उद्धृत पंक्तियों में दर्षक, प्रर्दषण, और मार्गदर्षन भी गलत लिखे गए हैं।
चलचित्र अधिनियम, 1952, चलचित्र (प्रमाणन) नियम,1983 तथा 5 (ख) के तहत केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए मार्गदर्शिका का अनुसरण करते हुए प्रमाणन की कार्यवाही की जाती है।
फिल्मों को चार वर्गों के अन्तर्गत प्रमाणित करते हैं।
अगर आप केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की हिंदी वेबसाइट पर जाएंगे तो वहां पहले पृष्ठ पर ही बताया गया है कि किन-किन श्रेणियों में प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। चार श्रेणियां हैं- अंग्रेजी में उन्हें यू, यू/ए, ए और एस कहते हैं। हिंदी में उन्हें अ, व /अ और अ लिखा गया है। हिंदी में चौथी श्रेणी एस का विवरण नहीं है। इसके साथ सेंसर प्रमाणन बोर्ड के हिंदी पृष्ठ पर वर्तनी की अनेक गलतियां हैं। सबसे पहले तो सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सूचना को ही ‘सुचना’ लिखा गया है। नीचे उद्धृत पंक्तियों में दर्षक, प्रर्दषण, और मार्गदर्षन भी गलत लिखे गए हैं।
चलचित्र अधिनियम, 1952, चलचित्र (प्रमाणन) नियम,1983 तथा 5 (ख) के तहत केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए मार्गदर्शिका का अनुसरण करते हुए प्रमाणन की कार्यवाही की जाती है।
फिल्मों को चार वर्गों के अन्तर्गत प्रमाणित करते हैं।
’अ’- अनिर्बन्धित सार्वजनिक प्रदर्षन
’व’- वयस्क दर्षकों के लिए निर्बन्धित
’अव’- अनिर्बन्धित सार्वजनिक प्रर्दषन के लिए किन्तु 12 वर्ष से
कम आयु के बालक/बालिका को माता-पिता के मार्गदर्षन के साथ फिल्म देखने की चेतावनी के साथ
(उम्मीद है वर्तनी की गलतियां यथाशीघ्र सुधार ली जाएंगी)
’व’- वयस्क दर्षकों के लिए निर्बन्धित
’अव’- अनिर्बन्धित सार्वजनिक प्रर्दषन के लिए किन्तु 12 वर्ष से
कम आयु के बालक/बालिका को माता-पिता के मार्गदर्षन के साथ फिल्म देखने की चेतावनी के साथ
(उम्मीद है वर्तनी की गलतियां यथाशीघ्र सुधार ली जाएंगी)
सवाल वर्तनी से अधिक नियमों के व्यावहार का है। नियमों का पालन क्यों और
कैसे किया जा रहा है? किस आधार पर ‘एक्शन जैक्सन’ जैसी फिल्म को यू/ए
सर्टिफिकेट दिया गया,जबकि इस फिल्म में भयंकर हिंसक और फूहड़ सेक्सी दृश्य
हैं। फिल्म के नायक एजे और विशी दृश्यों में आते ही या तो मारपीट या
मारकाट पर उतारू हो जाते हैं या फिर फिल्म की महिला चरित्रों के साथ फूहड़
एडल्ट हंसी-मजाक और यौनेच्छा के भावों में लीन रहते हैं। एक नायिका खुशी
तो ऐसा लगती है कि नायक को नंगे देखने से ही उसकी किस्म्त पलटी है। अब वह
इसी फिराक में रहती है कि फिर से नायक को नंगा देखे। इसी आधार पर वह नायक
से शादी का मन बना लेती है। प्रेम में सहवास और संभोग अनिवार्य चरण
है,लेकिन ‘एक्शन जैक्सन’ में प्रेम का आधार अश्लील और फूहड़ है। दूसरी
अभिनेत्री खलनायिका है। वह एजे के शरीर सौष्ठव और बहादुरी से इतनी प्रभावित
होती है कि किसी भी तरह उसे हासिल करना चाहती है। निर्देशक ने चरित्र की
कामुकता दर्शाने के लिए जम कर अभिनेत्री का अंग प्रदर्शन करवाया है। एक
महिला चरित्र को मर्सिडीज कार कहते हुए उसकी टेस्ट ड्राइव करने जैसे संवाद
भी बोले गए हैं। ऐसी फिल्म को यू/ए देने का आधार समझ में नहीं आता।
फिल्म के एक्शन दृश्यों के फिल्मांकन में बहादुरी से अधिक ग्राफिक क्रूरता
नजर आती है। विशी और एजे दोनों ही मुक्के से लेकर ऑटोमेटिक हथियारों से खुद
ही बुरे गुंडों पर आक्रमण करते हैं। वे स्वयं भी आदर्शवादी चरित्र नहीं
हैं। ऊपर से बुरी और अंदर से भली जैसी फिल्मी नैतिकता उनके अंदर है, जो
सामाजिक नैतिकता सी दिखती है। फिल्म में डांस और गानों की तरह बार-बार
खून-खराबा होता है। नंगी तलवार नाचती है। खून के फव्वारों और छींटो से
स्क्रीन लगातार लाल होती है। फिर भी इसे यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया है।
क्यों? कहीं कुछ गड़बड़ है।
दरअसल,लाभ के लिए निर्माता अपनी ए कैटेगिरी की फिल्मों के लिए यू/ए सर्टिफिकेट का इंतजाम करते हैं। इससे उनकी फिल्मों के सैटेलाइट प्रसारण का मार्ग सुगम हो जाता है। देश में टीवी पर एडल्ट फिल्मों के प्रसारण की अनेक दिक्कते हैं। उन्हें पर्याप्त पैसे और स्पॉन्सर नहीं मिलते। टीवी चैनल भी उनके सैटेलाइट राइट लेने में हिचकते हैं। इस वजह से निर्माताओं की कोशिश रहती है कि उनकी एडल्ट कंटेंट की फिल्मों के लिए भी किसी तरह यू/ए सर्टिफिकेट मिल जाए।
दरअसल,लाभ के लिए निर्माता अपनी ए कैटेगिरी की फिल्मों के लिए यू/ए सर्टिफिकेट का इंतजाम करते हैं। इससे उनकी फिल्मों के सैटेलाइट प्रसारण का मार्ग सुगम हो जाता है। देश में टीवी पर एडल्ट फिल्मों के प्रसारण की अनेक दिक्कते हैं। उन्हें पर्याप्त पैसे और स्पॉन्सर नहीं मिलते। टीवी चैनल भी उनके सैटेलाइट राइट लेने में हिचकते हैं। इस वजह से निर्माताओं की कोशिश रहती है कि उनकी एडल्ट कंटेंट की फिल्मों के लिए भी किसी तरह यू/ए सर्टिफिकेट मिल जाए।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में
कदाचार की खबरें आती रही हैं। ‘एक्शन जैक्सन’ जैसी हिंसक और सेक्स के
फूहड़ संवादों और दृश्यों जैसी फिल्मों को अगर यू/ए सर्टिफिकेट मिले तो
कदाचार की आशंका बरकरार रहती है।
abrahmatmaj@mbi.jagran.com
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