रॉन्ग नंबर के लोग विरोध कर रहे हैं : आमिर खान

-स्मिता श्रीवास्‍तव 
विवादों के बीच राजकुमार हिरानी की 'पीके' 200 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है। फिल्म पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा है। फिल्म को लेकर उठने वाले विवाद के पीछे इसमें दिखाए गए कुछ दृश्य हैं।
दरअसल, 'पीके' में धर्म के नाम पर होने वाली कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया गया है। भगवान और धर्म-कर्म के नाम पर चल रहे धार्मिक उद्योगों पर सवालिया निशान लगाया गया है। फिल्म चमत्कार दिखाने वाले संतों को भी कठघरे में खड़ा करती है। हवा से सोना पैदा करने वाले बाबा चंदा क्यों लेते हैं या देश की गरीबी क्यों नहीं दूर करते? धर्म के नाम पर खौफ पैदा करने वालों पर भी नकेल कसी गई है। फिल्म में स्पष्ट संदेश है कि जब ईश्वर ने तर्क-वितर्क की शक्ति दी है तो अतार्किक बातों पर हम आंखें मूंद कर विश्वास क्यों करते हैं।
इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि सिर्फ हिंदू धर्म पर ही चोट क्यों की गई। बाकी धर्मालंबियों पर ऊंगली क्यों नहीं उठाई? पूछने पर आमिर खान कहते हैं, 'फिल्म मानवता का संदेश देती है। दूसरा, अंधविश्वास के खिलाफ अलख जगाती है। फिल्म में धार्मिक कट्टरता के खिलाफ भी आवाज उठाई है। एक दृश्य में बम ब्लास्ट दिखाया गया है। टीवी पर खबर दिखाई गई है कि किसी ने अपने खुदा की रक्षा के नाम पर बम ब्लास्ट का बयान दिया। पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमला धार्मिक कट्टरता की हालिया मिसाल है। कोई धर्म मासूमों की जान लेना नहीं सिखाता। यह सब गैर धार्मिक चीजें हैं। अगर लोगों को फिल्म पसंद नहीं आती तो देखते क्यों हैं? उन लोगों को ही तकलीफ होगी जो गलत काम करते हैं। जो लोग चाहते हैं उनका पर्दाफाश न हो वो विरोध करेंगे। दूसरा 'बायकॉट तो आमिर फॉर 'सत्यमेव जयते' का भी हुआ। दरअसल, जिन्हें फायदा होता है वे नहीं चाहते कि चीजें बदलें। मैं नकरात्मक चीजों पर रिएक्ट नहीं करता। मुझे गर्व है कि मैं सोशल मुद्दे उठाता हूं। डेमोक्रेसी में हर किसी का अपना ओपिनियन होता है। हम सबकी इज्जत करते हैं।'
वहीं राजकुमार हिरानी कहते हैं, 'हम सब एक हैं। भेदभाव हमने खुद बनाए हैं। कई सालों से लग रहा था कि यह बात सिनेमा के माध्यम से कहनी चाहिए। हमने इसमें किसी के ऊपर ऊंगली नहीं उठाई है। हमारी जो विचारधारा है उसे पेश करने की कोशिश की है। हम प्यार से कह रहे हैं कि अपने आपको एक समान समझो। कोई गलत बात नहीं कह रहे। फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने के दौरान ही तय किया था यह संदेश देना है कि एक ईश्वर ने हमने बनाया, जिसके बारे में पता नहीं। दूसरा जिसे हमने बनाया हम जैसा ही है। अगर आम इंसान यह बात कहता तो सवाल उठते। यह तो हम जैसा ही है। फिर एलियन का विचार आया। उसके जरिए यह बात आक्रामक नहीं लगती।'
फिल्म में लव जेहाद को दिखाने से आमिर इंकार करते हैं। वह कहते हैं, ' फिल्म में लव जेहाद की बात नहीं की गई है। हमारे दिमाग में अक्सर गलत चीजें डाल दी जाती हैं। कई रॉन्ग नंबर बैठे होते हैं। यानी दूसरी कम्युनिटी के लिए कुछ शक-शंकाएं डाली जाती हैं। फिल्म में इसे रॉन्ग नंबर बताया गया है। हम इसे पकड़कर चलते हैं। इसके चलते गलत फैसले लेते हैं। क्लाइमेक्स इसी पर आधारित है। हमारे मन में दूसरों के खिलाफ खराब विचार हैं। इसलिए नहीं कि आपने मेरे साथ गलत किया है। बल्कि मन में यह विचार बैठाया गया है। सो, रॉन्ग नंबर को तोडऩे की कोशिश की है।'
देश में पिछले अर्से में कई बाबाओं का पर्दाफाश हुआ है। इस संदर्भ में आमिर कहते हैं, 'मैं यह नहीं कहता हर गुरु गलत होता है। बहुत सारे लोग अच्छी चीजें भी सीखाते हैं, जो आपके धार्मिक गुरु बनते हैं। बहुत सारे गुरु अच्छे लोग हैं। उनसे आपको प्रेरणा मिलती है। उनके पास हर धर्म के लोग जाते हैं। मेरा खुद का कोई धार्मिक गुरु नहीं है। हालांकि मेरा धर्म पर पूरा यकीन है। हम हर धर्म को फॉलो करते हैं। पहली पत्नी रीना से शादी के बाद जब उनकी मम्मी हवन कराती थी तो हम लोग पूजा में शामिल होते थे। मैं हज पर भी गया हूं। मेरा मानना है हर धर्म बहुत अच्छी बातें सिखाता है। समस्या तब शुरू होती है जब लोग धार्मिक कट्टता की आड़ में लोगों को बांटने और दरार पैदा करने की बात करते हैं। तभी उनका रॉन्ग नंबर शुरू हो जाता है।'
दुनिया में बदलाव लाने को लेकर आमिर कहते हैं, 'हम कम्युनिकेटर हैं। हम लोगों को जागृत करने की कोशिश करते हैं। अंतत: यह हर इंसान पर निर्भर पर करता है कि वह क्या चाहता है। कैसे अपना जीवन बिताना चाहता है।'

Comments

sanjeev5 said…
इस लेख को लिखने के लिए आपको पी के एक से ज्यादा बार देखनी पढ़ी होगी....ये भी अपने में क्या कम सजा है? एक बहुत ही साधारण कहानी पर एक बचकानी फिल्म है. इससे OMG कहीं अच्छी थी. फिसल गए राजू और आम़िर. गौर के काबिल है की विधु विनोद चोपडा खामोश हैं....फिल्म ने करोड़ों तो कमा लिए पर नाम तो डूब गया...राजू भी अब साधारण फिल्मकार बन गए...

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को