खुशियां बांटता हूं मैं-रणवीर सिंह
-अजय ब्रह्मात्मज
रणवीर सिंह से यह बातचीत शुरु ही होने जा रही थी कि उन्हें रितिक रोशन का एसएमएस मिला,जिसमें उन्होंने रणवीर सिंह को ‘बैंग बैंग डेअर’ के लिए आमंत्रित किया था। रणवीर सिंह ने बातचीत आरंभ करने के पहले उनका चैलेंज स्वीकार किया। उन्होंने झट से अपनी मैनेजर को बुलाया और आवश्यक तैयारियों का निर्देश दिया। अचानक उनकी घड़ी पर मेरी नजर पड़ी। रात के बारह बजे उनकी घड़ी में 6 बजने जा रहे थे। सहज जिज्ञासा हुई कि उनकी घड़ी छह घंटे आगे है या छह घंटे पीछे? झुंझला कर उन्होंने हाथ झटका और कहा,‘मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी घड़ी स्लो क्यों हो जा रही है? यह तो अपशकुन है। ‘फाइंडिंग फैनी’ के कैमियो रोल के लिए मुझे यह घड़ी गिफ्ट में मिली थी। होमी अदजानिया से पूछना होगा। उनकी फिल्म तो निकल गई। यह घड़ी क्यों स्लो हो गई?’ रणवीर सिंह बताते हैं कि होमी बड़े ही फनी मिजाज के हैं। उनके साथ फिल्म करने में मजा आएगा।
एनर्जी से भरपूर रणवीर सिंह कभी गंभीर मुद्रा में नहीं रहते। गंभीर सवालों के जवाब में भी उनकी हंसी फूट पड़ती है। ऐसा लगता है कि वे बहुत सोच-समझ कर जवाब नहीं देते,लेकिन गौर करें तो उनके रवैए में एक संतुलित लय और गति रहती है। वे अनायास मुग्ध करते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक चायनीज खाद्य प्रोडक्ट के लिए रणवीर चिंग का रूप धारण किया। अभी वे ‘दिल धडक़ने दो’ की शूटिंग पूरी कर रहे हैं। मैं पूछता हूं,‘अभी आप किस मानसिक अवस्था में हैं?’ अपनी गतिविधियों की वे मानसिक गिनती करते हैं और कहते हैं,‘काफी रोचक समय में यह सवाल पूछा है आप ने। अभी ‘किल दिल’ का ट्रेलर आया है। ‘दिल धडक़ने दो’ की शूटिंग के आखिरी दिन हैं। उसके बाद ‘बाजीराव मस्तानी’ की शूटिंग आरंभ हो जाएगी। मेरा एंडोर्समेंट हिट रहा। कह सकता हूं कि समय अच्छा चल रहा है। देखना है कि ‘किल दिल’ को दर्शक किस रूप में लेते हैं। ‘बाजीराव मस्तानी’ का रोल डिमांडिंग है। वह भी संजय सर के साथ। मेरी तैयारियां पर्याप्त हैं कि नहीं। घुड़सवारी,तलवारबाजी,मराठी लहजा और लुक पर काम कर चुका हूं। बाल भी उड़ा दूंगा। बाजीराव बहुत ही परतदार और जटिल कैरेक्टर है। उसके लिए नए कोशल सीखने होंगे। 100 करोड़ से अधिक का बजट है। मेरे लिए तो यह ‘कैरेक्टर ऑफ द लाइफटाइम’ है।’
‘बाजीराव मस्तानी’ संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी फिल्म है। मराठा शासक के पेशवा यानी प्रधानमंत्री बाजीराव ने 18 वीं सदी के आरंभ में छत्रपति साहू राजे भोंसले के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रशासन और सेना की कमान संंभाली थी। मस्तानी के साथ उनके प्रेम के किस्से ंिकवदंती बन गए थे। इस किरदार को पर्दे पर जी पाना निश्चित ही बड़ी चुनौती है। रणवीर सिंह बताते हैं,‘बाजीराव एक साथ मौका और चुनौती है। बाजीराव राजनीतिज्ञ होने के साथ योद्धा है। वह पिता,बेटा,भाई,प्रेमी,स्टेट्समैन और सेनापति है। इस फिल्म में उनके व्यक्तित्व के हर पहलू को दिखाना और समेटना है। यह सब करते हुए मराठी लहजा भी बनाए रखना है। अब ‘मुगलेआजम’ का दौर नहीं है। संवादों को बातचीत का स्वरूप देना है। अभी तो मुश्किल दिख रही है। अगर मेरा टास्क मुझे डराता है तो सच्ची मजा आता है। ऐसा डर मुझे पहली फिल्म में लगा था। उसके बाद ‘लुटेरा’ के समय घबराया हुआ था। उस किरदार में ठहराव लाना मेरे लिए आसान नहीं था। देखें तो उस फिल्म में मेरा किरदार विलेन का था। उसके लिए दर्शकों के मन में सिंपैथी पैदा करना था। विक्रमादित्य मोटवाणी के स्कूल का परफारमेंस करना था। वह कैरेक्टर मेरे जैसा नहीं था। वह हर मोड़ पर कुछ ऐसा कर रहा था,जो दर्शकों को खराब व्यक्ति होने का फीलिंग दें ,लेकिन अंत में उनका दिल जीत ले। ‘ ़ ़ ऱामलीला’ में अलग किस्म का डर था। भंसाली साहब के साथ पहली बार काम कर रहा थ। वे निचोड़ देते हैं। वह उस वक्त की मेरी सबसे बड़ी फिल्म थी। कैरेक्टर की इंटेनसिटी,डांस,चैलेंजिंग सीन,भंसाली की स्टायल में घुल जाना। कई बा ऑन द स्पॉट टास्क दे देते हैं वे। उसी समय अपने इमोशन बदलने पड़ते हैं। ‘गुंडे’ एक्शन फिल्म थी। बॉडी बनाई थी। 55 डिग्री सेंटीग्रेड में शूटिंग करना। टे्रन के ऊपर भागना। हमारी चमड़ी पर पकौड़े उग आए थे। शरीर तल गया था। ‘लुटेरा’ सबसे ज्यादा चैलेंजिंग रही है और अभी ‘बाजीराव मस्तानी’ होगी।’
अभी तक के करिअर में केवल मनीष शर्मा के साथ रणवीर सिंह ने दूसरी फिल्म की है। दूसरी बार डायरेक्ट करने वालों में संजय लीला भंसाली दूसरे डायरेक्टर होंगे। रणवीर चाहते हैं,‘मुझे अपने सभी डायरेक्टरों के साथ दोबारा काम करने में मजा आएगा। विक्रमादित्य मोटवाणी,जोया अख्तर,संजय लीला भंसाली के साथ अनुभवों का विस्तार होगा। ‘बाजीराव मस्तानी’ में 18 वीं सदी का किरदार निभाना है। उन दिनों लोगों के बात-व्यवहार और एक्शन में भी ठहराव था। बोलना,चलना-फिरना,जीवनशैली सब कुछ मेरे अनुभव से अलग होगा। कहानी मुख्य रूप से लवस्टोरी है,लेकिन बाकी चीजों पर भी ध्यान दिया जाएगा। बड़े स्केल पर वार सीन किए जाएंगे।’
रणवीर सिंह हमेशा चुहलबाजी करते क्यों नजर आते हैं? ऑफ स्क्रीन उनकी एनर्जी और लाइट मूड का आकर्षण मुग्ध करता है। क्या उन्होंने यह एटीट्यूड विकसित किया है या यह एक छद्म है? रणवीर जवाब देते हुए गंभी हो जाते हैं,‘मेरी पर्सनैलिटी का हिस्सा होने के साथ यह उसका क्रिटिक भी है। मैं कर्क राशि का हूं। कर्क यानी केकड़े की तरह वह बाहर से कठोर और अंदर से कोमल होता है। वे फील ज्यादा करते हैं। इमोशनल और सेंसिटिव होते हैं। आज के जमाने में ऐसा होने पर दिक्कतें बढ़ जाती हैं,इसलिए डिफेंस मेकेनिज्म विकसित करना पड़ता है। कुछ कोल्ड व्यवहार करते हैं। मैं आसानी से प्रभावित हो जाता हूं। सच कहूं तो मैं बहुत गंभीर और चिंतनशील हूं। मैं हंसी-मजाक से लोगों को खुश करने की कोशिश करता हूं। मैं इसी उद्देश्य से रचा गया हूं कि सभी में पॉजीटिव एनर्जी भरूं। खुशियां बांटता हूं मैं। बचपन से ही मैं ऐसा हूं। क्लास में मैं मॉनीटर और हेड ब्वॉय भी रहा। हमेशा से मुझ में लोगों से ज्यादा जोश रहा है।’ लीड करना और अपने समकालीनों से आगे रहना रणवीर की आदत बन गई है। उनमें कुछ करने और कर दिखाने का जुनून दिखता है। वे अपने बारे में कहते हैं,‘जब आप को अपने काम में सफलता मिलती है तो आप या तो उससे खुश होकर वहीं अटक जाते हैं या फिर अपनी चाहत और बढ़ा देते हैं। मैंने अपनी चाहतें बढ़ा ली हैं। लगातार अच्छा काम करना चाह रहा हूं। जी-जान और लगन से काम कर रहा हूं।’
रणवीर सिंह खुद को एथलीट ही मानते हैं। एक रिकॉर्ड बनाने के बाद अब उसे अपने ही रिकॉर्ड तोड़ते रहना है। रणवीर कपूर बताते हैं,‘आप मेरे ट्विटर अकाउंट पर जाकर देख सकते हैं। मैं एथलीट और स्पोर्ट्स के लोगों को फॉलो करता हूं। उनके मोटिवेशनल कोट से मुझे प्रेरणा मिलती है। खिलाड़ी के दर्शन और सोच से मैं प्रभावित होता हूं।’ रणवीर स्पष्ट कहते हैं,‘मैं पढ़ता नहीं हूं। मैं विजुअली सोचता और चीजें याद रखता हूं। विजुअल मेमोरी का इंसान हूं। सोचता हूं भी तो विजुअली ही सोचता हूं। बात करते समय मेरे दिमाग में पिक्चर चल रहा होता है।’
बातचीत और भी लंबी चली। रात ने तारीख बदल दी। रणवीर लगातार बताए जा रहे थे। तभी उनकी मैनेजर ने आगाह किया कि उन्हें सुबह 7 बजे से शूट पर रहना है। चेहरे पर रात में जगने की थकान दिखेगी तो जोया अख्तर को दिक्कत होगी।
Comments