करें टिप्‍पणी या लिखें कहानी : रणवीर सिंह और अजय ब्रह्मात्‍मज

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रणवीर सिंह पिछले दिनों एक चायनीज नूडल्‍स और अन्‍य खाद्य पदार्थ के उत्‍पादों के ऐड की शूटिंग कर रहे थे। मैं वहां पहुंच गया। उस मुलाकात के इन दृश्‍यों पर आप की टिप्‍पणी और कहानी की अपेक्षा है। सर्वाधिक रोचक और टिप्‍पण्‍ी के लिए एक-एक पुरस्‍कार सुनिश्चित है।


Comments

shikha varshney said…
मिले हम तुम और मिला बाबा जी का ठुल्लू :P
Rajesh said…
मिले जो कड़ी कड़ी एक ज़ंजीर बने प्यार के रंग भरो ज़िंदा तस्वीर बने
sanjeev5 said…
दूरी हो मीलों सदीओं की
पर मिले हों दिल के तार जहाँ
जब मिल बैठे हम साथ साथ
हम दोनों की पहचान वहाँ

RAJESH S. KUMAR said…
व्यावसायिक मुठभेड़ या रोजगार


एक बोले कलाकार तो एक पत्रकार है
व्यावसायिक मुठभेड़ या कहें रोजगार है.

छाप है चवन्नी और काम है रुपैया
कला की बाजार में घुसपैठ है भैया.

दाढ़ी है कुरता है और यूनियन जैक है
आप ही कहते हैं यहाँ सब कुछ फेक है.

आलिया पर हमला और चिंग पर फ़िदा
बाहरी और भीतरी अंदाज़ हैं जुदा.

प्रेस रिलीज से आगे की पर्सनल गुफ्तगू
न वोह तुम्हे जाने न जाने उसे तू.

हम भी कभी मिले और सेल्फी भी हुआ था
न कोई सलाम और न ही कोई दुआ था.

रणवीर की जय हो और उन्हें ब्रहाम्त्ज़ मिले
देखें किसे कब और कैसे सरताज मिले.
आनंद said…
सुरेश-रमेश मिलाप
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"अरे सुरेश! यहाँ कैसे?"

"रमेश! तू यहाँ कैसे?"

"इधर से गुजर रहा था, भीड़ खडी़ देखी तो रुक गया। ये क्‍या हुलिया बना रखा है?"

"अबे मैं स्‍टार हो गया हूँ, देखता नहीं शूटिंग कर रहा हूँ। तू अपनी सुना..."

"मैं तो ऐंवेई भटक रहा हूँ। कोई जलसा, पार्टी होती दिखी तो घुस जाता हूँ। खाने का जुगाड़ हो जाता है..."

"अपनी शकल क्‍या बना रखी है, ओत्‍तेरी, दाढ़ी भी पक गई।"

"इसी की तो इज्‍जत होती है। जानता है, मैं एक पत्‍तरकार बन गया हूँ।"

"इस बार तू हार गया। देख, मेरे डोल्‍ले-शोल्‍ले! देख मेरे ठाट! हीरो हूँ। अंदर की बात बताऊँ... दो-तीन गोरी चिट्टी हीरोइनों के साथ मेरा घर का उठना बैठना है। खी..
खी...खी..."

"ल्‍ले, बस दो-तीन। रहा ना घोंचू का घोंचू। बेटा, अपनी फोटुएँ दिखाऊँ?"

"यार सुरेश, इस बार भी तू जीता।"

"कोई नहीं यार रमेश। लगा रह। चल कुछ खिला-पिला। वो वाली चॉकलेट तो होगी न तेरे पास?"

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