दरअसल : पहली छमाही के संकेत
-अजय ब्रह्मात्मज
2014 की पहली छमाही ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को उम्मीद और खुशी दी है। हिट और फ्लाप से परे जाकर देखें तो कुछ नए संकेत मिलते हैं। नए चेहरों की जोरदार दस्तक और दर्शकों के दिलखोल स्वागत ने जाहिर कर दिया है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री नई चुनौतियों के लिए तैयार है। नए विषयों की फिल्में पसंद की जा रही हैं। एक उल्लेखनीय बदलाव यह आया है कि पोस्टर पर अभिनेत्रियां दिख रही हैं। यह धारणा टूटी है कि बगैर हीरो की फिल्मों को दर्शकों का अच्छा रेस्पांस नहीं मिलता। पहली छमाही में अभिनेत्रियों की मुख्य भूमिका की कुछ फिल्मों ने साबित कर दिया है कि अगर फिल्मों को सही ढंग से पेश किया जाए तो दर्शक उन्हें लपकने को तैयार हैं। अगर कोताही हुई तो दर्शक दुत्कार भी देते हैं। ‘क्वीन’ और ‘रिवाल्वर रानी’ के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है।
अभिनेत्रियों की स्वीकृति में आए उभार और उनकी फिल्मों की बात करें तो पहली छमाही में माधरी दीक्षित और हुमा कुरेशी की ‘डेढ़ इश्किया’ और माधुरी दीक्षित की ‘गुलाब गैंग’ है। कमोबेश दोनों फिल्मों को दर्शकों का बहुत अच्छा रेस्पांस नहीं मिला। कहीं कुछ गड़बड़ हो गई। फिर भी इन फिल्मों के निर्माता-निर्देशकों की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने ऐसी फिल्म बनाने का प्रयास किया। आलिया भट्ट की ‘हाईवे’ इम्तियाज अली की फिल्म थी। उन्होंने बहुत खूबसूरती से अमीर परिवार की एक लडक़ी की कहानी कही। खुद को पहचानने के बाद वह बचपन से भुगत रही यंत्रणा से मुक्त होती है। ‘2 स्टेट्स’ में भी आलिया भट्ट ने अपने किरदार को दमदार तरीके से पेश किया। ‘हंसी तो फंसी’ में परिणीति चोपड़ा की मौजूदगी अहम थी। ‘रागिनी एमएमएस’ और ‘क्वीन’ दो छोरों पर नजर आ सकती हैं,लेकिन दोनों ही फिल्मों में नायिका की प्रधानता की समानता थी। सनी लियोनी और कंगना रनोट ने अपनी भूमिकाओं में निश्शंक दिखीं। दोनों के अभिनय में झेंप नहीं है। दोनों को एक ही श्रेणी में नहीं रखा जा सकता,लेकिन इस तथ्य से भी इंकार नहीं कर सकते कि सनी और कंगना की फिल्मों में पुरुष पात्र गौण थे।
पहली छमाही में अर्जुन कपूर,वरुण धवन,सिद्धार्थ मल्होत्रा,टाइगर श्रॉफ और राजकुमार राव ने अपनी फिल्मों से बताया कि वे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की बागडोर संभालने के लिए तैयार हैं। अर्जुन कपूर की ‘2 स्टेट्स’ 100 करोड़ क्लब में दाखिल हो गई। सिद्धार्थ मल्होत्रा की जुलाई में आई फिल्म ‘एक विलेन’ की कामयाबी ने उनकी योग्यता पर मोहर लगा दी। वरुण धवन की ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ भी सफल हो चुकी है। टाइगर श्रॉफ की पहली फिल्म ‘हीरोपंथी’ ने भी दर्शकों का आकृष्ट किया। इन चारों से अलग राजकुमार राव अपने अभिनय और दर्शकों की सराहना के दम पर अगली कतार में शामिल हुए। इन अभिनेताओं की फिल्मों की कामयाबी स्पष्ट संकेत देती है कि नए सितारे पूरी तैयारी के साथ आ चुके हैं। समय और फिल्मों के साथ उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी और उसी के अनुपात में उनके स्टारडम में इजाफा होगा।
पहली छमाही में पुराने सितारों में सलमान खान और अक्षय कुमार की फिल्में आईं। ‘जय हो’ को सलमान की औसत फिल्म माना जाता है। लागत और प्रभाव की वजह से 100 करोड़ से अधिक का कलेक्शन करने के बावजूद ‘जय हो’ ने सलमान खान के स्टारडम पर प्रश्न चिह्न लगा दिया। अक्षय कुमार अलबत्ता ‘हॉलीडे’ की कामयाबी से फिर से सफल सितारों की तरह चमकने लगे। देखना यह है कि अगली छमाही में पुराने सितारों की चमक कैसी रहती है? बाक्स आफिस पर उनकी फिल्मों के प्रदर्शन का तमाशा रोचक होगा।
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