फिल्म समीक्षा : किक
-अजय ब्रह्मात्मज
कुछ फिल्में समीक्षाओं के परे होती हैं। सलमान खान की इधर की फिल्में
उसी श्रेणी में आती हैं। सलमान खान की लोकप्रियता का यह आलम है कि अगर कल
को कोई उनकी एक हफ्ते की गतिविधियों की चुस्त एडीटिंग कर फिल्म या
डाक्यूमेंट्री बना दे तो भी उनके फैन उसे देखने जाएंगे। ब्रांड सलमान को
ध्यान में रख कर बनाई गई फिल्मों में सारे उपादानों के केंद्र में वही रहते
हैं। साजिद नाडियाडवाला ने इसी ब्रांड से जुड़ी कहानियों, किंवदंतियो और
कार्यों को फिल्म की कहानी में गुंथा है। मूल तेलुगू में 'किक' देख चुके
दर्शक बता सकेगे कि हिंदी की 'किक' कितनी भिन्न है। सलमान खान ने इस 'किक'
को भव्यता जरूर दी है। फिल्म में हुआ खर्च हर दृश्य में टपकता है।
देवी
उच्छृंखल स्वभाव का लड़का है। इन दिनों हिंदी फिल्मों के ज्यादातर नायक
उच्छृंखल ही होते हैं। अत्यंत प्रतिभाशाली देवी वही काम करता है, जिसमें
उसे किक मिले। इस किक के लिए वह अपनी जान भी जोखिम में डाल सकता है। एक
दोस्त की शादी के लिए वह हैरतअंगेज भागदौड़ करता है। इसी भागदौड़ में उसकी
मुलाकात शायना से हो जाती है। शायना उसे अच्छी लगती है। देवी उसके साथ
बूढ़ा होना चाहता है। शायना चाहती है कि देवी किसी नियमित जॉब में आ जाए।
उधर देवी की दिक्कत है कि हर नए काम से कुछ ही दिनों में उसका मन उचट जाता
है। शायना उसे टोकती है। उसकी एक बात देवी को लग जाती है। इसके बाद वह किक
के लिए देवी से डेविल में बदल जाता है। डेविल और पुलिस अधिकारी हिमांशु की
अलग लुकाछिपी चल रही होती है। इनके बीच भ्रष्ट नेता और उसका भतीजा भी है।
रोमांस,
एक्शन, चेज, कॉमेडी, सॉन्ग एंड डांस और इमोशन से भरपूर 'किक' से साजिद
नाडियाडवाला केवल सलमान खान के प्रशंसकों को खुश करने की कोशिश में हैं।
दृश्य विधान ऐसे रचे गए हैं कि कैमरा आखिरकार हर बार सलमान की भाव-भंगिमाओं
पर आकर ठहर जाता है। अगर कभी दूसरे किरदार पर्दे पर दिखते हैं तो वे भी
देवी या डेविल की ही बातें कर रहे होते हैं। हिंदी फिल्मों में स्क्रिप्ट
लेखन का यह खास कौशल है, जो पॉपुलर स्टार की फिल्मों में आजमाया जाता है।
एकांगी होने से बचते हुए ढाई घंटे की ऐसी स्क्रिप्ट तैयार करने में अलहदा
मेहनत लगती है। 'किक' जैसी फिल्मों का एकमात्र उद्देश्य आम दर्शकों का
मनोरंजन करना है। आम दर्शक अपने परिवार के सदस्यों के साथ उसका आनंद उठा
सकें।
'किक'
अपनी इन सीमाओं और खूबियों में कहीं बिखरती और कहीं प्रभावित करती है।
इंटरवल के पहले का विस्तार लंबा हो गया है। देवी और उसके पिता के रिश्ते को
स्थापित करने वाले दृश्य नाहक खींचे गए हैं। इसी तरह नायक-नायिका की
मुलाकात के दृश्य में दोहराव है। हम दशकों से ऐसी छेड़खानियां और बदमाशियां
देखते आए हैं। अगर फिल्म के नायक सलमान खान हैं तो सीधे व सामान्य की
उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए। देवी और डेविल की हरकतों में कई बार लॉजिक की
परवाह नहीं की गई है, लेकिन क्या सलमान खान के प्रशंसक इन पर गौर करते हैं?
बेहतर है कि दिल में आने वाले इस नायक को समझने में दिमाग न लगाया जाए।
'किक'
में सलमान खान पूरे फॉर्म में हैं। उम्र चेहरे और शरीर पर दिखती है, लेकिन
ऊर्जा में कोई कमी नहीं है। सलमान ने एक्शन के दृश्यों में आवश्यक फुर्ती
दिखाई है। रोमांस और डांस का उनका खास अंदाज यहां भी मौजूद है। सलमान खान
की इस फिल्म में रणदीप हुडा और नवाजुद्दीन सिद्दिकी अपनी उपस्थिति दर्ज
करते हैं। रणदीप हुड्डा ने पुलिस अधिकारी हिमांशु के किरदार में स्फूर्ति
बरती है। कुछ दृश्यों में वे अवश्य लड़खड़ा गए हैं। नवाज की तारीफ करनी
होगी कि चंद दृश्यों के अपने किरदार का उन्होंने अदायगी से यादगार बना दिया
है। चटखारे लेकर उनके बोलने के अंदाज की नकल होगी। जैकलीन फर्नांडीज के
लिए कुछ डांस स्टेप्स और रोमांस के सीन थे। उनमें वह जंचती हैं। संवाद
अदायगी और नाटकीय दृश्यों के लिए उन्हें और मेहनत करनी होगी। सौरभ शुक्ला,
मिथुन चक्रवर्ती, विपिन शर्मा और संजय मिश्रा अपनी भूमिकाओं में उपयुक्त
हैं।
ईद के
मौके पर सलमान खान और साजिद नाडियाडवाला की पेशकश 'किक' आम दर्शकों का
ध्यान में रख कर बनाई गई सलमान खान की विशेषताओं की फिल्म है।
अवधि: 146 मिनट
*** तीन स्टार
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