दरअसल : दरकिनार होती करीना कपूर
-अजय ब्रह्मात्मज
सफल फिल्मों का हिस्सा होने के बावजूद करीना कपूर सफलता की हकदार नहीं हो सकीं। उन्हें याद करते समय उनकी असफल फिल्में पहले याद आ जाती हैं। वह ‘3 इडियट’, ‘गोलमाल 3’, ‘बॉडीगार्ड’ और ‘रा ़ वन’ की हीरोइन थीं, लेकिन इन फिल्मों की सफलता का श्रेय आमिर खान, अजय देवगन, सलमान खान और शाहरुख खान को ही मिलता रहेगा। करीना कपूर को फिलवक्त हम ‘हीरोइन’, ‘एक मैं और एक तू’, ‘सत्याग्रह’ और ‘गोरी तेरे गप्यार में’ जैसी असफल फिल्मों के साथ जोड़ कर देख रहे हैं। देखते ही देखते सेंटर स्टेज से करीना कपूर दरकिनार हो गई हैं। लगता है चर्चा और फिल्मों से गायब हो रही करीना कपूर का ध्यान कहीं और है।
‘जब वी मेट’ की तत्काल सफलता के बाद ‘टशन’ में सैफ अली खान से हुई उनकी मुलाकात करिअर को नया मोड़ दे गई। इस मोड़ से आगे का रास्ता ढलान का दिख रहा है। सैफ से दोस्ती और शादी के इस दौर में करीना कपूर ने फिल्मों पर फोकस नहीं किया। करिअर के प्रति करीना आरंभ से लापरवाह रही हैं। इस दौर में उनकी लापरवाही और बढ़ गई। समकालीन अभिनेत्रियों में अधिक सक्षम, योग्य, गुणी और भावप्रवीण होने के बावजूद उन्होंने कभी मनोयोग से फिल्मों में अभिनय नहीं किया। फिल्मों के चुनाव में भी उनकी यह लापरवाही झलकती रही है। उन्होनें ज्यादातर बड़े बैनर, बड़े निर्देशक और पॉपुलर स्टार के साथ फिल्में कीं। गौर करें तो उन सभी फिल्मों में करीना कपूर का व्यक्तित्व निखर कर नहीं आता। उसकी बड़ी वजह यही रही कि उन फिल्मों की नायिकाएं औसत और साधारण थीं। उन भूमिकाओं में कोई और अभिनेत्री रहती तो दर्शक और समीक्षक नोटिस भी नहीं करते।
कपूर खानदान की करीना कपूर को बड़ी बहन करिश्मा कपूर की तरह मेहनत नहीं करनी पड़ी। जे पी दत्ता की ‘रिफ्यूजी’ के साथ हुई बड़ी शुरुआत ने पहली फिल्म की असफलता के बावजूद उन्हें खास जगह दे दी। ग्लैमर, फैमिली और बाकी उपादानों से वह हमेशा चर्चा में रहीं। एक जमाने में उन्हें फ्लाप फिल्मों की हिट हीरोइन का दर्जा भी मिला। फिल्में चली या नहीं चलीं, लेकिन करीना कपूर हमेशा चलती रहीं। एक दौर में रानी मुखर्जी और प्रीति जिंटा से उनकी प्रतियोगिता थी। वे दोनों कहीं पीछे छूट चुकी हैं। उन्होंने बिपाशा बसु, प्रियंका चोपड़ा आदि को कभी तूल नहीं दिया। वह इस मुगालते में रहीं कि निर्देशक और दर्शक उन्हें पूछते रहेेंगे। अभी स्थिति यह आ गई है कि वह अपनी लापरवाही, निष्क्रियता और प्रभावहीन भूमिकाओं की वजह से नेपथ्य में चली गई हैं। हाल ही में आयोजित एक इंटरनेशनल अवार्ड समारोह में उनकी खिसकती लोकप्रियता का साक्षात अनुभव हुआ। स्वयं करीना कपूर को भी एहसास हो रहा होगा कि सेंटर स्टेज में उनकी जगह कोई और आ चुका है।
करीना कपूर की उल्लेखनीय फिल्मों की सूची बनाएं तो उनमें ‘जब वी मेट’, ‘ओमकारा’ और ‘चमेली’ को निश्चित ही शामिल करना होगा। उल्लेखनीय है कि इन तीनों फिल्मों के निर्देशक आउटसाइडर हैं। जिस करण जौहर और फिल्म इंडस्ट्री के इनसाइडर पर उनका भरोसा रहा, उन्होंने उन्हें तत्कालीन ख्याति और चर्चा जरूर दी, लेकिन कोई यादगार फिल्म नहीं दे सके। करीना कपूर ने एक समय के बाद आउटसाइडर निर्देशकों के साथ काम करना बंद कर दिया। वह कुछ खास प्रोडक्शन हाउस और प्रोड््यूसर-डायरेक्टर तक ही सीमित रहीं। इन सभी ने करीना कपूर की इमेज का इस्तेमाल नहीं किया। सभी की कोशिश रही कि सुरक्षित फिल्म बनाओ और प्रयोग से बचो। स्वयं करीना कपूर ने भी असुरक्षा और असुविधा से बचने के लिए स्वतंत्र और सीमित बजट की फिल्मों को प्रश्रय नहीं दिया।
्र अभी नई और युवा अभिनेत्रियां उनसे आगे निकल चुकी हें। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफलता ही सबसे बड़ी कुंजी होती है। दर्शकों की स्मृति वैसे भी बहुत छोटी होती है। उन्हें केवल पिछली फिल्म ही याद रहती है। अगर आप लगातार सफल हैं तो वे सिर पर बिठा लेते हैं। करिअर डगमगाया तो वे ठोकर मारने में देर नहीं करते। ऐसा लग रहा है कि करीना कपूर को उन्होंने सिर से उतार दिया है। अभी उन्होंने ठोकर तो नहीं मारा है,लेकिन करीना कपूर के प्रति उनकी उत्सुकता खत्म हो चुकी है। अब उन्हें करीना कपूर की फिल्मों का इंतजार नहीं रहता। ‘सिंघम 2’ की भी बात करें तो वह अजय देवगन और रोहित शेट्टी की फिल्म है।
(फोटो-हेमंत पांड्या)
Comments