दरअसल : अमेरिका में आईफा


-अजय ब्रह्मात्मज
        पूरी दुनिया में मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों ने पिछले दिनों दो तस्वीरों को बड़े गौर से देखा। एक तस्वीर मैं जॉन टै्रवोल्टा हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के साथ ठुमके लगा रहे थे। दूसरी तस्वीर में केविन स्पेसी दीपिका पादुकोण के साथ लुंगी डांस कर रहे थे। दोनों ही घटनाएं अप्रत्याशित थीं। तारीफ करनी होगी कि जॉन ट्रैवोल्टा और केविन स्पेसी ने बगैर किसी ना-नुकूर के दोनों वक्त मंच पर पूरे जोश के साथ नृत्यों में हिस्सा लिया। उनकी ये तस्वीरें मीडिया में विभिन्न माध्यमों से फ्लैश हुईं। सहसा यकीन नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है,लेकिन ऐसा हुआ। पिछले दिनों अमेरिका के फ्लोरिडा स्टेट के टेम्पा शहर में 15वां आईफा अवार्ड समारोह आयोजित किया गया था। हालीवुड के दोनों नामवर कलाकार उसी समारोह के खास अतिथि थे।
        आईफा हिंदी फिल्मों के अवार्ड और समारोह का अनोखा आयोजन है। यह साल में एक बार दुनिया के किसी भी देश के प्रमुख शहर में आयोजित होता है। स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की मदद से संपन्न आईफा अवार्ड समारोहों में मुख्य रूप से विदेशों में बसे हिंदी फिल्मों के प्रेमी अपने प्रिय सितारों को देख-सुन पाते हैं। हर बार भीड़ उमड़ती है। यह आयेजकों और भागीदारों के लिए मुनाफे का सौदा होता है। आईफा समारोहों के बाद हर देश में भारतीय पर्यटकों में इजाफा हुआ है। साथ ही उक्त देश और भारत के बीच फिल्मों के कारोबार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हिंदी फिल्मों के अन्य पुरस्कारों की तरह आईफा के पुरस्कार भी विवादित रहते हैं। इस साल भाग मिल्खा भाग को मिले अनेक पुरस्कारों से संदेह बढ़ता है। फिर भी यह स्वीकार करने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि आईफा अवार्ड समारोह एक वार्षिक उत्सव बन चुका है। विदेशियों को इसका इंतजार रहता है।
        अमेरिका में आईफा आयोजन का विशेष महत्व है। हिंदी फिल्मों का 20 प्रतिशत कारोबार विदेशों में होने लगा है। इस कारोबार का बड़ा हिस्सा अमेरिका और इंग्लैंड से आता है। अमेरिका और इंग्लैंड में बसे भारतवंशी मुख्य दर्शक हैं। इधर कुछ सालों से नोटिस किया जा रहा है कि भारतवंशियों की दूसरी-तीसरी पीढ़ी गैरभारतीयों को हिंदी फिल्मों का चस्का लगा रही है। इस बार टेम्पा में साफ दिखा कि विदेशी अपने भारतीय मित्रों के साथ रात तीन बजे तक हिंदी फिल्मों के सितारों की अदाओं और भंगिमाओं का आनंद उठाते रहे। अवार्ड की रात टेम्पा के रेमंड जेम्स स्टेडियम में 28000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था थी। पूरा स्टेडियम खचाखच भरा था। कमी थी तो लोकप्रिय सितारों की। इस बार अग्रिम पंक्ति के लोकप्रिय सितारे नहीं थे। अगर खानत्रयी में से कोई और अमिताभ बच्चन रहते तो दर्शक संतुष्ट होकर लौटते।
        अमेरिकी मीडिया में आईफा के कवरेज से जाहिर होता है कि अपने पाठकों की रुचि का खयाल रखते हुए सभी ने उसे बराबर महत्व दिया। वक्त आ गया है कि इंटरनेशनल मीडिया भारतीय सिनेमा विशेष कर हिंदी सिनेमा को  अब नजरअंदाज नहीं कर सकता। हालीवुड की नजर भी हिंदी फिल्मों की चााल और गतिविधियों पर टिकी हुई है। कल तक हिंदी फिल्मों के नाच-गाने पर हंसने और नाक-भौं सिकोडऩे वालों के हीरो खुद ही हिंदी गानों ने ठुमके लगा रहे हैं। यह छोटी घटना नहीं है। जॉन ट्रैवोल्टा ने स्वयं बताया कि शेखर कपूर ने पानी की स्क्रिप्ट उन्हें भेजी है। वे विचार कर रहे हैं और मुमकिल है कि जल्दी ही फिल्म की शुटिंग के लिए वे भारत आएं। अमेरिका में आईफा के जबरदस्त सफल आयोजन से हालीवुड और हिंदी फिल्मों की दूरियां कम हुई हैं।
        हालीवुड के सिनेमा के गढ़ अमेरिका में तंबू तान कर अपना तमाशा दिखाने का बीड़ा उठाना और उसके लिए दर्शकों को जुटा लेना एक उपलब्धि है। हिंदी की मुख्यधारा की फिल्मों के जरिए यह जारन-पहचान बढ़ रही है। नई कोशिश यह होनी चाहिए कि हिंदी सिनेमा में जारी नए ट्रेंड की फिल्मों का भी कोई समारोह विदेशों में हो,जहां नई किस्म की छोटी फिल्मों का प्रदर्शन और विमर्श हो।


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