अनुप्रिया वर्मा के स्‍फुट विचार

चवन्‍नी के पाठकों के लिए ये विचार अनुप्रिया वर्मा के ब्‍लॉग अनुख्‍यान से लिए गए हैं।

चेहरे से डर


जरीन खान ने हाल ही में कुछ बातें खुल कर सामने रखीं. उन्होंने कहा कि उन्हें बॉलीवुड में काम मिलने में परेशानी इसलिए हुई. चूंकि उनके बॉलीवुड में कदम रखने से पहले ही उनकी तुलना कट्रीना कैफ से होने लगी थी. लोगों को लगने लगा कि वह एंटी कट्रीना हैं. चूंकि उन्हें लांच करनेवाले सलमान खान थे और उस वक्त सलमान और कट्रीना में अनबन चल रही थी. पहली बार किसी अभिनेत्री ने अपने मन की भड़ास निकाली है. सलमान खान ने स् नेहा उलाल को भी उस वक्त लांच किया था, जब उनकी ऐश्वर्य राय से अनबन चल रही थी और लोगों ने स्रेहा की तुलना ऐश्वर्य से कर दी थी. बाद में वे गायब सी हो गयीं. जरीन तो फिर भी कभी कभी किसी इवेंट्स में नजर आ जाती हैं. जरीन ने अपने मन की यह भी बात रखी कि उन्हें लोग कैट की डुप्लीकेट मानने लगे थे और कई बार तो उनके पास इस बात के भी आॅफर आये कि वह डुप्लीकेट किरदार निभा लें. दरअसल, जरीन जैसी कई अभिनेत्रियां इस बात की मार झेल रही हैं कि उन्हें किसी स्थापित चेहरे के पीछे अपना अस्तित्व तलाशता पड़ता है और जिसमें वह पूरी तरह कामयाब भी नहीं हो पातीं. न सिर्फ अभिनेत्रियां कई अभिनेताओं को भी इस बात से खीझ होती है कि उनका चेहरा किसी अन्य से मेल खाता है या फिर अभिनय करने के अंदाज भी. चूंकि हर एक्टर अभिनय का क्षेत्र ही इसलिए चुनता है कि वह अपनी पहचान एकल बना सके और लोग उन्हें किसी मिमिकरी आर्टिस्ट के रूप में न देखें. अर्जुन कपूर को भी इस बात की खीझ होती है कि लोग कहते हैं कि उनका चेहरा अभिषेक बच्चन से मेल खाता है.हालांकि एक पहलू यह भी है कि माधुरी दीक्षित को यह सुन कर प्रसन्नता होती है कि लोग उनकी मुस्कान की तुलना मधुबाला से करते हैं. शायद इसकी वजह यह है कि मधुबाला लेजेंड हैं.

नामचीन हस्ती और अहंकार


हाल ही में एक सुपरस्टार की बेटी और फिल्मी खानदान से संबंध रखनेवाली एक अभिनेत्री से मुलाकात हुई. उन्होंने कभी खुद अपने ही इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि कुछ बैनर उनकी विशलिस्ट में हैं और वे निश्चित तौर पर उनके साथ काम करके खुद को लकी मानेंगी. लेकिन जब यही सवाल उनसे पूछा गया कि आखिर आपका सपना पूरा हो रहा है और आप अब उस बैनर के साथ काम करने जा रही हैं तो वे नाराज हो गयीं. ऐसा लगा जैसे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच गयी कि कोई सुपरस्टार की बेटी से ऐसे सवाल कैसे पूछ सकता है. वह पहली अभिनेत्री नहीं हैं, जिन्होंने ये नखरें दिखाये हैं. दरअसल, फिल्मी खानदान के बच्चे भले ही यह कोशिश करें कि वह दिखावा कर सकें कि वे कितने विनम्र हैं और उनमें जरा भी घमंड नहीं. लेकिन यह सच्चाई नहीं. कहीं न कहीं उनके जेहन में यह बात बैठी होती है कि वे सुपरस्टार के बेटे या बेटी हैं और शायद यही वजह है कि कई बार उन्हें सफलता नहीं मिल पाती.चूंकि हम इसी भ्रम में जीते रहते हैं कि हम तो नामचीन हस्तियों के परिवार से हैं. जबकि हकीकत यह है कि उन्हें इस बात का अहंकार होता है. वे अपनी बातों से या किसी न किसी रूप में आपको यह दर्शा देंगे कि वे किस तरह औरों से अलग हैं. रणबीर कपूर कहते हैं कि मैं पैसों के लिए काम नहीं करता. क्योंकि मुझे पैसे की जरूरत नहीं. करीना भी यही बातें दोहराती हैं. सोहा अली खान को भी अपने परिवार की वजह से फिल्में मिल रही हैं. अभिषेक बच्चन पिछले लंबे अरसे से अपने परिवार की परंपरा को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हकीकत यही है कि फिल्मी खानदान के बच्चों की आम जिंदगी या आम बच्चों की तरह परवरिश नहीं होती है. जाहिर है ऐसे में उनके मन में वे ही बातें और माहौल बैठती जायेंगी, जिसके वे आदि हैं.
 

राजनीति और प्रेम


अनिल कपूर न अनुजा चौहान की किताब बैटल फॉर बित्तौरा के सारे राइट्स खरीद लिये हैं. अनिल कपूर ने कहा है कि वे बेहद खुश हैं कि उन्हें इस तरह के उपन्यास पर फिल्म
 
 बनाने का मौका मिलेगा. बैटल फॉर बित्तौरा दो राजनेताओं की एक ऐसी प्रेम कहानी है, जो एक दूजे से प्यार करने के बावजूद चुनावों में एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं . फिल्म के लिए अभिनेता ने अपनी बेटी सोनम कपूर को साइन किया है. हालांकि अब तक अनिल कपूर ने पूरी तरह से इस बात की पुष्टि नहीं की है कि फिल्म में कौन मुख्य किरदार निभायेगा. अनिल कपूर ने 24 के रूप में भारत को एक नये फॉरमेट का शो दिया. शो को बहुत हद तक कामयाबी भी मिली. इसकी बड़ी वजह शो का बड़ा कैनवास था. संजय लीला भंसाली ने सरस्वतीचंद्र के माध्यम से जो भव्य कैनवास तैयार किया. अनिल कपूर ने वही भव्य कैनवास एक् शन, प्रस्तुतिकरण और तकनीकी दृष्टिकोण से तैयार किया. निश्चित तौर पर उन्होंने अपनी टीम से सलाह मशवरा कर ही इस उपन्यास को बेहतरीन रूप देने का निर्णय लिया होगा. अनुजा चौहान लीक से हट कर विषयों पर उपन्यास लिखती रही हैं. द जोया फैक्टर उनमें से एक थी. इस बार का विषय दिलचस्प है कि कैसे राजनीति और प्रेम के बीच सामांजस्य बिठाया जा सकता है. कैसे नहीं. फिल्म रामलीला में जब राम और लीला राजनीति में उतरते हैं तो दोनों एक प्रेमी की तरह नहीं बल्कि दो दलों के रूप में नजर आते हैं. चूंकि यह स्पष्ट है कि राजनीति या कोई भी प्रतियोगिता दोस्त को दुश्मन बना देती है. ऐसे में यह फिल्म दिलचस्प रहेगी. राजनैतिक मुद्दों को और राजनेताओं पर कई फिल्में बनती रही हैं. लेकिन अनुजा के उपन्यास के ये दो किरदार अलग होंगे. और एक नयी कहानी जरूर गढ़ेंगे. खासतौर से युवाओं को यह फिल्म जरूर आकर्षित करेगी.

कल्की का एकल नाटक


कल्की कोचलिन भारतीय सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री में से एक हैं. हाल ही में उन्होंने इंडिया टूडे इनक्लेव में महिला दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन  सोलो प्ले परफॉर्म किया. इस नाटक में उन्होंने समाज के पुरुषों और खासतौर से पतियों पर अच्छा कटाक्ष किया है. उन्होंने इस नाटक में बताया है कि भगवान में पुरुषों को बनाया और उन्हें इस तरह पूर्ण रूप दिया जैसे कि वह धरती पर भगवान के ही स्वरूप हैं. आगे वह बताती हैं कि किस तरह द्रोपदी को बाध्य किया जाता है कि वह अर्जुन के  साथ साथ पांचों भाईयों से शादी करे. कुंती किस तरह सूर्य की पत् नी होकर भी उनकी पत् नी नहीं होती. आगे वह सभी धर्मों की देवी के बारे में बातें करती हैं और ईश्वर में भी किस तरह पुरुष ईश्वर और देवी में भेदभाव हुए हैं. उनका व्यंगात्मक वर्णन करती है. कल्की का यह नाटक दरअसल, वर्तमान दौर में महत्वपूर्ण नाटक है और यह दर्शाता है कि किस तरह महिलाओं को आज भी उसी नजरिये से देखा जाता है. फिल्म क्वीन की अभिनेत्री कहती हैं कि उन्हें डकार लेने की भी इजाजत नहीं. लेकिन पुरुषों को इजाजत है. क्वीन का नायक रानी को सिर्फ इसलिए छोड़ देता है, क्योंकि उसे लगता है कि वह लंदन से आया है. रानी उसके लायक नहीं. वह उसे आम लड़की समझता है. लेकिन जब वह आधुनिक कपड़ों में अपनी तसवीर भेजती है तो उसे अचानक महसूस होने लगता है कि रानी उसके लायक है. चूंकि पुरुष मानसिकता यही है वह कपड़ों को देखता है. वह दिल को नहीं देखता. कल्की का यह नायक, गुलाब गैंग और क्वीन जैसी फिल्मों का महिला दिवस पर एक साथ आना अब भी यह सूचक है कि महिलाएं भले ही प्रगति कर रही हैं. ेलकिन सोच में अब भी पूरी तरह से बदलाव नहीं आये हैं. लेकिन धीरे धीरे ही सही महिला दिवस के बहाने ही अब महिलाओं को इस तरह के मंच तो मिल रहे.
 

ढलते सूरज की वापसी


सूरज बड़जात्या की सलमान खान स्टारर फिल्म की चर्चा पिछले काफी दिनों से हो रही थी. अफवाह थी कि फिल्म का नाम बड़े भैया है, कुछ लोगों ने कहा फिल्म का नाम भैयाजी है. लेकिन अंतत: खुद सूरज बड़जात्या ने कहा है कि वे फिल्म का नाम प्रेम रतन धन पायो रख रहे हैं. फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होनेवाली है. सूरज ने ही सलमान खान को हिंदी फिल्मों का प्रेम बनाया. जैसे यशराज बैनर ने शाहरुख को राज, और करन ने राहुल. सलमान खान सूरज की फिल्मों में हमेशा शांत, सुशील और पारिवारिक किरदारों को निभाते नजर आये हैं. हां, यह हकीकत है कि पिछले कई सालों से सलमान को लोगों ने उस रूप में नहीं देखा है. सलमान भी अब फिर से वैसे किरदार इसलिए निभाने जा रहे हैं.ताकि वह लोगों को यह यकीन दिला पायें कि वह अब भी प्रेम बनने और प्रेम करने के इच्छुक हैं. यकीनन शाहरुख खान हिंदी फिल्मों के किंग आॅफ रोमांस हैं. लेकिन हम आपके हैं कौन के प्रेम, फिल्म हम साथ साथ हैं के प्रेम और मैंने प्यार किया के प्रेम के किरदार को भूला नहीं जा सकता. अतुल अग्निहोत्री( सलमान के बहनोई) ने हाल ही में इस बात की चर्चा की कि सलमान भाई की एक खासियत यह भी है कि परिवार में वह हर किसी का एक समान ध्यान रखते हैं. उनके लिए कोई मोस्ट फेवरिट नहीं है. वे जितने अच्छे भाई हैं,उतने अच्छे बेटे भी और उतने ही अच्छे बहनोई भी. वे भाई बहनों के बच्चों के साथ बच्चे बन जाते हैं और बड़ों के बीच खुद बच्चे. जब सलमान इस मुद्रा में होते हैं तो सबसे ज्यादा खुश होते हैं. वह दिल से पारिवारिक व्यक्ति ही हैं और शायद यही वजह है कि वह एक बार फिर से अपने घर लौट आये है. दरअसल, शेर भी शाम में थक हार कर अपनी गुफा में ही आता है और अपने घर पर वह बच्चा ही होता है. सो, सलमान दरअसल अपने घर लौट रहे हैं सूरज की फिल्म से
 
 

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