नवाजुद्दीन की औकात क्या है? -ऋषि कपूर

इसे रघुवेन्‍द्र सिंह के ब्‍लॉग अक्‍स से लिया गया है चवन्‍नी के पाठकों के लिए...
कमर्शियल सिनेमा का कोई मजाक उड़ाए, यह ऋषि कपूर को बर्दाश्त नहीं. रघुवेन्द्र सिंह से एक बातचीत में वह अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख सके
हिंदी फिल्मों में उम्र के साथ चरित्र बदल जाते हैं. जवानी में हीरो की भूमिका निभाने वाले स्टार भी एक समय के बाद छिटक कर साइड में चले जाते हैं, लेकिन अमिताभ बच्चन के बाद अब ऋषि कपूर ने इस परिपाटी को तोड़ा है. उन्होंने सहयोगी भूमिकाओं को अपने लिए अयोगय साबित किया है और एक बार फिर से बड़े पर्दे पर केंद्र में आ गए हैं. 2010 में हबीब फैजल की फिल्म दो दूनी चार में पत्नी नीतू कपूर के साथ मिलकर ऋषि ने बॉक्स-ऑफिस पर ऐसा धमाल मचाया कि निर्माता-निर्देशक फिर से उनके दरवाजे पर खड़े होने लगे. ऋषि कपूर खुशी के साथ कहते हैं, ''दो दूनी चार के बाद मेरे लिए चीजें बदल गईं. अब मैं कैरेक्टर एक्टर नहीं रहा. मैं ऐसे रोल अब लेता ही नहीं हूं. मेरे रोल मेन लीड के बराबर होते हैं." 
इस वक्त हम ऋषि कपूर के साथ सुभाष घई की फिल्म कांची के सेट पर हैं. तैंतीस साल के बाद कर्ज की यह सुपरहिट जोड़ी इसमें साथ लौट रही है. ऋषि एक भव्य गाने की शूटिंग करने जा आए हैं. फिलहाल, उनके मन में कई भावनाएं उमड़ रही हैं. उनके मन में अपने बेटे की कामयाबी की खुशी है, तो कमर्शियल सिनेमा का माखौल उड़ाने वाले लोगों के प्रति बहुत गुस्सा है. हम बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाते हैं...
आजकल आप एक ओर डी-डे जैसी गंभीर फिल्म कर रहे हैं, तो  दूसरी ओर शुद्ध देसी रोमांस और कांची जैसी हल्की-फुल्की मनोरंजक मिजाज की फिल्में. अब आप ज्यादा एक्सपेरिमेंट मोड में दिख रहे हैं?
एक एक्टर का यही तो काम है ना! मुझे एक्टर का खिताब चाहिए. पहले ऐसे चांस नहीं मिलते थे. अभी चांस मिला है, तो मैंने अपने आपसे प्रॉमिज किया है कि मुझे सभी तरह के किरदार करने हैं. लुक हर फिल्म में अलग होना चाहिए. निगेटिव हो, पॉजिटिव हो, कॉमिक हो, ट्रैजिक हो, कुछ भी हो. मुझमें सब कुछ करने की योग्यता होनी चाहिए. मैं अब कैरेक्टर एक्टर नहीं रहा हूं. मैं फिल्म का सेकेंड हीरो होता हूं और मेरा रोल मेन लीड के बराबर होता है. आप देख लो कि हर पिक्चर में मैं कितने वेरायटी के कैरेक्टर अब कर रहा हूं.

सुभाष घई और आपकी जोड़ी ने कर्ज में इतना धमाल मचाया था. इसके बावजूद दोबारा साथ आने में तैंतीस साल क्यों लग गए?
वो तो सुभाष जानें. तैंतीस साल बाद हम साथ काम कर रहे हैं. मैं सत्ताइस साल का था, जब उन्होंने मेरे साथ ओम शांति ओम गाना शूट किया था. आज मैं 61 साल का हूं और इस तरह का गाना मेरे साथ कर रहे हैं (हंसते हैं). आपको यह दोनों फोटोग्राफ्स एक साथ पाठकों को दिखानी चाहिए.
आपको सेट पर डांस करते हुए देखकर हमें बहुत अच्छा लग रहा है.
मुझे तो बहुत अजीब लग रहा है. मैं 61 साल का हूं. आज भी मैं डांस कर रहा हूं. मैंने सोचा कि साउथ में सभी हीरो एनटीआर, एमजीआर सब सोलह साल की लड़कियों श्रीदेवी से प्यार करते थे. मुझे श्रीदेवी आकर बोलती थी कि सर, मैं एनटीआर, कृष्णा के साथ डांस करती थी, जो मेरी उम्र से डबल के होते थे. आज मैं इस गाने में हेजेल के साथ डांस कर रहा हूं, जो मेरी आधी उम्र की है. मैं इसे सम्मान की तरह देखता हूं. ईश्वर की कृपा रही है हम पर कि उसने ऐसा वक्त भी हमको दिखाया है. लेकिन मैं अपने काम को एंजॉय करता हूं. ये मत सोचना कि मैं काम मजबूरी में कर रहा हूं.

सुभाष घई के साथ इतने साल बाद काम कर रहे है. उनमें क्या बदलाव आए हैं?
उनका पैशन सेम है. बाल थोड़े सफेद हो गए हैं. मेरे बाल भी सफेद हो गए हैं. प्यार और सम्मान हमारा एक-दूसरे के लिए सेम है. पैशन, प्यार और लगन आज भी वही है. वक्त बदल गया है. लेकिन हमारा पैशन सिनेमा के लिए एक ही है. देखिए, अभी मैं यहां से एक दूसरी फिल्म की शूटिंग में जा रहा हूं. दस बजेंगे रात के. लेकिन मजा आ रहा है. ईश्वर कितने लोगों को ऐसा मौका देता है. मैं अपने फैंस को खुश कर पा रहा हूं, यह मेरे लिए बड़ी बात है.

कांची में अपने रोल के बारे में बताएं?
यह सुभाष घई टाइप एक निगेटिव कैरेक्टर है. उनका होता है ना ओवर द टॉप, कॉमेडी-रोमांटिक. इसमें उन्होंने मुझे थोड़ा अलग किस्म का रोल दिया है. यह विजय माल्या से प्रेरित किरदार है. मेरा पूरा गेटअप उन्हीं से लिया गया है. स्टाइलाइज भी वैसे ही किया है. लेकिन यह उनके जीवन की कहानी नहीं है.

क्या आपको अपने किरदारों के लिए तैयारी की जरूरत पड़ती है?
नहीं, हिंदी फिल्मों में ऐसा नहीं होता है. जो लोग रिसर्च की बात करते है, उनको मेरी तरफ से एक झापड़ खींचकर देना. अंडे से बाहर निकले दो दिन होते नहीं है कि अपने आपको एक्टर बोलते हैं और रिसर्च-विचर्स की बात करते हैं. आजकल के नए एक्टर अपने आपको तीस मार खां समझते हैं. उनसे पूछना कि क्या रिचर्स करते हो तुम लोग? और अगर तुमने किया है, तो क्या उखाड़ा है? कमर्शियल सिनेमा में तो आओ. पर्दे पर पहले धंधा करके तो दिखाओ. बातें करते हैं. इन पर मुझे बहुत गुस्सा आता है. बेसिकली हम सब कमर्शियल एक्टर्स हैं. हम सब एंटरटेनर्स हैं. वी प्रोवाइड एंटरटेनमेंट. वी ब्लडी डोंट प्रोवाइड एनी काइंड ऑफ नॉनसेंस. चालीस साल से मैं वही कर रहा हूं, ईश्वर की कृपा से और वही करना चाहता हूं. 
आज भी आप दर्शकों को सरप्राइज कर रहे हैं. यह बड़ी बात है.
वह एक एक्टर का ट्रिक होना चाहिए- सरप्राइज द ऑडियंस. वरना आप बासी हो जाओगे. मैंने 25 साल अपनी जिंदगी में वही काम किया. केवल रोमांटिक हीरो के रोल. आगे देखो, मैं क्या क्या करता हूं. तब मिलते नहीं थे ऐसे कैरेक्टर्स. बनती नहीं थीं ऐसी पिक्चरें. हमको कोई देता नहीं था. आज ऐसा मौका मिल रहा है.

रणबीर भी आपकी तरह सबको सरप्राइज करते रहते हैं. क्या आप दोनों ने मिलकर प्लानिंग की है?
बिल्कुल नहीं. दुनिया जानती है कि मैं उसके क्रिएटिव पहलू में इंटरफीयर नहीं करता. यह एक संयोग भर है.

रणबीर की उड़ान से खुश हैं?
देखो, उसकी मेहनत है बेचारे की. एक बार में एक पिक्चर करता है बस. वो भी देखो रिस्क कितना बड़ा लेता है. अगर वह पिक्चर नहीं चले, तो उसके हाथ से काम जा सकता है. लोग कहेंगे कि अरे यार छोड़ो. इतना गट्स होना चाहिए आपमें. आप एक बर्फी! कर रहे हो और आपने तीन पिक्चरों को ना बोला. वो भी एक राजकुमार हिरानी की पिक्चर, एक रोहित शेïट्टी की और एक अभिनव की. किस एक्टर में इतना दम है यार... मैं इस इंडस्ट्री के बिगेस्ट स्टार की बात भी कर रहा हूं. किसी एक्टर में इतना दम नहीं है कि वह एक्सपेरिमेंटल फिल्म करे. मैं अपनी बात भी कर रहा हूं. कोई सोचे तो सही कि चलो एक हटकर पिक्चर करते हैं, मेरे फैंस को अच्छा लगेगा. वो भी नहीं करते, क्योंकि उनके लिए पैसा महत्वपूर्ण है.

क्या आप रणबीर की चॉइसेस से खुश हैं?
नहीं. उस वक्त तो खुश नहीं था, जब उसने यह सब करना शुरू किया था. सब कहते थे कि क्या हो गया है तेरे बेटे को? मैं भी सोचता था कि क्या हो गया है. आज उसने सबको चुप करवा दिया है. पहले जब सरदार (रॉकेट सिंह सेल्समैन ऑफ द ईयर) बनकर घूमता था, फिर बाल बढ़ाकर रॉकस्टार कर रहा था, फिर गूंगे-बहरे का रोल कर रहा था, तो लोगों को कसीदे कसने में और कमेंट पास करने में तो कुछ जाता नहीं है ना. मुझे भी बुरा महसूस होता था कि यार, मेरा बेटा क्या कर रहा है. आज रणबीर ने सबको बोल दिया है कि शट अप. जस्ट कीप क्वाइट. मैं वही करूंगा, जो मैं करना चाहता हूं.
उस दौरान क्या आप रणबीर को बोलते थे कि ऐसा मत करो?
नहीं, मैंने कभी नहीं बोला. मैंने उसे उसका स्पेस दिया. आज उसने कमर्शियल जोन में आकर ये जवानी है दीवानी करके अपने आपको प्रूव कर दिया है. बर्फी! जैसी पिक्चर ने सौ करोड़ का बिजनेस किया. यह एक बड़ी अचीवमेंट है. ईश्वर की उस पर कृपा रही है. बस, अपना काम मेहनत से करते रहो, हमने अपने बुजुर्गों से यही सीखा है. मैं अपने बच्चे से यही बोलता हूं कि जैसे काम कर रहे हो, वैसे ही करो, लगन से करो.

क्या आरके बैनर फिर से सक्रिय हो रहा है?
आरके के बारे में मेरे से बात मत करो. आरके मेरे हिसाब से बंद हो चुका है. कोई पिक्चर उसमें बनने वाली नहीं है. सब झूठ बोलते हैं कि उसमें पिक्चर बनने वाली है.

क्या आप दोबारा डायरेक्शन में लौटेंगे?
मेरे पास बिल्कुल समय नहीं है. मैं डायरेक्टर गलती से बन गया था. मैं बेसिकली एक एक्टर हूं. फिल्ममेकिंग मेरा पैशन नहीं है.

नए कलाकारों में आपको किसका काम अच्छा लगता है?
मुझे इरफान खान बहुत अच्छे लगते हैं. बहुत अच्छे इंसान भी हैं. वह फाइन एक्टर हैं. अर्जुन रामपाल ने भी बहुत इंप्रूव किया है. मेरे हिसाब से सुशांत सिंह राजपूत, आयुष्मान खुराना और अर्जुन कपूर अच्छा काम करते हैं. मैं उन्हीं के बारे में बोल सकता हूं, जिनके साथ काम किया है.

किस निर्देशक का काम आपको पसंद है?
अनुराग कश्यप की फिल्म देखी है गैग्स ऑफ वासेपुर. अच्छी लगी थी. थोड़ी स्लो और लंबी थी. उनकी और कोई पिक्चर नहीं देखी. सुना है कि वह अच्छी पिक्चरें बनाते हैं.
नवाजुद्दीन पर भड़के ऋषि कपूर 
"मैंने कहीं पढ़ा कि नवाजुद्दीन (सिद्दिकी) नाम के कोई एक्टर हैं, उन्होंने कुछ उल्टा-सीधा कहा है कि रोमांटिक हीरोज रनिंग अराउंड द ट्रीज. उनके बाप-दादा भी नहीं कर सकते हैं ऐसा काम. वो खुद तो क्या करेंगे. इट्स वेरी डिफिकल्ट टू ब्लडी सिंग सॉन्ग्स एंड रोमांस द ब्लडी डैम हीरोइन. डोंट थिंक्स इट्स ईजी. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की? तुम्हारी औकात क्या है कि तुम किसी में इंसपिरेशन डालो. तुम हो कौन यार? तुम कमेंट क्या पास करते हो कि व्हाट इज ग्रेट अबाउट डूइंग दैट? आपको पता है कि यह करने में क्या हुनर चाहिए होता है? कभी शाहरुख खान से पूछना, सलमान से पूछना, कभी अक्षय कुमार से पूछना, कभी जितेन्द्र से पूछना, राजेश खन्ना तो रहे नहीं. बच्चन साब से पूछना... गाना गाना या रोमांस करना आसान काम नहीं है हिंदी फिल्मों में. मेरे दोस्त, मेरे अजीज, मेरे जूनियर नवाजुद्दीन शाह (सिद्दिकी) को यह पता नहीं. और उनको ऐसी गलत बात बिल्कुल नहीं बोलनी चाहिए. इट्स टेक्स लॉट ऑफ आर्ट, इट टेक्स लॉट ऑफ टैलेंट टू डू दिस. मैं आपके टैलेंट को धुत्कार नहीं रहा हूं. मैंने सुना है कि आप बहुत अच्छे एक्टर हैं. एकाद पिक्चरें आपकी देखी भी हैं, जिसमें आप बहुत एवरेज थे. लेकिन दूसरे जो करते हैं, उसमें बहुत मेहनत लगती है. आपने जिंदगी में वह कभी किया नहीं है और आपको कभी मौका भी नहीं मिलेगा. आप कर भी नहीं सकते. आपकी इमेज नहीं है. आपमें वह टैलेंट नहीं है."

साभार: फ़िल्मफ़ेयर

Comments

वैसे ऋषि कपूर साहब .......एक बात कहूं .....आपकी औकात क्या है नवाज़ के सामने . माना की एक लौंडिया के साथ पेड़ के इर्द गिर्द नाचना और रोमांस करना बेहद मुश्किल काम लगता होगा आपको ......पर एक बात याद रखना बेटा ......सात बार जनम लोगे न तुम और तुम्हारे ये सारे तथाकथित सुपर स्टार्स ....तो भी नहीं कर पाओगे वो अभिनय जो उस लड़के ने कर दिया GOW में .............

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