ॐ ....ओम....ओम दर-ब-दर

जो कोई कमल स्‍वरूप की फिल्‍म 'ओम दर-ब-दर नहीं समझ पा रहे हैं। उनके लिए बाबा नागार्जुन की यह कविता कुंजी या मंत्र का काम कर सकती है। इस कविता का सुंदर उपयोग संजय झा मस्‍तान ने अपनी फिल्‍म 'स्ट्रिंग' में किया था। वे भी 'ओम दर-ब-दर' को समझने की एक कड़ी हो सकते हैं। 
मंत्र कविता/ बाबा नागार्जन
ब्द ही ब्रह्म है..
ब्द्, और ब्द, और ब्द, और ब्द
प्रण‌, नाद, मुद्रायें
क्तव्य‌, उदगार्, घोषणाएं
भाष‌...
प्रव‌...
हुंकार, टकार्, शीत्कार
फुसफुस‌, फुत्कार, चीत्कार
आस्फाल‌, इंगित, इशारे
नारे, और नारे, और नारे, और नारे

कुछ, कुछ, कुछ
कुछ हीं, कुछ हीं, कुछ हीं
त्थ की दूब, रगोश के सींग
-तेल-ल्दी-जीरा-हींग
मूस की लेड़ी, नेर के पात
डाय की चीख‌, औघड़ की अट बात
कोयला-इस्पात-पेट्रोल
मी ठोस‌, बाकी फूटे ढोल

इदमान्नं, इमा आपः इदज्यं, इदं विः
मान‌, पुरोहित, राजा, विः
क्रांतिः क्रांतिः र्वग्वंक्रांतिः
शांतिः शांतिः शांतिः र्वग्यं शांतिः
भ्रांतिः भ्रांतिः भ्रांतिः र्वग्वं भ्रांतिः
चाओ चाओ चाओ चाओ
टाओ टाओ टाओ टाओ
घेराओ घेराओ घेराओ घेराओ
निभाओ निभाओ निभाओ निभाओ

लों में एक अपना ,
अंगीकरण, शुद्धीकरण, राष्ट्रीकरण
मुष्टीकरण, तुष्टिकरण‌, पुष्टीकरण
ऎतराज़‌, आक्षेप, अनुशास
द्दी आजन्म ज्रास
ट्रिब्यून‌, आश्वास
गुटनिरपेक्ष, त्तासापेक्ष जोड़‌-तोड़
‌-छंद‌, मिथ्या, होड़होड़
वास‌, उदघाट
मारण मोह उच्चाट

काली काली काली हाकाली हकाली
मार मार मार वार जाय खाली
अपनी खुशहाली
दुश्मनों की पामाली
मार, मार, मार, मार, मार, मार, मार
अपोजीश के मुंड ने तेरे ले का हार
ऎं ह्रीं क्लीं हूं आङ
बायेंगे तिल और गाँधी की टाँग
बूढे की आँख, छोकरी का काज
तुलसीद, बिल्वत्र, न्द, रोली, अक्ष, गंगाज
शेर के दांत, भालू के नाखून‌, र्क का फोता
मेशा मेशा राज रेगा मेरा पोता
छूः छूः फूः फूः फिट फुट
त्रुओं की छाती अर लोहा कुट
भैरों, भैरों, भैरों, रंगली
बंदूक का टोटा, पिस्तौल की ली
डॉल, रूब, पाउंड
साउंड, साउंड, साउंड

रती, रती, रती, व्योम‌, व्योम‌, व्योम‌, व्योम
अष्टधातुओं के ईंटो के ट्टे
हामहिम, हमहो उल्लू के ट्ठे
दुर्गा, दुर्गा, दुर्गा, तारा, तारा, तारा
इसी पेट के अन्द मा जाय र्वहारा
रिः त्स, रिः त्स

अब इसे जुबिन गर्ग की आवाज में सुन भी लें....

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