रणदीप हुडा : उलझे किरदारों का एक्‍टर


-अजय ब्रह्मात्मज
    रणदीप हुडा इम्तियाज अली की ‘हाईवे’ में रफ गूजर युवक महावीर भाटी की भूमिका निभा रहे हैं। ‘हाईवे’ रोड जर्नी फिल्म है। उनके साथ आलिया भट्ट हैं। इस फिल्म की शुटिंग 6 राज्यों में अनछुए लोकेशन पर हुई है।
    दिल्ली से हमारी यात्रा शुरू हुई थी और दिल्ली में ही खत्म हुई। इस बीच हमने छह राज्यों को पार किया। अपनी जिंदगी में मैंने देश का इतना हिस्सा पहले नहीं देखा था। हम ऐसी सूनी और एकांत जगहों पर गए हैं,जहां कभी पर्यटक नहीं जाते। फिल्म में हमारा उद्देश्य लोगों से दूर रहने का है। इम्तियाज ने इसी उद्देश्य के लिए हमें इतना भ्रमण करवाया है। लोकेशन पर पहुंचने में ही काफी समय निकल जाते थे। शूटिंग कुछ ही दृश्यों की हो पाती थी।
    यह पिक्चर जर्नी की है। इसमें किरदारों की बाहरी (फिजिकल) जर्नी के साथ-साथ भीतरी (इटरनल) जर्नी है। फिल्म के शुरू से अंत तक का सफर जमीन पर थोड़ा कम है। अंदरुनी यात्रा बहुत लंबी है। इस फिल्म में मैं दिल्ली के आस-पास का गूजर हूं, जो मेरे अन्य किरदारों के तरह ही परेशान हाल है। शायद निर्देशकों को लगता है कि मैं उलझे हुए किरदारों की आंतरिक कशमकश को अच्छी तरह निभा पाता हूं। यों मुझे भी जटिल किरदारों को निभाना अच्छा लगता है।
    करिअर की शुरुआत में लगता था कि फिल्म मेरे बारे में ही होनी चाहिए। मेरा ही केंद्रीय चरित्र होना चाहिए। अनुभवों से जाना कि अब कहानियां बदल गई हैं। फिल्म में किरदारों का महत्व बदल गया है। जरूरी है कि पर्दे पर आते ही किरदार की सच्चाई दिख जाए। मैं यही अप्रोच अपनाता हूं। दोस्तों की फिल्म हो तो रोल की लंबाई नहीं देखता।
    पिछले दो-तीन सालों से मेरे रवैए और बर्ताव में फर्क आया है। आप देखें तो शुरु के दस सालों में मैंने बमुश्किल दस फिल्में कीं, लेकिन पिछले तीन सालों में बारह फिल्में कर चुका हूं। बीच में इतने दिन घर बैठना पड़ा कि डर लगने लगा था। ऐसा लगा कि कहीं काम मिलना ही न बंद हो जाए। अब वह डर खत्म हो गया है। पिछले दिनों मेरे पिता जी कह रहे थे कि अब तू एक्टर हो गया है। अब तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। तू बुड्ढा हो जाएगा तो भी एक्टर ही रहेगा।
    मैंने पहले ही बताया कि ‘हाईवे’ में मैं गूजर हूं। इस फिल्म में मेरा गेटअप और लुक ऐसा है कि कई बार अपनी ही यूनिट की सिक्युरिटी ने मुझे रोक दिया। बाद में इम्तियाज ने बुलाया तो सभी चौंके। लोगों को ध्यान नहीं रहता कि मैं एक्टर हूं। इस फिल्म का हीरो हूं। यह एक तरह से कंपलिमेंट है। ऐसा कभी हुआ तो मैं हुज्जत नहीं करता। बगल में जाकर बैठ जाता हूं।
    आलिया दिखने में नाजुक है। वह मेरी हीरोइन है। बहुत ही रिसेप्टिव है। सीखने में तेज है। भट्ट साहब से उसे कई गुण मिले हैं। मेरी ही तरह कहीं भी बैठ जाती है। कहीं भी लेट जाती है। इस किरदार में वह रम गई है। उसने बहुत बढिय़ा काम किया है। मैं और इम्तियाज तो पुराने ढीठ हैं। आलिया ने बहुत ही ईमानदारी से काम किया है। वह इम्तियाज के निर्देशों पर अमल करती है। मैंने अभी तक तो उसका कोई नाज-नखरा नहीं देखा। एक बात याद रखें कि वह भट्ट साहब का ही खून है। मिजाज और अप्रोच में भट्ट साहब और पूजा भट्ट से बहुत अलग नहीं है। हां, थोड़ी शांत और गंभीर है। उनसे सॉफ्ट है। उम्र बढऩे के साथ उनकी तरह बेपरवाह भी हो जाएगी।
    मुझे इम्तियाज ने बताया कि वे बहुत पहले से मेरे साथ काम करने को इच्छुक थे। स्क्रिप्ट और संयोग नहीं बन पा रहा था। मुझे लगता है कि अभी के दौर में उनकी तरह कोई भी लव स्टोरी नहीं बनाता। मैं इस कायनात का शुक्रगुजार हूं कि इम्तियाज ने ‘हाईवे’ में मुझे चैलेंजिंग रोल दिया है। वे बहुत ही सुलझे और सज्जन व्यक्ति हैं। संगीत, संवाद, लय और विषय की अच्छी पकड़ रखते हैं। मैंने उन्हें मॉनीटर पर बहुत कम देखा है। उनकी फिल्में कैरेक्टर ड्रिवेन और रियलिस्टिक अप्रोच की होती है। इसी कारण दर्शकों को उनकी फिल्में पसंद आती हैं।

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