इंडियन और वेस्टर्न टेेस्ट का मिश्रण है ‘कृष 3’- रितिक रोशन
-अजय ब्रह्मात्मज
-‘कृष 3’ के निर्माण की प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही थी। वह कौन सी चीज मिली कि आप ने वह फिल्म बना दी?
0 मेरे ख्याल से कोई चीज बननी होती है तो वह पांच दिन में बन जाती है। नहीं बननी होती है तो उसमें सालों लग जाते हैं और नहीं बनती है। ‘कृष’ के अगले दो-तीन साल तक तो कोई ढंग की स्क्रिप्ट हाथ में नहीं आई। फिर एक स्क्रिप्ट आई। दूसरी आई। तीसरी हमने ट्राई की। इत्तफाकन जो हम सोच रहे थे, उन पर तो हॉलीवुड में फिल्में बन भी गईं। हमें हर बार नयी स्क्रिप्ट तैयार करनी पडी।
-क्या आप शेयर करना चाहेंगे वे आइडियाज और कौन सी फिल्में बन गईं?
0जी हां, हमने सोचा था कि हमारा विलेन एलियन होगा। वह रबडऩुमा होगा। किसी के शरीर में प्रवेश कर लेगा। कुछ वैसा ही ‘स्पाइडरमैन 3’ में दिखा। काला एलियन किसी के शरीर में प्रवेश कर उस पर हावी हो जाता था। अपनी फिल्म के लिए भी हमने वही सोचा था। एक एलियन आएगा, कृष के शरीर में समाएगा। फिर कृष अपने स्याह पहलू को निकालने के लिए उससे लड़ेगा। दुर्भाग्य से जब ‘स्पाइडरमैन 3’ आई तो हम भौंचक्के रह गए। हम पांच लोग जानते थे अपने विलेन के बारे में। हम सब एक-दूसरे का चेहरा देख पूछ रहे थे कि कहीं तूने तो आइडिया लीक नहीं किया था न। तो ऐसा भी हुआ। तीन साल निकल गए। फिर मुझे याद है ‘दबंग’ रिलीज हुई। हिंदुस्तानी फिल्म एकदम। हिंदुस्तानी एक्शन। और पता नहीं उसका असर हुआ कि नहीं हम उससे पहले पश्चिमी सभ्यता की सोच से प्रभावित लोगों के लिए फिल्म बना व प्लान कर रहे थे। पर ‘दबंग’ के आते ही पापा ने छह दिनों में ‘कृष 3’ की स्क्रिप्ट व स्क्रिनप्ले पूरी लिख दी। ‘दबंग’ के बाद पापा को एहसास हुआ कि वे हिंदुस्तानी हैं। यहां लोगों को उसी मिजाज की फिल्में पसंद पड़ेंगी। लिखने के बाद भी कहानी खत्म नहीं हुई थी। पापा मेरे पास हर रोज आते और कहते कि हम यह फिल्म क्यों बना रहे हैं? इतनी महंगी है। तुम्हें कुछ फायदा नहीं होने को है। मुझे कोई कमाई नहीं होने वाली। मुझे याद है, मैंने उनसे कहा कि आप को प्रेरणा मिली और आपने स्क्रिनप्ले लिख दी। माइंडब्लोइंग स्क्रिनप्ले है वह। एक महान फिल्म का एहसास हो रहा है। अब यह आप की जिम्मेदारी बन चुकी है कि आप उसे लोगों तक पहुंचाओ। अब हमें उस पर काम शुरू करना है। अगर हम यह बोलेंगे कि कौन बनाएगा? तो फिर इसे कौन बनाएगा? कौन रिस्क लेगा? हमारे पास बाप-बेटे और चाचा की इतनी अच्छी टीम है। मेरी बातों का असर पापा पर होने लगा, वरना वे तो अपनी एक पुरानी फिल्म की रीमेक करना चाहते थे। मैंने उनसे कहा, छोटी फिल्म तो बन जाएगी, पर एक बड़ी फिल्म का जो असर होगा, उसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस वक्त हमें जो रेस्पोंस मिल रहा है, वह अगर छोटी फिल्म होती तो कहां मिलता? अगर 40-50 दिनों में शूट की हुई कोई छोटी लव स्टोरी कर रहे होते और वह रिलीज हो रही होती तो क्या लोगों के बीच इस किस्म की गहमागहमी होती? मैंने पापा को दो महीने तक कन्वींस करते-करते उन्हें मना ही लिया।
-पूरे देश के ऑडिएंस को कैसे संतुष्ट करेंगे और इस फिल्म के साथ आप क्या नया देंगे?
0 इस फिल्म में ऐसी-ऐसी चीजें हैं, जिन्हें अब तक किसी ने कभी ट्राई नहीं किया है। यहीं क्यों, मैंने तो हॉलीवुड फिल्म में भी ऐसा कॉम्बिनेशन नहीं देखा है। सबसे बड़ी बात तो यह कि एक सुपरहीरो है। एक सुपरविलेन। म्यूटैंट (मानवर) हैं। उनके बीच एक बाप और बेटे की कहानी है। रोमांस है। गाने हैं। लब्बोलुआब यह कि एक इंडियन और वेस्टर्न टेस्ट का जो मिश्रण है, वह शायद ही कहीं देखने को मिलेगा। रोहित फिल्म का हीरो है। उसके इमोशंस और कृष्णा के सुपरपावर को दिखाना, बहुत बड़ा चैलेंज था। काया के किरदार में कंगना रनोट ने तो कमाल का काम किया है। उनका जो फ्लो है फिल्म में, वह काबिलेतारीफ है।
-टेक्निीकली क्या नईं चीजें हैं?
0 उस लिहाज से तो कुछ ट्राई ही नहीं किया गया है। टेक्निीकली फिल्म की कहानी से लेकर विजुअल इफ्ेक्ट्स तक देसी हैं।
-मेरे पहले के जवाब में क्या कहना चाहेंगे? कई लोगों का कहना है कि विवेक का कैरेक्टर मैग्नेटो से प्रेरित है?
0 प्रेरित वाले सवाल का कोई जवाब नहीं है, क्योंकि अगर आपने यह तय कर ही लिया है कि फलां फिल्म वैसी ही होगी तो आप को लाख समझाने के बावजूद कुछ नहीं किया जा सकता। जिन लोगों को लगता है कि विवेक का कैरेक्टर मैग्नेटो से प्रेरित है तो उस लिहाज से तो हर फिल्म में मैग्नेटो के विभिन्न रूप हैं तो क्या हर फिल्म किसी की कॉपी है। आप के पहले सवाल के जवाब में कहूंगा कि ‘आयरन मैन 3’ और ‘अवेंजर्स’ के आने से हमें बहुत नुकसान हुआ है, क्योंकि हमने तीन साल पहले इस फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार की थी। उस वक्त हम संतुष्ट थे कि हमने वक्त से आगे की स्क्रिप्ट लिखी है, पर ‘अवेंजर्स’ और ‘आयरन मैन 3’ ने तो हमारे होश ही उड़ा दिए। उसके बाद हम लोगों के पास दो ही च्वाइस थी। एक कि चलो यहां के लोग समझ जाएंगे कि हम इंडियन हैं। तकनीक के मामले में थोड़ा पीछे ही रह लेंगे या तो वो जो हम कर सकते थे, हमने किया। हमने अपने आर्टिस्ट से बताया कि हॉलीवुड की फिल्में डब होकर भी आ रही हैं। अब छिपने की कोई जगह नहीं है। अब यह जानने का समय आ गया है कि हममें कितनी काबिलियत है? मैं यह नहीं सुनने वाला हूं कि हमने भी कोशिश की। हम उनसे बेहतर कर के दिखाएंगे। मैं कह रहा हूं आप को और सभी को हम उनसे बेहतर कर दिखाएंगे।
-रोहित के किरदार पर थोड़ी रोशनी डालना चाहेंगे। कितना चैलेंजिंग रहा इस बार और किस किस्म की तैयारियां करनी पड़ी रोहित के साथ, क्योंकि उसमें बचपना होने के साथ-साथ एक बाप की गंभीरता है। पिछली बार मुझे याद है, जब आपने बताया था कि रोहित की तरह सोचने के लिए कैसे आपने खुद को कई दिनों तक एक कमरे में बंद रखा था?
0 सही कहा आपने। पिछली बार रोहित का रोल प्ले करना आसान था। इस बार रोहित के दोनों इमोशन मुझे दिखाने थे। वह मैं करता कैसे? अगर वह अपने बेटे के सर पर हाथ रखकर उसे कन्सोल करना चाहेगा तो वह एक बच्चे की तरह कैसे बोलेगा? सबने काफी सिर खपाया, चूंकि रोहित का बचपन मेरे बचपन के काफी करीब था तो मेरे दिमाग में एक बात कौंधी कि अगर रोहित बड़ा होकर बाप बनता तो कैसे बिहेव करता? वहां से मुझे जवाब मिलना शुरू हो गया और फिर रोहित को निभाने में मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। हां शूटिंग के वक्त प्रॉब्लम बस होती कि कृष का जैकेट निकाल कर रोहित के गेटअप में आना, लंबी प्रक्रिया होती थी। मुंबई की गर्मी में, फिल्मसिटी के अंधेरे में छह-छह घंटे एक्शन कर हम पूरी तरह थक जाते थे। उसके बाद बैठकर रोहित के प्रोस्थैटिक मेकअप में तीन-चार घंटे जाया होते थे। वापस रोहित के इमोशन लाना बहुत लंबी प्रक्रिया होती थी। अब उसी सीन में रोहित-कृष्णा साथ-साथ हैं। ऐसे में समय बचाने की खातिर हम पहले कृष के सारे संवाद शूट कर लेते थे, फिर रोहित के सारे संवाद शूट करते थे। इमोशन लाना बहुत टफ था, क्योंकि मेरे सामने तो कोई है नहीं। मैं ही हूं। तो रोहित के संवाद बयां करते वक्त कृष्णा के सभी संवाद याद रखना, उसकी टाइमिंग का ख्याल रखना बहुत मुश्किल था, क्योंकि अदाकारी पूरी तरह टाइमिंग का खेल है। मैं रोहित के लिए इस बार सिंक-साउंड चाहता था, क्योंकि पिछली मर्तबा रोहित की आवाज डब करने में मुझे ढाई महीने लगे थे। इस बार भी रोहित की आवाज डब ही करनी पड़ रही है।
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