अमिताभ बच्‍च्‍ान के बारे में....



आज राकेश ओमप्रकाश मेहरा,आशुतोष राणा,सुरेश शर्मा,मनोज बाजपेयी,विद्या बालन,तिग्‍मांशु धूलिया,संजय चौहान,सोनू सूद,जयदीप अहलावत,राणा डग्‍गुबाती,अविनाश,कमलेश पांडे,जावेद अख्‍तर,शाजान पदमसी,जरीन खान,शक्ति कपूर,श्रेयस तलपडे,साेनाली बेंद्र,असिनएओमी वैद्य,सतीश कौशिक,कुणाल खेमू,रुमी जाफरी,अर्चना पूरन सिंह,मुग्‍धा गोडसे,गौरव सोलंकी,गुलशन देवैया,रजत बरमेचा,रुसलान मुमताज,रानी मुखर्जी,सौरभ शुक्‍ला,कल्कि कोइचलिन,सलमान खान,सुजॉय घोष,विवेक अग्निहोत्री,रजा मुराद,वरुण धवन के विचार अमिताभ बच्‍चन के बारे में....:  

राकेश ओमप्रकाश मेहरा
अपने अनुभवों से यही कहूंगा कि अमित जी किसी पर भरोसा करहते हैं तो पूरी तरह से खुद को समर्पित कर देते हैं। उनके समर्पण से ही उनकी फिल्में निकली हैं। वे संपूर्ण एक्टर हैं। उन्हें सिर्फ एक बार सहमत करना होता है। उस सहमति के बाद वे फिर कुछ नहीं पूछते। अक्सके समय तो मैं एकदम नया था, लेकिन सहमति और विश्वास के बाद मेरी पीठ पर अपना हाथ रखा। मुझे पूरा सपोर्ट दिया। कभी किसी दृश्य या संवाद पर नहीं अड़े।
(निर्देशक)

: आशुतोष राणा
या तो पिता महान होते हैं या पुत्र। पिता-पुत्र दोनों कालजयी हैं। एक ने भावों को उकेरने के लिए कविता का सहारा लिया तो दूसरे ने अभिनय। दोनों इनके लिए जाने जाते होंगे। अदाकार खुद को दोहराता है। कलाकखुद को नहीं दोहराता है। वे हिंदी फिल्मों ऐसे अदाकार हैं, जो सही अर्थों में कलाकार हैं। उनकी अदाओं में कला दिखती है। एंग्री यंग मैन, ‘ब्लैकऔर पाया फिर दीवारया आंखें...इन फिल्मों में उनके अभिनय में जमीन-आसमान का अंतर पाएंगे। उनकी अदा भी चली,कला भी। सौ प्रतिशत अभिनेता हैं वे।  अभिनय का सुर और सुख दोनों अमिताभ ने दिखाया। इस 70 वर्षीय युवा में हमें भाई, पिता, गुरू और मित्र नजर आता है। वे सखा सदृश हो गए हैं। सखा पलट दें तो वह खास हो जाता है। अमित जी हमारे खास हैं।
(अभिनेता)

: सुरेश शर्मा
हिंदी सिनेमा में कुछ ही नायकों ने अभिनय की दुनिया में  निर्एायक परिवर्तन किए, उनमें अमिताभ बच्चन पहली पंक्ति में हैं। वे चार्ली चैप्लिन की तरह ऐसे महान अभिनेता हैं जो महज चरित्र को अभिव्यक्त नहीं करते, बल्कि अपने अभिनय की रचनात्मकता से उसका विकास करते हैं। पटकथा जो चरित्र उन्हें देती है वह उनके अभिनय के बाद वही नहीं रह जाता है, वह उससे आगे निकल जाते हैं। यही विशेष्ता बिग बी को बिग ए एक्टर बनाती है। यह अफसोस का विषय है कि निर्देशकों ने उनसे ज्यादातर घोर व्यावसायिक और फार्मूला वाली फिल्मों में काम लिया है। ब्लैकऔर सौदागरजैसी फिल्में अगर ज्यादा नहीं मिलीं तो उन्हें स्वयं ऐसे रोल के लिए पहल करनी चाहिए थी। वैसे 70 वर्ष की उम्र तक फिल्म की मुख्यधारा में वे अपनी अद्वितीय रचनात्मकता के कारण ही बने हुए हैं। र्
(विभागाध्यक्ष, नाट्य कला और हिंदी अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा)
: मनोज बाजपेयी
हाल-फिलहाल के दिनों में मैंने गौर किया है कि अमित जी का झुकाव खास तरह की फिल्मों और अभिनेताओं की ओर हुआ है। वे केवल उनकी सराहना नहीं करते हैं। सराहना करते समय अपनी आवाज ऊंची रखते हैं। उन सभी में मैं भी एक भाग्यशाली हूं। मेरे बारे में वे कुछ न कुछ बोलते रहे हैं। बुरी कम,अच्छी ज्यादा। उनसे मिली सराहना हम सभी के लिए प्रेरक है। इससे यह भी जाहिर होता है कि वे प्रतियोगी की मानसिकता से बाहर आ गए हैं। अनुशासन, समय की पाबंदी, सभी के प्रति आदर, काम के प्रति उत्साह और उत्सुकता.. क़ैसे कोई व्यक्ति इन तत्वों को लगातार बनाए रख सकता है। यह एक रहस्य है। यही सीखने की चीज है।
: विद्या बालन
मुझसे अधिक भाग्यशाली और कौन हो सकता है। मैंने उनकी मां का किरदार निभाया है। जिस शख्स को पूरी दुनिया महानायक के तौर पर जानती है, उसकी मां को कितना गर्व होगा? उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनकी ऊर्जा प्रेरित करती है। बताती है कि मुझे अभी लंबा सफर तय करना है।
(अभिनेत्री)
: तिग्मांशु धूलिया
गोविंदा और बिग बी, मेरे दो सबसे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं। बिग बी और मेरा इलाहाबाद का कनेक्शन है। कौन निर्देशक होगा जो उनको निर्देशित नहीं करना चाहेगा? किसी निर्देशक के जीवन का सबसे बेहतरीन दिन होगा जब वह बिग बी जैसी शख्सियत को निर्देश दे रहा होगा।
(निर्देशक)
: संजय चौहान
वे एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं उम्दा इंसान भी है। अनुशासन कोई उनसे सीखे। सबसे बड़ी बात वे किसी की बेइइज्जती नहीं करते। सबको एक समान समझते हैं। एक लेखक के तौर पर मैं कह सकता हूं कि उनसे ज्यादा लेखकीय इज्जत किसी अभिनेता को बख्शी नहीं जा सकती।
(लेखक)
 : सोनू सूद
मेरी कद-काठी उन जैसी है। मेरे घरवाले हमेशा मुझे डुप्लीकेट बच्चन कह कर पुकारते हैं। मैक्सिमममें कॉप का रोल कर मैं खुद को जंजीरका इंस्पेक्टर विजय समझने लगा था। उनके साथ आगे काम करने की बहुत इच्छा है। 
(अभिनेता)
: जयदीप अहलावत
उन्हें हमेशा लार्जर दैन लाइफ इमेज में देखा है। इंडस्ट्री की तीन पीढिय़ों के कलाकारों को प्रेरित किया है। भगवान उन्हें लंबी उम्र दे। काम के प्रति उनका समर्पण कमाल का है।
(अभिनेता)
: राणा डग्गुबाती
मैं उनका कायल हूं। काबिलियत के सारे कीर्तिमान वे ध्वस्त कर चुके हैं। बस एक चीज में मैं उनसे आगे हूं, वह है लंबाई। मैं उनसे एक इंच लंबा हूं। डिपार्टमेंटके सेट पर इस बात का अनुभव हुआ। अपने घर वालों और दोस्तों को बड़े फख्र से यह बात बार-बार बताता रहता हूं।
(अभिनेता)
: अविनाश
हम उन दिनों से अमिताभ बच्चन को जानते हैं, जिन दिनों अपने आपको भी हम नहीं जानते थे। वे हमारे समय के पहले और (यकीनन) आखिरी महानायक हैं। उनके जादुई जीवन के उत्तराद्र्ध पर गौर करने से पता चलता है कि उन्हें शून्य से उठना आता है और शिखर पर पहुंच कर भी संयमित रहना आता है। वे हिंदी के भी गौरव हैं। इसलिए नहीं कि उनके पिता एक मशहूर कवि थे। बल्कि इसलिए कि अंग्रेजियत से भरे बॉलीवुड के कारोबार में भी उन्हें हिंदी बोलना और बरतना आता है। इस बड़बोले समय में अमिताभ बच्चन से हम एक चीज और सीख सकते हैं कि कैसे अपनी वाणी पर संयम रखा जाए। नेहरु-गांधी परिवार से अपने उलझे हुए रिश्तों पर उन्होंने जब भी कुछ कहा है, मर्यादा की ओट लेकर कहा है। जीवन के उतार-चढ़ाव और अभिनय के ऊबड़-खाबड़ में हमेशा गरिमामय  व्यक्तित्व धारण करने वाले सत्तर-साला अमिताभ बच्चन से हम नौजवान हमेशा प्रेरणा ग्रहण करते रहेंगे।
(मोहल्ला लाइव के संचालक)
: कमलेश पांडे
हॉलीवुड के महान अभिनेता गैरी कूपर के बारे में कहा जाता है कि सिनेमा के पर्दे पर उनकी जैसी बोलती हुई खामोशी कोई नहीं ले आ पाया है। उनकी फिल्में दर्शकों के अंदर झांकने का निमंत्रण है। हेनरी फोंडा, मर्लिन ब्रांडो, अल पचीनो जैसे कुछ अभिनेताओं ने अपनी खामोशी को सफलतापूर्वक  चेहरे की भाषा बनाया है। यह भाषा शब्दों की मोहताज नहीं है।
        हमारे यहां भी यह खूबी दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला, नूतन, बलराज साहनी, गुरूदत्त में रही है। वे सब बिना संवाद के भी अपने चेहरे को भाव पढऩे देते थे और दर्शकों को बांधे रखते थे। ये चेहरे वे चेहरे थे, जिसमें गहरे पानी का ठहराव था। जिसके अंदर न जाने कितने तूफान छिपे हुए थे।
 वर्तमान में यह खूबी सिर्फ एक में है-अमिताभ बच्चन। अमिताभ बच्चन का चेहरा पुरानी कीमती शराब की तरह वक्त के साथ और नशीला होता गया है। उनके चेहरे का एक भूगोल है। इस भूगोल को एक लेखक भी पढऩा चाहता है और कैमरामैन भी। कैमरामैन के लिए उनके चेहरे की घाटियां और पठारों से गुजरती, उनके आते-जाते मूड्स के साथ बदलती परछाइयां और उन घाटियों के बीच उनकी सर्द ज्वालामुखी सी अंदर ही अंदर सुलगती आंखें एक ऐसा लोक निर्मित करती हैं, जहां जाने में डर भी लगता है और जहां जाए बिना रहा भी नहीं जाता है। लेखक और कैमरामैन दोनों के लिए अमिताभ बच्चन एक ईनाम हैं और चुनौती हैं। यह और बात है कि केबीसी के संचालक के रूप में उन्होंने एक सम्मानीय बुजुर्ग का चोला अख्त्यिार कर लिया है। टीवी में कुछ हद तक दर्शकों से धीरज का गुण छीन लिया। उन्हें हर चीज इंस्टेंट कॉफी की तरह तैयार चाहिए। उनके पास चेहरों की गहराई पढऩे का न समय है, न धीरज। ऐसे समय में अमिताभ जैसा अभिनेता, जिसने अपनी खामोशी को अपने चेहरे का व्याकरण और भाषा दिया है, क्या सोचता होगा? मेरा अपना ख्याल है कि टीवी पर उनका भरपूर इस्तेमाल नहीं हो सका है। हमने उन्हें सस्ते में छोड़ दिया। उनसे अभी और बहुत कुछ अभी मिल सकता था, पता नहीं अभी कितनी जंजीर, अभिमान, अक्स आनी बाकी है। अक्स मैं उनके लिए लिख चुका हूं। दिल्ली-6 में भी उनके लिए थोड़ा सा काम किया था। मगर बहुत सी कहानियां मैंने सिर्फ उनके लिए लिख रखी हैं, जो आज भी उनका इंतजार कर रही हैं। जैसे भैरवी, विधान, मधुशाला और कुणाल।
(लेखक)

: जावेद अख्तर

उन्हें तब से जानता हूं, जब उन्होंने पहली बार मुंबई में कदम रखा था। वे स्टैंड लेने वाले इंसान हैं, वरना आज इस मुकाम पर नहीं होते। कोलकाता में अच्छी खासी नौकरी छोडक़र अनिश्चितता से भरी इस इंडस्ट्री में आना और छा जाना आम इंसान के बस की बात नहीं। राजनीति में जाकर उन्होंने सिस्टम को सुधारने की कोशिश की। उन पर लांछन लगे, लेकिन वे बेदाग वापस लौट आए। आरक्षणजैसी संवेदनशील फिल्म में काम करना भी उनकी हिम्मत को दर्शाता है। वे इस बात की मिसाल हैं कि सच चाहे जितना परेशान हो, लेकिन अंत में जीत उसी की होती है।
(लेखक-गीतकार)
: शाजान पद्मसी
 उनमें स्टारडम और कमाल की अदाकारी दोनों  है। उन्होंने एनएसडी या उस जैसे दूसरे प्रतिष्ठित संस्थान से अदाकारी की ट्रेनिंग नहीं ली है, लेकिन इस कला में उनका नाम सबसे ऊपर है। मेरे पिता भी उनके बहुत बड़े फैन रहे हैं।
(अभिनेत्री)
 : जरीन खान
उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह जा सकता। यह अलग बात है कि वे इसका इस्तेमाल किसी पर अपना रसूख कायम करने के लिए नहीं करते।  ज्यादातर लोग अपने आभामंडल से सामने वाले पर हावी होने की कोशिश करते हैं। बिग बी ऐसा नहीं करते। यह उनका बड़प्पन है।
(अभिनेत्री)
: शक्ति कपूर
अभिनय कला में वे सब के बाप हैं। अपने जमाने में उन्होंने हीरो वाले रोल तो प्ले किए ही, ‘आंखेऔर राम गोपाल वर्मा की आगमें विलेन के रोल में भी कमाल के लगे। फिर पाजैसी फिल्म में अपने बेटे का बेटा बनना बहुत जिगरे वाला काम है। उनकी जैसी हिम्मत हो तो कोई काम नामुमकिन नहीं।
(अभिनेता)
: श्रेयस तलपड़े 
उनका व्यक्तित्व ग्रंथ है। हर पन्ने पर जीवन में आगे बढऩे लायक सैकड़ों चीजें मिलेंगी। सही मायनों में पेशेवर होना और काम के प्रति समर्पण की भावना सीखनी हो तो उनसे बेहतर और कोई नहीं हो सकता। उनकी संगत से कोई भी इंसान संयत बन सकता है।
(अभिनेता)
: सोनाली बेंद्रे
वे पिता सरीखे हैं। गोल्डी बहल और अभिषेक बच्चन बहुत अच्छे दोस्त हैं। अमित अंकल का भी आना- जाना हमारे घर रहा है। उनकी मौजूदगी से पूरे फिल्म जगत को लगता है कि उनके सिर पर संरक्षक का हाथ है। इस अहसास से सब काफी सुरक्षित महसूस करते हैं। हम सब खुशकिस्मत हैं, जो एक ऐसे युग में पैदा हुए जो साक्षात लिजेंड के दर्शन हुए।
(अभिनेत्री)
 : असिन
वे कमाल के पेशेवर इंसान हैं। बेहद सजग हैं। जानते हैं कि दर्शकों को क्या चाहिए? इसलिए छवि बदलने में जोखिम महसूस नहीं करते। एंग्री यंग मैन से लेकर टीवी प्रस्तोता के रूप में उन्होंने अपने भिन्न-भिन्न रूपों से हमें अवगत कराया है। वे सबमें काफी विश्वसनीय लगे। सहज इस मायने में हैं कि उन्हें किसी अच्छे कॉज के लिए अप्रोच करें तो वे ना नहीं करते।
(अभिनेत्री)
 : ओमी वैद्य
उनकी जितनी लंबी पारी खेलना नामुमकिन है। उनके समकालीन लोगों में किसी को ऐसी सफलता हाथ नहीं लगी। इसके पीछे अहम वजह उनका व्यवहार है। ईगो नहीं है। किसी भी रोल को कमतर नहीं समझते। तभी उम्र के इस पड़ाव पर भी उनको ध्यान में रखकर रोल लिखे जाते हैं।
(अभिनेता)
 : सतीश कौशिक
उनकी सफलता अविश्वनीय है। वे अपवाद हैं। उनकी व्याख्या नहीं की जा सकती। उनके साथ कई फिल्में करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बतौर साथी कलाकार उनसे बेहतर इंसान मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं देखा। वे ऐसे शख्स हैं, जिनके पदचिह्नों पर हर किसी को चलना चाहिए।
(अभिनेता-निर्देशक)
 : कुणाल खेमू
वे भले ही 70 साल के होने जा रहे हों, लेकिन मैं उन्हें यूथ आइकन मानता हूं। उन्होंने इस इंडस्ट्री को बहुत कुछ दिया है। असल जिंदगी में भी हर मायने में कमाल की शख्सियत हैं। अपने मेकअप मैन की फिल्में मुफ्त में करते हैं। दोस्तों या जानने वालों की फिल्मों के लांच समारोह में चले जाते हैं। वह भी बिना किसी टैंट्रम और लेटलतीफी के। आज के युग में ऐसे लोग कहां मिलते हैं।
(अभिनेता)
 : रूमी जाफरी
उनके सरीखा अनुशासित व्यक्ति मैंने कहीं नहीं देखा। मुझे याद है कई साल पहले मुंबई में एक ही दिन तीन अलग अलग जगहों पर समारोह आयोजित थे। तीनों दूर-दूर थे। इसके बावजूद उन्होंने सभी समारोहों में तय समय से पहले शिरकत की। उनकी यह आदत आज भी बरकरार है। समय से सेट और समारोह पर पहुंचते हैं। यही उनकी सफलता और बीमारी से सफलतापूर्वक लड़ कर वापस आने का राज है।
(लेखक-निर्देशक)
 : अर्चना पूरन सिंह
सिनेमा के प्रति उनका सेंस कमाल का है। बहुत जुनूनी हैं। रिसर्च से नहीं घबराते। अग्निपथसे लेकर मोहब्बतेंतक उनका रिसर्च ग्राफ देखा जा सकता है। अग्निपथके लिए जहां उन्होंने अपनी आवाज बदली, वहीं मोहब्बतेंमें एंग्री यंग मैन के बजाय एंग्री ओल्ड मैन की भूमिका में दिखे। इसके बाद उनकी छवि आइडियल पिता के रूप में उभरी।
(अभिनेत्री)
 : मुग्धा गोडसे
मेरी नजर में वे असल ग्रीक गॉड हैं। उन पर लड़कियां मरती थीं, लेकिन उन्होंने कभी खुद को कैसानोवा नहीं बनने दिया। आमतौर पर फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं होता, पर वे अपवाद थे। तभी एक-दो घटनाओं को छोड़ दें तो कभी उनके अफेयर के किस्से सुनने को नहीं मिले। वे मिसाल हैं संयम का।
(अभिनेत्री)
कुल कोट  : 25
: गौरव सोलंकी
अमिताभ हमारे पिताओं और बच्चों, दोनों को अपने दोस्त-से लगते हैं। ऐसा और कोई मशहूर व्यक्ति नहीं. यह अपनापन अनजाने में या जानबूझकर गढ़ा गया एक भ्रम भी हो सकता है लेकिन अमिताभ की छवि ऐसी है कि कोई भी उत्तरभारतीय मध्यवर्गीय परिवार उन्हें अपने घर के बुजुर्ग जैसा मान सकता है। बीस साल पहले तक वह उन्हें अपने लिए लडऩे वाला जवान बेटा मानता था। आप कस्बों और गांवों की ओर बढ़ेंगे तो वह छवि कई मिथक अपने साथ जोड़ती जाएगी। मसलन अपने बचपन में हम सबके लिए वही दुनिया के सबसे लंबे आदमी थे। मेरे पिता के लिए वे ऐसे आदमी हैं जिन्होंने अदभुत सफलता को अपने सिर नहीं चढऩे दिया और सब संस्कार बचाकर रखे।
(गीतकार-समीक्षक)

     : गुलशन देवैया
इस देश के हर उम्र के लोगों को पता है कि बच्चन साहब ही एकमात्र ऐसे सुपरस्टार हैं, जो सभी पीढिय़ों के करीब हंै। बच्चा-बच्चा जानता है कि बिग बी कौन हैं।
(अभिनेता)

        : रजत बरमेचा
बच्चन साहब 70 वें साल में वह सब कुछ कर रहे हैं, जिनकी हम सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। मेरे दिल में उनके और उनके द्वारा किए गए काम के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम है। मेरा सपना है कि उनकी उम्र का होने पर मैं भी उनकी तरह ही ऊर्जावान और सुंदर दिखता रहूं।
(अभिनेता)
        : रुसलान मुमताज
बिग बी मेरे लिए लार्जर दैन लाइफ शख्सियत हैं। वे इंडिया शब्द के समानार्थी हैं। मतलब यह कि अगर आप किसी विदेशी से कहो कि आप इंडिया से हो तो उसकी पहली प्रतिक्रिया होगी, ओह अमिताभ बच्चन। जो 3 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक की पहली पसंद है, वह सिर्फ और सिर्फ अमिताभ बच्चन है।
(अभिनेता)
: रानी मुखर्जी
मेरी खुशनसीबी है कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। ऐसे लीजेंड के साथ मैं फ्रेम शेयर कर सकी। मुझे इस बात की खास खुशी है कि मैंने उनके साथ ब्लैककी है। वह मेरे करियर की सबसे खास फिल्म है। उनसे मिलने और बातचीत करने में बहुत मजा आता है। वे अत्यंत विनम्र हैं। वे कभी सामने बैठे व्यक्ति को एहसास नहीं कराते कि वे अमिताभ बच्चन हैं। वे हमारे साथ हमारी उम्र के बन जाते हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है, जो अपने जीवन में अमल करती हूं और आगे भी करूंगी। काम के प्रति उनका समर्पण, ध्यान और फोकस उल्लेखनीय है। मैंने उनके साथ हमेशा एन्ज्वॉय किया। मेरी मुलाकातें ज्यादातर सेट पर ही हुई हैं। इसलिए अभिनेता अमिताभ बच्चन के बारे में ही कुछ कह सकती हूं।
(अभिनेत्री)
: सौरभ शुक्ला
 बच्चन साहब से सब परिचित हैं। वे कई पीढिय़ों के लिए बेंचमार्क हैं। संपूर्ण लिजैंड हैं। उनकी फिल्मों से एंग्री यंग मैन का इमेज आया। उनको देखकर लोगों का दबा गुस्सा बाहर आया। बिग बी एक्टर थे या नहीं, यह अलग मुद्दा है, लेकिन उनकी सरीखी ऊंचाई हासिल करना नामुमकिन है।
(अभिनेता)
: कल्कि कोइचलिन
मेरे ख्याल से हिंदुस्तान में सिर्फ दो लोग ऐसे हैं, जिनके पते पर सिर्फ उनका नाम लिखकर खत भेज दिया जाए तो वह आसानी से पहुंच जाए। एक राष्ट्रपति और दूसरे अमिताभ बच्चन। कमाल की शख्सियत हैं। वे इस बात की मिसाल हैं कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं। सतत साधना की बहुत जरूरत है।
(अभिनेत्री)
: सलमान खान
वे 70 साल के होने जा रहे हैं। उनको ढेर सारी शुभकामनाएं। उस इंसान में कमाल की दृढ़ता है। जबरदस्त ताकत है। आज भी पूरी तरह तरोताजा दिखते हैं। वे हर क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। सफल और संयत रहना कोई उनसे सीखे।
(अभिनेता)

 : सुजॉय घोष
मुझसे उनके बारे में पूछा जाए तो वे ऐसे फिल्म स्कूल हैं, जहां की क्लास हर किसी को अटेंड करनी चाहिए। कमाल के अदाकार और उतने ही अ'छे इंसान हैं। मृदुभाषी हैं। सफल हैं। सभी गुणों से परिपूर्ण इंसान की श्रेणी में उन्हें रखना चाहूंगा।
(निर्देशक)
 : विवेक अग्निहोत्री
हमारी जेनरेशन के लोग इस इंडस्ट्री में तीन ही लोगों की वजह से आए। सलीम-जावेद, तीसरे अमिताभ बच्चन। जिन्हें लेखक निर्देशक बनना था,उनके लिए सलीम-जावेद प्रेरणा थे। जिन्हें एक्टर बनना था, उनके जहन में सिर्फ अमिताभ बच्चन हुआ करते थे। मैं सबसे कहूंगा कि जब भी आप परेशानी महसूस करो, बिग बी को याद कर लिया करो। सारी शंकाएं दूर हो जाएंगी।
(निर्देशक)
: रजा मुराद
अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत हजार साल में एक बार पैदा होते हैं। वे खास हैं। किसी दूसरी मिट्टी के बने हुए हैं। उन्होंने जिंदगी में जितने उतार-चढ़ाव देखे हैं, उतना किसी और के साथ हो, तो वह बिस्तर गोल कर कहीं और रवाना हो जाए, मगर अमित जी ने ऐसा नहीं होने दिया। उनको देखकर एक शेर याद आता है कि हजारों साल नरगिस अपनी बेनुरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
(अभिनेता)
 : वरुण धवन
उनकी मेहनत के काफी चर्चे मैंने करण सर से सुने हैं। वक्त के पाबंद, कमाल की याददाश्त और गजब के हाजिरजवाब हैं। उन्हें साल 2000 में केबीसीमें देखा था। अब देख रहा हूं। कोई फर्क महसूस नहीं होता। कभी मिलने का मौका मिला तो जरूर पूछूंगा कि वे इतनी ऊर्जा लाते कहां से हैं। हर किसी के साथ अदब से पेश आना उन्हीं से सीख रहा हूं।
(अभिनेता)
 

Comments

R G SHYAM said…
बिग बी अपने आप में संम्पूर्ण है

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