महाभारत पर उठ रहे सवाल


-अजय ब्रह्मात्मज
    पिछले कुछ समय से प्रसारित ‘महाभारत’ पर हम ने कुछ विशेषज्ञों से बातें कीं। चूंकि ऐसे निरीक्षण को आलोचना मान लिया जाता है, इसलिए हम उनके नाम नहीं दे रहे हैं। ‘महाभारत’ संबंधित प्रतिक्रियाओं में उन्होंने कुछ भूलों, खामियों और भटकावों की तरफ इशारा किया है ...
    महाभारत के चरित्रों के कंधे पर यज्ञोपवित (जनेऊ) नहीं है। इस हफ्ते पहली बार पाण्डु ने यज्ञोपवित धारण किया। महिला चरित्रों को नथ (नाक के आभूषण) पहने दिखलाया गया है। इतिहासकारों के मुताबिक ईसा के 200 साल बाद भारत में नथ प्रचलित हुआ। महाभारत की कथा ईसा से पहले की है। वास्तु और स्थापत्य में पश्चिमी सौंदर्यबोध से प्रेरित कल्पना दिखती है। मुख्य रूप से लॉर्ड ऑफ द रिंग्स जैसी फिल्मों का स्पष्ट प्रभाव हैं। हस्तिनापुर में बर्फ से ढके पर्वत कहां से आ गए? गांधार के स्थापत्य में मुगलकालीन प्रभाव है। यहां पुरुषों ने जानवरों की खालें पहनी हैं,जबकि स्त्रियां सामान्य वस्त्रों में हैं। प्रासाद (महल) भव्य है, लेकिन उनका पुरातात्विक संदर्भ नहीं दिखता। अभिनेताओं की भाषा असहज और उनमें उच्चारण दोष भी है। हिंदी को कठिन करने के प्रयास से संप्रेषणीयता कम हो रही है। पिछले दिनों गंगा की उत्ताल तरंगों के लिए समुद्र की उछलती लहरें दिखाई गईं। नदी की तरंगों और समुद्र की लहरों में फर्क होता है।
    महाभारत एक तिलिस्म रचने की कोशिश कर रहा है। जैसे कि परशुराम एक गुफा में रहते हैं। गुफा से निकलते-घुसते समय पत्थर हवा में लहराने लगते हैं। वीरों के पास धनुष हैं, लेकिन तीर नहीं हैं। कई दृश्यों में कांच या शीशे के चलन के बावजूद गांधारी दीये जलाकर सोती है। अगर कांच आ गया है तो लालटेन और कंदील का इस्तेमाल किया जा सकता था।
    महाभारत की दुनिया मायावी लगती है, जिसमें विदेशी और पश्चिमी सौंदर्यबोध और सोच का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। इस मायावी दुनिया में अभी तक महिलाएं ही कथा के केन्द्र में हैं। वर्ष और दशक बीतने के बावजूद चरित्रों के चेहरे और केश में फर्क नहीं आया है। न तो उनके बालों में सफेदी आई है और न चेहरों पर झुर्रियां पड़ी हैं।



Comments

पूरा शोध महाभारत पर ही आधारित रखना था, इतिहासकारों के अपने राजनैतिक दृष्टिकोण रहे हैं।
आप जैसे लोगों के धायनकर्षण पर ही शायद इन्हे यज्ञोपवित की याद आई। स्पेशल इफेक्ट्स पर ही ज्यादा ज़ोर है...
shikha varshney said…
यह महाभारत एतिहासिक कम और ड्रामेटिक ज्यादा लगता है.

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को