अमिताभ बच्च्ान के बारे में-2
आगे पढ़ें जॉनी लीवर,यशपाल शर्मा,रणदीप हुडा,रिचा चड्ढा,केके मेनन,मनु ऋषि, चित्रांगदा सिक,संगीत सिवन,राहुल ढोलकिया,राम गोपाल वर्मा,मैरी कॉम,गौरी शिंदे,जेडी चक्रवर्ती,अक्षय कुमार,परेश रावलख्प्रीति लिंटा,करण जौहर और रवीश कुमार आदि के विचार अमिताभ बच्चन के बारे में...
: जॉनी लीवर
बच्चन साहब के साथ ‘जादूगर’ फिल्म में काम किया था। उनकी मेहनत देखकर दांतो तले उंगलियां
दबाने का मन करता था। याद है मुझे उस फिल्म की शूट चल रही थी। हम सब असिस्टेंट डायरेक्टर
से अपने-अपने सीन मांग रहे थे। उस दिन देखा था अमित जी कुर्सियों पर बैठे कुछ बुदबुदा
रहे थे। पता किया तो मालूम हुआ कि उन्होंने अपने सीन के स्क्रिप्ट हम लोगों से एक दिन
पहले ही मंगवा लिए थे। खुद पर शर्मिंदगी महसूस हुई।
: यशपाल शर्मा
‘आरक्षण’ में उनके साथ काम कर पता चल गया कि क्यों
उनका कद इतना बड़ा है। उनका स्टार पावर तो जबरदस्त है ही, अदाकारी के मामले में भी वे अपने समकालीन
और अगली पीढ़ी के कलाकारों से बहुत आगे हैं। वे इंडस्ट्री के एकमात्र कलाकार हैं, जिनको ध्यान में रखकर भूमिकाएं लिखी जाती
हैं। ‘पा’ और ‘ब्लैक’ जैसी फिल्में उनके सिवा और कोई नहीं कर सकता
था।
(अभिनेता)
: रणदीप हुडा
मेरे लिए उनके व्यक्तित्व पर कोई
टिप्पणी करना ‘छोटी मुंह बड़ी
बात’ सरीखी होगी। वे
इंडस्ट्री के ऑल टाइम लिजैंड हैं। वे नित नए कीर्तिमान गढऩे वाले इंसान हैं। संगीन
आरोपों का सामना करने के बावजूद उस चक्रव्यूह से बाहर निकलना सचमुच हर किसी के बस की
बात नहीं है।
(अभिनेता)
: रिचा चड्ढा
एक कलाकार के तौर पर उन्होंने देश
के लिए जो किया है, वह कल्पना से परे
है। उन्होंने खुद को रिडिफाइन किया है। आज
भी नाचते-गाते झूमते मिल जाते हैं। ‘बोल बच्चन’ ताजातरीन उदाहरण है इसका। हर इंसान को पूरी
इज्जत देते हैं। वे सही मायनों में अजीमो शान शहंशाह हैं।
(अभिनेत्री)
: के के मेनन
उनका हीरोइज्म को ‘विजय बच्चन’ नाम देना चाहूंगा। हमारी पीढ़ी के लोगों
ने हमेशा अमिताभ बच्चन बनना चाहा। वे एक परिकल्पना हैं। वे प्रेरित करते हैं कि कभी
मत थको, मत झुको, जीत तुम्हारे कदम चूमेगी। जिस तरह से विवादों, बीमारी और वित्तीय संकट पर उन्होंने पार
पाया, वह कोई रीयल लाइफ
फाइटर ही कर सकता है। मेरे ख्याल से दुनिया में उनसे बड़ा मोडेस्ट और कोई नहीं हो सकता।
(अभिनेता)
: मनु ऋषि
उन्होंने इंसानियत की एक नई क्लास
ईजाद की है। मेरे ख्याल से दुनिया में अच्छा आदमी, बुरा आदमी और तीसरा अमिताभ बच्चन होता है। याद है मुझे आइफा
अवार्ड समारोह में उन्होंने मुझे पुरस्कार देते हुए कहा, हाय मैं हूं अमिताभ बच्चन। यह सुनकर मैं
अभिभूत हो गया। वे सामने वालों को इतना कम्फर्ट देते हैं कि उसे किसी तरह की नवर्सनेस
महसूस नहीं होती।
(अभिनेता)
चित्रांगदा सिंह- अभिनेत्री
उन्हें अभिनेता कहना एक सामान्य कथन
होगा। अभिनय के टैग से परे उनका व्यक्तित्व बहुत हद तक लोगों को बेहतर करने की सीख
देता है। हिंदी सिनेमा को अपनी फिल्मों के जरिए एक अलग मकाम तक पहुंचाया है। किस अभिनेता
की तमन्ना नहीं होगी उनके साथ काम करने की।
(अभिनेत्री)
: संगीत सिवन
तेलुगू सिनेमा से हिंदी में आने की
मेरी सबसे बड़ी वजह बिग बी हैं। मैं कॉलेज के दिनों में उनका बहुत बड़ा फैन था,लेकिन हमारे परिवार में हिंदी और हिंदी सिनेमा
को सपोर्ट करने वाला कोई माहौल नहीं था। जब भी बिग बी की फिल्म हमारे यहां सिनेमाघरों
में लगती तो मैं कॉलेज बंक करके फिल्में देखने चला जाता। उनकी प्रेरणा और एंग्री यंगमैन
वाले जमाने का मेरे ऊपर काफी असर हुआ। मैं सिनेमा में उन्हीं की वजह से हूं।
(निर्देशक)
: राहुल ढोलकिया
अमित जी अपने आप में एक इंडस्ट्री
है। समय के बदलने के साथ ही उन्होंने अपने आप को भी बदला और प्रूव कर दिया कि वह एक
बेहतरीन परफॉरमर हैं। उतार-चढ़ाव इंडस्ट्री में हर व्यक्ति के जीवन में आते रहते हैं,लेकिन उनका करियर की बुलंदी पर पहुंचना एक
अभिनेता के अभिनय की ललक को दर्शाता है। वे पूरी तरह निर्देशक के अभिनेता हैं। मेरा
उनके साथ काम करने का बहुत ही मन है।
(निर्देशक)
: राम गोपाल
वर्मा- निर्देशक
मैंने उनके साथ बहुत काम किया है
और आगे भी करता रहूंगा। उनके बारे में बोलना बहुत ही प्रेडिक्टेबल है और लोगों को लगेगा
कि मैं अपना संबंध बनाने के लिए उनकी तारीफ कर रहा हूं। लेकिन, मुझे पता है कि मैं जो अंदर हूं, वही बाहर हूं। उनके जैसे विश्वसनीय लोग कम
ही हैं।
(निर्देशक)
: मैरी कॉम
वह बहुत ही जिंदादिल इंसान हैं। एक
स्पोर्टपर्सन होने के नाते मैंने उनके अंदर के अभिनेता को तुरंत समझ लिया था। मेरे
मेडल जीतने के बाद लोगों की बधाई का तांता लग गया,लेकिन अमिताभ बच्चन की बधाई मेरे लिए बहुत ही खास रही। इस उम्र
में उनका जज्बा हम खिलाडिय़ों को बहुत ही प्रोत्साहन देने वाला है।
(बॉक्सर)
: जे डी चक्रवर्ती
कौन नहीं काम करना चाहता है उनके
साथ। हम मूल रूप से हिंदी बोलने वाले लोग नहीं है,लेकिन उनका हिंदी बोलना हमारे लिए किसी सीख से कम नहीं है। उनकी
फिल्में देखकर हम जैसे कई दक्षिण भारतीय कलाकारों ने हिंदी बोलनी सीखी है।
(अभिनेता)
: गौरी शिंदे
विज्ञापन फिल्मों की कैचलाइन की तरह
हैं बिग बी। जहां जाते हैं वहां क्लिक हो जाते हैं। पा और चीनी कम में मैं और बाल्की
उनके एनर्जी लेवल का मुरीद हो गए थे। कभी-कभी तो हम थक जाते थे लेकिन उनकी ललक देखकर
हमें भी निरंतर काम करने की सीख मिलती है।
(निर्देशक)
: करण जौहर
अमित अंकल के लिए मैं क्या कह सकता
हूं। सारी दुनिया जानती है उनके बारे में। वे भगवान हैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के।
वे इंसान नहीं संस्थान हैं। मेरा मानना है कि उन्होंने अपने टाइम स्पैन में जो कुछ
किया, वह इनक्रेडिबल है।
लिजेंड के आगे का दर्जा दिया जा सकता है उन्हें। उनकी एक मौजूदगी है। वे जहां भी जाते
हैं, जिनसे मिलते हैं, उसेे प्रभावित कर देते हैें। हिंदुस्तान में एक ही अमिताभ बच्चन है और एक ही
रहेगा।
(निर्देशक)
: अक्षय कुमार
खुद को खुशकिस्मत मानता हूं, जो उनके साथ काम कई बार काम करने का मौका
मिला। वे जहां भी मिलते हैं, लंदन हो, टोरंटो हा या हिंदुस्तान का कोई शहर, मन में आदर भाव जग जाते हैं। उनके चरण स्पर्श
करता हूं। ऊपरवाले से यही कामना करता हूं कि मैं भी उनकी तरह नेकदिल इंसान बन सकूं।
सही मायने में पेशेवर होना और काम के प्रति समर्पण की भावना उन्हीं से सीखी है। उनकी
संगत और ट्विंकल के साथ ने मुझे संयत इंसान बनने में मदद की।
(अभिनेता)
: परेश रावल
उनकी जैसी ऊर्जा हो तो इंसान नामुमकिन
काम भी चुटकियों में कर ले। वे आज भी 20-20 घंटे काम
करते हैं। सोने से पहले सोशल साइट पर अपने प्रशंसकों के नाम मैसेज छोड़ते हैं। यह बताता
है कि इंसान चाहे तो अपने काम और संबंधों के बीच आसानी से संतुलन साधा जा सकता है।
रिश्तों को सहेजने की कला कोई उनसे सीखे। दोस्तों, परिचितों और समकालीन कलाकारों की मदद के लिए वे हमेशा तैयार
रहते हैं। वे पैट्रन हैं। वे कभी-कभी मस्ती
भी करते हैं।
(अभिनेता)
: प्रीति जिंटा
मैं उनकी बचपन से बहुत बड़ी फैन रही
हूं। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन जैसी हस्ती के साथ काम करने को मौका मिलेगा।
इंडस्ट्री में जब मैंने कदम रखा तो दो लोगों के साथ काम करने की दिली ख्वाहिश थी। एक
धरम जी और दूसरे अमित अंकल। धरम जी के साथ इसलिए, क्योंकि उनकी शक्ल मेरे पिता से काफी मिलती-जुलती थी, जबकि अमित जी को बतौर कलाकार मैं काफी चाहती
थी। सोने पर सुहागा यह रहा कि उनके साथ-साथ जया आंटी और अभिषेक के साथ भी काम करने
का मौका मिला। बिग बी संपूर्णता शब्द के समानार्थक हैं।
(अभिनेत्री)
: अर्जुन
रामपाल
वे फिल्म जगत के बादशाह तो हैं हीं, मैं उन्हें सबसे बड़ा मॉडल भी मानता हूं।
अपने दौर में उन्होंने जिन किस्मों के स्टाइल स्टेटमेंट से पूरी दुनिया को रू-ब-रू
कराया, वह कमाल का था।
मेरे ख्याल से आला दर्जे का मॉडल वह है जिन्हें लोग फिजिकल लिमिटेशन के बावजूद पसंद
करें। अमित जी में वह बात थी। वे बॉडी बिल्डर या तीखे नैन-नक्श वाले नहीं थे, पर उन पर लड़कियां जान छिडक़ती थीं। 60 के पार भी उनका जलवा रहा। विज्ञापन जगत
में वे धूम मचाते नजर आए। उनके दौर में विज्ञापन कंपनियां होतीं, तो शायद सबसे बड़े बै्रंड एंबेसेडर वह होते।
(अभिनेता)
: विपुल शाह
पहले तो मैं उनका सबसे बड़ा फैन हूं।
उनकी इतनी चीजों का मुझपर इम्प्रेशन है कि किसी एक चीज के बारे में बोलना गलत होगा।
‘आंखे’ के दौरान का वाकया सुनाता हूं। विक्रम फडणीस
फिल्म के कॉस्ट्यूम डिजाइनर थे। किसी कारण से सेट पर नहीं आ रहे थे। मैंने अमित जी
से कहा कि सर आप एक एसएमएस विक्रम को करें कि आप उनके कॉस्ट्ूयम में सहज महसूस नहीं
कर रहे हैं। उन्होंने किया। मैसेज मिला कि विक्रम सारी दुनिया छोडक़र दौड़ते-भागते अमित
जी के पास आए।
(निर्देशक)
: कुणाल कोहली
उनके सामने सुपरस्टार शब्द भी छोटा
पड़ जाता है। उनका नाम ही एक अलग कीर्तिमान है। सफलता को सिर न चढऩे देना और असफलता
को दिल में जगह न देना कोई उनसे सीखे। वे इंडस्ट्री के अकेले बेताज बादशाह हैं। उनकी
जितनी लंबी पारी खेलना नामुमकिन हैं। इसके पीछे अहम वजह उनका व्यवहार है।
े(निर्देशक)
: शरत सक्सेना
उनके बारे में क्या बताऊं, हर कोई उनसे वाकिफ है। वे ऐसे स्टार हैं, जिनमें घमंड लेशमात्र नहीं है। उनके साथ
‘शहंशाह’ से ‘बागवान’ तक कई फिल्मों में साथ काम करने का मौका
मिला। सेट पर वे अपने साथी कलाकार को यह कभी महसूस नहीं होने देते कि वे अमिताभ बच्चन
जैसे बड़े कलाकार के साथ काम कर रहे हैं। माहौल खुशनुमा बनाए रखते हैं। टिप्स भी देते
रहते हैं कि फलां शॉट कैसे करना चाहिए। हंसी-मजाक उनकी आदत में शामिल है। जिस दिन भावुक
सीन देने होते हैं, उस दिन थोड़े गंभीर
रहते हैं। हिंदी सिनेमा में इतना संपूर्ण एक्टर आया ही नहीं।
(अभिनेता)
: अनुपम खेर
वे हर एक इंसान के लिए इंसपिरेशन
हैं। उनसे काफी कुछ सीखने, समझने और
जिंदगी को दूसरे नजरिए से देखने का मौका मिला। वे हर हाल में खुश रहने वाले इंसान हैं।
उनकी जितनी कामयाबी किसी को नहीं मिली होगी,
लेकिन उनके जितना विनम्र इंसान मैंने नहीं देखा। कहावत है कि फल लगने पर पेड़ और
झुक जाता है, इसे वही चरितार्थ
करते हैं।
(अभिनेता)
: राजकुमार
गुप्ता
जबसे इस इंडस्ट्री में कदम रखा है, एक ही सपना है कि उनके साथ काम करना है।
उनको देखकर लगता ही नहीं कि वे 70 साल के
होने जा रहे हैं। जिस तरह वे सेट और समारोहों में नजर आते हैं, वे काफी कमाल की चीज है। हम लोगों को तो
अपने ऊपर शर्म आती है कि हम उनकी तरह क्यों नहीं बन पा रहे हैं? व्यक्तिगत तौर पर उनसे नहीं मिला, लेकिन उनके प्रभाव को मैं महसूस कर सकता
हूं। मैं इस वक्त खुलासा नहीं करूंगा, पर उनके
लिए कई किरदार मैंने सोच रखे हैं, जो उनके
ऊपर फिल्माना चाहता हूं
(निर्देशक)
: रवीश कुमार
अनुशासन अमिताभ बच्चन की सबसे बड़ी
कुंजी है । आरक्षण फि़ल्म के संदर्भ में उनके साथ रिकार्डिंग करनी थी । उससे पहले की
रात वे अंग्रेज़ी चैनल के साथ देर तक रिकार्डिंग कर रहे थे । लेकिन वे बिल्कुल डाट
समय पर पहुँचे । सभी कलाकारों से पहले और इस बात की परवाह भी नहीं की कि एंकर नया है
या पुराना । वे बच्चे की तरह मेकअप रूम में आए और मेकअप के लिए ख़ुद को हवाले कर दिया
। यह एक कलाकार के बने रहने के लिए बेहद ज़रूरी है कि वो अपने पेशे से जुड़े माध्यमों
में निरंतर दिलचस्पी बनाए रखे ।
अभिनय के अलावा उनके कुछ और पहलुओं
की बात करना चाहता हूं । अमिताभ की भाषा उच्च कोटी की है । हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों
। अगर आप उनके ट्वीट फालो करते हैं तो उनकी अंग्रेज़ी पर ग़ौर कीजिएगा । अमिताभ अपनी
भाषा में भी बेहद अनुशासित हैं । वे भाषा के साथ कोई लापरवाही नहीं करते हैं । हिन्दी
भी हिन्दी की तरह लिखते हैं । नए माध्यमों में भी उन्होंने भाषा के संस्कार से खिलवाड़
नहीं किया है । टाइपिंग की ग़लती को भी गंभीरता से लेते हैं और सुधार की घोषणा करते
हैं । इसीलिए बच्चन आकर्षक बने रहते हैं ।
बाज़ार के अभिनेता तो सब हैं लेकिन
उस बाज़ार में बच्चन की जगह उनके अभिनय से कहीं ज़्यादा माँग के अनुसार बदलने के आग्रह
से है । इस उम्र में भी वे ट्वीट करते हैं कि सुबह के चार बज रहे हैं, मुंबई में बारिश हो रही है और मैं शूट के
लिए निकल रहा हूं । वे कभी भी अपनी बोरियत थकान का जश्न नहीं मनाते और न ज़िक्र करते
हैं । इससे पता चलता है कि रोजग़ार को कितनी गंभीरता और सम्मान देते हैं । यह सब अनुकरणीय
है ।
(टीवी एंकर
और ब्लॉगर)
: राजपाल
यादव
उनका समर्पण,पैशन और लोगों के प्रति उनकी सोच ही उन्हें
इतने सालों से ऊपर बिठाए हुए है।उनके सामने मैं क्या हूं? फिर भी मेरे निमंत्रण पर वे अता पता लापता
का म्यूजिक लांच करने आए और कार्यक्रम में बैठे रहे। उन्होंने सभी के सामने मेरे कंधे
पर हाथ रख कर मेरा हौसला बढ़ाया। मैं उनकी दृढ़ता,गंभीरता और कमिटमेंट का आदर करता हूं।
(अभिनेता)
: निखिल द्विवेद्वी
बिग बी की शख्सियत का वर्णन नहीं
किया जा सकता। हम उन्हें सिर्फ महसूस कर सकते हैं। मेरे ख्याल से इंडस्ट्री में वे
अकेले ऐसे कलाकार हैं, जो कुली, डॉन या फिर रईस इंसान का रोल बखूबी निभा
सकते हैं। उनकी वजह से मैंने भी अदाकारी करने की ही ठानी।
(अभिनेता)
: नवाजुद्दीन
आमतौर पर इस इंडस्ट्री में वक्त को
लेकर ज्यादातर कथित स्टार लापरवाही बरतते हैं,
लेकिन बिग बी में ऐसा नहीं रहा है। वे वक्त के बड़े पाबंद हैं। उनकी इंटेनसिटी
मुझे बहुत भाती है। अपने किरदार में डूब जाना कोई उनसे सीखे। रिश्तों को निभाने में
उनसे बेहतर इनसान मैंने अब तक नहीं देखा। मेरा मानना है कि जो इंसान सफल है, अपना काम बेहतर तरीके से अंजाम देता है, वह नेकदिल भी जरूर होगा।
(अभिनेता)
: समीर कार्णिक
भारतीय सिनेमा को उनसे बेहतर कलाकार, स्टार और एक इंसान दुबारा शायद ही मिले।
उनके साथ बार-बार काम करने की इ'छा है।
मेरा सपना है कि उन्हें ‘गॉडफादर’ के रूप में देख सकूं।
(निर्देशक)
: पंकज त्रिपाठी
उन्हें यहां के तीन पीढिय़ों के दर्शकों
के बारे में पता है। सही मायनों में पेशेवर हैं। उनका नाम अमिताभ अनुशासन बच्चन होना
चाहिए।
(अभिनेता)
: अमोल गुप्ते
कमाल की शख्यिसत हैं। ज्ञान से भरपूर
हैं। विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं। उन्हें आज के दौर का पुरुषोत्तम कहूं तो अतिशयोक्ति
नहीं होगी।
(निर्देशक)
: सीमा आजमी
वे हर किसी के लिए प्रेरणा के स्रोत
हैं। ‘आरक्षण’ में पहली बार उनके साथ काम करने का मौका
मिला। सेट पर उस फिल्म की शूटिंग घंटों हुआ करती थी, लेकिन वे कभी आराम करते नहीं दिखते।
(अभिनेत्री)
: रणबीर कपूर
अभिनेता अमिताभ बच्चन के बारे में
कुछ भी कहना चाहूं तो ‘बर्बाद
करें अल्फाज मेरे’। वे फिल्म इंडस्ट्री
के साथ ही देश का चेहरा हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई मोड़ और ऊचाइयां दी हैं।
फिल्म, टीवी में हम उनका
साम्राज्य देख रहे हैं। कल को रेडियो पर आए तो हर तरफ उन्हीं की आवाज गूंजेगी। मेरी
जानकारी में फिल्म इंडस्ट्री में उनसे अच्छा इंसान देखने को नहीं मिला। कॉलेज के दिनों
में वे मुझे हर जन्मदिन पर बधाई जरूर देते थे। कभी घर पर नहीं रहा तो मैसेज छोड़ते
थे। ‘सांवरिया’ और ‘रॉकस्टार’ के बाद उन्होंने मुझे पत्र भी लिखे। उन्होंने
मुझे और इम्तियाज को डिनर पर बुलाया। वे नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने
हिंदी सिनेमा को ‘कूल’ बनाया है।
(अभिनेता)
: करीना कपूर
मेरा करियर उनके बेटे की फिल्म के
साथ शुरू हुआ। उन दिनों काफी मिलना-जुलना था। मैंने बाद में दो फिल्में भी उनके साथ
कीं। वे हिंदी फिल्मों के लिविंग लिजेंड हैं। हमारी पीढ़ी के सभी स्टार उनके जबरदस्त
फैन हैं। वे बहुत ही तेज, मधुर और
विनम्र व्यक्ति हैं। हम सब उनसे यह सीख सकते हैं।
(अभिनेत्री)
: प्रसून
जोशी
बिग बी को ब्रांड बिल्डिंग की जरूरत
नहीं है। मैंने उनके संग विज्ञापन फिल्मों में काम किया है। उनके लिए आईपीएल में गाने
लिखे हैं। वे हिंदी हार्टलैंड और मल्टीप्लेक्स दोनों वर्ग के ऑडिएंस को कनेक्ट करते
हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनकी भाषा
पर बहुत गहरी पकड़ है। इस बात का अहसास आज की पीढ़ी के के कलाकारों को भी होना चाहिए।
(लेखक-गीतकार)
: दीपिका
पादुकोण
मेरे पिता खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन स्पोट्र्समैन स्पिरिट बिग बी में भी
हैं। वे कभी थकते नहीं, हारते नहीं
और जबरदस्त वापसी करते हैं। उनके दौर के कुछ ही कलाकारों में यह बात है। मेरी कोशिश
रहेगी कि उनके नक्शेकदम पर चल सकूं। हैट्स ऑफ टू देम।
(अभिनेत्री)
: विमल कुमार
अमिताभ जब फिल्मों में आए उस समय
राजेश खन्ना की रोमांटिक फिल्मों का दौर रहा था, लेकिन उन्होंने यंग एंग्री मैन के रूप में युवा पीढ़ी को अपने
अभिनय से नई अभिव्यक्ति दी। वो दौर जे.पी. मूवमेंट का भी था, जब छत्र आंदोलन देश में फैल रहा था। अमिताभ
समाज में फैले अन्याय दमन और अत्याचार से मुक्ति दिलाने वाले नायक के रूप में सामने
आए। उनके दर्शकों में कुली, रिक्शाचालक
मिल के मजदूर भी थे, जो कहीं न कहीं
पीडि़त थे। अमिताभ ने उन्हें अपनी आवाज दी। अमिताभ के अभिनय की विविधता भी थी। एक तरफ
वो ‘आनंद’ कर रहे थे, तो दूसरी ओर ‘डॉन’
की भूमिका में थे। ‘रेशमा और
शेरा’ के गूंगे के रूप
में परिचय दे रहे थे तो वे ‘जंजीर’ के पुलिस इंस्पेक्टर थे तो ‘सिलसिला’ के रोमांटिक प्रेमी। ‘अभिमान’ के पति भी। बाद में हास्य कलाकार के रूप
में नई पहचान कायम की। ‘नमक हलाल’ और ‘अमर अकबर
एंथनी’ और बहुत बाद में
‘ब्लैक’ और ‘पा’ में एक नए तरह का अभिनय दिखाया। वे एक संपूर्ण
अभिनेता हैं। स्टार भी हैं और एक्टर भी। कई एक्टर अच्छे हैं, पर स्टार नहीं और कई स्टार हैं, लेकिन अच्छे एक्टर नहीं। अमिताभ उन सबसे
परे हैं।
(लेखक पत्रकार)
: मिहिर पंड्या
वे भिन्न थे। सिनेमा का ’अन्य’। और उन्होंने इसे ही अपनी ताक़त बनाया। उस ’सिनेमा के अन्य’ को सदा के लिए कहानी का सबसे बड़ा नायक बनाया।
वो ्रढ्ढक्र वाला अस्वीकार याद है, उनकी आवाज़
को मानक सांचों से ’भिन्न’ पाया गया था। जल्द ही उन्होंने वे ’मानक सांचे’ बदल दिए। पंजाब के देहातों से भागे गबरू
जवानों और पीढिय़ों से सिनेमा बनाते आए खानदानी बेटों के बीच वे एक हिन्दी साहित्यकार
के बेटे थे। वे एक ऐसे शहरी मायानगरी के महानायक बने जहाँ आज भी उनके गृहराज्य से आए
लोगों को ’भईया’ कहा जाता है। वे ज़रूरत से ज़्यादा लम्बे
थे। इसे उनके नायकीय व्यक्तित्व पर प्रतिकूल टिप्पणी की तरह कहा गया। फिर हुआ यह कि
उनकी यह लम्बाई उस ऊंची महत्वाकांक्षाओं वाले महानगर के सपनों की वैश्विक प्रतीक बन
गई। कहा गया कि वे नायिकाओं के साथ सफ़ल रोमांटिक जोड़ी कैसे बना पायेंगे? उन्होंने अपने सिनेमा में नायिकाओं की ज़रूरत
को ही ख़त्म कर दिया। अमिताभ ने हिन्दी सिनेमा की मुख्यधारा को हमेशा के लिए बदल दिया
और यह अलिखित नियम पुन: स्थापित किया कि चाहे यहाँ सौ में से नब्बे नायक हमेशा ’अन्दर वाले’ रहें, ’महानायक’ हमेशा कोई
बाहरवाला होगा। वे हिन्दी सिनेमा का ’अन्य’ थे,
फिर भी वे ’बच्चन’ हुए,
यही उनका हमको दिया सबसे बड़ा दाय है।
(फिल्म समीक्षक)
: डॉ चंद्रप्रकाश
द्विवेदी
‘रेशमा और
शेरा’ के एक मूक चरित्र
से लेकर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के मुखर अमिताभ बच्चन कुछ-कुछ हिंदी फिल्मों
की कहानी से लगते हैं - कुछ अच्छी,कुछ सच्ची और कुछ अविश्वसनीय.पर एक ऐसी कहानी
जिसे भूलना मुश्किल है क्यों कि इस अमिताभ-कथा में संघर्ष है,जिंदगी से लडऩे की जि़द है,संकल्प है,विडम्बना है,विरोधाभास है,जीवन का उत्सव और उल्लास है,रोमांच है,करुणा है,पीड़ा है और इन सबके मूल में गहरी आस्था, आशा,तथा अनुसन्धान
है.इसलिए यह कहानी अद्वितीय है।
‘सात हिन्दुस्तानी’ से लेकर अब तक चली आ रही सृजनात्मक संभावनाओं
के आविष्कार की अविस्मरणीय और विस्मयकारी कहानी है -अमिताभ बच्चन !
सत्तरवें जन्म दिवस पर शुभ कामनाएं
और दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थनाएं !
(लेखक -निर्देशक)
: विनोद अनुपम
अमिताभ को सफल होना ही था। इस सफलता
में कहीं न कहीं थोडा योगदान अमिताभ के व्यक्तित्व का भी था। उंचा कद जो कभी हिन्दी
सिनेमा के नायकों के लिए असामान्य माना जाता था,वही अमिताभ के लिए यू. एस. पी. बन गया, शायद उनके दर्शकों को अपने नायक का सामान्य
हिन्दुस्तानियों से अलग दिखना संतोष देता था। अमिताभ तो वही ‘बंशी बिरजू’ थे,
लेकिन फिल्में बदलते ही दर्शकों को एक नए अमिताभ का आभाष हुआ। अमिताभ के 1975 से 1990 के बीच की फिल्मों के
अधिकांश किरदार शहर के हाशिए पर पडे जीवन से जुडे दिखते हैं। ‘दीवार’ में उनकी भूमिका की शुरुआत डाकयार्ड के कुली से होती है जो बाद
में अपनी हैसियत ऐसी बना लेता है कि कह सके,
‘मेरे पास ग$ाड़ी है, बंगला है, पैसा है, तुम्हारे
पास क्या है’। अमिताभ यह सवाल
भले ही परदे पर अपने पुलिस अधिकारी भाई से करते दिखते हैं, लेकिन लोगों को लगता है उनके बीच का कोई
व्यक्ति पूरे आभिजात्य समाज से रु ब रु है। आज भी अमिताभ को देख उसी संतोष का आभाष
होता है।
(फिल्म समीक्षक)
: अनुराग
कश्यप
उनके जैसा अभिनेता बनने का ख्वाब
हर अभिनेता का होता है। हम तो बचपन में निर्देशक बनने की बजाय अमिताभ बच्चन ही बनना
चाहते थे। पिता जी के साथ हमारे लखनऊ जाने की एक ही वजह होती थी कि अमिताभ बच्चन की
फिल्में देखनी है। मुंबई आने के बाद थोड़ी सी मोहभंग की स्थिति हो गई थी लेकिन अब रिश्ते
फिर से सुधर रहे हैं। मैं जल्द ही उनके साथ एक शॉर्ट फिल्म की शूटिंग शुरू करने जा
रहा हूं। यह एक अभिनेता की कहानी है]जो उनके जीवन पर ही आधारित होगी।
(लेखक -निर्देशक)
: यश चोपड़ा
अमिताभ बच्चन को मैं उनके कुंवारेपन
के दिनों से जानता हूं। हमारी दोस्ती को चालीस साल से अधिक हो गए। उनसे जुड़ी मरी अनगिनत
यादें हैं। मेरे लिए वे अनमाल खजाने की तरह हैं।
अमिताभ बच्चन लिजेंडरी एक्टर हैं।
उच्च कोटि के अभिनेता हैं। मैंने उनके जैसा पेशेवर और समर्पित अभिनेता नहीं देखा। वे
न केवल अप्रतिम अभिनेता हैं,बल्कि अप्रतिम
इंसान भी हैं। वे अद्वितीय पति,पिता और
पुत्र हैं।
70 वें जन्मदिन
पर मैं उनके लिए प्रेम,स्वास्थ्य
और खुशी की कामना करता हूं। मैं चाहूंगा कि वे ऐसे ही देदीप्यमान बने रहें और हमें
यादगार भूमिकाएं देते रहें।
(निर्देशक)
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