बुलंद रहना एक च्वाइस है-रितिक रोशन


-अजय ब्रह्मात्मज
दिमाग का ऑपरेशन करवा चुके रितिक रोशन इन दिनों पापा राकेश रोशन के साथ ‘कृष 3’ के पोस्ट प्रोडक्शन में व्यस्त हैं। डाक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी है,लेकिन वे स्वास्थ्य लाभ के लिए मिली फुर्सत का उपयोग फिल्म की बेहतरी के लिए कर रहे हैं। करिअर के आरंभ से ही मिली चुनौतियों को परास्त करते हुए उन्होंने सफलता हासिल की है। इस बार हम ने फिल्म से ज्यादा उनके इस जोश को समझने की कोशिश की। ‘कृष 3’ में वे सुपरहीरो की भूमिका में हैं। निजी जिंदगी में उनका उत्साह किसी सुपरहीरो से कम नहीं है। उनके ही शब्दों में कहें तो ....
बुलंद रहना एक च्वाइस है। जिंदगी में चाहे जो कुछ हो, बुलंद रहना आप के हाथ में है। आप बिस्तर पर हो तो भी बुलंद रह सकते हो। ब्रेन में ....आप के दिमाग में होल हो रहा हो तो भी आप बुलंद रह सकते हो। आप का जो स्पिरिट है, वह आप के हाथ में है। अपने ऑपरेशन वाकये से यही मुझे रियलाइज हुआ है। यह तय करने में मुझे तीन सेकेंड लगे कि मुझे ऑपरेशन करवाना है। कई बार आप के सामने दीवार होती है, जिसे या तो आप पार करें या फिर उसे तोड़ें। मैंने उसे तोड़ दिया। उस वक्त मैंने सोचा कि मेरे हाथ में क्या है? मैंने पहले पूरी जानकारी ली कि मेरे ब्रेन में खून के थक्के से क्या गड़बड़ी हो रही है? पता चला कि खोपड़ी के बाएं साइड के एक हिस्से में खून क्लॉट कर चुका है। मैंने फिर उसे क्योर करने वाले बेस्ट डॉक्टर के बारे में जानकार बटोरी। अपनी बीमारी के बारे में पता किया। तब यही दोनों चीजें मेरे हाथ में थी। बाकी कुछ था ही नहीं। सर्च अभियान में मुझे 16 घंटे लगे। अगले दिन ऑपरेशन को हरी झंडी दे दी। लाइफ मे हर मोड़ पर रिस्क फैक्टर तो होता ही है। मैं अगर यह सोचने लग जाता कि ऑपरेशन के दौरान कहीं डॉक्टर की सुई स्कल के अंदर दिमाग के नसों तक चली गई या उन्हें किसी ने हल्का धक्का दे दिया तो  क्या होगा? मैंने अपने आप को अनुमति ही नहीं दी के इन परिणामों के बारे में सोचूं। मैनें तथ्यों पर गौर फरमाया। मैंने डॉक्टर से पूछा। आप ने कितनी बार इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है। उसने कहा, मैंने तकरीबन 120 बार ऐसे ऑपरेशन किए हैं। मैंने उनसे फिर पूछा गड़बडी़ कितनी बार हुई? उन्होंने कहा, एक बार भी नहीं,लेकिन पांच प्रतिशत गड़बड़ी की संभावना रहती है। तो फिर मैंने सोचा, मैं डरूं क्यूं? फाइव पर्सेंट रिस्क है। हमेशा होता है। ऑपरेशन टेबल पर उन्होंने मुझसे पूछा कि आप को लोकल एनिसथिसिया चाहिए कि जनरल। मैंने कहा, लोकल। मैं एक्सपीरिएंस करना चाहता हूं। सब कुछ देखना चाहता हूं। मैंने देखा , वे अपना ड्रिल घुसा रहे हैं मेरे स्कल के अंदर। ब्लड बाहर जा रहा है। तीन बार खून निकला। पिचकारी की तरह। सचमुच माइंड ब्लोइंग एक्सपीरिएंस रहा। मुझे लोगों से इतना प्यार, समर्थन और दुआएं मिली कि मैं उन्हें शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
    उस अनुभव के बाद मुझे लगा कि लोग यह सब छिपाते क्यों हैं? अपनी बीमारियां हम क्यों छिपाते हैं? जब मेरी शादी भी हो रही थी तो लोगों ने मुझ से यही कहा कि मत बताओ। ऑपरेशन के वक्त भी लोग मुझसे छिपाने को कहते रहे। मैंने कहा, क्या छिपाऊं? क्यों छिपाऊं? मैंने अगले ही पल ऑपरेशन से एक दिन पहले फेसबुक पर अनांउस किया कि मैं ऑपरेशन के लिए जा रहा हूं और मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। मेरे स्टेटस ने लोगों को काफी एन्सपायर किया। मैंने हॉस्पिटल में एक पोयम भी लिखा इस एक्सपीरिएंस पर और उसे फेसबुक पर डाला। उस पोयम ने लोगों को इतना इन्सपायर किया कि लोगों के जेहन से ऑपरेशन का डर ही निकल गया। सो, मैंने क्या किया? मेरे सामने एक चैलेंज आया। उसे मैंने ओवरकम किया और अपना एक्सपीरिएंस लोगों से शेयर किया। इससे सीखने को यह मिलता है कि अगर आप के सामने कोई चैलेंज आए तो वह असल में एक अवसर है। उसे दोनों हाथों में लेकर जूझ पड़ो।
    मेरी जिंदगी में हमेशा चुनौतियां रहीं। मेरे हैल्थ को नजर में रखते हुए भविष्वाणी सी की गई थी कि मैं कभी एक्टर नहीं बन सकता। उसे झुठलाया तो पापा ने ही चुनौती दे दी। पहली ही फिल्म में डबल रोल ़ ़ ़उसके बाद भी ऊिल्म करिअर और परिवार में अनेक मुश्किले आईं। मैंने महसूस किया कि अब तक मैं अपने चैलेंज से बैकफुट पर रहकर लड़ रहा था। मैं डिफेंसिव था। इस बार मैंने कहा और दिखाया कि अब आ जा भइया। अब ब्रेन में एक होल हो या दस। देख लेते हैं। अब मैं थकने वाला भी नहीं हूं। मैं अभी एफर्टलेस हो गया हूं। चुनौतियों को देखता हूं। उस पर हंसता हूं और मुझे जो करना है, मैं किए जा रहा हूं तो उनसे मुझे कुछ अफेक्ट ही नहीं हो रहा है।   
    जी हां, लोग मुझे सुपरहीरो पुकारते रहते हैं तो अब मैं उनसे कहता हूं कि सुपरहीरो बनने में तीन सेकंड का वक्त लगता है। यह महज आप की एक च्वाइस और डिसीजन है। सही बात है कि नहीं...अगर आप सही निर्णय लेते हैं और उस पर फर्म रहते हैं तो आपकी कहानी यूं चेंज हो सकती है। अगर आप अपना स्टेटस चेंज करते हैं तो आप की जिंदगानी निश्चित तौर पर बदलेगी। कभी ऐसा भी हुआ कि कल सुबह इंटरव्यू देना है। रात को कुछ ऐसी बात हुई कि सुबह मेरा मुंह लटका हुआ है। मैंने पहले इंटरव्यू कैंसिल कर दिया है। अब मेरा मानना है कि वैसा करना सही नहीं है। सभी के समय और व्यस्तता की कीमत होती है। अब मैं मानता हूं कि कहा है तो करो।
    अस्पताल से निकलने पर मैंने मीडिया से बात की। इसे कुछ लोगों ने सही संदर्भ में नहीं देखा। मेरे ख्याल से मेरा काम है कि लोगों की सर्विस में लगे रहना। मैं उन्हें कुछ कॉन्ट्रिब्यूट कर रहा हूं। अपनी फिल्मों के जरिए उन्हें प्रेरित कर रहा हूं। ‘कृष 3’ को देख लोगों के अंदर यह भावना जागेगी कि वे बुराई के खिलाफ खड़े हों। ताकतवर इंसान बनें। कमजोरों की रक्षा करें। उस लिहाज से मेरी जिम्मेदारी है कि मैं हमेशा लोगों को इंस्पायर करता रहूं। वैसा करने के लिए मुझे कोई मौका मिले तो उसे यूं ही नहीं गंवाने दूंगा। अस्पताल से बाहर आने के बाद यह बताने की जरूरत है ही नहीं कि मैं फिट एंड फाइन हूं। अगर कोई झूठ-मूठ का बताए तो वह कभी लोगों को इंस्पायर नहीं करेगा। प्रेरणा बहुत प्योर चीज है। वह आप को किसी झूठी चीज से मिलेगी नहीं। अस्पताल से डिस्चार्ज के समय सब बोल रहे थे कि हम पीछे से निकलेंगे। बाहर बहुत मीडिया है। मैंने कहा, नहीं। अगर मेरे पास लोगों से कुछ कहने को है तो मैं उनसे क्यों छिपूं? मैं उनके समक्ष जाऊंगा तो लोगों के चेहरे पर मुस्कान आएगी। ऑपरेशन से गुजर कर मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। वह फीलिंग मैं सबों में बांटना चाहता था। मेरा सोचना सही साबित हुआ। मुझे ढेर सारे डॉक्टर के मैसेज मिले कि अब उनके मरीजों का ऑपरेशन की प्रक्रिया से गुजरने से डर खत्म हो गया है। वह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी। एक इंसान का भी डर दूर कर देना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। 

Comments

deepakkibaten said…
रितिक वाकई सुपरहीरो हैं!

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