शत्रुघ्न सिन्हा से बातचीत
शत्रुघ्न सिन्हा से हुई बातचीत का आखिरी अंश...यह बातचीत पुानी है,लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा की सोच और समझदारी को ऐतिहासिक संदर्भ देती है।
- अच्छा अगर हम मान लें आप बिहार के मुख्य मंत्री होने जा रहे हैं तो
बिहार की तीन
महत्वपूर्ण समस्या क्या होगी जिसे आप खत्म करेंगे?
0 आप ये मान कर चले रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा परंतु मैं एक आम
नागरिक के तरह बात कर रहा हूं। भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी या कार्यकर्ता
हैसियत से बात कर रहा हूं। ये आपका बड़प्पन है कि आपने मुझे सम्मान दिया तीनों
चीजें एक दूसरे जुड़ी हुई है अलग नहीं हैं वे एक दूसरे की पूरक हैं दरअसल मैं चार
चीज कहूंगा पर चारों एक दूसरे से जुड़ी हुई है सबसे पहले शांति अगर होगी तब लोग
सुरक्षित महसूस करेंगे। सुरक्षित जब महसूस करेंगे तभी विकास होगा। विकास होगा तभी
प्रगति होगी। विकास होगा तभी गरिमा आएगी। खुशहाली आएगी। ये चार चीज है शांति,
सुरक्षा, विकास और गरिमा चारों अलग-अलग ले लें, परंतु चारों एक
दूसरे से जुड़ी हुई है तब तक शांति नहीं होगी जातिवाद खत्म नहीं होगा। दहशत की
आंधी खत्म नहीं होगी लोग एक गांव से दूसरे गांव तक नहीं जा पाएंगे सुरक्षित महसूस
कर के नहीं जाएंगे। तब तक वो सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे अपने आप को सुरक्षित रहने
पर ही विकास की बात होगी। जब विकास होगा तभी हम खोई हुई गरिमा वापस ला सकते हैं।
आज लोगों बिहारी कहने में शर्म आती है पर एक जमाना था जब लोग कहते थे बिहार यानि
बुद्ध का बिहार आज चंद लल्लुओं के वजह से बुद्धूओं का बिहार बनकर रह गया है। लोग उसका मजाक उड़ा रहे हैं।
तो वही चार चीजें हैं विकास में रोटी भी आएगी, रोजगार भी आ गया लेकिन रातों रात चमत्कार नहीं हो
सकता। शांति कायम करना जरूरी है। सालों का दिया हुआ कैंसर महीनों दवा दारू से ठीक
नहीं होगा।
- लेकिन पिछड़ी जाति का जो राजनीतिकरण हो चुका है चाहे लालू यादव ने किया
या नितीश कुमार ने ...
0 ये समुद्र की लहरों की तरह है। टूट जाएगा बिखर जाएगा। लहर को तो आप बनाए
नहीं रख सकते। ये क्षणिक है क्योंकि खून का रंग लाल होता है चाहे वो दलित का हो,
ठाकुरों का हो या हरिजनों का। रोटी को
नहीं पहचानती है और ये जो आजकल आतंकवादी हैं सही मायने में वे ही धर्म निरपेक्ष
होते हैं। वो हिंदु को भी उसी तरह से मारता है जैसे मुसलमानों को, मारवाड़ी को भी व्यापारी को भी या गरीब को भी
बात तो बिल्कुल सच है कि सबसे ज्यादा मारे गए तो वही पिछड़ी जाति के लोग हैं सबसे
शोषित आखिर कौन मार खाता है। जो दुर्बल होता है, कमजोर होता है सिर्फ शरीर से नहीं आर्थिक रूप से भी
इसीलिए इस असंतुलन को संतुलित करना पड़ेगा। इसे हटाना होगा। एक माहौल बनाना होगा।
आज लालू यादव एम ओ यू साइन कर के आ रहे हैं। अरे ये एन ओ यू किया होगा वो चाहता है
कि बिहार में पूंजी निवेश हो मैं गद्दार बिहारी रहूंगा कि बिहार में पूजी निवेश
नहीं हो। लेकिन पूंजी निवेश करने वाला ये जरूर सोचेगा कि किस के पास पूंजी रखूं जो
सरकार की पूंजी हड़पती जा रही है, जो
गरीबों का हरिजनों का स्कॉलरशिप पशुपालन में इतना डलवा दिया और चार साल से हरिजन
बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं मिल रहा है और विधवाओं को पेंशन नहीं मिल रहा है और
पशुपालन विभाग में नौ वितीय वर्ष में टोटल घाटा ओवर ड्राफ्ट हुआ चौवालीस करोड़ और
छह वितीय वर्ष पूरा नहीं हुआ और उसमें छह अरब सात करोड़ का .. ये तो वो है जो
सामने आया है पकड़ा गया है छह सौ सात करोड़ का घाटा सिर्फ 6 साल में जो पूरे नहीं
हुए .. और उन्नीस सौ चौरानवे-पंचानबे में 67 करोड़ मिला था जिस में चुनाव हुआ है
तो 67 या 65 करोड़ का एजुकेशन था और निकला दो सौ 67 करोड़ क्योंकि महंगाई का वक्त
था चुनाव था और इस वक्त तो देना भी पड़ता है लोगों को तो इसका मतलब हुआ 2 हजार
मुर्गीयां और पांच करोड़ का दाना... साल
के बाद साल यही चलता रहा ... कैसे मुख्य मंत्री इस चीज से वंचित रह सकते हैं। वो
कह ही नहीं सकते ये मुझे मालूम नहीं था। अगर सांच में आंच है तो बुलाओ सी ़बी ़आई
़ को। इसलिए नहीं बोलता कि सीबीआई दूध की धूली हुई है सेंटर में तो हम इसलिए इसकी
मांग नहीं कर रहे हैं क्योंकि ये प्रधान मंत्री के अधीन है। देश में तो कोई दूसरा
चारा नहीं होगा परंतु बिहार में सीबीआई मुख्य मंत्री के अधीन नहीं है इसलिए उम्मीद
की जाती है कि निष्पक्ष फैसला करेगी। वहां की पुलिस अपने ही मालिक के खिलाफ कैसे
कारवाई करेगी। ये आप कैसे कह सकते हैं जब कि आप मुख्य मंत्री के साथ-साथ वितमंत्री
भी रहे हैं। आपको तो ऐसे ही मुख्य मंत्री बने रहने का हक नहीं है हो सकता है पहले
साल आपको पता न चला हो दूसरा साल भी निकल गया। परंतु छह साल में भी पता नहीं चला ़
़ ़ आपको पता चलवाया गया आपको झकझोड़ा गया और तब आप कहते हैं आप कारवाई कर रहे
हैं। उस पर हाई पावर कमिटी बैठाई गई है हाई पावर कमिटी के सदस्य वही हैं जो इस घोटाले के जिम्मेदार
हैं। जिन्होंने कल तक लूट की है उन्हें को आप फैसला करने के लिए बैठा दिया गया है।
बताइये ये कैसे हो सकता है्र मुख्य मं0ी जब कहते हैं सांच में आंच किया क्यों नहीं
इस निश्पक्ष एजेंसी को आने देते हैं। बिहार के मामले में तो मैं यही कह सकता हूं
किसके हाथ में लहू तलाश करूूं। तमाम शहर ने पहने हुए हैं दस्ताने। सारे जनता दल के
सदस्य दस्ताने पहने हुए हैं तो कैसे कोई बिहार आए ऊपर से पूंजी निवेश का मामला
पावर नहीं है। सेक्ट्रीएट पर पावर है ना ही खेतों में तीसरी जो महत्वपूर्ण बात है
रंगदारी टेक्स ये गुंडा गर्दी, ये
जातिय उनमाद, ये भिन्न-भिन्न
सेनाऐं अपराध ... कौन मूर्ख होगा जो आएगा बिहार में। जब तक आप वातावरण नहीं पैदा
करेंगे तब तक कौन आएगा बिहार में।
- राज्य सभा में अब आप एक आवाज बनकर आएंगे। अब तक जिन जिन चीजों पर आपने
आवाज उठाई है उसके आधार पर राज्य सभा में आपकी प्राथमिकता क्या होगी?
0 घटना क्रम में इतनी तेजी से परिर्वतन होता रहता है कि आज कहना बहुत
मुश्किल है उस वक्त हवाला चलेगा या घोटाला या आतंक चलेगा या उगड़वाद चलेगा। जम्मू
कश्मीर चलेगा या बिहार में आई एस आई का घुसपैठ होगा या की बंगलादेशियों की घूसपैठ
चलेगी या कहीं कोई गोली कांड या हत्या कांड हो चुका होगा। कहना बहुत मुश्किल है
इतना जरूर कहूंगा अपने विरोधी दलों के लोग से भी कि अगर बिहार के हित का मामला हुआ
या देश के हित का मामला हुआ तो मैं विरोधी दलों के साथ ही चलूंगा। अगर हमारे घर
में आग लगी हो और कोई बलत्कारी भी आग में पानी डालेगा तो में उसके कार्य की
प्रशंसा करूंगा। मदद ले लूंगा मैं क्योंकि हमारे घर में आग लगी हुई है। उस समय मैं
ये नहीं पूछने बाला हूं कि तुम खूनी हो कि बलात्कारी। बिहार अगर मेरी जन्मभूमि है
तो महाराष्ट्र मेरे लिए कर्म भूमि है। बिहार अगर मेरे लिए देवकी मइया है तो
महाराष्ट्र मेरे लिए यशोदा मइया है। महाराष्ट्र के लिए मेरे लिए उतनी ही पीड़ा है
बात जिस भी प्रांत की होगी मैं आवाज उठाऊंगा परंतु प्राथमिकता अवश्य बिहार की
होगी। और देश की।
- इन जानकारियों के लिए आप पार्टी स्रोतों पर ज्यादा निर्भर करते हैं या
निजी स्रोतों पर?
0 निजी स्रोतों के साथ मैं पार्टी स्रोतों का भी ध्यान रखता हूं। अखबार का
निचोर भी मेरे सामने होता है। मैं ये चाहता हूं कि कोई बात करूं तो पुख्ता बात
करूं। आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ही मैं चाहता हूं कि कोई बात करूं आपने देखा
होगा कि मैंने शायद ही कभी अपने बातों का खंडन किया होगा कि नहीं साहब मैंने ऐसा
नहीं वैसा कहा था। इसीलिए शायद अखबार वाले मुझे पसंद करते हैं। मैं जल्दी पीछे
नहीं हटता हूं और अपनी बातों को काटने की कोशिश भी नहीं करता हूं ताकि उनकी इज्जत
मटियामेट हो जाए अगर मैं गलत करता हूं तो स्वीकार भी करता हूं कि मैंने गलत किया
हूं मैं अखबार वाले मित्रों का आभारी हूं क्योंकि उन से भी जानकारी इक_ा करता हूं। तो इन तीनों स्रोतों से मैं
जानकारी इक_ा करता हूं लेकिन जोश
की राजनीति नहीं करता। होश की राजनीति करता हूं। जब किसी बात के लिए आवाज उठाता
हूं तो पूरा अध्ययन कर के ही उठाता हूं। पशुपालन के विषय में मैंने अभी नहीं कहा
पर आपके आने से पहले मैं पशुपालन से संबंधित जानकारियों का अध्ययन कर रहा था। अभी
सुमंत मिश्रा ने कुछ नया बोल दिया है अब मैं अलकतरा के बारे में भी बोल सकता था पर
चूंकि मैंने अध्ययन नहीं किया है इसलिए नहीं बोला। अभी नये-नये कई निकलेंगे दूसरा
एक उदाहरण है शिक्षा से संबंधित उसका भी करीब सौ करोड़ का आ चुका है पर उसका भी
अध्ययन मैंने अभी नहीं किया है। इसलिए मैं चाहूंगा कि जो भी बात करूं ठोस करूं और
पुख्ता करूं। हमारी बस एक ही मनसा है जनहित, समाज के लिए मैं काम करूं। बात बहुत घिसी-पिटी लगती
है। बार-बार कहने से लगता है ये अपना महत्व खो चुकी है। कई नेताओं ने भी राजनीतिक
की छवि बिगाड़ दी है इसलिए कभी-कभी डर भी लगता है। कहीं इनके साथ रहते-रहते
शत्रुघ्न सिन्हा भी बौना न हो जाए पर फिर भी देखता हूं आजकल जो उससे ऐसा नहीं लगता
है अभी कुछ साल पहले जो बनारस गया था हर हर महादेव की उद्घोषणा हुई थी। जो एलीजा
बेथ की बात हुई तो डर भी लगता है कि लोगों की अपेक्षा उनकी उम्मीद मुझ से बहुत
ज्यादा है। वो देखते हैं इतने सालों के बाद भी इसके ऊपर कोई आरोप नहीं है कोई डली
नहीं हुई है। कोई लाइसेंस नहीं कोई स्कैंडल नहीं। गलती से इसकी पारिवारिक जिंदगी
भी अच्छी है। ... तो ऐसा मॉडल उन्हें बहुत कम नजर आता है। वो ये नहीं कहेंगे कि
आपको फिल्मों की क्या जरूरत है जो करोड़पति है वो अरबपति बनना चाहता है जो चोरी
करने वाला होता है मुंह चोर है महाचोर
बनना चाहता है। चरित्र ठीक होना चाहिए। पैसा कोई आधार नहीं है। सबसे ज्यादा
टेक्स की चोरी वही करते हैं जो सबसे ज्यादा कमाते हैं। मुझे खुशी है कि मेरे ऊपर
ऐसे-ऐसे व्यक्तित्व का असर पड़ा है।
- ऐसा भी होता कि अगर आप समृद्ध
हैं तो चरित्र भ्रष्ट होने की संभावना कम हो जाती है। उदाहरण के लिए अगर मैं भूखा
हूं तो मैं एक रोटी चुराना चाहूंगा। लेकिन अगर आपका पेट भरा है तो शायद ये नहीं
करेंगे?
0 ये प्लस पाइंट तो है ही। इसे इंकार नहीं किया जा सकता है। अब तो इतना
भगवान ने दिया है कि एक ही काम हो सकता है कि मैं नोट खाना शुरू कर दूं। नोट की
सब्जी बना लूं।
- आजकल जो नेता दस एक हजार के पीछे इधर से उधर हो जाते हैं। वैसी उम्मीद
शत्रुघ्न सिंहा से तो नहीं की जा सकती है?
0 हां ये बात सही है कि मुझे कभी-कभी लगता है कि मेरा बौना कद हो गया है।
फिर सोचता हूं कि सिर्फ ये कहने से काम नहीं चलेगा कि राजनीति गंदी हो गई है। अगर
घर गंदा है तो साफ कीजिए उसे और ये बहुत आसान है ये कहना बिल्कुल गलत है कि
राजनीति शैतानों का अंतिम अड्डा है। ये सही भी है ज्यादा बदमाश आ गए हैं राजनीति
में। बिहार से लेकर जगह-जगह में भर गए हैं। चूंकि अच्छे लोग आ नहीं रहे थे इसलिए
बदमाश लोग आ रहे हैं। मगर मशहूर दार्शनिक प्लेटो ने कहा था कि अगर अच्छे लोग
राजनीति जाने के लिए तैयार नहीं हैं तो उन्हें तैयार होना चाहिए। बुरे लोगों की
सरकार में घुट-घुट कर जीने के लिए। इसलिए मैंने अपने रिटार्यमेंट का इंतजार नहीं
किया। मुझे खुशी होती है जानकर कि फलाना जनरल आ गए, फलाना साइंटिस्ट आ गए, फलाना डाक्टर आ गए हैं रिटार्य जनरल पुलिस आ गए हैं।
हाई कोर्ट जज आ गए, सुपरीम कोट के जज आ गए, लेकिन मुझे और खुशी होती जब ये जवानी के समय आते। पर
फिर भी सोचता हूं देर आए दुरूस्त आए। कुछ अच्छे लोगों का ही असर है कि मैंने अभी
फैसला कर लिया राजनीति में आने का। उपेक्षाएं भी सुनी, तिरस्कार भी देखा, दमन भी देखा अब उसके बाद कल तक जो अछुत समझ रहे थे वो
आज चरण छूने के लिए आ रहे हैं। ये भी देख रहा हूं कि लोग बदलते जा रहे हैं।
- अभी शबाना आजमी ने कहा है कि भाजपा के आप आखिरी उम्मीद हैं?
0 शबाना आजमी मेरी अच्छी मित्र हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि वो बुद्धी
जीवी हैं। बड़े अच्छे से उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप में मुझे बधाई दी है तो उम्मीद
तो देखी मुझ में। भले ही भाजपा के आखिरी किरण के रूप में लेकिन अगर वो समझती हैं
कि मेरे बाद भाजपा की दुकान बंद हो जाएगी तो मैं ये कहूंगा कि व्यक्ति महत्वपूर्ण
नहीं है। द शो मसट गो ऑन शत्रुघ्न सिन्हा है या नहीं तो भी सब कुछ चलता रहेगा। मैं
शबाना जी का आभारी हूं अप्रत्यक्ष रूप में ही सही उन्होंने बधाई तो दी। थैंक्यू
शबाना।
- फिल्म और राजनीति में आप पूरी तरह से जुटे रहे आजकल जो गठजोड़ सामने आ
रहा है उससे आप कैसे बचे रहे या अनजाने में भी फंसे नहीं?
0 हां इस बात से मुझे ताजुब होता है। कुछ ताजुब है तैयारियां मेरे पास भी
कई लोग आये थे कि चलीए साहब रेड कारपेट टीटमेंट मिलेगा। कुछ लोग आए बैठे रहे
चार-छह घंटे घर पर मैंने कहा कि आज हो बोऊंगा उसे कल तो काटना ही है इसलिए मैंने
साफ ना कह दिया।
- क्या आप शुरू से ही सावधान रहे क्योंकि इस में बड़े-बड़े लोग फंस चुके?
0 दुर्भाग्य है ... हालांकि मैं कहूंगा फिल्म वालों ने जो किया वो अपराध
नहीं किया। उन्होंने बेवकूफियां की जो मुजड़ा बोइश बन कर जाते रहे अभी इन लोगों ने
बाल ठाकरे के सामने जा कर ये कहा कि शत्रुघ्न हम लोगों को मुजड़ा बोईश कह रहे हैं
ऐसे वैसी बात कर रहे हैं। हम क्या करें हम तो कलाकार हैं तो हमने जवाब दिया तुम
कलाकार हो तो क्या शत्रुघ्न, अमिताभ
बच्चन, धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना ट्रक ड्राईवर है ़ ़ ़ तुम ज्यादा
बड़े कलाकार हो, हमलोग तुम से
ज्यादा लोकप्रिय हैं। तुम से ज्यादा बार विदेश गए हैं। हमलोग तुम से ज्यादा
हमलोगों ने धन अर्जित किया तो क्या हमें नहीं बुलाया गया होगा? तुम से ज्यादा बार बुलाया गया होगा ़ ़ ़
लेकिन बात ये है कि ये लोग नादान हैं ज्यादा ये शराब सबाब और कबाब वाले हैं। ना
देश से मतलब है ना समाज से मतलब है देश से मतलब है तो भी बस पर्दे पर ही कहते हैं
कि हम ये कर जाएंगे, वो कर
जाएंगे देश के लिए। पर ज्यादातर ये लोग कुएं के मेठक हैं इनको इन से ज्यादा मतलब
नहीं है। ये ना तो भाजपा के साथ हैं ना कांग्रेस के साथ ज्यादातर ये लोग सरकार के
साथ हैं जिसकी सरकार आएगी उसको सलाम कर लेंगे।
- राजनीति में आने से एक बात तो होगी ही आप परिवार को कम समय दे पाएंगे?
0 मैं इस मामले में बहुत भाग्यशाली हूं। मेरी पत्नी भी इस बात को समझती
हैं। उनसे मुझे बहुत बड़ा सहारा मिला है। अच्छी समझदारी मिली है और ये बात भी सही
है जब तक घर शांत नहीं होगा तो हम बाहर क्या शांति ला पाएंगे। इस मामले में मैं
भाग्यशाली हूं।
- मीटिंग में जब पहली बार आपको ताली मिली तो आपको कैसा अनुभव हुआ?
0 रील लाइफ तो क्षणिक होता है परंतु रीयल लाइफ का एक नशा होता है। उसक नशा
तो बना रहता है जिसकी बात ही कुछ और होती है। रील लाइफ में तो आपके बोलने का ढंग
आपकी अदाकारी आपके बंदूक उठाने का अंदाज हावी रहता है। परंतु रीयल लाइफ में ना तो
कोई स्क्रिप्ट होता है ना कोई डायरेक्टर वहां तो बस आप होते हैं और आपकी जनता होती
है। आपकी सोच व्यक्तित्व आपकी समझदारी के आधार पर जब आपको स्वीकृति मिलती है। कभी-कभी
आंखों में पानी आ जाता है और कई बार भय भी होता है। डर इसलिए लगता है कि क्या जिस
निगाह से लोग मुझे देख रहे हैं, जहां
राजनीतिक की छवि इतनी खराब हो गई है वो लोग मुझे कमल के रूप में देखते हैं तो डर
तो लगता ही है। उनकी गडग़ड़ाहट तालियों की गडग़ड़ाहट उनके स्वागत से डर के साथ एक
जिम्मेवारी का एहसास होता है इसके साथ शुरू होती है तैयारी उस तरह से अपने आप को
तैयार करो कई मिली जुली भावना आती है कई बार तो इन सफल अभियानों का सभाओं का
महिनों तक नशा छाया रहता है। सालों तक छाया रहता है। कभी-कभी ग्वालियर की सभा की
बात करें जहां मुझे दिन के ग्यारह बजे पहुंचना था पर हम पहुंचे रात के ग्यारह बजे
पर फिर भी वैसी एतिहासिक सभा बहुत कम ही देखे। दूसरी दुमका वाली सभा बहुत बड़ी थी।
- समय को कैसे मैनेज करेंगे आप क्योंकि ये एक कुख्यात है आपके लिए देर से
पहुंचना? क्योंकि राज्य सभा में
देर से पहुंचने वाली आदत तो नहीं चल पाएगी?
0 कुख्यात... देखिए बात ऐसी है मैं देर से भी पहुंचता हूं और सुबह छ: बजे
की फ्लाइट भी पकड़ लेता हूं। मेरे अंदर आत्मबल बहुत दृढ़ है। मैं जो सोच लेता हूं
वह करता हूं।
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