आजाद हुई हैं लड़कियां-परिणीति चोपड़ा


-अजय ब्रह्मात्मज
परिणीति चोपड़ा की तीसरी फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ 4 सितंबर को रिलीज हो रही है। मनीष शर्मा निर्देशित इस फिल्‍म में वह सुशांत सिंह राजपूत और वाणी कपूर के साथ दिखेंगी। ‘शुद्ध देसी रोमांस’ जयपुर की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है। इसका लेखन जयदीप साहनी ने किया है।
- क्या है गायत्री ?
0 अभी आपने गानों में देखा होगा कि बहुत ही एनर्जेटिक फन लडक़ी है,लेकिन पिक्चर में बिल्कुल ऐसी नहीं है। पिक्चर में खामोश और उलझी लडक़ी है,जिसने बहुत उतार-चढ़ाव, बहुत ब्वाय फ्रेंड्स देखे हैं। अनेक रिलेशनशिप में रही है। वह सुशांत को बोलती है कि तुम मेरा टाइम वेस्ट मत करो। मुझे सब पता है। उसके साथ रहने लगती ह ैतो किसी की परवाह नहीं करती है। बहुत ही अच्छी लडक़ी है।
- जयपुर में रहते हुए?
0 जी, जयपुर में रहते हुए। बहुत ही इंटरेस्टिंग कैरेक्टर है। आप पिक्चर देखेंगे तो मजा आएगा। जयपुर के  लोगों की सोच बदल गई है। अब लोग ये नहीं सोचते हैं कि ये गलत है और वो सही है। जो लोगों के दिल में आता है करते हैं। गायत्री जैसी लड़कियां भरी पड़ी हैं इंडिया में। वह लूज कैरेक्टर नहीं है। वह इंडेपेंडेट स्वभाव की है। उसे पता है कि वह कुछ गलत नहीं कर रही हूं।
- क्या सचमुच इस उम्र की लड़कियां इतने आजाद तबियत की हैं?
0 बिल्कुल हैं। हम ये नहीं सोचते हैं कि हमारी मम्मी क्या सोचेंगी, हमारे फादर क्या सोचेंगे। हमारी सोसायटी क्या सोचेगी। रात को 11 बजे फ्री हागी तो अपने ब्वॉय फ्रेंड से रात को बारह बजे ही मिलगी न? इसे आप गलत कहेंगे तो आप गलत हैं। अगर मैं दिन में लंच के समय उससे मिल रही हूं तो सही है। अगर रात में मिल रही हूं तो गलत कैसे हो गया?।अगर मैं रात को बारह बजे मिलूं और मुझे वहीं पर नींद आ गई तो उसको आप लिव इन रिलेशनशिप कह देंगे। उसमें भी कुछ गलत तो नहीं है। आज कल तो प्री मैरिटल सेक्स की बात होने लगी है।
- लेकिन पिछले दिनों जैसा हादसा हो गया मुंबई में। उसे कुछ लोग लड़कियों की आजादी के परिणाम के रूप में देखते हें?
0 मैं ऐसे लोगों को थप्पड़ मारना चाहती हूं। मैं अगर कहीं जा रही हूं तो मैं इसमें इनवाइट क्या कर रही हूं। क्या मैं घर में बैठी रहूं? मुझे बहुत गुस्सा आता है। जब मैं ऐसा सुनती हूं कि एक लडक़ी जो अपना काम करने गई है, उसका आपने रेप कर दिया। ऐसे लडक़े जानवर हुए न? लडक़ी को हम बंद कर के रखें। ये बिल्कुल बकवास बात है। मुझे लगता है कि आदमियों में खोट है। उनको कोई गर्लफ्रेंड नहीं मिल रही है। उनको कहीं से प्यार नहीं मिल रहा है। उन्हें जरूरत है इलाज की। लडक़ी का क्या कसूर है?
- इस फिल्म को आपने चुना था या मिला था?
0 दोनों कह सकते हैं। मनीष ने नैरेट की थी और मुझको स्क्रिप्ट से प्यार हो गया था। मनीष के साथ मुझे फिर से काम करने का मन था बहुत। क्योंकि वे मेरे हिसाब से बहुत अच्छा डायरेक्टर हैं।
- यशराज की फिल्में हमलोग देखते रहे हैं। विदेशी रोमांस से ‘शुद्ध देसी रोमांस’ की शिफ्ट क्या वजह हो सकती है?
0 सिर्फ एक ही वजह है कि अॅेडिएंस बदल गई है। आज कल वे ऐसी कहानियां देखना चाहते हैं,जिनसे खुद रिलेट करते हैं। उन्हें लगे कि ये तो मेरे दोस्त की कहानी है। ये मेरी कहानी है। ये गर्लफ्रेंड तो मेरी गर्लफ्रेंड जैसी है। इसलिए ‘इशकजादे’, ‘विक्की डोनर’, ‘कहानी’ जैसी फिल्में चलीं।  आज कल की फिल्मों में रियलिज्म होता है। - जयदीप और मनीष के बारे में कुछ बताएं?
0 जयदीप साहनी की स्क्रिप्ट करने का मेरा हमेशा से मन था। वैसे ही मनीष के साथ काम करना ही था फिर से। वे दोनों मुझे एक ही पिक्चर में मिल गए। जयदीप की स्क्रिप्ट में ये खूबी होती है कि वह बहुत रियल होती है। उनकी फिल्मों में डायलॉग नहीं होते। नार्मल बातचीत होती है। और मनीष भी बहुत रियल डायरेक्टर है। वो रियल मूवमेंट्स निकालता है।
- नई लड़कियां जो आई है उसमें परफार्मर के तौर पर पहचान मिली है परिणीति को।
0 पता नहीं। आय थिंक मैं लकी हूं कि मुझे जो रोल मिले,उनसे लोगों ने रिलेट किया। उन्हें लगा कि मैें अच्छी परफॉरमर हूं। मैं बहुत लकी हूं कि मुझे ऐसे डायरेक्टर मिले,जिन्होंने मुझ से परफॉर्म करवाए। मेरी एक स्ट्रांग परफामेंर्स तो हो ही गई। बाकी एक रिलेटेबल परफार्मेंस थी। मैं चाहती हूं कि ऐसा ही चलता रहे। मैं कभी एक्ट्रेस बनना नहीं चाहती थी। अब मैं एक्ट्रेस बन गई हूं तो मैं सोचती हूं कि सब अच्छा हो जाए। लोग पसंद करें, क्योंकि मुझे एक्टिंग पसंद है।

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को