मिली बारह साल पुरानी डायरी-2
बारह साल पुरानी डायरी के अंश....
-अजय ब्रह्मात्मज
-अजय ब्रह्मात्मज
2 अगस्त 2001
फेमस में ‘हम हो गए आपके’ का शो था। 6 बजे से शो आरंभ हुआ। समीक्षकों और
पत्रकारों की पूरी उपस्थिति थी। दोपहर में फरदीन के सचिव तिवारी से बातचीत हुई।
तिवारी ने बताया कि फिल्म बहुत अच्छी बनी है। फिल्म देखकर लगा कि छठे और सातवें
दशक की महक है। एक बुरा लडक़ा प्रेम करने के बाद कैसे सुधर जाता है। फरदीन का
प्रयास अभिनय में दिखता है। वह खुद को तोडऩे की कोशिश करता है। खुलना चाहता है,
मगर कोई चीज उसे जकड़े रहती है। इस
फिल्म में उसकी हंसी शुरू से आखिर तक एक जैसी है। रीमा सेन की पाली हिंदी फिल्म है
यह। उसमें संभावनाएं हैं।
दोपहर में अनुराग कश्यप से
बात हो रही थी। उनकी फिल्म को सेंसर ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है। मुख्य
रूप से भाषा, हिंसा और संदेश न
होने का कारण बताया गया है। अनुराग ने कहा कि पहली फिल्म के फंस जाने से वह निराश
नहीं है। वह रिवाइजिंग कमेटी में जाएंगे। वहां भी बात नहीं बनी तो वह ट्रिब्यूनल
और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। फिलहाल इरादा है कि बड़े फिल्मकारों, स्तंभकारों और समीक्षकों को फिल्म दिखाई जाए।
अनुराग बता रहे थे कि इस फिल्म की गोविंद निहलानी ने काफी तारीफ की। महेश भट्ट ने
कहा कि किसी भी लड़ाई में फिल्मकार अकेला ही जाता है। उन्होंने अपना उदाहरण दिया।
उनकी पहली फिल्म ‘मंजिलें और भी
हैं’ सेंसर में फंस गई थी।
रात में साढ़े ग्यारह बज
अनुराग ऑफिस आए। उन्होंने विस्तार से सबकुछ बताया। कल ‘नवरंग’ के
लिए यह स्टोरी करूंगा। आज का दिन भागमभाग में बीता।
बारह बजे दिन में घर से निकला
था। डेढ़ बजे रात में घर पहुंचा। खूब भूख लगी थी। जमकर खाया।
5 अगस्त, रविवार, 2001
दोपहर में राजेन्द्र राव का
फोन आया कि करीना कपूर का इंटरव्यू रद्द हो गया है। करीना की फिल्म ‘अजनबी’ रिलीज पर है। उसने साथ ही यह भी कहा कि कल भी उसने ऐसे
ही किया था। समय देने के बाद फिर इंटरव्यू रद्द कर देना। कपूर परिवार की इस लडक़ी
के तेवर अलग हैं। सफलता और उम्मीद उसके माथे में चढ़ गई है। बातचीत और फार्मल
इंटरव्यू में उसका रवैया गंभीर नहीं रहता। वह ऐसा अहसास दिलाती है कि उसे तो सफलता
मिलनी ही थी। दूसरी अभिनेत्रियां उसके छोड़े काम ही कर रही हैं। उनमें से कोई भी
इस योग्य नहीं है कि वह उनका उल्लेख करे।
करीना कपूर का यह अहंकार कभी
भारी भी पड़ सकता है। इससे करीना का विकास तो रुक ही जाएगा। सभी करीना की तारीफ
करते हैं। मुझे खास बात यही लगती है कि वह कामुक अंदाज और अश्लील अंग संचालन से
दर्शकों को लुभाती है। क्या यही एक्टिंग है?
अभी तक की तीनों फिल्में ‘रिफ्यूजी’, ‘मुझे कुछ कहना है’ और ‘यादें’
में करीना का अभिनय सामान्य रहा है।
चूंकि प्रतिभाओं की बेहद कमी है। इसलिए कभी करीना तो कभी प्रीति जिंटा से उम्मीदें
बढ़ जाती हैं। इस सप्ताह प्रीति जिंटा की दो फिल्में रिलीज हो रही हैं। अगर एक भी
चल गई तो सब तरफ प्रीति की ही चर्चा होगी।
6 अगस्त – 1
सुबह-सुबह इरफान का फोन आया।
बांबे टाइम्स में उनकी फिल्म ‘हासिल’
के बारे में कुछ छपा था। इरफान के नाम
का उल्लेख नहीं था। आशुतोष राणा का उल्लेख था। वह जानना चाहते थे कि कहीं बांबे
टाइम्स को ऐसा लिखने के लिए तो नहीं कहा गया था। आत्मकेंद्रित कलाकार यह भूल जाते
हैं कि किसी भी समाचार में कलाकारों का उल्लेख उनके बाजार भाव के मुताबिक ही होता
है। खासकर अखबारों और व्यावसायिक पत्रिकाओं में यही होता है। इरफान लंबे समय से
संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने ढेर सारे टीवी धारावाहिकों में काम किया। शुरू में
फिल्में भी अच्छी मिलीं, पर वह
कहीं पीछे छूट गए। वह अब आगे बढऩे की तैयारी में हैं। उन्होंने साफ कहा कि मैं तो
निर्माताओं से कह रहा हूं कि आपने आशुतोष राणा को देख लिया। अब मुझे देखिए।
बारह-एक बजे के बीच में मनोज
बाजपेयी का फोन आया। पहले मोबाइल पर, फिर घर के नंबर पर। उन्हें दैनिक भास्कर के कार्यक्रम में जयपुर ले जाना
है। वह तैयार भी हो गए हैं। आज कहने लगे - कोई ऐसा रोल मिले। कोई कैरेक्टर मिले तो
कुछ उत्साह जगे। फिल्मों के प्रस्ताव तो रोजाना आ रहे हैं, मगर कोई ऐसा रोल नहीं मिल रहा है कि चुनौती महसूस
करूं। ‘नजर’ पार्थों घोष निर्देशित को वह अपनी महत्वपूर्ण
फिल्म मानते हैं। दक्षिण के एक निर्देशक की भी फिल्म से अपेक्षाएं हैं।
मनोज ने चंद्रशेखर आजाद पर
कुछ सामग्री मांगी। इन दिनों कई निर्माता-निर्देशक चंद्रशेखर आजाद पर फिल्म या
धारावाहिक बनाना चाहते हैं। एक का निर्देशन अश्विनी चौधरी कर रहे हैं। अश्विनी
चौधरी की फिल्म ‘लाडो’ पैनोरमा के चुनाव के लिए भेजी गई है।
6 अगस्त - 2
आज कैलाश आडवाणी ऑफिस आए।
गुलजार के पुराने मित्र कैलाश जी ने ‘एक कहानी और मिली’ का
निर्देशन किया था। दूरदर्शन से प्रसारित 13 कडिय़ों के इस धारावाहिक में ओ हेनरी की
कहानियां थीं। उसका शीर्षक गीत और सभी तेरह कडिय़ों की स्क्रिप्ट गुलजार ने लिखी
थी। गुलजार ने अपने मित्र कैलाश आडवाणी को यह धारावाहिक तोहफे के रूप में दिया था।
निर्माता-निर्देशक के अहं के कारण वह बढिय़ा धारावाहिक 13 के बाद ही बंद हो गया।
उसे सौ कडिय़ों का विस्तार मिला था। निर्माता सुभाष हसगल कैलाश आडवाणी की प्रशंसा
नहीं पचा पाए।
आज कैलाश जी से गुलजार के
बारे में कुछ बताने को कहा। अनिल राही से उनकी बातचीत करवाई। 18 अगस्त को उनका
जन्मदिन है। उस दिन ‘नवरंग’
का अंक भी होगा। जन्मदिन के तोहफे के
रूप में यह लेख होगा। गुलजार ‘रसरंग’
के लिए स्तंभ लिखेंगे। ‘पोटली बाबा की’ इसमें वे बच्चों के सवालों के जवाब देंगे।
आज तिग्मांशु से लंबी बातचीत
हुई। इस बातचीत से तिग्मांशु के बारे में बहुत कुछ पता चला। तिग्मांशु इलाहाबाद से
आए हैं। मेहनती हैं। फिल्म की समझ है उन्हें। अब कर्मा फिल्म्स के लिए ‘हासिल’ का निर्देशन कर रहे हैं। इसमें जिम्मी शेरगिल और
रिशिता भट्ट के साथ आशुतोष राणा और इरफान भी हैं।
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