मनोज बाजपेयी से पूछे गए सवाल

फेसबुक पर मैं दोस्‍तों से सवाल मांगता हूं। कभी किसी से मिलने जाता हूं तो दोस्‍तों से भी पूछ लेता हूं। आम तौर पर बेहद साधारण सवाल आते हैं। ज्‍यादातर सवाल गॉसिप से जुढ़े होते हैं और उनमें अनादर भी रहता है। मनोज बाजपेयी से पूछे मैंने दोस्‍तों के सवाल.... 
-अभिनय की परिभाषा क्या है? (मनीष चैरसिया)
0 अभिनय की परिभाषा इसी शब्द में छिपी है। अभी जो नया करें वही अभिनय है। अभिनय का जीवन से गहरा ताल्लुक है।
- ब्लॉग अपडेट क्यों नहीं कर रहे हैं? (anand expt)
0 लंबे समय तक ब्लॉग लिखने के बाद मुझे लगा कि मै खाली हो चुका हूं। अभी के माहौल में मैं खुलकर राजनीतिक बातें नहीं कर सकता। हालांकि यह बात लोकतंत्र लगेगी, लेकिन यही सच्चाई है। अगर खुलकर नहीं लिख सकता तो लिखने का कोई मतलब नहीं है। यह वादा करता हूं कि वापस जरूर आऊंगा।
- आप अपने निभाए तमाम किरदारों को एक कैरी केचर आयडेंटिटी क्यों दे देते हैं? (प्रशांत कश्‍यप)
0  इसे कैरी केचर आयडेंटिटी न कहें। हर किरदार में व्यक्ति अलग होते हैं। व्यक्ति अलग होते हैं तो उनके अलग होने से उनके आचार-विचार, भाव-भंगिमा और बात-व्यवहार में तो फर्क आएगा ही। अगर वो फर्क नहीं करना है और सटल एक्टिंग के नाम पर दुनिया को बेवकूफ बनाना है तो अभिनय करने का कोई मतलब नहीं बनता है। अभिनय की मेरी शिक्षा-दीक्षा के दौरान मेरे टीचर ने कहा था कि अगर अपने किरदार की वजह से तुम जाने जाते हो तो तुम एक्टर नहीं हो। हमेशा एक्टर से किरदार की पहचान होनी चाहिए। हर कैरेक्टर को पहचान देने के लिए ऐसा करता हूं। आप जिसे कैरी केचर आयडेंटिटी कह रहे हैं वास्तव में वह उस कैरेक्टर को पहचान देना है।
- चंपारण में थिएटर एक्टिवीटी के लिए कुछ सोच रहे हैं क्या? (सौरभ संतोष)
0 इस सवाल से मैं सालों से जूझ रहा हूं कि कहां से शुरू करूं? बेतिया, बेलवा की अपनी यात्रा में कभी न कभी मुझे वहां कोई ऐसा समूह मिलेगा जो किसी ग्रुप के लिए तैयार होगा। मैं उनकी आवश्यकता के अनुसार हर प्रकार का सुझाव और निर्देश दूंगा। समस्या है कि छोटे शहरों में ऐसे ग्रुप का जल्दी ही राजनीतिकरण हो जाता है। मैं एक परिषद बनाना चाहता हूं। उस परिषद में साहित्य, नाटक और अन्य विधाओं की बातें हों।
- गांव के मनोज और आज के मनोज बाजपेयी में क्या अंतर है? (राकेश पाठक)
0 दस साल पहले और आज के मनोज में अंतर आ गया है। आप तो गांव की बात कर रहे हैं। पहले मैं बहुत ज्यादा रिएक्ट करता था। अभी ऐसा नहीं करता हूं। अभी मैं चीजों को देखता, समझता और सोचता हूं फिर संभल-संभल कर कुछ कहता हूं। शायद यह उम्र का भी असर है। अब मैं पहले की तरह जवान नहीं रहा। बीवी और बेटी के आने के बाद जिम्मेदारियों के एहसास से मैं अधिक परिपक्व हुआ हूं। आत्मा अभी भी गांव की है, लेकिन बाहरी तौर पर सबकुछ बदल गया है।
- क्या रोमांटिक फिल्में करेंगे? (देव तिवारी)
0 क्यों नहीं। मैं तो रोमांटिक और कॉमेडी दोनों फिल्में करना चाहता हूं। अभी जिस तक के रोमांटिक और कामेडी फिल्में बन रही हैं उनके लिए मैं सक्षम नहीं हूं। मेरे तरीके के रोमांटिक फिल्म मिले तो बात बने। रॉबर्ट डिनोरो और मर्लिन स्ट्रीक की फिल्म ‘फॉलिंग इन लव’ जैसी कोई फिल्म मिले तो बात बने। मैंने अपने जीवन में इससे अच्छी रोमांटिक फिल्म नहीं देखी है। ऐसी कोई फिल्म मिले तो अच्छा लगेगा मुझे।
- दो फिल्मों के प्रमोशन के समय उनकी अभिनेत्रियों ने आपके पांव छूए थे। यह सिर्फ दिखावटी था या कोई और बात थी? (अजीत मैर्या)
0 मुझे यह दिखावटी बात नहीं लगती। पहले से मुझे कुछ भी नहीं मालूम था। तब्बू ने मेरी फिल्म ‘सत्या’ देखी थी। आज से 14 साल पहले उन्होंने ऐसा व्यवहार किया था। कट्रीना कैफ ने ‘राजनीति’ के प्रचार के समय मेरे पांव छू लिए थे। दोनों ने फिल्में देखने के बाद ऐसा किया था। ‘सत्या’ के बारे में तो खैर सभी को मालूम है कि मुझे कैसी सराहना मिली थी। ‘राजनीति’ में कट्रीना साथ काम कर रही थी। कई शॉट्स में हमलोग साथ में थे। उन्हें शूटिंग के समय यह एहसास नहीं था कि सबकुछ पर्दे पर कैसा दिखेगा। फिल्म देखने के बाद वह चौंक गईं। उनकी समझ में आया कि अभिनय की यह अलग प्रक्रिया और आयाम है। यह उन दोनों का बड़पन है। उनका साहस है।
- सामाजिक दायित्वों का निर्वाह अब कैसे करते हैं? उसका स्वरूप कैसा है? (आलोक उपाध्‍याय)
0 थिएटर के दिनों में बच्चों के पुनर्वास के लिए रंगकर्म करता था। उन दिनों थिएटर का भावनात्मक और सामाजिक उपयोग करते थे। हम लोगों ने अनेक एनजीओ के लिए काम किया। मुंबई आने के बाद यह सब छूट गया। अभी फिर से अपनी क्षमता के अनुसार थोड़ा-बहुत कुछ करता हूं।
- आप और शाहरुख खान दोनों बैरी जॉन के शिष्य थे। अभी आप दोनों मुंबई में हैं। फिर भी न तो आप दोनों एक साथ कोई फिल्म की और न एक दूसरे के घर आते-जाते हैं। क्या बात है? (ठाकुर आशीष आनंद)
0 वैनकोवर में शाहरुख ने मुझ से पूछा कि तू घर क्यों नहीं आता है? मेरा यही जवाब था कि तू बुलाएगा तो मैं जरूर आऊंगा। शाहरुख बहुत बड़े स्टार हैं। हमारी मुलाकात के लिए जरूरी है कि वे बुलाएं। अब मैं मन्नत के आगे तो खड़ा नहीं रह सकता। वहां वॉचमैन मुझे अंदर ही नहीं जाने देगा। उसके लिए शाहरुख को शुरुआत करनी पड़ेगी। ऐसे संबंध में जहां पर एक स्टार और एक एक्टर है तो स्टार को ही कदम उठाने पड़ते हैं।

Comments

अजय ......... आपने फिल्म पत्रकारिता के मापदंड बदल दिए हैं ........साधुवाद ........एक बेहतरीन इंटरव्यू के लिए ......इनका भी वो लंबा वाला इंटरव्यू छापिये ....जैसा अनुराग का है .....और वो तिग्मांशु धुलिया वाले का क्या हुआ ?
abhay said…
akhiri jawab manoj sir ka badappan hai aur star cinema me bahut hai actor bahut kam .....like manoj bajpayee
o p pandey said…
bahut bahut dhanyabaad ajay jee....aap hamesh se apne pathakon ka dhyaan rakhte hain...shayad yahi aapko auron se alaga banata hai....

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