बॉलीवुड में हिंदी-मनोज रघुवंशी

आठवें विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन के अवसर पर मनोज रघुवंशी ने बॉलीवुड में हिंदी नाम की फिल्‍म बनाई थी। हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में हिंदी की स्थिति के सच का यह एक पहलू है। आप भी देखें और गौरवान्वित हों। वैसे हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में हिंदी की वास्‍तविक स्थिति कुछ और है। इतराने में क्‍या जाता है ?


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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
सूचना प्रसारण मंत्रालय में निम्न आरटीआई लगा रहा हूँ आपके सुझाव की प्रतीक्षा है cs.praveenjain@gmail.com
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भारत में प्रदर्शित होने वाली फिल्मों एवं उनके प्रोमोज़ के नाम/शीर्षक एवं फिल्म/प्रोमोज़ के आरम्भ और अंत में (कलाकारों/गायकों के नाम/फिल्म निर्माण टीम आदि के नाम) जो कुछ भी स्क्रीन पर लिखा हुआ दिखाई देता है, उस सम्बन्ध में क्या नियम है? जैसे ऐसे शीर्षक/नाम एवं अन्य विवरण किस भाषा और लिपि में प्रदर्शित किए जाने चाहिए?

[सूप्रम अविलम्ब ऐसा नियम बनाए कि भारत में प्रदर्शित/उद्घाटित/रिलीज़ होने वाली फ़िल्में जिस भाषा की होंगी उसके नाम /शीर्षक और फिल्म के आरम्भ, अंत और फिल्म के दौरान एवं /उनके प्रोमोज़ में जो कुछ भी स्क्रीन पर लिखा हुआ दिखाई देता है, वह उसी भाषा में लिखा/टाइप किया होना अनिवार्य होगा जिस भाषा की वह फिल्म है. जैसे गुजराती अथवा तमिल भाषा की फिल्म में स्क्रीन पर लिखा हुआ सबकुछ गुजराती और तमिल में हो. यदि तमिल फिल्म का नाम अंग्रेजी में है तो भी उसे तमिल की लिपि में प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए. फिल्म निर्माता फिल्म की मूल भाषा से इतर अन्य किसी भी वैकल्पिक भाषा (अंग्रेजी सहित) प्रयोग करना चाहे तो उसे इसकी छूट दी जाए परन्तु जिस भाषा की फिल्म है उसके सभी विवरण (टाइटल्स) उसी भाषा में लिखना अनिवार्य किया जाए]

भारत में प्रदर्शित होने वाली फिल्मों/वृत्तचित्र/धारावाहिक/टीवी शो/ कार्यक्रमों के पोस्टर/सीडी एवं कैसेट के आवरण/वेबसाइट आदि किस भाषा में बनाये जाने चाहिए, उस सम्बन्ध में क्या नियम हैं?

[जैसे गुजराती अथवा तमिल भाषा की फिल्म के पोस्टर/सीडी एवं कैसेट के आवरण/वेबसाइट आदि में गुजराती और तमिल प्रयोग करना अनिवार्य किया जाए. फिल्म निर्माता फिल्म की मूल भाषा से इतर अन्य कोई वैकल्पिक भाषा (अंग्रेजी अथवा हिन्दी) का प्रयोग करना चाहे तो उसे इसकी छूट दी जाए परन्तु जिस भाषा की फिल्म है उसका प्रयोग और उसको प्राथमिकता देना अनिवार्य किया जाए]

भारत सरकार द्वारा मान्य/पंजीकृत सभी टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी वृत्तचित्र/धारावाहिक/टीवी शो/ कार्यक्रमों/ समाचार अंकों (बुलेटिनों) के नाम/शीर्षक एवं कार्यक्रम आदि के आरम्भ और अंत में (कलाकारों/गायकों के नाम/फिल्म निर्माण टीम आदि के नाम) जो कुछ भी स्क्रीन पर लिखा हुआ दिखाई देता है, उस सम्बन्ध में क्या नियम है? जैसे ऐसे शीर्षक/नाम एवं अन्य विवरण किस भाषा और लिपि में प्रदर्शित किए जाने चाहिए?

भारत सरकार द्वारा मान्य/पंजीकृत सभी टीवी चैनलों द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट बनाये जाने के सम्बन्ध में क्या नियम हैं और ऐसी वेबसाइट किस भाषा में बनाई जानी चाहिए?

हर वर्ष भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया) के आयोजन में हर स्तर पर भारत की राजभाषा की घोर उपेक्षा की जाती है और राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का खुला उल्लंघन होता है. उल्लंघन की बानगी कुछ इस प्रकार है : (क) समारोह के बैनर, पोस्टर, हस्त-पुस्तिकाएँ, सूची-पत्र (कैटलाग) केवल अंग्रेजी में छापे जाते हैं जबकि इन्हें अनिवार्य रूप से हिन्दी-अंग्रेजी दोनों में होना चाहिए. (ख). समारोह का प्रतीकचिह्न भी केवल अंग्रेजी में जारी किया जाता गया है और वर्षों से ऐसा हो रहा है. (ग) समारोह की वेबसाइट की वेबसाइट भी केवल अंग्रेजी में बनायी है. भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजन में राजभाषा के अनुपालन की जिम्मेदारी किस अधिकारी की है उसका नाम, पदनाम, पता, फैक्स नम्बर एवं ईमेल आईडी क्या है? भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव एवं इसी तरह के भारत में आयोज्य अन्य अन्तराष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन में राजभाषा के अनुपालन के लिए मंत्रालय ने पिछले ३ वर्षों में क्या कदम उठाए हैं?

४४वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इस वर्ष २० से ३० नवंबर २०१३ के बीच आयोजित होगा उसमें राजभाषा के अनुपालन और हिन्दी के प्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय क्या कदम उठा रहा है? उसकी क्या योजना है?

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