पहली तिमाही और आईपीएल
-अजय ब्रह्मात्मज
तीन साल पहले 2010 में भी पहली तिमाही में 41 फिल्में रिलीज हुई थीं। तब तीन महीनों का कुल बिजनेस 320 करोड़ था। इस साल फिर से 41 फिल्में रिलीज हुई हैं, लेकिन बिजनेस में स्पष्ट उछाल दिख रहा है। इस साल पहली तिमाही का कलेक्शन 481 करोड़ है। प्रति फिल्म कलेक्शन पर भी नजर डालें तो लगभग डेढ़ गुने का उछाल दिखता है। 2010 में प्रति फिल्म कलेक्शन 7 ़ 8 करोड़ रहा, जबकि 2013 में प्रति फिल्म कलेक्शन 11 ़ 73 करोड़ है। स्पष्ट है कि हिंदी फिल्मों के दर्शक बढ़े हैं। हालांकि साजिद खान की ‘हिम्मतवाला’ अपेक्षा के मुताबिक नहीं चल सकी। फिर भी पहले वीकएंड के लगभग 30 करोड़ के कलेक्शन से उसने पहली तिमाही का कुल कलेक्शन 500 करोड़ से अधिक कर दिया। यह कोई संकेत नहीं है। अगले 9 महीनों में फिल्मों का बिजनेस कितना चढ़ेगा या उतरेगा ? अभी अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
पिछले कुछ सालों से दूसरी तिमाही में फिल्मों की रिलीज कम हो जाती है। इससे कुल कलेक्शन भी प्रभावित होता है। इसका एक बड़ा कारण आईपीएल क्रिकेट है और दूसरा गर्मी की छुट्टियां ़ ़ ़ गर्मी की छुट्टियों में दर्शकों का बड़ी संख्या में आवागमन होता है। मझोले शहरों के युवा दर्शक (छात्र) छुट्टियों के लिए अपने घरों को लौट जाते हैं। बड़े शहरों से भी परिवार जत्थों में छुट्टियों के लिए अपने गृहप्रदेश लौट जाते हैं। फिल्मों के ट्रेड पंडितों ने दर्शकों के इस आवागमन पर कभी ध्यान नहीं दिया। हिंदी फिल्मों के व्यवसाय में साल का उत्तराद्र्ध बिजनेस के हिसाब से माकूल होता है। ज्यादातर बड़ी फिल्में दूसरी छमाही में ही रिलीज होती है। तीनों खानों के साथ अजय देवगन, रितिक रोशन, अक्षय कुमार की फिल्में भी ईद से क्रिसमस तक विभिन्न त्योहारों के समय रिलीज होती हैं।
इस साल भी यही ट्रेंड है। दूसरी तिमाही थोड़ी हल्की रहेगी। 3 अप्रैल से 26 मई तक जारी आईपीएल के 7 हफ्तों के दौरान बमुश्किल 8 फिल्में रिलीज हो रही हैं। पिछले दो सालों में आईपीएल का आतंक कम हुआ है। उसके पहले तो इतनी बुरी हालत थी कि सारे निर्माता आईपीएल के समय फिल्में रिलीज करने के नाम पर बगलें झांकने लगते थे। आनंद राय की ‘तनु वेड््स मनु’ ने जोरदार तरीके से आईपीएल का आतंक तोड़ा था। 2011 और 2012 में अनेक निर्माताओं ने आईपीएल के दौरान ही फिल्में रिलीज कीं। इस साल भी कुछ निर्माता साहस दिखा रहे हैं। ट्रेड पंडितों के मुताबिक छोटे और मझोले निर्माता बड़ी फिल्मों से टकराने के बजाए आईपीएल की मार बर्दाश्त कर लेते हैं। आईपीएल आरंभ हुआ था तो सिनेमाघरों में दर्शक अचानक कम हो गए थे। पहले साल तो थिएटरों में दर्शकों की तादाद केवल 20 प्रतिशत रह गई थी। धीरे-धीरे आईपीएल का जादू छंटा और निर्माताओं ने भी हिम्मत दिखाई। अब स्थिति सामान्य हो रही है।
इस साल सबसे पहले ‘चश्मे बद्दूर’ रिलीज हुई। डेविड धवन की इस फिल्म से अधिक उम्मीद नहीं थी। आने वाले हफ्तों में रोहन सिप्पी की ‘नौटंकी साला’, ‘कमांडो’, विशाल भारद्वाज की ‘एक थी डायन’, संजय गुप्ता की ‘शूटआउट एट वडाला’, करण जौहर की ‘गिप्पी’, सनी देओल की ‘आई लव न्यू ईयर’ और यशराज फिल्म्स की ‘औरंगजेब’ रिलीज होगी। इनमें से केवल ‘शूटआउट एट वडाला’ कथित रूप से बड़ी फिल्म है। बाकी फिल्मों में टॉप रैंकिंग स्टार नहीं है। सभी मध्यम बजट की फिल्में हैं। यशराज फिल्म्स की ‘औरंगजेब’ दूसरी बड़ी फिल्म मानी जा सकती है। इसमें अर्जुन कपूर हैं। कहा जा रहा है कि इन फिल्मों के निर्माताओं में से कुछ ने मजबूरी में तो कुछ ने रणनीति के तहत ही आईपीएल का समय चुना है। बालाजी फिल्म्स की बात करें तो उनकी दो फिल्में ‘एक थी डायन’ और ‘शूटआउट एट वडाला’ इसी दौरान रिलीज होंगी। उनके प्रवक्ता के मुताबिक अभी आईपीएल से घबराने की जरूरत नहीं है। आईपीएल के प्रति दर्शकों की रुचि पहले से कम हो गई है।
सच कहें तो फिल्म अच्छी होने पर हर हाल में चलती है। वर्ल्ड कप या आईपीएल से दर्शकों को फर्क नहीं पड़ता। मैच के एक या दो दिन छोडक़र बाकी दिन वे फिल्में देख सकते हैं। ऐसा संयोग रहा है कि आईपीएल के दौरान कोई बड़ी फिल्म रिलीज नहीं होती हंै। अगर कभी ऐसा हो तो सही पता चले कि क्या आईपीएल से सचमुच फिल्मों के कलेक्शन पर असर होता है? अभी तक सिर्फ यह माना जा रहा था कि आईपीएल के दौरान दर्शक फिल्मों के बजाए क्रिकेट देखना चाहते हैं। पिछले सालों में इस मान्यता को फुस्स होते देखा गया है। इस साल भी ऐसा ही होगा।
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