फिल्म समीक्षा : मर्डर 3
लव की मिस्ट्री
-अजय ब्रह्मात्मज
फिल्मकार इन दिनों लोभ और दबाव में हर फिल्म का ओपन एंड रख रहे हैं। अभी तक हिंदी फिल्में एक इंटरवल के साथ बनती थीं। अब पर्दे पर फिल्म समाप्त होने के बाद भी एक इंटरवल होने लगा है। यह इंटरवल महीनों और सालों का होता है, जबकि फिल्म का इंटरवल चंद मिनटों में खत्म हो जाता है। तात्पर्य यह कि सीक्वल की संभावना में लेखक-निर्देशक फिल्मों को 'द एंड' तक नहीं पहुंचा रहे हैं। विशेष भट्ट की 'मर्डर 3' भी इसी लोभ का शिकार है। पूरी हो जाने के बाद भी फिल्म अधूरी रहती है। लगता है कि क्लाइमेक्स अभी बाकी है।
भट्ट परिवार के वारिस विशेष भट्ट ने फिल्म निर्माण के अनुभवों के बाद
निर्देशन की जिम्मेदारी ली है। भट्ट कैंप में फिल्मों के 'असेंबल लाइन'
प्रोडक्शन में डायरेक्टर के लिए अधिक गुंजाइश नहीं रहती है। महेश भट्ट की
छत्रछाया और स्पर्श से हर फिल्म परिचित सांचे में ढल जाती है। दावा था कि
विशेष भट्ट ने भट्ट कैंप की शैली में परिष्कार किया है। दृश्य संरचना में
ऊपरी नवीनता दिखती है, लेकिन दृश्यों का आंतरिक भावात्मक तनाव पुराने
सूत्रों पर ही चलता है।
इस बार दक्षिण अफ्रीका के फोटोग्राफर से विक्रम (रणदीप हुड्डा) की
कहानी है। उभरते फोटोग्राफर को भारत आने का एक साल का आकर्षण असाइनमेंट
मिला है। प्रेमिका रोशनी (अदिति राव हैदरी) उन्हें इस ऑफर को न छोड़ने की
सलाह देती है और अपने करिअर की शानदार संभावनाओं को ताक पर रख कर भारत चली
आती है। रोशनी की इस बेवकूफी को फिल्म में प्रेम का नाम दिया गया है।
बहरहाल, आने के पहले वह शर्त्त रखती है कि उसका भरोसा नहीं टूटना चाहिए।
संकेत दे दिया जाता है कि ऐसा ही कुछ होगा। वही होता भी है। रोशनी एक दिन
अचानक गायब हो जाती है। विरह और वियोग में एक रात बिताने के बाद विक्रम के
आगोश में निशा (सारा लारेन) आ जाती है। रोशनी की गुमशुदगी की तलाश में लगी
पुलिस को विक्रम पर शक होता है। विक्रम के बंगले में रहने के बाद निशा को
आभास होता है कि वहां कोई और भी है। रहस्य, रोमांच, प्रेम, ईष्र्या और छल
की इस कहानी में भट्ट कैंप की अन्य फिल्मों की तरह सुरा, सुंदरी और सेक्स
का भरपूर मिश्रण है।
विशेष भट्ट ने इंटरवल के पहले तक फिल्म का रहस्य खूबसूरती से बरकार रखा
है। मर्डर मिस्ट्री और हॉरर फिल्म देखने का एहसास बढ़ता है। फिल्म का
रहस्य गहराता जाता है। एक बिंदु के बाद रहस्य खुल जाता है तो फिर ईष्र्या
और छल की कहानी बचती है। भेद खुलने के बाद का ड्रामा बोझिल और लंबा हो गया
है। लेखक-निर्देशक ने दृश्यों के बीच गानों की जगह बना ली है। नायक-नायिका
के साथ दर्शक भी मनोहारी लोकेशन पर जाते हैं। सुनील पटेल का कैमरा लोकेशन
की सुंदरता बखूबी कैद करता है।
रणदीप हुड्डा के अभिनय में निरंतर निखार आ रहा है। 'मर्डर 3' में अदिति
राव हैदरी को अधिक दृश्य और भाव मिले हैं। उन्हें वह उचित तरीके से निभा
ले जाती हैं। सारा लारेन सुंदर हैं। उनकी सुंदरता की ही निर्देशक को जरूरत
थी। सहयोगी कलाकारों की मौजूदगी सिर्फ दृश्य भरने के लिए थी। उनके चरित्रों
पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है। फिर भी संजय मासूम ने उन्हें 'करेक्ट
करेक्ट करेक्ट' और 'आपको कष्ट न हो तो' जैस तकियाकलाम देकर पहचान दे दी है।
उनके संवाद दृश्यों के प्रभाव और इरादों को गाढ़ा करते हैं।
अवधि - 120
ढाई स्टार
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