मुंबई का अपना फिल्म फेस्टिवल
-अजय ब्रह्मात्मज
देश में चल रहे छोटे-बड़े सभी तरह के फिल्म फेस्टिवल को मुंबई फिल्म फेस्टिवल से सीखने की जरूरत है। मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेजेज(मामी) इसे आयोजित करता है। इस फेस्टिवल की खासियत है कि इसके आयोजकों में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कुछ नामवर हस्तियां जुड़ी हुईं हैं। शुरुआत से इसके चेयरमैन श्याम बेनेगल हैं। उनके मार्गदर्शन में मुंबई फिल्म फेस्टिवल साल-दर-साल मजबूत और बेहतर होता गया है। अभी इसकी इंटरनेशनल पहचान और लोकप्रियता भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया से अधिक है। फिल्मों के चयन, उनके प्रदर्शन, ज्यूरी मेंबर और देश-विदेश के आमंत्रित फिल्मकारों की सूची मात्र ही देख लें तो मुंबई फिल्म फेस्टिवल की बढ़ती महत्ता समझ में आ जाती है।
फिल्म फेस्टिवल किसी भी प्रकार आमदनी का आयोजन नहीं है। इसे सरकारी या गैर-सरकारी आर्थिक सहयोग से ही दक्षतापूर्वक आयोजित किया जा सकता है। मुंबई फिल्म फेस्टिवल को आरंभ से ही रिलायंस का सहयोग मिलता रहा है। एक-दो सालों के व्यवधानों के बावजूद महाराष्ट्र सरकार का समर्थन भी इसे हासिल है। इसके अतिरिक्त मुंबई में स्थित हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के नामचीन फिल्मकार, कलाकार और तकनीशियन इसमें सक्रिय भागीदारी रखते हैं। मुंबई में संघर्षरत और उदीयमान फिल्मकारों के लिए भी यह वार्षिक अड्डे के रूप में विकसित हो रहा है। पिछले दो-तीन सालों से यह देखने में आ रहा है कि देश के फिल्म चिंतक, अध्येता, छात्र और फिल्मकर्मी इन दिनों मुंबई रहने का प्रयास करते हैं। मुंबई फिल्म फेस्टिवल के आयोजक देश के मशहूर फिल्म समीक्षकों को स्वयं आमंत्रित करते हैं। इस वजह से फिल्म फेस्टिवल की प्रासंगिकता, उपयोगिता और महत्व की जानकारी पूरे देश को मिलती है।
फिल्म फेस्टिवल का महत्व बढ़ाने में एक अहम भूमिका फिल्म और फिल्मकारों को दिए गए पुरस्कारों की होती है। इस लिहाज से भी मुंबई फिल्म फेस्टिवल उल्लेखनीय है, क्योंकि देश-विदेश के फिल्मकारों को पुरस्कार राशि के रूप में लाखों रुपए दिए जाते हैं। इस साल मुंबई फिल्म फेस्टिवल ने पुरस्कारों की श्रेणियां भी बढ़ा दी हैं। अब देश के फिल्मकारों के लिए अलग से पुरस्कार की व्यवस्था की गई है। पहली फिल्म के निर्देशकों का इंटरनेशनल पुरस्कार भी इंटरनेशनल महत्व का हो गया है। इस साल विश्व के 18 नए फिल्मकार इस प्रतियोगिता में शामिल हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त पुरस्कारों की दो और श्रेणियां हैं।
इस साल फिल्म फेस्टिवल में दुनियाभर से 265फिल्में लाई गईं हैं। इन्हें इंटरनेशनल कंपीटिशन, सेलिब्रेट एज, सेलिब्रेशन ऑफ हंड्रेड ईयर्स ऑफ इंडियन सिनेमा, एबव द कट, सेलिब्रेशन ऑफ इंडियन सिनेमा, काबुल फ्रेश, वल्र्ड सिनेमा, इंडिया गोल्ड 2012, द रीयल रील, पूसान सेलेक्शन, न्यू फेशेज, रीस्टोर्ड सिनेमा के अंतर्गत दिखाया जा रहा है। फिल्मप्रेमियों के लिए सैकड़ों विकल्प हैं। सात दिनों में 265 फिल्मों का यह महोत्सव देश में अपने प्रकार का अनूठा और महत्वपूर्ण आयोजन है।
14 सालों के बावजूद आयोजन की कुछ खामियां फिल्मप्रेमियों को निराश और उदास करती हैं। फिर भी सात दिनों तक उनका उत्साह देखते ही बनता है। इस साल से मुंबई फिल्म फेस्टिवल शहर के दक्षिणी संपन्न इलाके में होने लगा है। इससे सीटों की संख्या और सहूलियतें बढ़ गईं हैं। साथ ही विदेश से आए मेहमानों को मुंबई के भव्य, साफ-सुथरे और महानगरीय चरित्र की झलक भी मिल जाती है। रिलायंस और महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से आयोजित देश का स्वतंत्र फिल्म फेस्टिवल भविष्य में और भी सार्थक भूमिका अदा करेगा। फिलहाल इस फेस्टिवल की मुख्य भाषा अंग्रेजी है। अगर यहां हिंदी और मराठी को थोड़ी जगह और प्रतिष्ठा मिले तो इसका दायरा और महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा। अपने वर्तमान स्वरूप में ही यह सभी फिल्मप्रेमियों की डायरी में स्थान पाने योग्य हो गया है। अगर इस साल आप नहीं आ सके हैं। कोशिश करें कि अगले साल फिल्मों के महोत्सव से आप वंचित न रहें।
देश में चल रहे छोटे-बड़े सभी तरह के फिल्म फेस्टिवल को मुंबई फिल्म फेस्टिवल से सीखने की जरूरत है। मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेजेज(मामी) इसे आयोजित करता है। इस फेस्टिवल की खासियत है कि इसके आयोजकों में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कुछ नामवर हस्तियां जुड़ी हुईं हैं। शुरुआत से इसके चेयरमैन श्याम बेनेगल हैं। उनके मार्गदर्शन में मुंबई फिल्म फेस्टिवल साल-दर-साल मजबूत और बेहतर होता गया है। अभी इसकी इंटरनेशनल पहचान और लोकप्रियता भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया से अधिक है। फिल्मों के चयन, उनके प्रदर्शन, ज्यूरी मेंबर और देश-विदेश के आमंत्रित फिल्मकारों की सूची मात्र ही देख लें तो मुंबई फिल्म फेस्टिवल की बढ़ती महत्ता समझ में आ जाती है।
फिल्म फेस्टिवल किसी भी प्रकार आमदनी का आयोजन नहीं है। इसे सरकारी या गैर-सरकारी आर्थिक सहयोग से ही दक्षतापूर्वक आयोजित किया जा सकता है। मुंबई फिल्म फेस्टिवल को आरंभ से ही रिलायंस का सहयोग मिलता रहा है। एक-दो सालों के व्यवधानों के बावजूद महाराष्ट्र सरकार का समर्थन भी इसे हासिल है। इसके अतिरिक्त मुंबई में स्थित हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के नामचीन फिल्मकार, कलाकार और तकनीशियन इसमें सक्रिय भागीदारी रखते हैं। मुंबई में संघर्षरत और उदीयमान फिल्मकारों के लिए भी यह वार्षिक अड्डे के रूप में विकसित हो रहा है। पिछले दो-तीन सालों से यह देखने में आ रहा है कि देश के फिल्म चिंतक, अध्येता, छात्र और फिल्मकर्मी इन दिनों मुंबई रहने का प्रयास करते हैं। मुंबई फिल्म फेस्टिवल के आयोजक देश के मशहूर फिल्म समीक्षकों को स्वयं आमंत्रित करते हैं। इस वजह से फिल्म फेस्टिवल की प्रासंगिकता, उपयोगिता और महत्व की जानकारी पूरे देश को मिलती है।
फिल्म फेस्टिवल का महत्व बढ़ाने में एक अहम भूमिका फिल्म और फिल्मकारों को दिए गए पुरस्कारों की होती है। इस लिहाज से भी मुंबई फिल्म फेस्टिवल उल्लेखनीय है, क्योंकि देश-विदेश के फिल्मकारों को पुरस्कार राशि के रूप में लाखों रुपए दिए जाते हैं। इस साल मुंबई फिल्म फेस्टिवल ने पुरस्कारों की श्रेणियां भी बढ़ा दी हैं। अब देश के फिल्मकारों के लिए अलग से पुरस्कार की व्यवस्था की गई है। पहली फिल्म के निर्देशकों का इंटरनेशनल पुरस्कार भी इंटरनेशनल महत्व का हो गया है। इस साल विश्व के 18 नए फिल्मकार इस प्रतियोगिता में शामिल हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त पुरस्कारों की दो और श्रेणियां हैं।
इस साल फिल्म फेस्टिवल में दुनियाभर से 265फिल्में लाई गईं हैं। इन्हें इंटरनेशनल कंपीटिशन, सेलिब्रेट एज, सेलिब्रेशन ऑफ हंड्रेड ईयर्स ऑफ इंडियन सिनेमा, एबव द कट, सेलिब्रेशन ऑफ इंडियन सिनेमा, काबुल फ्रेश, वल्र्ड सिनेमा, इंडिया गोल्ड 2012, द रीयल रील, पूसान सेलेक्शन, न्यू फेशेज, रीस्टोर्ड सिनेमा के अंतर्गत दिखाया जा रहा है। फिल्मप्रेमियों के लिए सैकड़ों विकल्प हैं। सात दिनों में 265 फिल्मों का यह महोत्सव देश में अपने प्रकार का अनूठा और महत्वपूर्ण आयोजन है।
14 सालों के बावजूद आयोजन की कुछ खामियां फिल्मप्रेमियों को निराश और उदास करती हैं। फिर भी सात दिनों तक उनका उत्साह देखते ही बनता है। इस साल से मुंबई फिल्म फेस्टिवल शहर के दक्षिणी संपन्न इलाके में होने लगा है। इससे सीटों की संख्या और सहूलियतें बढ़ गईं हैं। साथ ही विदेश से आए मेहमानों को मुंबई के भव्य, साफ-सुथरे और महानगरीय चरित्र की झलक भी मिल जाती है। रिलायंस और महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से आयोजित देश का स्वतंत्र फिल्म फेस्टिवल भविष्य में और भी सार्थक भूमिका अदा करेगा। फिलहाल इस फेस्टिवल की मुख्य भाषा अंग्रेजी है। अगर यहां हिंदी और मराठी को थोड़ी जगह और प्रतिष्ठा मिले तो इसका दायरा और महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा। अपने वर्तमान स्वरूप में ही यह सभी फिल्मप्रेमियों की डायरी में स्थान पाने योग्य हो गया है। अगर इस साल आप नहीं आ सके हैं। कोशिश करें कि अगले साल फिल्मों के महोत्सव से आप वंचित न रहें।
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