सिंगर प्रियंका चोपड़ा
- अजय ब्रह्मात्मज
फिल्म पत्रकारिता में स्टारों, निर्देशकों और तकनीशियनों से बार-बार की मुलाकात में कुछ आप के प्रिय हो जाते हैं। प्रियंका चोपड़ा उनमें से एक हैं। राज कंवर ने मिस वल्र्ड प्रियंका चोपड़ा और मिस यूनिवर्स लारा दत्ता के साथ ‘अंदाज’ शुरू की थी। उसमें उनके हीरो अक्षय कुमार थे। फिल्मालय स्टूडियो में इस फिल्म के सेट पर उन दिनों प्रियंका चोपड़ा अपने माता-पिता के साथ आती थीं। उनके माता-पिता ने बेटी के करियर के लिए बड़ा फैसला लिया था। वे बेटी को सहारा और आसरा देने के लिए सब कुछ छोडक़र मुंबई आ गए थे।
उस पहली मुलाकात में ही प्रियंका चोपड़ा ने प्रभावित किया था। एक लगाव सा महसूस हुआ था। मिडिल क्लास मूल्यों की प्रियंका चोपड़ा की बातों में छोटे शहरों में बिताए दिनों की प्रतिध्वनि सुनी जा सकती थी। मिस वल्र्ड खिताब से मिले एक्सपोजर और अमेरिका में स्कूल की पढ़ाई करने के बाद भी प्रियंका चोपड़ा में एक कस्बाई लडक़ी थी। इसे आप देख सकते हैं। बातें करने, इठलाने, मुस्कुराने, झेंपने, खिलखिलाने और एहसास में उत्फुल्लता नजर आती है। प्रियंका चोपड़ा ने गिरते-पड़ते और आगे बढ़ते हुए ‘बर्फी’ तक का सफर तय किया है। ‘बर्फी’ उनकी बेहतरीन फिल्म है। इस फिल्म की रिलीज के ठीक एक शाम पहले प्रियंका चोपड़ा ने अपना म्यूजिक सिंगल ‘इन माय सिटी’ रिलीज किया।
प्रियंका चोपड़ा का शुभचिंतक होने के नाते ‘इन माय सिटी’ सुनने के पहले तक मुझे लगता रहा था कि वह म्यूजिक अलबम की कोशिश में अपना समय बर्बाद कर रही हैं। अच्छे-खासे फिल्म करियर के बीच में प्रियंका चोपड़ा का यह विक्षेप जंच नहीं रहा था। पिछले डेढ़-दो सालों की मुलाकातों में हर बार प्रियंका चोपड़ा बताती थीं कि वह कैसे अपने अलबम की तैयारी कर रही हैं। प्रियंका के उत्साह को अपने इंटरव्यू में मैंने कभी तूल नहीं दिया। न कभी ज्यादा चर्चा की कि प्रियंका चोपड़ा की गायिका के रूप में क्या महत्वाकांक्षाएं हैं। मुझे यही लगता रहा कि सफल स्टार मस्ती और कुछ अलग करने के लिए गाने गा लेते हैं। प्रियंका को भी ऐसे ही कुछ प्रायोजक और प्रशंसक मिल गए होंगे। उन्होंने चढ़ा दिया होगा और प्रियंका चोपड़ा ने गायकी में कुछ कर दिखाने का सोच लिया होगा।
मुझे यही लगता रहा कि प्रियंका चोपड़ा कंफ्यूज हैं। करियर की ऊंचाई पर आए पठार से उकता कर वह घाटियों में उतर रही हैं। इन घाटियों में हरियाली तो मिलेगी, लेकिन क्रिएशन की वही ऊंचाई हासिल नहीं होगी, जो एक्टिंग पर ध्यान देने से आ सकती है। प्रियंका चोपड़ा फिल्मों की शूटिंग से समय निकाल कर लॉस एंजल्स चली जाती थीं। वहां वह कठिन रियाज करती थीं। अपनी आवाज को साधती थीं। उन्होंने अपनी उम्दा टीम बना ली और अपने अलबम पर काम करती रहीं। गायकी के प्रति प्रियंका के इस समर्पण के बारे में हम अधिक नहींं जानते। बस यही सुनते रहे हैं कि उनके पिता को भी गायकी का शौक है और उन्होंने प्रियंका को बचपन में ही गाना सिखाया था।
दरअसल, प्रियंका चोपड़ा के म्यूजिक सिंगल ‘इन माय सिटी’ ने मेरे वहम और आशंका को खत्म कर दिया। पॉप गायकी में यह इंटरनेशनल लेवल की आवाज है। प्रियंका चोपड़ा को अपनी मेहनत और साधना का सही नतीजा मिलता है तो वह इंटरनेशनल मंच पर इंडियन पॉप सिंगर के तौर पर स्थापित हो सकती हैं। यह एक संभावना है। अब ऐसा लग रहा है कि प्रियंका चोपड़ा यह मुकाम हासिल कर लेंगी। अभिनय और गायिकी में संतुलन बनाए रखना भी प्रियंका का ही फैसला होगा।
गौर करें तो अपने यहां फिल्म गायकी की लोकप्रियता ने बाकी हर प्रकार के संगीत को नुकसान पहुंचाया है। भारत से अभी तक कोई ऐसा सिंगर-परफार्मर उभर कर नहीं आया, जो भारतीय य महाद्वीप का प्रतिनिधित्व कर सके। मुझे सोनू निगम और सुनिधि चौहान में यह संभावना दिखी थी, लेकिन उनमें इसके लिए आवश्यक एकाग्रता नहीं रही। प्रियंका ने फिलहाल ठोस उम्मीद जगायी है, अब देखना है वह ऐसे अपने इस प्रयास को बढ़ाती हैं और इंटरनेशनल सिंगरकी जमात में शामिल होती हैं। फिलहाल पहले कदम की कामयाबी की शुभकामनाएं।
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