सत्यमेव जयते के निर्देशक सत्यजित भटकल
-अजय ब्रह्मात्मज
आमिर
खान की प्रस्तुति सत्यमेव जयते के 13 एपीसोड पूरे हो गए। इस शो के इंपैक्ट
के ऊपर भी उन्होंने एक एपिसोड शूट किया है, जो जल्द प्रसारित होगा।
सत्यमेव जयते की पूर्णाहुति कर आमिर खान अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए निकल
चुके हैं। वे शिकागो में धूम-3 की शूटिंग करेंगे। सत्यमेव जयते के निर्देशक
सत्यजित भटकल का काम अभी समाप्त नहीं हुआ है। वे इसे समेटने में लगे हैं।
सत्यमेव जयते से निकलने में उन्हें और उनकी टीम को वक्त लगेगा। पिछले
ढाई-तीन सालों से वे अपनी टीम के साथ इस स्पेशल शो की तैयारियों, शोध,
अध्ययन और प्रस्तुति में लगे रहे। उनकी मेहनत और सोच का ही यह फल है कि
सत्यमेव जयते टीवी का असरकारी प्रोग्राम साबित हुआ। हालांकि ऊपरी तौर पर
सारा क्रेडिट आमिर खान ले गए और यही होता भी है। टीवी हो या फिल्म.., उसके
ऐंकर और कलाकारों को ही श्रेय मिलता है।
सत्यमेव जयते भारतीय टीवी परिदृश्य का ऐसा पहला शो है, जिसने दर्शकों समेत
ब्यूरोक्रेसी, सरकार और राजनीतिज्ञों को झकझोरा। सामाजिक मुद्दों और विषयों
पर पहले भी शो आते रहे हैं, लेकिन सत्यमेव जयते की तरह सारगर्भित और
प्रभावकारी शो और कोई नहीं आ पाया। शो में रखी गई बातें छिछली नहीं थीं।
आमतौर पर टीवी चैनलों के प्राइम टाइम पर गंभीर मुद्दों की पड़ताल के बहाने
छीछालेदर होती है। सत्यमेव जयते में हर मुद्दे पर विचार करते समय उम्मीद की
लौ नहीं बुझने दी गई। निराशा में छिपी आशा का संकेत दिया गया। सत्यजित
भटकल और आमिर खान के सकारात्मक व्यक्तित्व का सीधा असर रहा सत्यमेव जयते
पर। आमिर खान ने बार-बार कहा कि अगर सत्यजित भटकल ने सत्यमेव जयते की
जिम्मेदारी नहीं ली होती, तो मैं इस शो के लिए हां ही नहीं करता। सत्यजित
पर आमिर को पूरा भरोसा था।
सत्यजित और आमिर की दोस्ती 33 साल पुरानी है। दोनों स्कूल में साथ पढ़ते
थे। सत्यजित अपनी क्लास के मेधावी छात्र थे। अन्य सहपाठियों की तरह आमिर भी
उनसे प्रभावित थे। बाद में आमिर फिल्मों में आ गए और सत्यजित पत्रकारिता,
सामाजिक कार्य और वकालत में उलझे रहे। उन्होंने हमेशा समाज के व्यापक हित
में कार्य किया। आमिर और सत्या (सत्यजित को सभी सत्या ही पुकारते हैं) की
दोस्ती बनी रही। आशुतोष गोवारीकर की फिल्म लगान के निर्माण के लिए हां कहने
पर आमिर ने सत्यजित को अपने प्रोडक्शन से जोड़ा। उन्होंने सत्या को
फिल्मों की तरफ मोड़ा। आरंभ में सत्या प्रोडक्शन की छोटी-मोटी
जिम्मेदारियां निभाते रहे और साथ में दैनंदिन गतिविधियों को पन्ने और कैमरे
में दर्ज करते रहे। उन्होंने बाद में इन्हें अपनी पुस्तक ऐसे बनी लगान और
फिल्म चले चलो का नाम दिया।
फिल्मों का चस्का लगने के बाद सत्यजित को यह माध्यम अधिक प्रभावशाली और
जरूरी लगा। उन्होंने वकालत के दिनों के अनुभवों के आधार पर बॉम्बे लॉयर्स
टीवी शो तैयार किया। यह एनडीटीवी पर प्रसारित हुआ। उन्होंने बच्चों के लिए
जोकोमन फिल्म बनाई। आमिर ने जब स्टार टीवी के शो के लिए हामी भरी तो उन्हें
फिर से सत्या का खयाल आया। उन्होंने सत्या को सत्यमेव जयते की पूरी
जिम्मेदारी सौंपी। सत्या ने इसे महत्वपूर्ण दायित्व के रूप में लिया।
उन्होंने सत्यमेव जयते के 13 एपिसोड से दर्शकों को झिंझोड़ दिया। उन्हें
खुशी है कि यह शो अपेक्षा से अधिक लोकप्रिय हुआ। इसे दर्शकों ने सराहा,
भारतीय समाज में इस शो ने सामाजिक उत्प्रेरक का काम किया। सत्या अब सत्यमेव
जयते के प्रभाव के अध्ययन और विश्लेषण में लगे हैं। साथ ही वे सीजन-2 के
बारे में भी सोच रहे हैं, लेकिन उसके पहले वे पूरी टीम के साथ थोड़ा आराम
चाहते हैं। सत्यमेव जयते ने उन्हें मानसिक रूप से विचलित कर दिया है।
Comments
जैसे पहले पूरा देश मैं भी अन्ना फिर बाद में ये क्या रोज़-रोज़ अन्ना.शायद हम यथास्थिति वादी हो गए है सरकार तरह