दर्शकों की पसंद हूं मैं-सोनाक्षी सिन्हा
-अजय ब्रह्मात्मज
सोनाक्षी सिन्हा की अभी तक दो ही फिल्में रिलीज हुई हैं, लेकिन दोनों ही सुपरहिट रही हैं। ‘दबंग’ और ‘राउडी राठोड़’ की जबरदस्त सफलता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की टॉप हीरोइनों में शामिल कर दिया है। हालांकि दोनों ही फिल्मों की कामयाबी का श्रेय उनके हीरो सलमान खान और अक्षय कुमार को ही मिला। फिर भी कामयाब फिल्म की हीरोइन होने के हिस्से के रूप में सोनाक्षी सिन्हा भी सफल मानी जाएंगी। अब उनकी तीसरी फिल्म ‘जोकर’ रिलीज होगी। इसमें भी उनके हीरो अक्षय कुमार हैं। सोनाक्षी सिन्हा से एक बातचीत ़ ़ ़
- दो-दो फिल्मों की कामयाबी से आप ने इतनी जल्दी ऐसी ऊंचाई हासिल कर ली है। बात कहां से शुरू करें?
0 कहीं से भी शुरू करें। इतनी छोटी जर्नी है मेरी कि न तो आप ज्यादा कुछ पूछेंगे और न मैं ज्यादा बता पाऊंगी। खुश हूं कि मेरी दोनों फिल्में दर्शकों को पसंद आई। पसंद आने की एक वजह तो मैं हूं ही।
- आप की तीसरी फिल्म शिरीष कुंदर की ‘जोकर’ होगी। उसके बारे में बताएं?
0 ‘जोकर’ वैसे मेरी दूसरी फिल्म है। ‘दबंग’ के बाद मैंने ‘जोकर’ ही साइन की थी और उसकी शूटिंग भी आरंभ हो गई थी। यह बहुत ही स्पेशल फिल्म है। इस फिल्म के यूनिकनेस ने मुझे आकर्षित किया था। अभी जैसी फिल्में आ रही हैं, उनसे बिल्कुल अलग है। बाकी अक्षय कुमार का हीरो होना दूसरा आकर्षण था। फराह खान और शिरीष कुंदर को मैं पहले से जानती थी। उनकी वजह से हां करने के लिए अधिक सोचना नहीं पड़ा।
- क्या है यूनिकनेस ़ ़ ़ वैसे इन दिनों हर फिल्म हट के कही जाती है, लेकिन थिएटर में लगने पर सब एक सी दिखती है?
0 हाहाहा ़ ़ ़ मैं आप का इशारा समझ सकती हूं। हिंदी फिल्मों में पहले एलियन, क्रॉप सर्किल, यूएफओ आदि ऐसा नहीं आया है। थोड़ी एक्सपेरिमेंटल फिल्म है। मेरे ख्याल में शिरीष कुंदर ने बहुत अच्छी तरह शूट की है। यह फिल्म बच्चों को बहुत पसंद आएगी। बच्चे आते हैं तो उनके साथ फैमिली भी आती है फिल्में देखने। मुझे तो लगता है कि इस वजह से भी फिल्म चलेगी।
- ‘जोकर’ साइंस फिक्शन है क्या?
0 हां, साइंस फिक्शन है। थोड़ा-बहुत हिंदी फिल्मों का ड्रामा है। वास्तव में यह एक अंडरडॉग की कहानी है। भारतीय दर्शकों को ऐसे हीरो अच्छे लगते हैं। अभी के लिए इतना ही बता सकती हूं। सचमुच, यह अलग टाइप की फिल्म है, इसलिए जितना कम बताएं उतना अच्छा। इसका विजुअल आनंद है। फिल्म का इंतजार करें।
- ‘जोकर’ में अपनी मौजूदगी पर क्या कहेंगी?
0 ऑफकोर्स नयी सोनाक्षी दिखेगी। अभी तक दर्शकों ने मुझे ट्रैडिशनल लुक में ही देखा है। इसमें वेस्टर्न लुक में भी दिखूंगी। हमेशा इंडियन लुक की बात करते हुए लोग सवाल छोड़ जाते हैं कि क्या मैं वेस्टर्न लुक में जंचूंगी? उनके लिए मौका है कि वे परखें और बताएं। ‘जोकर’ में कॉमेडी करती भी दिखूंगी। वैसे ‘जोकर’ नाम से यह अर्थ न लगाएं कि यह हंसी-मजाक की फिल्म है।
- अपने किरदार और रोल के बारे में बताएं?
0 फिल्म में मेरा नाम दीवा है। फराह खान की एक बेटी का नाम दीवा है। फिल्म में मैं एक एनआरआई लडक़ी हूं। वहां से गांव में पहुंचती हूं। गांव में अक्षय कुमार और अन्य लोगों से घुलमिल जाती हूं। इसमें मेरे किरदार के दो पहलू हैं। वेस्टर्न लुक के साथ-साथ इंडियन लुक में भी नजर आऊंगी।
- क्या ‘जोकर’ पहली फिल्म ‘दबंग’ रिलीज होने के पहले ही साइन कर ली थी आप ने?
0 ‘दबंग’ की रिलीज के बाद साइन की थी। मैंने तय किया था कि ‘दबंग’ का नतीजा देखने के बाद ही अगली फिल्म साइन करनी है। दर्शकों के साथ अपनी इंडस्ट्री का रिएक्शन देख लेना चाहती थी।
- ‘दबंग’ करते समय तक आप एकदम नयी थीं। उस फिल्म की कामयाबी ने आपको झटके में बड़ा एक्सपोजर दिया और ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिया। इस अचानक बदलाव का क्या असर हुआ?
0 ऊपरी तौर पर जरूर बदलाव हुआ। परपसेप्शन बदल गया। मेरे प्रति लोगों का नजरिया अच्छा बन गया। अंदरूनी तौर पर कोई असर नहीं हुआ। मैं इसी इंडस्ट्री की लडक़ी हूं। मैंने पापा की जिंदगी में यह शोहरत देखी है। नेम और फेम का गेम समझती हूं। मेरे लिए कामयाबी बहुत बड़ी या अलग बात नहीं थी। इस बार मैं सेंटर में थी, लेकिन इंडस्ट्री में पले-बढ़े होने की वजह से मुझे इसकी ट्रेनिंग मिल चुकी थी। परिवार में पहले से मशहूर कोई है, इसलिए भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। हां, सफल होने वाली परिवार की पहली सदस्य होती तो जरूर फर्क पड़ता। आप को बताया था कि ‘दबंग’ साइन करते वक्त भी एक्टर या स्टार बनने का मेरा कोई शौक नहीं था। सब कुछ अचानक हो गया। ‘दबंग’ के बाद भी निश्चित नहीं थी कि आगे क्या करना है? खुद को इतना सक्षम मानती हूं कि किसी और जॉब में रहती तो भी सफल ही रहती।
- फिर भी इस कामयाबी को सोनाक्षी सिन्हा किस स्तर पर महसूस करती हैं?
0 कामयाबी तो मिली है और मैं इसे ग्रांटेड नहीं समझ सकती। मुझे सभी की अपेक्षाओं के हिसाब से चलना है। जरूरी नहीं है कि कल भी यह कामयाबी बनी रहे। आज मैं जहां हूं, वहां कल कोई और होगा। यह सब तो चलता ही रहता है।
- करिअर के फैसले लेने में कौन मदद करता है? कैसी फिल्में चुननी हैं या बाकी क्या करना -नहीं करना है?
0 परिवार का अनुभव काम आता है। पापा-मम्मी की मदद लेना तो स्वाभाविक है। उनके 40 सालों के अनुभव के बाद भी उनसे सलाह नहीं लेना बेवकूफी ही होगी। नैरेशन में मम्मी साथ में रहती हैं। पापा शहर में नहीं होते तो उन्हें कहानी का सार बता देती हूं। वे अपनी राय दे देते हैं। उनकी राय सुनती हूं। अभी तक के चुनाव में उनकी राय का फायदा देखा है।
- चुनाव में क्या दिक्कत होती होगी? आप के पास तो बड़े ऑफर ही आते होंगे। वैसे भी आपने कोई छोटी फिल्म तो अभी तक नहीं की?
0 ऐसा नहीं है। मेरे पास हर तरह के ऑफर आते हैं और मैं सभी से मिलती भी हूं। एक समय मैं भी नयी थी। अभी कौन सी पुरानी हो गई हूं। सलमान खान जैसे सुपरस्टार मुझे लांच कर सकते हैं तो मैं किसी नए स्टार या डायरेक्टर के साथ काम नहीं कर सकती क्या? अभी तक जो फिल्में या कैरेक्टर मैंने चुने हैं, उनमें कमर्शियल वैल्यू देखी है। अभी एक्सपेरिमेंट या एकदम से हट के रोल नहीं कर सकती। उतना अनुभव भी नहीं है।
- अभी तक आप की सफलता सौ प्रतिशत रही है। 100 करोड़ क्लब में आप करीना कपूर और असिन के साथ हैं। क्या इस से दबाव या कंपीटिशन महसूस करती हैं?
0 मैं प्रेशर नहीं महसूस करती। उल्टा मुझे प्रोत्साहन सा मिला है। जितना अच्छा कर रही हूं,वैसा करती रहूं। सच कहूं तो मैं दबाव में बेहतर काम करूंगी। हर निगेटिव चीज को पॉजीटिव में बदल कर मेहनत करूंगी। मैं लकी हूं। इसे अनदेखा नहीं कर सकती। मुझे इसे बनाए रखना होगा।
- इंडस्ट्री में प्रतिभाओं को अवसर के साथ सफलताएं मिलती रही हैं, लेकिन अनेक इन्हें संभाल नहीं पाते। कुछ ही होते हैं जो शाहरुख खान की तरह सिद्ध करते हैं कि वे सफलता और अवसर के काबिल हैं ़ ़ ़
0 बहुत सही बात कही आप ने ़ ़ ़ मेरे मन में कोई संशय नहीं है। अपने बारे में मैं श्योर हूं। मुझे तो एक्टिंग में ही नहीं आना था। आ गयी और इतना मिला। हां मैं मौके और सफलता को व्यर्थ नहीं जाने दूंगी।
- खुद को मांजने के लिए क्या करती हैं? आप को तो फुर्सत ही नहीं मिली अभी तक $ ़ ़ ़
0 फिल्में करने के दौरान ही यह होता है। डायरेक्टर और अनुभवी एक्टरों के साथ काम करने से सीखने को मिलता है। मेरी फिल्में ही मेरा ट्रेनिंग या लर्निंग ग्राउंड है। हर फिल्म में कुछ नया सीखती हूं। टेक्नीशियन तक कुछ न कुछ सिखा जाते हैं।
- कहां तक जाना है ़ ़ ़ कोई लक्ष्य या मंजिल ़ ़ ़
0 कुछ नहीं मालूम ़ ़ ़ मुझे तो कल के बारे में भी नहीं मालूम कि क्या करना है? फिर भी माधुरी दीक्षित, रानी मुखर्जी, करीना कपूर और विद्या बालन की तरह कुछ कर लेना चाहूंगी।
- आप ने विद्या बालन का नाम लिया। लंबे समय के बाद आप दोनों ने हिंदी फिल्मों की हीरोइनों का कांसेप्ट बदला। बीच में तो जीरो साइज का फैशन चल गया था।
0 मैं अपनी सेहत और देह को लेकर अतिरिक्त सचेत नहीं रही। सभी का नजरिया अलग-अलग हो सकता है। स्क्रीन पर अपीलिंग लगना चाहिए। फैशन हो गया था पतली-दुबली और जीरो साइज दिखना। विदेशों की फैशन मैग्जीन पढ़ कर और सौंदर्य प्रतियोगिताओं की वजह से यह हुआ था। गौर करें तो हिंदी फिल्मों की हीरोइनों का इमेज कभी ऐसा था ही नहीं। सालों के बाद विद्या जी और मेरे साथ यह ट्रेंड वापस आया तो रिफ्रेशिंग चेंज की तरह लगा। हम दोनों कभी डिफेंसिव नहीं रहे। मैं खुश हूं, स्वस्थ हूं और खाते-पीते घर की हूं। आप ने नहीं सुना होगा कि सेट पर बेहोश होकर गिर गई। हट्टी-कट्टी हूं तो बुरा क्या है? जो लिखते हैं, वे कम होते हैं यानी आलोचक, जो देखते हैं वे ज्यादा होते हैं। यानी दर्शक। मैं तो दर्शकों की पसंद हूं।
- किस इलाके में सबसे ज्यादा प्रशंसक हैं आप के?
0 यह कहने की बात ही नहीं है। बिहार और वह भी खास कर पटना के ज्यादा प्रशंसक हैं। झारखंड से भी फैन मेल आते हैं। जर्मनी, रूस, यूक्रेन, अमेरिका, ब्रिटेन सभी देशों में हैं फैन। उनसे ट्विटर के माध्यम से ही इंटरेक्ट करती हूं। फुर्सत मिलने पर कुछ के जवाब देती हूं।
- अपने निर्देशक शिरीष कुंदर के बारे में कुछ बताएं?
0 उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी। हालांकि ‘जोकर’ मेरी दूसरी फिल्म थी। मैंने एक बार पूछा भी कि आप टोकते क्यों नहीं? उनका जवाब था कि तुम सब कुछ सही कर रही हो। तुम्हें कुछ बताने या टोकने की जरूरत ही नहीं है। उनमें भरोसा करने का गुण है।
सोनाक्षी सिन्हा की अभी तक दो ही फिल्में रिलीज हुई हैं, लेकिन दोनों ही सुपरहिट रही हैं। ‘दबंग’ और ‘राउडी राठोड़’ की जबरदस्त सफलता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की टॉप हीरोइनों में शामिल कर दिया है। हालांकि दोनों ही फिल्मों की कामयाबी का श्रेय उनके हीरो सलमान खान और अक्षय कुमार को ही मिला। फिर भी कामयाब फिल्म की हीरोइन होने के हिस्से के रूप में सोनाक्षी सिन्हा भी सफल मानी जाएंगी। अब उनकी तीसरी फिल्म ‘जोकर’ रिलीज होगी। इसमें भी उनके हीरो अक्षय कुमार हैं। सोनाक्षी सिन्हा से एक बातचीत ़ ़ ़
- दो-दो फिल्मों की कामयाबी से आप ने इतनी जल्दी ऐसी ऊंचाई हासिल कर ली है। बात कहां से शुरू करें?
0 कहीं से भी शुरू करें। इतनी छोटी जर्नी है मेरी कि न तो आप ज्यादा कुछ पूछेंगे और न मैं ज्यादा बता पाऊंगी। खुश हूं कि मेरी दोनों फिल्में दर्शकों को पसंद आई। पसंद आने की एक वजह तो मैं हूं ही।
- आप की तीसरी फिल्म शिरीष कुंदर की ‘जोकर’ होगी। उसके बारे में बताएं?
0 ‘जोकर’ वैसे मेरी दूसरी फिल्म है। ‘दबंग’ के बाद मैंने ‘जोकर’ ही साइन की थी और उसकी शूटिंग भी आरंभ हो गई थी। यह बहुत ही स्पेशल फिल्म है। इस फिल्म के यूनिकनेस ने मुझे आकर्षित किया था। अभी जैसी फिल्में आ रही हैं, उनसे बिल्कुल अलग है। बाकी अक्षय कुमार का हीरो होना दूसरा आकर्षण था। फराह खान और शिरीष कुंदर को मैं पहले से जानती थी। उनकी वजह से हां करने के लिए अधिक सोचना नहीं पड़ा।
- क्या है यूनिकनेस ़ ़ ़ वैसे इन दिनों हर फिल्म हट के कही जाती है, लेकिन थिएटर में लगने पर सब एक सी दिखती है?
0 हाहाहा ़ ़ ़ मैं आप का इशारा समझ सकती हूं। हिंदी फिल्मों में पहले एलियन, क्रॉप सर्किल, यूएफओ आदि ऐसा नहीं आया है। थोड़ी एक्सपेरिमेंटल फिल्म है। मेरे ख्याल में शिरीष कुंदर ने बहुत अच्छी तरह शूट की है। यह फिल्म बच्चों को बहुत पसंद आएगी। बच्चे आते हैं तो उनके साथ फैमिली भी आती है फिल्में देखने। मुझे तो लगता है कि इस वजह से भी फिल्म चलेगी।
- ‘जोकर’ साइंस फिक्शन है क्या?
0 हां, साइंस फिक्शन है। थोड़ा-बहुत हिंदी फिल्मों का ड्रामा है। वास्तव में यह एक अंडरडॉग की कहानी है। भारतीय दर्शकों को ऐसे हीरो अच्छे लगते हैं। अभी के लिए इतना ही बता सकती हूं। सचमुच, यह अलग टाइप की फिल्म है, इसलिए जितना कम बताएं उतना अच्छा। इसका विजुअल आनंद है। फिल्म का इंतजार करें।
- ‘जोकर’ में अपनी मौजूदगी पर क्या कहेंगी?
0 ऑफकोर्स नयी सोनाक्षी दिखेगी। अभी तक दर्शकों ने मुझे ट्रैडिशनल लुक में ही देखा है। इसमें वेस्टर्न लुक में भी दिखूंगी। हमेशा इंडियन लुक की बात करते हुए लोग सवाल छोड़ जाते हैं कि क्या मैं वेस्टर्न लुक में जंचूंगी? उनके लिए मौका है कि वे परखें और बताएं। ‘जोकर’ में कॉमेडी करती भी दिखूंगी। वैसे ‘जोकर’ नाम से यह अर्थ न लगाएं कि यह हंसी-मजाक की फिल्म है।
- अपने किरदार और रोल के बारे में बताएं?
0 फिल्म में मेरा नाम दीवा है। फराह खान की एक बेटी का नाम दीवा है। फिल्म में मैं एक एनआरआई लडक़ी हूं। वहां से गांव में पहुंचती हूं। गांव में अक्षय कुमार और अन्य लोगों से घुलमिल जाती हूं। इसमें मेरे किरदार के दो पहलू हैं। वेस्टर्न लुक के साथ-साथ इंडियन लुक में भी नजर आऊंगी।
- क्या ‘जोकर’ पहली फिल्म ‘दबंग’ रिलीज होने के पहले ही साइन कर ली थी आप ने?
0 ‘दबंग’ की रिलीज के बाद साइन की थी। मैंने तय किया था कि ‘दबंग’ का नतीजा देखने के बाद ही अगली फिल्म साइन करनी है। दर्शकों के साथ अपनी इंडस्ट्री का रिएक्शन देख लेना चाहती थी।
- ‘दबंग’ करते समय तक आप एकदम नयी थीं। उस फिल्म की कामयाबी ने आपको झटके में बड़ा एक्सपोजर दिया और ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिया। इस अचानक बदलाव का क्या असर हुआ?
0 ऊपरी तौर पर जरूर बदलाव हुआ। परपसेप्शन बदल गया। मेरे प्रति लोगों का नजरिया अच्छा बन गया। अंदरूनी तौर पर कोई असर नहीं हुआ। मैं इसी इंडस्ट्री की लडक़ी हूं। मैंने पापा की जिंदगी में यह शोहरत देखी है। नेम और फेम का गेम समझती हूं। मेरे लिए कामयाबी बहुत बड़ी या अलग बात नहीं थी। इस बार मैं सेंटर में थी, लेकिन इंडस्ट्री में पले-बढ़े होने की वजह से मुझे इसकी ट्रेनिंग मिल चुकी थी। परिवार में पहले से मशहूर कोई है, इसलिए भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। हां, सफल होने वाली परिवार की पहली सदस्य होती तो जरूर फर्क पड़ता। आप को बताया था कि ‘दबंग’ साइन करते वक्त भी एक्टर या स्टार बनने का मेरा कोई शौक नहीं था। सब कुछ अचानक हो गया। ‘दबंग’ के बाद भी निश्चित नहीं थी कि आगे क्या करना है? खुद को इतना सक्षम मानती हूं कि किसी और जॉब में रहती तो भी सफल ही रहती।
- फिर भी इस कामयाबी को सोनाक्षी सिन्हा किस स्तर पर महसूस करती हैं?
0 कामयाबी तो मिली है और मैं इसे ग्रांटेड नहीं समझ सकती। मुझे सभी की अपेक्षाओं के हिसाब से चलना है। जरूरी नहीं है कि कल भी यह कामयाबी बनी रहे। आज मैं जहां हूं, वहां कल कोई और होगा। यह सब तो चलता ही रहता है।
- करिअर के फैसले लेने में कौन मदद करता है? कैसी फिल्में चुननी हैं या बाकी क्या करना -नहीं करना है?
0 परिवार का अनुभव काम आता है। पापा-मम्मी की मदद लेना तो स्वाभाविक है। उनके 40 सालों के अनुभव के बाद भी उनसे सलाह नहीं लेना बेवकूफी ही होगी। नैरेशन में मम्मी साथ में रहती हैं। पापा शहर में नहीं होते तो उन्हें कहानी का सार बता देती हूं। वे अपनी राय दे देते हैं। उनकी राय सुनती हूं। अभी तक के चुनाव में उनकी राय का फायदा देखा है।
- चुनाव में क्या दिक्कत होती होगी? आप के पास तो बड़े ऑफर ही आते होंगे। वैसे भी आपने कोई छोटी फिल्म तो अभी तक नहीं की?
0 ऐसा नहीं है। मेरे पास हर तरह के ऑफर आते हैं और मैं सभी से मिलती भी हूं। एक समय मैं भी नयी थी। अभी कौन सी पुरानी हो गई हूं। सलमान खान जैसे सुपरस्टार मुझे लांच कर सकते हैं तो मैं किसी नए स्टार या डायरेक्टर के साथ काम नहीं कर सकती क्या? अभी तक जो फिल्में या कैरेक्टर मैंने चुने हैं, उनमें कमर्शियल वैल्यू देखी है। अभी एक्सपेरिमेंट या एकदम से हट के रोल नहीं कर सकती। उतना अनुभव भी नहीं है।
- अभी तक आप की सफलता सौ प्रतिशत रही है। 100 करोड़ क्लब में आप करीना कपूर और असिन के साथ हैं। क्या इस से दबाव या कंपीटिशन महसूस करती हैं?
0 मैं प्रेशर नहीं महसूस करती। उल्टा मुझे प्रोत्साहन सा मिला है। जितना अच्छा कर रही हूं,वैसा करती रहूं। सच कहूं तो मैं दबाव में बेहतर काम करूंगी। हर निगेटिव चीज को पॉजीटिव में बदल कर मेहनत करूंगी। मैं लकी हूं। इसे अनदेखा नहीं कर सकती। मुझे इसे बनाए रखना होगा।
- इंडस्ट्री में प्रतिभाओं को अवसर के साथ सफलताएं मिलती रही हैं, लेकिन अनेक इन्हें संभाल नहीं पाते। कुछ ही होते हैं जो शाहरुख खान की तरह सिद्ध करते हैं कि वे सफलता और अवसर के काबिल हैं ़ ़ ़
0 बहुत सही बात कही आप ने ़ ़ ़ मेरे मन में कोई संशय नहीं है। अपने बारे में मैं श्योर हूं। मुझे तो एक्टिंग में ही नहीं आना था। आ गयी और इतना मिला। हां मैं मौके और सफलता को व्यर्थ नहीं जाने दूंगी।
- खुद को मांजने के लिए क्या करती हैं? आप को तो फुर्सत ही नहीं मिली अभी तक $ ़ ़ ़
0 फिल्में करने के दौरान ही यह होता है। डायरेक्टर और अनुभवी एक्टरों के साथ काम करने से सीखने को मिलता है। मेरी फिल्में ही मेरा ट्रेनिंग या लर्निंग ग्राउंड है। हर फिल्म में कुछ नया सीखती हूं। टेक्नीशियन तक कुछ न कुछ सिखा जाते हैं।
- कहां तक जाना है ़ ़ ़ कोई लक्ष्य या मंजिल ़ ़ ़
0 कुछ नहीं मालूम ़ ़ ़ मुझे तो कल के बारे में भी नहीं मालूम कि क्या करना है? फिर भी माधुरी दीक्षित, रानी मुखर्जी, करीना कपूर और विद्या बालन की तरह कुछ कर लेना चाहूंगी।
- आप ने विद्या बालन का नाम लिया। लंबे समय के बाद आप दोनों ने हिंदी फिल्मों की हीरोइनों का कांसेप्ट बदला। बीच में तो जीरो साइज का फैशन चल गया था।
0 मैं अपनी सेहत और देह को लेकर अतिरिक्त सचेत नहीं रही। सभी का नजरिया अलग-अलग हो सकता है। स्क्रीन पर अपीलिंग लगना चाहिए। फैशन हो गया था पतली-दुबली और जीरो साइज दिखना। विदेशों की फैशन मैग्जीन पढ़ कर और सौंदर्य प्रतियोगिताओं की वजह से यह हुआ था। गौर करें तो हिंदी फिल्मों की हीरोइनों का इमेज कभी ऐसा था ही नहीं। सालों के बाद विद्या जी और मेरे साथ यह ट्रेंड वापस आया तो रिफ्रेशिंग चेंज की तरह लगा। हम दोनों कभी डिफेंसिव नहीं रहे। मैं खुश हूं, स्वस्थ हूं और खाते-पीते घर की हूं। आप ने नहीं सुना होगा कि सेट पर बेहोश होकर गिर गई। हट्टी-कट्टी हूं तो बुरा क्या है? जो लिखते हैं, वे कम होते हैं यानी आलोचक, जो देखते हैं वे ज्यादा होते हैं। यानी दर्शक। मैं तो दर्शकों की पसंद हूं।
- किस इलाके में सबसे ज्यादा प्रशंसक हैं आप के?
0 यह कहने की बात ही नहीं है। बिहार और वह भी खास कर पटना के ज्यादा प्रशंसक हैं। झारखंड से भी फैन मेल आते हैं। जर्मनी, रूस, यूक्रेन, अमेरिका, ब्रिटेन सभी देशों में हैं फैन। उनसे ट्विटर के माध्यम से ही इंटरेक्ट करती हूं। फुर्सत मिलने पर कुछ के जवाब देती हूं।
- अपने निर्देशक शिरीष कुंदर के बारे में कुछ बताएं?
0 उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी। हालांकि ‘जोकर’ मेरी दूसरी फिल्म थी। मैंने एक बार पूछा भी कि आप टोकते क्यों नहीं? उनका जवाब था कि तुम सब कुछ सही कर रही हो। तुम्हें कुछ बताने या टोकने की जरूरत ही नहीं है। उनमें भरोसा करने का गुण है।
Comments
कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
पंचम इसमें वर्जित
है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता
है...
हमारी फिल्म का संगीत
वेद नायेर ने दिया
है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
Check out my weblog ... खरगोश