फिल्‍म समीक्षा : जिस्‍म 2

Review Jism 2 

प्रेम में डूबा देहगीत 

-अजय ब्रह्मात्‍मज

भट्ट कैंप की फिल्मों की एक खासियत सेक्स है। हालंाकि पूजा भट्ट का सीधा ताल्लुक महेश भट्ट से है,लेकिन वह विशेष फिल्म्स के बैनर तले फिल्में नहीं बनातीं। उनकी फिल्मों एक अलग किस्म का सौंदर्य रहता है,जिसे वह स्वयं रचती हैं। जिस्म 2 का सौंदर्य मनमोहक है। सेट,लोकेशन, कलाकारों के परिधान, दृश्य संरचना, चरित्रों के संबंध में सौंदर्य की छटाएं दिखती हैं। जिस्म 2 खूबसूरत फिल्म है। देह दर्शन के बावजूद यह अश्लील नहीं है। देह का संगीत पूरी फिल्म में सुनाई पड़ता है। वयस्क दर्शकों को उत्तेजित करना फिल्म का मकसद नहीं है। इस फिल्म के अंतरंग दृश्यों में सान्निध्य है। हिंदी फिल्मों के अंतरंग दृश्य मुख्य रूप से अभिनेत्रियों की झिझक और असहजता के कारण सुंदर नहीं बन पाते। सनी लियोन देह के प्रति सहज हैं।
फिल्म का पहला संवाद है आई एम अ पोर्न स्टार..यह संवाद सनी लियोन की इमेज,दर्शकों की उत्कंठा और फिल्म को लेकर बनी जिज्ञासा को समाप्त कर देती है। पहले ही लंबे दृश्य में निर्देशक अपनी मंशा स्पष्ट कर देती है। शुद्धतावादियों को पूजा भट्ट की स्पष्टता और खुलेपन से दिक्कत हो सकती है,लेकिन लेखक-निर्देशक स्पष्ट हैं कि वे पर्दे पर देह की उद्दाम लालसा की छवियां पेश कर रहे हैं। उन्हें सनी लियोन से भरपूर मदद मिली है। हिंदी फिल्मों में सक्रिय बोल्ड अभिनेत्रियां भी जिस्म 2 की इज्ना की भूमिका में फीकी और कृत्रिम लगतीं।
इज्ना को गुरू और अयान देश का हवाला देकर कबीर तक भेजते हैं। कबीर से इज्ना का पुराना रिश्ता है। एक रात कबीर उसे छोड़ कर गायब हो गया था। भावनात्मक रूप से आहत इज्ना को लगता है कि वह कबीर से बदला लेने के साथ ही उसे सबक भी सिखा पाएगी। उसे कबीर से कुछ गुप्त डाटा हासिल करने हैं।
कबीर तक पहुंचने के लिए गढ़े गए दृश्य कमजोर हैं। उन्हें अयान का चरित्र निभा रहे अरूणोदय सिंह और भी कमजोर कर देते हैं। अरूणोदय सुदर्शन हैं,लेकिन अभिनय में उन्हें अभी अभ्यास करना होगा। फिल्म के नाटकीय दृश्यों में में वे प्रभावहीन लगते हैं। वहीं रणदीप हुडा ने कबीर को पर्दे पर जीवन दिया है। वे कबीर के द्वंद्व को बखूबी व्यक्त करते हैं। सेलो बजाते हुए वे किरदार के दर्द को बयान करते हैं। हां,और भी गम हैं,जमाने में मुहब्बत के सिवा बोलते समय मुहब्बत के पहले अतिरिक्त गम जोड़ कर वे इस मशहूर अशआर का मर्म कम कर देते हैं। हिंदी फिल्मों में ऐसी असावधानियां खटकती हैं। इस फिल्म में सनी लियोन सरप्राइज करती हैं। उम्मीद नहीं रहती है कि वह अभिनय करती नजर आएंगी,लेकिन इज्ना के प्रेम,दंश,दुविधा और आकुलता को सनी ने अच्छी तरह से व्यक्त किया है। निर्देशक ने उनसे धैर्य से काम लिया है। इज्ना के किरदार को लेखक का पूरा सहयोग मिला है। गुरू के किरदार के साथ आरिफ जकारिया ने न्याय किया है। अयान को डांटते समय उनकी प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
यह फिल्म शुरू से अंत तक नयनाभिरामी लगती है। निश्चित ही कैमरामैन निगम बोम्जान ने कैमरे के संचालन में लय का पालन किया है। पूजा भट्ट के सुंदर प्रोडक्शन डिजायन को निगम ने पर्दे पर साकार किया है। फिल्म का गीत-संगीत प्रभावशाली है। फिल्म का शीर्षक गीत देर तक मन-मस्तिष्क में गूंजता रहता है। शगुफ्ता रफीक ने किरदारों को उनके मिजाज के मुताबिक संवाद दिए हैं। लंबे समय के बाद ऐसे संवाद सुनाई पड़े हैं। हालांकि उसकी वजह से कुछ दर्शकों को संवाद की अधिकता खटक सकती है। पूजा भट्ट की पहली जिस्म में कामुकता थी। वहां देह की भूख की बात की गई थी। जिस्म 2 में प्रेम में डूबा देहगीत है।
अवधि - 132 मिनट
*** तीन स्टार

Comments

News4Nation said…
यकीनन अगर भारत का कोई पोर्न सिनेमा होता तो महेश भट्ट को सनी लियोन को लांच करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती। जिस्म-2 देखने के बाद लगा की सेंसर बोर्ड के आधे से जायदा सीन कटवा देने के बाद जिस्म-2 ऐसी है तो उससे पहले कैसी होगी। एक घिसी पिटी कहानी के साथ पूरी फिल्म में सनी लियोन के जिस्म को तरह तरह से दिखाने की जद्दोजहद चलती रहती है,उन्हें कहानी में कुछ तो कहना था सो एक बार फिर गुनाह की सस्ती सी कहानी कहने की कोशिश की गयी। यकीन नहीं होता की अर्थ और सारांश जैसी फ़िल्में बनाने वाले महेश भट्ट जिस्म,राज और मर्डर जैसी फिल्मो में सुकून पाते है वो भी एक बार नहीं बारंबार। खैर जो सोचते है की वो कल खुश रहेंगे वो कभी खुश नहीं होते।महेश भट्ट आज में खुश रहना चाहते है कल उन्हें किस चीज़ के लिए याद किया जायेगा,यह कोई नहीं जानता।

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