फिल्म समीक्षा : क्या सुपर कूल हैं हम
फूहड़ एडल्ट कामेडी
-अजय ब्रह्मात्मज
सचिन यार्डी की क्या सुपर कूल हैं हम अपने उद्देश्य में स्पष्ट है। उन्होंने घोषित रूप से एक एडल्ट कामेडी बनाई है। एडल्ट कामेडी के लिए जरूरी नटखट व्यवहार,द्विअर्थी संवाद,यौन उत्कंठा बढ़ाने के हंसी-मजाक और अश्लील दृश्य फिल्म में भरे गए हैं। उनके प्रति लेखक-निर्देशक ने किसी प्रकार की झिझक नहीं दिखाई है। पिछले कुछ सालों में इस तरह की फिल्मों के दर्शक भी तैयार हो गए हैं। जस्ट वयस्क हुए युवा दर्शकों के बीच ऐसी फिल्मों का क्रेज किसी लतीफे के तरह प्रचलित हुआ है। संभव है ऐसे दर्शकों को यह फिल्म पर्याप्त मनोरंजन दे।
आदि और सिड संघर्षरत हैं। आदि एक्टर बनना चाहता है और सिड की ख्वाहिश डीजे बनने की है। दोनों अपनी कोशिशों में लगातार असफल हो रहे हैं। कुछ सिक्वेंस के बाद उन्हें अपनी फील्ड में स्ट्रगल की परवाह नहीं रहती। वे लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं। लेखक-निर्देशक उसके बाद से उनके प्रेम की उच्छृंखलताओं में रम जाते हैं। वही इस फिल्म का ध्येय भी है। क्या सुपर कूल हैं हम में स्तरीय कामेडी की उम्मीद करना फिजूल है। फूहड़ता और द्विअर्थी संवादों की झड़ी लगी रहती है। फिल्म के दो नायकों से बात नहीं बनती तो 3जी बाबा के रूप में चंकी पांडे और सनकी बिजनेशमैन मार्लो के रूप में अनुपम खेर को लाया जाता है। मार्लो का नाम हमेशा मारलो पुकारा जाता है। एडल्ट कामेडी के नाम पर नामों के उच्चारण तक में अश्लीलता लाई गई है। फिल्म की संरचना एपिसोडिक रखी गई है। कोशिश है कि हर एपिसोड में हंसने का पर्याप्त मसाला मिले।
फिल्म में रोहित शेट्टी और सुनीता मेनन को रियल किरदारों की तरह दिखाने का अनोखा प्रयास है। दोनों अपनी भूमिकाओं को निभा ले जाते हैं और गरिमा बनाए रखते हैं। तुषार कपूर और रितेश देशमुख ने अपने चरित्रों को बेधड़क तरीके से निभाया है। उन्हें ऊलजलूल हरकतें करने,कपड़े उतारने और चढ्डी सरकाने में शर्म नहीं महसूस होती है। यह नए प्रकार की एक्टिंग है। दोनों अपने चरित्रों को पूरे आत्मविश्वास से निभाते हैं। अनुपम खेर और चंकी पांडे की फूहड़ता दिखाई देती है। नेहा शर्मा और सारा जेन डायस की भूमिकाएं दोनों नायकों के साथ दर्शकों की उत्तेजना बनाए रखने की है। उन्हें वैसे ही दृश्य और कपड़े दिए गए हैं।
फिल्म का गीत-संगीत भी थीम के अनुकूल है। निरर्थक शब्दों को तेज धुनों के साथ पेश कर संगीत का रोमांच पैदा किया गया है,जिसे दोनों मुख्य कलाकार बेशर्मी के साथ पर्दे पर नृत्य की अदाओं में जाहिर करते हैं।
**1/2 ढाई स्टार
-अजय ब्रह्मात्मज
सचिन यार्डी की क्या सुपर कूल हैं हम अपने उद्देश्य में स्पष्ट है। उन्होंने घोषित रूप से एक एडल्ट कामेडी बनाई है। एडल्ट कामेडी के लिए जरूरी नटखट व्यवहार,द्विअर्थी संवाद,यौन उत्कंठा बढ़ाने के हंसी-मजाक और अश्लील दृश्य फिल्म में भरे गए हैं। उनके प्रति लेखक-निर्देशक ने किसी प्रकार की झिझक नहीं दिखाई है। पिछले कुछ सालों में इस तरह की फिल्मों के दर्शक भी तैयार हो गए हैं। जस्ट वयस्क हुए युवा दर्शकों के बीच ऐसी फिल्मों का क्रेज किसी लतीफे के तरह प्रचलित हुआ है। संभव है ऐसे दर्शकों को यह फिल्म पर्याप्त मनोरंजन दे।
आदि और सिड संघर्षरत हैं। आदि एक्टर बनना चाहता है और सिड की ख्वाहिश डीजे बनने की है। दोनों अपनी कोशिशों में लगातार असफल हो रहे हैं। कुछ सिक्वेंस के बाद उन्हें अपनी फील्ड में स्ट्रगल की परवाह नहीं रहती। वे लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं। लेखक-निर्देशक उसके बाद से उनके प्रेम की उच्छृंखलताओं में रम जाते हैं। वही इस फिल्म का ध्येय भी है। क्या सुपर कूल हैं हम में स्तरीय कामेडी की उम्मीद करना फिजूल है। फूहड़ता और द्विअर्थी संवादों की झड़ी लगी रहती है। फिल्म के दो नायकों से बात नहीं बनती तो 3जी बाबा के रूप में चंकी पांडे और सनकी बिजनेशमैन मार्लो के रूप में अनुपम खेर को लाया जाता है। मार्लो का नाम हमेशा मारलो पुकारा जाता है। एडल्ट कामेडी के नाम पर नामों के उच्चारण तक में अश्लीलता लाई गई है। फिल्म की संरचना एपिसोडिक रखी गई है। कोशिश है कि हर एपिसोड में हंसने का पर्याप्त मसाला मिले।
फिल्म में रोहित शेट्टी और सुनीता मेनन को रियल किरदारों की तरह दिखाने का अनोखा प्रयास है। दोनों अपनी भूमिकाओं को निभा ले जाते हैं और गरिमा बनाए रखते हैं। तुषार कपूर और रितेश देशमुख ने अपने चरित्रों को बेधड़क तरीके से निभाया है। उन्हें ऊलजलूल हरकतें करने,कपड़े उतारने और चढ्डी सरकाने में शर्म नहीं महसूस होती है। यह नए प्रकार की एक्टिंग है। दोनों अपने चरित्रों को पूरे आत्मविश्वास से निभाते हैं। अनुपम खेर और चंकी पांडे की फूहड़ता दिखाई देती है। नेहा शर्मा और सारा जेन डायस की भूमिकाएं दोनों नायकों के साथ दर्शकों की उत्तेजना बनाए रखने की है। उन्हें वैसे ही दृश्य और कपड़े दिए गए हैं।
फिल्म का गीत-संगीत भी थीम के अनुकूल है। निरर्थक शब्दों को तेज धुनों के साथ पेश कर संगीत का रोमांच पैदा किया गया है,जिसे दोनों मुख्य कलाकार बेशर्मी के साथ पर्दे पर नृत्य की अदाओं में जाहिर करते हैं।
**1/2 ढाई स्टार
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