नजरअंदाज होने की आदत पड़ गई थी- विनीत सिंह
गैंग्स ऑफ वासेपुर के दानिश खान उर्फ विनीत सिंह
बैग में कुछ कपडे और जेहन
में सपने लेकर मुंबई आ गया. न रहने का कोई खास जुगाड़ था न किसी को जानता
था. शुरूआत ऐसे ही होती है. पहले सपने होते हैं जिसे हम हर रोज़ देखते
है,फिर वही सपना हमसे कुछ करवाता है, इसलिए सपना देखना ज़रूरी है. लेकिन
सपना देखते वक़्त हम सिर्फ वही देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं और जो हमें
ख़ुशी देता है इसलिए सब कुछ बड़ा आसान लगता है. पर मुंबई जैसे शहर में जब
हकीकत से से दो-दो हाथ होता है तब काम आती है आपकी तयारी. क्यूंकि
यहाँ किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर से मिलने में ही महीनो लग जाते हैं
काम मिलना तो बहुत बाद की बात है. बताने या कहने में दो-पांच साल एक वाक्य
में निकल जाता है लेकिन ज़िन्दगी में ऐसा नहीं होता भाईi, वहां
लम्हा-लम्हा करके जीना पड़ता है और मुझे बारह साल लग गए गैंग्स ऑफ़ वासेपुर
तक पहुँचते-पहुँचते. मेरी शुरुआत हुई एक टैलेंट हंट से जिसका नाम ही
सुपरस्टार था. मै उसके फायनल राउंड का विजेता हुआ तो लगा कि गुरु काम हो
गया. अब मेरी गाडी तो निकल पड़ी लेकिन बाहर से आये किसी बन्दे या बंदी के
साथ यहाँ सब कुछ इतना आसान नहीं है ये मुझे बाद में पता चला. मै किसी
स्टार का बेटा तो हूँ नहीं कि कोई एकदम से मुझे लौंच कर दे. टैलेंट हंट
में मेरी मुलाकात महेश मांजरेकर से हुई. उन्होंने एक फिल्म में काम करने
का मौका दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह फिल्म नहीं चली. उसके बाद पागलों के
दिन शुरू हो गए. सुबह से डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के ऑफिस के चक्कर लगाना
शुरू कर देता था और जब तक तक थक के चूर नहीं हो जाता तब तक लगा रहता था.
मै एनएसडी या एफटीआईआई से नहीं था इसलिए मेरे कोई सीनियर या दोस्त भी नहीं
था कि गम हल्का कर सकू. जो दोस्त मेरे साथ मुंबई आये थे वो यहाँ की हालत
देख कर कुछ महीनो या सालों में वापस हो लिए. मै मेडिकल कॉलेज से था इसलिए
लोगों को मेरे अभिनय को लेकर भरोसा भी कम था, मज़ेदार बात ये होती थी की कोई
काम तो देता नहीं था हाँ ज्ञान ज़रूर दे देता था कि "डॉक्टर हो, वापस चले
जाओ....फिल्म के चक्कर में बर्बाद हो जाओगे." कई बार लोगों ने हंसी भी उड़ाई
लेकिन अब वही लोग इज्ज़त भी देते हैं, अच्छा लगता है. खैर! पहली फिल्म
असफल होने के बाद मैंने महेश मांजरेकर के साथ डायरेक्शन में ६-७ फ़िल्में
कर डाली. उनके साथ मराठी सीख गया. उम्मीद थी की कभी न कभी महेश जी मुझे
लेकर फिल्म बनायेंगे या कोई मज़बूत रोले देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मेरा
सपना अभी भी मुझे उतना ही दूर था. उसके बाद मैंने नए तरह से काम करना शुरू
किया. कई फिल्मों में एक-दो सीन इस उम्मीद में करता गया कि कभी बड़ा रोल
मिलेगा लेकिन वह भी नहीं हुआ बल्कि लोगों ने एक-दो सीन के लिए ही बुलाना
शुरू कर दिया. न पैसे अच्छे मिलते थे न रोल. फिर सीरियल में काम किया ताकि
अपना खर्च उठा सकूँ. फिर ११ साल बाद महेश मांजरेकर ने अपनी फिल्म सिटी ऑफ़
गोल्ड में मुझे लीड करने का मौका दिया. यह फिल्म हिंदी और मराठी दो भाषाओ
में बनी. लेकिन किस्मत ने यहाँ भी झटका दे दिया......फिल्म अच्छी होने के
बावजूद भी नहीं चली क्यूंकि फिल्म में कोई स्टार नहीं था.
मेरा दिन बदलना शुरू हुआ अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के साथ.
अनुराग कश्यप ने कहा कि तुम अच्छे एक्टर हो. उनका ये कहना मेरे लिए ये
बड़ी बात थी क्योंकि उन्होंने मेरे टूट रहे भरोसे को एक सहारा दिया, और
अपनी फिल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में एक महत्वपूर्ण किरदार के लिए चुन
लिया. फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है लेकिन मुझे उनकी फिल्म में काम करने के
बाद कई काम मिल रहे है. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की शूटिंग में मुझे कई सारे
अनुभव हुए. मुझे मेरे पसंदीदा एक्टर मनोज बाजपेयी के साथ कई सीन करने का
मौका था. मै इस फिल्म में उनके बेटे की भूमिका में हूँ. जिसका नाम दानिश
खान है. मुझे याद है जब शूटिंग के ६ महीने पहले अनुराग कश्यप ने कहा की
विनीत मुझे तुम्हारे रोल में ऐसा लड़का चाहिए जो एकदम पतला दुबला हो, इसलिए
तुम अपना वजन कम करो. तब यहाँ मेरी पढाई काम आई और मैंने वजन कम करने के
हिसाब से अपना शेड्यूल बनाया और ६ महीने में मैंने अपना १६ कग वजन कम कर
किया. अनुराग कश्यप ने मेरी शूटिंग से चार दिन पहले मुझे सेट पर आने को
कहा ताकि मै लोगों से घुल मिल सकूँ. मै बनारस आ गया. जब मै सेट पर पहुंचा
तो यूनिट के लोग मेरे सामने से आ जारहे थे लेकिन किसी ने मुझे पहचाना ही
नहीं. मुझे इतने सालों में नज़रंदाज़ होने की आदत सी पड़ गई थी, इसलिये मै
चुपचाप एक कोने में में बैठ गया और सोचने लगा कि मैंने चार दिन पहले आकर
कोई गलती तो नहीं की? फिर मै उठा और सीधे अनुराग कश्यप के पास पहुंचा और
उनको हेलो कहा. उन्होंने मुझे देखा और सरप्राइज हो गए , पहले उन्होंने गले
से लगा लिया और फिर उनका पहला वाक्य था कि "विनीत वजन कैसे कम किया तुम
ने? तुम तोह पहचान में ही नहीं आ रहे हो. मुझे यही चाहिए था तुम्हारे
किरदार के लिए, वाह" फिर सभीi लोग इकट्ठे हो गए और सब ने कहा की विनीत भाई
आये तो हम लोगों ने पहचाना ही नहीं और ये चुपचाप एक jजगह बैठ गए तो हम
लोगों को लगा कि कोई होगा. तब मैने समझा कि कई बार हमारे पुराने कड़वे
अनुभव हमें गलत सोचने पर मजबूर कर देते है, jजबकिh कुछ और होता है.
मुझे वासेपुर की शूटिंग में बहुत से सीनियर के साथ काम करने और सीखने का
मौका मिला .सभी लोग थिएटर के माने हुए कलाकार हैं जैसे मनोज बाजपेयी
नवाजुद्दीन सिद्दिकी,पियूष मिश्रा,तिग्मांशु धूलिया,रिख चड्ढा,हुमस
कुरेशी,जमील अहमद सब एक से बढ़ कर एक. मैंने हमेशा लोगों को देख कर ही
सीखा है. इसलिए मै रोज़ सेट पर जाता था था ताकि ये समझ सकूँ कि कौन एक्टर
किस तरह से अपने किरदार को अप्रोच करता है. और कमाल की बात थी कि मै हर
रोज़ सरप्राइज होता था. अनुराग कश्यप के साथ काम करना मेरे लिए बहुत बड़ा
मौका था इसलिए मै हमेशा उनकी बात ध्यान से सुनता था लेकिन पहले दिन मै
बहुत नर्वस था क्यूंकि मुझे एस बात का डर लग रहा था कि क्या मै उनके
विश्वास पर खरा उतर पाऊंगा? लेकिन अनुराग कश्यप ने मुझे जिस तरह से सीन
समझाया और मुझे लिैक्स किया उसे मै भूल नहीं सकता a. पहले दिन की शूटिंग
पट्रोल पंप पर थी, सीन मेरा था और सीन में सभी सीनियर एक्टर थे जैसे मनोज बाजपेयी नवाजुद्दीन सिद्दिकी,पियूष मिश्रा,,जमील अहमद
और 200 की भीड़. साथ ही उस दिन तीन तीन कैमरे हुए थे. सीन श्ुरू हुआ और
पूरा सीन एक टे में खत्म हो गया...मुझे पता ही नहीं चला कि मै कर गया.
सभीi ने तारु की, गले लगाया. वो पल मेरे लिए यादगार है क्यूंकि उसी पल में
सभी ने मुझे स्वीकार कर लिया की ये लड़का एनएसडी या किसी प्रोफशनल स्कूल
l से नहीं है पर अच्छा है. उसके बाद मै सबसे घुल-मिल गया. उसके बाद सब कुछ
आसान हो गया.
बनारस का होने के नाते अनुराग कश्यप ने एक्टर्स की जिम्मेदार में
डुपर डाल दीi थी इसलिये मुझे सभी के साथ वक़्त गबताने का ज्यादा मौका
मिला. हम लोग एक साथ दौड़ने जाते थे, घूने जाते थे, बनारस की बलियों में
घूते थे लेकिन सोच समझ कर खाना पड़ता था क्यूंकि शूटिंग करीब सीधे तीन
महीने तक चलनी थी. जब शूटिंग खत्म होने को आई तोह ऐसी कोई मिठाईया चाट
नहीं बचा था जिसे लोगों ने खाया न हो. सेट पर मनोज बाजपेयी से एक्टिंग को
लेकर खूब चर्चा की और उनके बताए हुए टिप्स आज भी मेरे बिस्तर के साने
दीवार पर लगे हुए हैं. नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ बहुत वक़्त बिताया. उनसे
काफी कुछ सीखने का मौका मिला, वो अद्भुत कलाकार हैं.पियूष मिश्रा ने हमेशा
मेरा हौसला बढ़ाया।. मै गैंग्स ऑफ़ वासेपुर को लेकर बहुत उत्साहित हूँ.
22 june को फिल्म सिनेमाघरों में लग रही है. देखिए और दिखइए। फिल्म बहुत
कमाल की बनी है।
Comments
I feel very proud u keep up your strugle. Its very important for achieving any goal. Moreover, thanks for sharing your story with us. And also I proud of most of my schoolmates are now started to blink as a star in different fields. I wish you all my best. Keep UP. Girish
May God bless you.
Make Way Guys,Vineet is here!! \m/
-
Abhinav
All the best, bro keep rocking and may u reach the pinnacle of success....
The beauty and courage is not in never falling, but rising everytime we fall.
Congrats bhaiya......wish you all the best for your bright future.
Incredible effort and patient...Keep it up...Best wishes for all your future films...
I believe that you will illuminate the bollywood cinema fraternity with your talent all over the world.
Your hard work and dedication are appreciated and I hope that you continue working this hard and achieve all your goals and keep entertaining all of us with meaningful cinema.
True heart touching story of how perseverance is paid off in real life .
Kudos to u and many more achievements in time to come.
and ofcourse....waiting eagerly to watch the movie....
gud going.....keep it up......
lots of gud wishes....:)
Hats off to your determination and hard work.
All the best in your endeavor, may you have all the success.
मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहे
की ज़ररा खाक मे मिलकर ही गुल-ओ-गुलज़ार होता हैं
Going through the chronicle of your remarkable achievement with lot of ups and downs, I would like to share few rhyming lines from different Hindi poems clubbed together to sound impactful….
उठ बांध कमर क्यों डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है
जब हिम्मत की शैलानी है
कर डाल जो मन में ठानी है
उठ बांध कमर क्यों डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है …..
मेहँदी जब सहती है प्रहार
बनती ललनाओ के श्रृंगार
जब फूल पिरोये जाते हैं
हम उनको गले लगते हैं …..
If fruitful accomplishment of a venture is equally poised by pre-hand stories of struggle and initial glitches on the path, the whole epic of the victory becomes more celebrated, cherished and highly esteemed.
Success is counted sweetest by only those who have shown courage during temporary failures on the journey. To comprehend nectar, requires sorest need. Your success story sounds with same trumpet. You have done great job and become a role model for your dear ones and followers. And your indomitable, impossible to subdue & succumb to oncoming defeats and challenges have let your desires to come at your disposal. Really the well said maxim “इतनी शिद्दत से मैंने तुम्हे पाने की कोशिश की है , कि हर ज़र्रे ने मुझे तुमसे मिलाने कि साज़िश कि है” is aptly placed in your story of attaining success.
May God let you have many more success in your life, and you remain a motivating figure for those aspirants who wish to achieve something par-excellence by sheer dint of hard work and faith in their capability during troughs along journey.
Going through the chronicle of your remarkable achievement with lot of ups and downs, I would like to share few rhyming lines from different Hindi poems clubbed together to sound impactful….
उठ बांध कमर क्यों डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है
जब हिम्मत की शैलानी है
कर डाल जो मन में ठानी है
उठ बांध कमर क्यों डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है …..
मेहँदी जब सहती है प्रहार
बनती ललनाओ के श्रृंगार
जब फूल पिरोये जाते हैं
हम उनको गले लगते हैं …..
If fruitful accomplishment of a venture is equally poised by pre-hand stories of struggle and initial glitches on the path, the whole epic of the victory becomes more celebrated, cherished and highly esteemed.
Success is counted sweetest by only those who have shown courage during temporary failures on the journey. To comprehend nectar, requires sorest need. Your success story sounds with same trumpet. You have done great job and become a role model for your dear ones and followers. And your indomitable, impossible to subdue & succumb to oncoming defeats and challenges have let your desires to come at your disposal. Really the well said maxim “इतनी शिद्दत से मैंने तुम्हे पाने की कोशिश की है , कि हर ज़र्रे ने मुझे तुमसे मिलाने कि साज़िश कि है” is aptly placed in your story of attaining success.
May God let you have many more success in your life, and you remain a motivating figure for those aspirants who wish to achieve something par-excellence by sheer dint of hard work and faith in their capability during troughs along journey.
good spirit....keep it up....
"Sooner or later the man who wins is the man who thinks he can"
"You never can say how close you are...
It may be near when it seems so far....
So, stick to the fight when you are hardest hit...,
When things go wrong that you mustn't quit."
Wish you a grand success here...
Kamal ki acting ki hai apnae....
You created comedy by your style... serial and silent comedy.... great!!
Wish you all the best in all your future efforts .. :)
Agar yad hoi ta
Tony
from U P College
your journey to Gangs of wasseypur is just begining in my opinion,as your Fan i would add up you have lot more to show to all of us.keep working hard, actualy i am your fan when i saw your act in Supoerstar show hosted by chunkey pandey and you were a winner,i saw your histrionic skilss there and i believe if you get even more challenging roles you can justify them.
As your fan i can go to an extent that you even can justify role played by Manoj bajpaye if given chance.
so dear you have a great way ahead,i wish u all the luck for your future.
Really you did a great acting and you have proved that for any kind of success indomitable will is required...... great job