क्यों बौखलाए हुए हैं शाहरुख खान?
-अजय ब्रह्मात्मज
बाल मनोविज्ञान के विशेषज्ञ ठीक-ठीक बता सकते हैं कि हाल ही में सुहाना के सामने हुई उनके पिता शाहरुख खान और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों के बीच हुई बाताबाती और झड़प का उन पर क्या असर हुआ होगा? जो भी हुआ, उसे दुखद ही कहा जा सकता है। शाहरुख खान की बौखलाहट की वजह है। वे स्वयं बार-बार कह रहे हैं कि उनके बच्चों के साथ कोई दुव्र्यवहार करेगा तो उनकी नाराजगी लाजिमी है। उन्हें अपनी नाराजगी और गुस्से में कही बातों का कोई अफसोस नहीं है। वे उसे उचित ठहराते हैं। उनके समर्थक भी ट्विटर पर ‘आई स्टैंड बाई एसआरके’ की मुहिम चलाने लगे थे। पूरा मामला तिल से ताड़ बना और अगले दिन अखबारों की सुर्खियां बना। समाचार चैनलों पर तो सुबह से खबरें चल रही थीं। मीडिया को बुला कर शाहरुख खान ने अपना पक्ष भी रखा, लेकिन मामले ने तूल पकड़ लिया।
पूरे मामले में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि शाहरुख खान ने शराब नहीं पी रखी थी। मानो शराब पीने से ही मामला संगीन बनता है, वर्ना देश का लोकप्रिय स्टार भडक़ कर ‘यहीं गाड़ देने की’ धमकी दे सकता है। आश्चर्य है कि लोकप्रिय स्टार नाराज होने पर कैसी भाषा और कैसे शब्दों का चुनाव करते हैं? किसी भी सभ्य या सुशील व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह सार्वजनिक तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करे। खास कर अगर वह सेलिब्रिटी है तो उसे विशेष संयम बरतना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर उनके मुंह से ऐसे शब्दों और गालियों को सुन कर लगता है कि उनकी लोकप्रियता और छवि केवल मुखौटा भर है। उस मुखौटे के पीछे के व्यक्ति का यही सच है कि वह बेसिक इमोशन में आने पर बदजबान हो जाता है।
दरअसल, भारतीय समाज में फिल्म स्टार का ओहदा इन दिनों काफी बढ़ गया है। उन्हें सामाजिक स्वीकृति मिल चुकी है। उनका हर मोमेंट और मूवमेंट सुविधाओं से सजा होता है। बगैर संवैधानिक प्रावधान के उन्हें प्राथमिकताएं मिलती हैं। उनकी खुशी और सुविधा में सभी बिछे रहते हैं। निश्चित ही वे हमें खुशी देते हैं। उन्हें देखते ही एक सुखद एहसास होता है, जो चंद क्षणों के लिए हमें अपनी वास्तविक दुनिया से निरपेक्ष कर देता है। बिजली की लहर की तरह यह एहसास हमें झंकृत करता है। वास्तव में यह दक्षिण एशियाई सामाजिक परिघटना है। हम अपने स्टारों का पूजते हैं। ऐसे माहौल में कुछ स्टारों का दिल-ओ-दिमाग हिल जाता है। वे स्वयं को सर्वशक्तिमान समझने लगते हैं। उनकी इस सत्ता को कहीं से भी चुनौती मिलती है तो वे बौखला जाते हैं। यह बौखलाहट अकेले शाहरुख खान में नहीं है। वैसे इस संयोग का भी अध्ययन होना चाहिए कि आखिर क्यों शाहरुख ही बार-बार उत्तेजित मुद्राओं में दिख रहे हैं?
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दबी जबान से यह बात कही जाने लगी है कि तीनों खानों (आमिर, सलमान और शाहरुख) में सबसे कमजोर स्थिति शाहरुख खान की है। पिछले दिनों उनकी फिल्में बाकी दोनों खानों की तुलना में कम चली हैं। दर्शकों ने उनकी फिल्मों के प्रति कम उत्सुकता दिखाई है। उनके ड्रीम प्रोजेक्ट ‘रा ़ वन’ से वितरकों-प्रदर्शकों को नुकसान हुआ और दर्शक निराश हुए। कहीं यह पुरानी लोकप्रियता को फिर से हासिल करने और आगे बने रहने की व्याकुलता तो नहीं है, जो बौखलाहट के रूप में बार-बार सामने आ रही है।
यह कहना लगत होगा कि शाहरुख खान के दिन लद गए। उनकी एक फिल्म हिट होगी और सब कुछ बदल जाएगा। फिर से तारीफें शुरू हो जाएंगी और गुणगान जारी होगा। फिलहाल बाक्स आफिस और बाजार में शाहरुख खान बाकी दोनों खानों से भले ही पीछे नजर आ रहे हैं, लेकिन निर्माता-निर्देशक और दर्शकों का भरोसा उन्होंने नहीं खोया है। सभी इंतजार में है कि उनकी एक फिल्म हिट हो। उम्मीद की जा रही है कि यश चोपड़ा की अगली फिल्म उन्हें फिर से उस स्थान पर ले जाएगी।
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ज़रा 'रुख़' से पर्दा हटा लीजिये !
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