जूनियर शॉटगन सोनाक्षी सिन्हा
-अजय ब्रह्मात्मज
अभिनव सिंह कश्यप की फिल्म दबंग से
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दमदार दस्तक दे चुकी सोनाक्षी सिन्हा की दूसरी फिल्म अभी
तक नहीं आई है। 10 सितंबर 2010 को रिलीज हुई दबंग ने कई मायने में इतिहास
रचा और सोनाक्षी की जगह फिल्म इंडस्ट्री में पक्की कर दी। उन्हें कई पुरस्कार मिले
और कंज्यूमर प्रोडक्ट के विज्ञापन भी। कुछ फिल्में भी मिलीं,लेकिन उनके निर्माण में ही पिछला साल निकल
गया। 2011 में सोनाक्षी ने
सिनेमाघरों में दर्शकों को दर्शन नहीं दिया। हल्की फुसफुसाहट भी सुनने को मिली कि कहीं
सोनाक्षी वन फिल्म वंडर तो नहीं हैं। शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी पर सभी की नजर है। स्टारपुत्र
और पुत्रियों को खारिज करने के लिए आलोचकों का एक समूह डटा रहता है। अपनी दूसरी-तीसरी
फिल्मों में सोनाक्षी को ऐसी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा।
अभी की बात करें तो सोनाक्षी अपनी
फिल्मों के चक्कर में देश के विभिन्न शहरों के दौरे कर रही हैं। कभी बादामी तो कभी
डलहौजी,कभी पटियाला तो
कभी कोलकाता,हंपी और मुंबई...
चार फिल्मों की शूटिंग की तारीखों और किरदारों को संभालने के साथ देश के भिन्न इलाकों
में लगे सेट और लोकेशन पर समय से पहुंचना ...सोनाक्षी ने साबित किया है कि वह अपने
पिता की बदनाम लेटलतीफी से दूर हैं। हालांकि ट्विटर पर अपने परिचय में उन्होंने खुद
को शॉटगन जूनियर लिखा है। बातचीत में प्रगल्भ होने के बावजूद वह अपने पिता की तरह वाचाल
नहीं हैं। वह हाजिरजवाब जरूर हैं। निश्चित ही उन्हें यह गुण अपने पिता से मिला है,लेकिन पहली फिल्म की कामयाबी ने उनके इस
गुण को निखार दिया है। उनके जुड़वां बड़े भाइयों लव और कुश ने भी फिल्मों में बतौर
एक्टर जमने की कोशिश की,लेकिन उन्हें
सोनाक्षी जैसी सफलता नहीं मिली। सोनाक्षी में हिंदी फिल्मों की पारंपरिक अभिनेत्रियों
की कुछ मूलभूत विशेषताएं हैं। वह नरगिस,मधुबाला,वैजयंती माला,हेमामालिनी,श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित की अगली कड़ी
हैं। महिलाओं के भारतीय सौंदर्य का आधुनिक प्रतिरूप। सौंदर्य प्रतियोगिताओं से आई अभिनेत्रियों
ने हिंदी फिल्मों की हीरोइनों के सौंदर्य का मानदंड बदल दिया था। जीरो साइज अभिनेत्रियों
की भी चर्चा होने लगी थी। एक अरसे के बाद सोनाक्षी सिन्हा के रूप में हिंदी फिल्मों
को पारंपरिक हीरोइन मिली। सोनाक्षी अपनी इस खूबी को जानती हैं और उनके निर्देशक उनकी
इस खूबी का उचित इस्तेमाल कर रहे हैं।
सोनाक्षी सिन्हा की शिरीष कुंदर निर्देशित
जोकर की शूटिंग पूरी हो चुकी है। अभी वह राउडी राठोर,लूटेरा,सन ऑफ सरदार और दबंग-2 की एक
साथ शूटिंग कर रही हैं। चारों ही बड़ी फिल्में हैं। इनमें उनके हीरो अक्षय कुमार,रणबीर सिंह,अजय देवगन और सलमान खान हैं। दबंग-2 की शूटिंग उन्होंने 18 मार्च से आरंभी की है। सोनाक्षी सिन्हा
ने अपने किसी प्रशंसक के सवाल पर ट्विट किया है कि जून से मैं ही मैं हूं। उनकी पांचों
फिल्में इस साल की जून से लेकर अगले साल की ईद तक रिलीज होंगी। एक साल में पांच फिल्मों
का रिलीज होना भी एक घटना होगी।
सोनाक्षी सिन्हा ने डिजायनिंग की
पढ़ाई की है और उन्होंने डिजायनिंग के प्रोफेशन में जाना तय कर लिया था कि सलमान खान
से मुलाकात हुई और दबंग की योजना बन गई। फिल्मों में उनका अकस्मात आना हुआ,लेकिन पहली फिल्म के लिए उन्होंने वजन घटाने
और सिनेमा का क्राफ्ट सीखने में कोई कसर नहीं रहने दी। उन्होंने अपने पिता की सीख को
अपनाया। शत्रुघ्न सिन्हा हमेशा कहते हैं कि अगर श्रेष्ठ न बन सको तो भिन्न होकर दिखाओ।
सोनाक्षी सिन्हा समकालीन सभी अभिनेत्रियों से भिन्न हैं और अपनी भिन्नता से सभी को
लुभा रही हैं। सोनाक्षी सिन्हा के व्यक्तित्व में एक देसी घरेलूपन है। वह अपने परिवार
से जुड़ी हुई हैं। फिल्मों की शूटिंग के सिलसिले में लंबी अवधि तक घर से दूर रहने पर
उन्हें मां का ताना और घर का खाना याद आने लगता है।
सोनाक्षी सिन्हा की लोकप्रियता और
स्वीकृति के सबूत के रूप में हम उनके एंडोर्स किए जा रहे प्रोडक्ट को देख सकते हें।
वह जेवर,सौंदर्य प्रसाधन,टूथपेस्ट,ड्रेस मैटेरियल रेंज की बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट के चेहरे
के तौर पर नजर आ रही हैं। अपने प्रोडक्ट एंडोर्समेंट में वह ताजगी और भरोसा ले आती
हैं।
काम के प्रति अपनी लगन और व्यस्तता
से सोनाक्षी ने उम्मीद जगायी है कि वह जल्दी ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्रियों
की अगली कतार में शामिल हो जाएंगी। उन्होंने एक बातचीत में कहा था कि मेरा सबसे बड़ा
संघर्ष उम्मीदों,अफवाहों और तुलना
के बीच मानसिक संतुलन बनाए रखना है। श्रेष्ठ होने का दबाव कई बार नाहक कमजोर करता है।
सोनाक्षी सिन्हा के साथ मां-पिता का मजबूत संबल है। वह सुदृढ़ और संस्कारी परिवार से
आई युवा अभिनेत्री हैं।
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