47 के हुए आमिर खान
मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान आज 47 वर्ष केहो गए हैं लेकिन उनकी ऊर्जा आज भी किसी युवा स्टार से कम नहीं है। इसकी बड़ी वजह है कि वे अनुशासित तरीके से खुद को नए प्रोजेक्ट में झोंक देते हैं। फिल्में करते समय उनकी स्थिति किसी ऋषि जैसी हो जाती है, जो दीन-दुनिया से खुद को काट कर साधना में लीन रहता है।
उनकी पत्नी किरण राव मानती हैं कि आमिर की यह तन्मयता संक्रामक होती है। उनके आसपास के लोग भी उसी अवस्था में रहने और जीने लगते हैं। स्वयं आमिर मानते हैं कि उनके जीवन में किरण के आने से उनके व्यक्तित्व, सोच और जीवन शैली में फर्क आया है। अब वे ज्यादा एकाग्र भाव से काम कर रहे हैं और जीवन को उसकी वैरायटी के साथ समझ रहे हैं। उम्र के अनुभव के साथ जिंदगी को सुकून और काम करने का नया जोश मिल गया है।
बेमिसाल है समर्पण
काम हो या परिवार, आमिर खान का समर्पण भाव बॉलीवुड में मिसाल है। 1 दिसंबर को तीसरी संतान आजाद के जन्म के बाद आमिर खान परिवार के बीच नजरबंद हो गए। जन्म के एक हफ्ते बाद ही उन्होंने पूरी दुनिया को बेटे के बारे में बताया। फिर पत्नी किरण के साथ आजाद की देखभाल में लग गए। करीबी बताते हैं कि उन्होंने जनवरी का महीना पूरी तरह से परिवार के लिए समर्पित कर दिया।
फरवरी में अपने टीवी शो सत्यमेव जयते के मोंटाज की शूटिंग के लिए उन्होंने देशाटन किया। कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से सिक्किम की यात्रा में आम नागरिक की तरह देशवासियों से मिले। उनसे देशज्ञान अर्जित किया और अब अपने मित्र सत्यजीत भटकल के साथ टीवी शो सत्यमेव जयते की बारीकियों में लीन हैं। इस टीवी शो के साथ ही उनकी फिल्म तलाश 30 नवंबर को रिलीज होगी। करीब दो साल बाद उनकी कोई फिल्म दर्शकों के बीच पहुंचेगी। उसके बाद फिर दर्शकों को एक साल धूम 3 के लिए इंतजार करना होगा। हालांकि बीच में वे किरण राव की फिल्म धोबी घाट में दिखे थे, लेकिन वह स्टार और हीरो आमिर खान की फिल्म नहीं थी।
स्टारडम का सदुपयोग
लंबे अंतराल के बावजूद ब्रांड आमिर खान का न तो भाव कम हुआ है और न दर्शकों की जिज्ञासा और पसंद में कोई कमी आई है। इस बीच प्रतिद्वंद्वी शाहरूख खान की तीन और सलमान खान की छह फिल्में आ चुकी हैं। उनकी फिल्मों ने भी अच्छा कारोबार किया है, लेकिन थिएटरों से लगभग ढाई साल तक अनुपस्थित रहने के बावजूद इस हीरो की हाजिरी लगती रही है।
दर्शकों के बीच आमिर खान मौजूद रहे हैं। कभी अपने कंज्यूमर प्रोडक्ट तो कभी अपनी प्रोडक्शन कंपनी की छोटी फिल्मों के साथ वे नमूदार होते रहे हैं। आमिर खान दर्शक, मार्केट और पब्लिसिटी की सही समझ से पारस पत्थर हो गए हैं। उनके छूते या हाथ लगाते ही हर प्रोडक्ट सोना बन जाता है और मुनाफे में आ जाता है। चाहे कोई फिल्म हो या कंज्यूमर प्रोडक्ट, उन्होंने अपने स्टारडम का सदुपयोग किया है और दर्शकों ने उनके एंडोर्समेंट को स्वीकार किया है।
सबके फायदे की सोच
लगातार सोद्देश्यपूर्ण फिल्में कर रहे आमिर खान से फिल्मों के उद्देश्य के बारे में पूछें तो उनका सीधा जवाब होता है, मेरे ख्याल में फिल्मों को सबसे पहले और आखिर में दर्शकों का मनोरंजन करना चाहिए। सिनेमा हमारे सपनों की अभिव्यक्ति है। फिल्म बिजनेस हमेशा रियलिस्टिक होना चाहिए। सही आंकड़ों का इस्तेमाल होना चाहिए। जो प्रस्ताव या योजना व्यावहारिक नहीं है, उसके ख्वाब देखने से नुकसान ही होगा।
मेरी सोच हमेशा यही रही है। मैं मानता हूं कि अगर निर्माता मुझसे कमाता नहीं तो मेरी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। मेरा वितरक मुझसे कमाता है, प्रदर्शक कमाता है। मैं इसे बहुत महत्व देता हूं। जीवन का मेरा यह सिद्धांत है कि अगर मैं किसी चीज से जुड़ता हूं तो जो लोग मुझे जोड़ रहे हैं, उन्हें संतुष्टि मिलनी चाहिए।
उन्हें संतुष्टि तभी मिलेगी, जब उन्हें लाभ होगा। फिल्म इंडस्ट्री में जो कोई भी मेरे साथ काम करे, वह फायदे में रहे। मैं यही चाहता हूं और उसकी कोशिश करता हूं। इस कोशिश में आमिर खान सफल रहे हैं। 25 दिसंबर 2009 को प्रदर्शित हुई उनकी आखिर फिल्म 3 इडियट्स का रिकार्ड अभी तक नहीं टूटा है। अगर आंकड़ों की बात करें तो पिछली तीन फिल्मों से हुई सकल आय में वे शाहरुख और सलमान की तीन-तीन फिल्मों की सकल आय से मीलों आगे हैं।
आमिर से कोई भी सीखना और जानना चाहेगा किसफलता को कैसे अपनी आदत बनाया जा सकता है? आमिर के पास कोई गुरुमंत्र नहीं है। वे कहते हैं, मैं अपना तरीका बता सकता हूं। मैं जो भी काम हाथ में लेता हूं, उसमें खुद को पूरी तरह झोंक देता हूं। उस दरम्यान मुझे किसी और चीज का ख्याल नहीं रहता। मैं पत्रकारों से मिलते समय या इंटरव्यू करते समय भी उनके साथ रहता हूं। मेरे मन या दिमाग में कुछ और नहीं चल रहा होता है। अगर हर काम के लिए हम समय निश्चित करें और फिर पूरी शिद्दत से उस काम को करें तो कामयाबी जरूर मिलेगी।
दर्शकों की समझ
बीस सालों से फिल्म पत्रकारिता कर रही एक पत्रकार ने आमिर के बारे में पूछने पर दो टूक शब्दों में कहा, अगर स्टारडम की बात करें तो आमिर दूसरे खानों सलमान और शाहरूख से कम प्रभाव रखते हैं। उन्हें देख कर भीड़ उमड़ेगी, लेकिन उसका घनत्व कम होगा। आमिर की खूबी फिल्मों के चुनाव में झलकती है।
वे कंटेंट ओरिएंटेड फिल्में चुनते हैं और दर्शकों को हमेशा कुछ नया देते हैं। वे इंटेलिजेंट हैं और दर्शकों को खूब अच्छी तरह समझते हैं। फिल्मों के एग्रेसिव प्रचार की शुरुआत भले ही शाहरुख खान ने ओम शांति ओम से की हो, लेकिन उसमें आमिर खान ऐसी क्वालिटी और ऊंचाई ले आए कि अब शाहरुख ही पिछलग्गू लगते हैं।
आमिर की मार्केटिंग स्ट्रेटजी का ही कमाल है किउनके प्रोडक्शन की पीपली लाइव, धोबी घाट और देल्ही बेली ने अनपेक्षित बिजनेस किया। छोटी फिल्में शाहरुख ने भी बनाई, लेकिन हम उनकी ऑलवेज कभी कभी का हश्र जानते हैं। सलमान अपनी क्षमताओं से परिचित हैं, इसलिए वे इस दिशा में कदम ही नहीं बढ़ाते।
ट्रेड पंडित और फिल्म इंडस्ट्री के जानकार कोमल नाहटा के अनुसार, आमिर खान हमारे समय के सफलतम स्टारों में से एक हैं। दूसरे स्टारों से वे इस मामले में आगे हैं कि उनकी फिल्मों में एंटरटेनमेंट के साथ मैसेज भी रहता है। उनकी हर फिल्म में एक नॉवेल्टी रहती है। अभी वे एक टीवी शो कर रहे हैं। यह टीवी शो दूसरे स्टारों के शो से काफी आगे होगा। अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति ने दर्शकों का सामान्य ज्ञान बढ़ाया। आमिर खान के सत्यमेव जयते से टीवी दर्शकों में सामाजिक जागृति आएगी। मुझे आमिर जिम्मेदार एक्टर और नागरिक लगते हैं। उनके हर काम में ब्रिलिएंसी रहती है।
अंत में इतना ही कि आमिर खान अपने जन्मदिन को ज्यादा महत्व नहीं देते। उनके लिए नया साल जनवरी से ही आरंभ होता है। पिछले कुछ सालों से मीडिया के जरिए वे दर्शकों के बीच अपनी खुशी और उमंग शेयर करते हैं। इसे वे अपना दायित्व समझते हैं। अन्यथा वे कहते हैं जीवन का हर दिन खास होना चाहिए। सिर्फ जन्मदिन ही क्यों?
Comments
अजय सर को भी बधाई इस लेख के लिए , चव्वनी हमेशा चमकती और खनकती रहे |
इस साल तो उनके नाम में भी एक तत्व रहेगा..... 'आमिरखान ४७' [A.K. 47}.
http://aatm-manthan.com