फिल्म समीक्षा : जोड़ी ब्रेकर्स
हाल-फिलहाल में किसी हिंदी फिल्म में ऐसा सामान्य हीरो नहीं दिखा है। अश्रि्वनी चौधरी ने आर माधवन का नायक की भूमिका देकर जोखिम और साहस का काम किया है। आर माधवन ने अश्रि्वनी की दी हुई चुनौती को स्वीकार किया है और गानों से लेर रोमांटिक और चुंबन दृश्यों तक में भी नार्मल रहने और दिखने की कोशिश की है। कुंआरा गीत में उनकी मेहनत दिखाई पड़ती है। फिल्म में उनकी जोड़ी बिपाशा बसु के साथ बनाई गई है। हॉट बिपाशा बसु जोड़ी ब्रेकर्स के कुछ दृश्यों में बेहद सुंदर लगी है।
अपने नाम पर बने गीत में वह जरूरत के मुताबिक देह दर्शन करवाने में भी नहीं झेंपती हैं। अश्रि्वनी चौधरी ने एक अनोखे विषय पर रोमांटिक ड्रामा तैयार किया है। हिंदी फिल्मों में धूप से शुरुआत करने के बाद अश्रि्वनी चौधरी ने अगली फिल्म से राह बदल ली। उन्होंने हिंदी की मसाला फिल्मों की लंबी और भीड़ भरी राह चुनी है। अपनी सोच,संवेदना और राजनीतिक समझ को किनारे रख कर वे मेनस्ट्रीम हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान खोज रहे हैं। उनके चुनाव से कोई गुरेज नहीं है। पिछली कुछ फिल्मों के असफल प्रयास के बाद वह जोड़ी ब्रेकर्स में यह साबित कर देते हैं कि उन्होंने कमर्शियल सिनेमा के गुर सीख लिए है। बस उन्हें आजमाने में अभी उतनी सफाई नहीं आ पाई है। कल अगर फिल्म इंडस्ट्री के उत्तम तकनीशियन और सहयोगी उन्हें मिल गए तो वह सभी को चौंका सकते है। जोड़ी ब्रेकर्स से वह इस तरह के सिनेमा के लिए क्वालिफाई करते नजर आते हैं।
जोड़ी ब्रेकर्स की पेंचदार कहानी है। ब्रेकर्स ही बाद में मेकर्स बन जाते हैं और इस दरम्यान उनकी अपनी जोड़ी टूटती और बनती है। ढेर सारे किरदार और अनेक घटनाएं है। इंटरवल के आसपास ऐसा लगता है कि सिर्फ इंजन की आवाज और हार्न ही सुनाई पड़ रहा है,ट्रैफिक खिसक नहीं रही है। तभी मैग्गी के प्रेगनेंट होने की सूचना और हेलन के प्रवेश के साथ दृश्य का ट्रैफिक चालू हो जाता है। उसके बाद कहानी नए मोड़ लेती है और सुखद अंत तक पहुंचती है। लेखक और निर्देशक का कॉमिक सेंस कई दृश्यों में उभरकर आया है। हरियाणवी पहलवान का अपनी बीवी से छ़टकारा पाने का प्रसंग, ऑपरेशन थिएटर में मरीज का उठ कर समझाना,ओमी वैद्य के सीन और सामान्य दृश्यों में भी नायक-नायिका का हंसी-मजाक अश्रि्वनी चौधरी रोमांटिक कॉमेडी या स्लैपस्टिक कॉमेडी बनाएं और उसमें देसी पंच रखें तो वे सफल रहेंगे।
फिल्म अपने ध्येय में सफल रही है। आर माधवन और बिपाशा बसु ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। आर माधवन का लुक थोड़ा आकर्षक रहता तो प्रभाव बढ़ता। उन्होंने संवाद अदायगी में आवाज ऊंची रखी है। वे फर्राटेदार बोलते हैं। यह खूबी है,लेकिन कई शब्द कानों तक पहुंचने के पहले ही खो जाते हैं। अन्य कलाकारों में ओमी वैद्य,दीपानिता शर्मा,हेलन और प्रदीप खरब उल्लेखनीय हैं। गीत-संगीत में इरशाद कामिल और सलीम-सुलेमान का योगदान फिल्म के अनुकूल है।
*** तीन स्टार
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