फिल्म समीक्षा :एक दीवाना था
देश की भाषायी विविधता का एक बड़ा लाभ है कि किसी एक भाषा में फिल्म सफल हो जाए तो दूसरी भाषाओं में उसे डब या रीमेक कर आप अपनी सफलता दोहरा सकते हैं। पैसे भी कमा सकते हैं। सफल फिल्म को अनेक भाषाओं में बनाना क्रिएटिविटी से अधिक बिजनेस से जुड़ा मामला है। बहरहाल, एक दीवाना था पहले तमिल में बनी, फिर तेलुगू और अब हिंदी में आई है। भाषा बदलने के साथ किरदारों के नाम और पहचान में छोटा बदलाव भर किया गया है। बाकी फिल्म ओरिजनल के आसपास ही है। एक दीवाना था में नए एक्टर? लिए गए हैं - प्रतीक और एमी जैक्सन।
लेखक-निर्देशक गौतम मेनन ने हिंदी रीमेक में मनु ऋषि का सहयोग लिया है। उन्होंने संवादों में हिंदी और दिल्ली का पंच दिया है, जबकि तेरा दीवाना था का संदर्भ मुंबई और केरल से है। हीरो-हीरोइन के आवास की बायीं तरफ अमिताभ बच्चन का बंगला है। मतलब यह जुहू का इलाका है। यहां फिल्म स्टारों के बंगलों के अलावा कितने बंगले बचे हैं? ऊपर से जिनके मालिक मलयाली ईसाई हों और उनके किरदार मराठी कोंकणस्थ ब्राह्मण हो? वास्तविक सी लगने वाली फिल्म में भी वास्तविक सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। गौतम मेनन ने जेसी के रूढि़वादी मलयाली ईसाई परिवार का सटीक चित्रण किया है, लेकिन वैसी ही बारीकी सचिन और उसके परिवार के चित्रण में नहीं है। सचिन का परिवार मुंबई के कॉस्मोपोलिटन कल्चर से प्रभावित हैं।
एक दीवाना था सचिन और जेसी के लव एट फर्स्ट साइट की दास्तान है। अगर आज भी लव एट फर्स्ट साइट हो सकता है तो मलयाली ईसाई परिवार रूढि़वादी क्यों नहीं हो सकता? वैसे अपने प्रेम की वास्तविकता के प्रति नायक-नायिका दोनों ही कंफ्यूज हैं। खास कर नायिका में द्वंद्व और विरोधाभास कुछ ज्यादा है। सचिन को कैमरामैन अनय का निर्देशन, संरक्षण और सहयोग मिलता है। अनय के रूप में फिल्म को एक अच्छा किरदार मिल जाता है। वह अपनी विनोदप्रियता और टिप्पणियों से इस एकरस प्रेम कहानी में हंसी की बौछारें लाता रहता है। मनु ऋषि के बगैर इस फिल्म का क्या हश्र होता? प्रतीक को अभी लंबा सफर तय करना है। उन्हें अपनी डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन पर मेहनत करने की जरूरत है। ऐसा क्यों लगता रहा कि आवाज कहीं से और आ रही है? पाश्र्र्व गायन की तरह पाश्र्र्व संवाद अदायगी का दौर है यह। जेसी को केरल की बताने के बाद सांवला रंग देने में कई शेड्स इस्तेमाल किए गए हैं। उनकी त्वचा और चेहरे का रंग हर दृश्य के साथ शेड बदलता रहता है। एमी खूबसूरत है, लेकिन एक्टिंग ..??
इस फिल्म के प्रचार में जावेद अख्तर और एआर रहमान की म्यूजिकल जोड़ी को रेखांकित किया गया है। इस जोड़ी के बावजूद फिल्म का कोई गीत थिएटर से निकलने के बाद याद नहीं रहता। यहां तक की रहमान की आवाज का जादू भी इस फिल्म में बेअसर हो गया है। हां, होस्साना का फिल्मांकन रोमांचक है। हुई होगी यह फिल्म तमिल और तेलुगू में सफल, हिंदी में यह अपने उद्देश्य में विफल दिख रही है।
और अंत में इसे देखते हुए पुरानी फिल्म जूली और एक दूजे के लिए याद आती रही।
रेटिंग-** दो स्टार
Comments