दुष्ट भी दिख सकते हैं ऋषि कपूर
तारीफ देती है खुशी और खुशी से खिलती हैं बांछें। बांछें खिली हों तो आप की उम्र छह साल हो कि ऋषि कपूर की तरह साठ साल ... वह आप की चाल में नजर आते हैं। उम्र की वजह से बढ़ा वजन भी पैरों पर भार की तरह नहीं लगता। आप महसूस करें ना करें ... दुनिया का नजरिया बदल जाता है। अचानक आप के मोबाइल नंबर की खोज होने लगती है और आप सभी को याद आ जाते हैं। 'अग्निपथ’ की रिलीज के अगले दिन ही ऋषि कपूर के एक करीबी से उनका नंबर मिला। मैंने इच्छा जाहिर की थी कि बात करना चाहता हूं, क्योंकि रऊफ लाला कि किरदार में ऋषि कपूर ने चौंकाने से अधिक यकीन दिलाया कि अनुभवी अभिनेता किसी भी रंग और रंगत में छा सकता है। एक अंतराल के बाद ऋषि कपूर को यह तारीफ मिली। दोस्त तो हर काम की तारीफ करते हैं। इस बार दोस्तों के दोस्तों ने फोन किए और कुछ ने पल दो पल की मुलाकात की याद दिलाकर दोस्ती गांठ ली। बड़े पर्दे का जादू सिर चढ़ कर बोलता है और अपनी तरफ आकर्षित करता है।
बांद्रा के पाली हिल में ऋषि कपूर का बसेरा है। बेटे रिद्धिमा की शादी हो गई है और बेटा रणबीर हिंदी फिल्मों का 'रॉकस्टार' बना हुआ है। ऋषि कपूर बेटे की कामयाबी और वाहवाही से संतुष्ट हैं। एक ही कमी सालती थी कि रणबीर कपूर की पहचान और चर्चा राज कपूर के पोते के रूप में ज्यादा होती थी। कोई याद नहीं रखता था कि बीच में मैं उसका पापा ऋषि कपूर भी हैं, 'हंसते हुए कहते हैं ऋषि कपूर और बेटे के साथ-साथ मिली खुद की ताजा पहचान का सुख छलकने लगता है। मां और पिता के नाम पर रखा गया है उनके बंगले का नाम - कृष्णा राज। पुराना बंगला है, लेकिन आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण। गेट खुलते ही सामने लाल फरारी नजर आती है। फुर्सत मिलने पर रणबीर कपूर इसकी सवारी करते हैं।'
अंदर घुसते ही बताया गया कि आप नीचे चले जाएं। रणबीर कपूर से ऊपर ही मुलाकातें होती रही हैं। ऑफिसनुमा कॉटेज से सटा है बैठकी का दरवाजा और दोनों के बीच से कुछ सीढिय़ां नीचे उतरती हैं। सीधे उतर कर दाहिनी और मुड़ते ही बंगले के पीछे छिपे हरा लॉन नजर आता है। लॉन में बायीं तरफ शीशे की दीवारों से घिरी बैठकी है। अंदर की एक दीवार आई ने की है। बमुश्किल पांच मिनट के इंतजार के बाद ऋषि कपूर अपनी मस्त चाल में बंगले से निकलते हैं। परस्पर अमिवादन महज औपचारिकता नहीं होती। हाथ मिलाने की गर्मजोशी से पता चल जाता है कि मेजबान किसी मूड में हैं? ऋषि कपूर से बातें आरंभ होती हैं। मैं कुछ पूछूं कि वे इशारे से रोक देते हैं। ब्लैकबेरी ने बताया कि कोई मैसेज आया है। चश्मा आंखों पर चढ़ाकर वे मैसेज पढ़ते हैं और जवाब देते हैं। कहते हैं, 'कोई तारीफ कर रहा तो थैंक्यू तो बोलना ही चाहिए ना?’ रात से फोन की घंटी बज रही है। मुझे याद नहीं कि मैंने कभी इतने फोन रिसीव किए या लोगों ने मुझे इस कदर याद किया। 'अग्निपथ’ का रोल लोगों को इंफेक्ट कर गया है। उन्हें पसंद आ गया है। मुझे ताज्जुब हो रहा है, क्योंकि मैंने सोचा नहीं था कि ऐसा कुछ होगा। अचानक चालीस सालों के बाद इस उम्र में सभी का चहेता बन गया हूं।‘
ऋषि कपूर मानते हैं कि दर्शकों को मेरे रोल का नयापन भा गया। वे बताते हैं, 'पच्चीस सालों तक मैं रामांटिक हीरो रहा। लंबी पारी खेली। अब कैरेक्टर रोल करता हूं। कोशिश रहती है कि हर फिल्म में कुछ अलग किरदार करूं। यह किरदार इतना अलग था कि मैंने तो मना कर दिया था। मना इसलिए किया था कि मेरा तो जो होगा सो होगा, दोनों करण की मां पिटेगी। फिल्म को नुकसान हुआ तो मैं भी दोषी माना जाऊंगा।‘ इसी बीच ब्लैकबेरी फिर बजता है … ऋषि कपूर किसी मासूम बच्चे की तरह खुशी छिपा नहीं पाते। कहते हैं, 'एक मिनट … अरे, यह लंदन से है। मैं कॉल ले लेता हूं।‘ किसी पुराने दोस्त का फोन है भाटिया … पंजाबी में बातें होती हैं। फिर ऋषि कपूर अंग्रेजी बोलने लगते हैं, बताते हैं भाटिया का अंग्रेज दोस्त है। वे स्पीकर ऑन कर देते हैं … अंग्रेज दोस्त अपने अंदाज में कहता है … तू चा (छा) गए …’ मानो किसी ने गुदगुदा दिया हो … ऋषि कपूर के पूरा शरीर हंसी से हिलने लगता है। वे खुद ही कहते हैं, 'मैं इसे बंद कर देता हूं। आप से बात ही नहीं हो पाएगी। मैं इसी में उलझा रहूंगा।‘
ब्लैकबेरी बंद कर वे आसन बदलते हैं। इस बार उनकी आवाज और जवाब में इत्मीनान है, 'मेरे रोल के साथ-साथ मेरी पसंदगी का सेहरा दोनों करण के सिर जाता है। उनकी दृष्टि और समझ का मैं कायल हूं। रऊफ लाला के रोल में मुझ जैस रोमांटिक हीरो की छवि एक्टर को चुनने का साहस उन्होंने किया। मल्होत्रा की यह पहली फिल्म है और जौहर के इसमें पैसे लगे हैं। मुझे डर था कि अगर फेल हुआ तो इंडस्ट्री में मेरी जवाबदेही बनेगी कि तुम ने दोनों बच्चों का खयाल नहीं किया। दोनों मेरे सामने चडढी में खेलते थे। मुझे लगा कि मैं पर्दे पर खराब तो दिख सकता हूं, लेकिन दुष्ट नहीं दिख सकता। खलनायक नहीं लगूंगा। लुक टेस्ट के रिजल्ट देखने के बाद ही मैंने हां की। मैंने दोनों के पिताओं के साथ काम किया है। यश जौहर की 'दुनिया’ वह नहीं चली थी। करण मल्होत्रा के पिता रवि मल्होत्रा के 'झूठा कहीं था’, 'खेल खेल में’, 'राही बदल गए’ और 'हम दोनों’... हम तीनों अच्छे मित्र थे। आज दोनों के पिता नहीं हैं। आज मुझे खुशी है कि मैं मित्रों के बेटों के काम आया।‘ ऋषि कपूर जोर देकर कहते हैं कि मेरी खुशी की एक वजह नहीं है ... यह बहुआयामी हो गइ है। वे आगे बताते हैं, 'यह उनका विश्वास था कि मैं पर्दे पर इतना भयंकर दिख सकता हूं। और फिर उन्होंने मुझे जो अल्फाज दिए थे। गाली-गलौज हम भी करते हैं। लेकिन ऐसी नीच जबाव ... भला हो सेंसर का ... उसने मेरे संवाद कटवा दिए। हमें फिर से डब करना पड़ा। कठोर और घिनौने लब्जों को मुलायम करना पड़ा। पियूष मिश्रा ने तो मुझे घिनौना बनाना तय कर लिया था।‘
'अग्निपथ’ रिलीज के अगले दिन ऋषि कपूर ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे। ट्विटर हमेशा दस नाम बताता है, जिनकी ट्विटर पर ज्यादा चर्चा हो रही हो। ऋषि कपूर राज खोलते हैं, 'मुझे करण जौहर ने बताया कि मैं ट्रेंड कर रहा हूं। मैं हूं फेसबुक और ट्विटर पर, लेकिन एक्टिव नहीं हूं। इसकी वजह यही लगती है कि मैं चर्चा में नहीं था। मुझ से किसी को उम्मीद नहीं थी। पर्दे पर मुझे देखते ही दर्शक उछल पड़े। मैं उनके दिमाग में रह गया।‘ रऊफ लाला किरदार के लिए अप्रोच के बारे में पूछने पर ऋषि कपूर हंसते हुए जवाब देते हैं, 'आपको कभी लगा कि मैं पढ़ कर या सोच कर कोई रोल करता हूं। मैं मेथड एक्टर नहीं हूं। मैं नैचुरल एक्टर हूं। मेरा बेटा भी नैचुरल एक्टर है। हम कोशिश करते हैं कि किरदारोंं को नैचुरल तरीके से पेश करें। कुछ लोग कहते हैं कि स्टार तो हर फिल्म में स्टार होते हैं तो फिर आप बताएं कि क्या रऊफ लाला ऋषि कपूर है या 'दो दूनी चार’ में आपने ऋषि कपूर को देखा था। मेरे लिए कॉमन मैन बनना कितना मुश्किल था। मैं खाता-पिता अमीर घर का आदमी हूं, लेकिन क्या 'दो दूनी चार’ में आम आदमी नहीं लगा। रंजीत कपूर 'चिंटू जी’ हो या निखिल आडवाणी की 'पटियाला हाउस’... जोया अख्तर की 'लग बाय चांस’ में आपने देखा। मुझे भिन्न-भिन्न चरित्रों को निभाते हुए मजा आ रहा है। मैं चाहूंगा कि यह मजा बना रहे। मैं रेगुलर बाप का रोल करता ही नहीं चाहता। स्क्रिप्ट सुनते ही मना कर देता हूं। 25 सालों तक स्टेटर पहन कर, गले में मफलर बांधे बर्फानी वादियों में लड़कियों को लुभाने के लिए गाने गाता रहा। थक गया था गाते-गाते। अब यह नया दौर है। मेरी अगली फिल्म 'हाउसफुल-2’ 5 अप्रैल को आ रही है। फिर करण जौहर की 'स्टूडैंट ऑफ द ईयर’ और डेविड धवन की 'चश्मे बद्दूर’ आएगी। मैं मजे के लिए काम कर रहा हूं।‘
'मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि दर्शक मुझे सराह रहे हैं। मैं खुश हूं। एक्टर के तौर पर व्यस्त हूं। मैं काम कर रहा हूं ना।‘ लोग मुझ से बार-बार पूछते हैं कि आर के में क्या हो रहा है? मेरी तरफ से कुछ भी नहीं हो रहा है। वहां अभी कुछ भी अभी नामुमकिन है। और कोई भाई बनाना चाहे तो बनाए। मैं फिलहाल एक्टिंग करता रहूंगा। यह मेरी पहचान है। पहला प्यार है। मैं अपनी फिल्मों में अच्छा-बुरा नहीं कह सकता। फ्लोर और कमजोर फिल्म की भी यादें हैं ... लुत्फ हैं ... मैंने कभी सेफ नहीं खेला। रणबीर भी ऐसा ही है। हर फिल्म में एक्सपेरिमेंट कर रहा है। 'रॉकेट सिंह’ , 'वेकअप सिड’, 'रॉकस्टार’... रणबीर वैसी पिक्चर कर रहा है जो ऑफबीट हो। उसने अपनी मां को बहुत पहले कह दिया था कि मैं कावेंशनल हीरो नहीं बनूंगा। जो तिरछी टोपी लगाए नाच रहा हो और पीछे चालीस डांसर हों। मैं अपनी उम्र का रोल करूंगा, उसकी 'राजनीति’ देखिए ... निगेटिव शेड है। ऐसा नहीं है कि मेरा बेटा है, इसलिए तारीफ कर रहा हूं। अभी तो उसने शुरुआत की है। उसे अपने दादा-परदादा का नाम रोशन कर रहा है। अब पचास घंटे फिल्म चल जाए तो काफी है, हर दौर की अपनी मुश्किलें होती हैं। हमलोग धार के की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। मैंने उसे निभाया और अब रणबीर कपूर पूरा न्याय कर रहा है। मैं किसी और की परवाह नहीं करता। किसी को खुश करने के लिए कभी काम नहीं किया, ‘ धाराप्रवाह बताते हैं ऋषि कपूर अपने और रणबीर के बारे में।
उनकी इच्छा है कि कोई अच्छी स्क्रिप्ट मिले तो वे तीनों (ऋषि कपूर, नीतू और रणबीर) साथ में पर्दे पर आएं। विश्वास के साथ ऋषि कपूर कहते हैं, 'कोई न कोई डायरेक्टर लेकर आएगा स्क्रिप्ट और हम जरूर काम करेंगे। अभी उम्र ही क्या हुई है। अभी 60 का भी तो नहीं हुआ।‘
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