फिल्‍म समीक्षा : द डर्टी पिक्‍चर


-अजय ब्रह्मात्‍मज

गांव से भागकर मद्रास आई रेशमा की ख्वाहिश है कि वह भी फिल्मों में काम करे। यह किसी भी सामान्य किशोरी की ख्वाहिश हो सकती है। फर्क यह है कि निरंतर छंटनी से रेशमा की समझ में आ जाता है कि उसमें कुछ खास बात होनी चाहिए। जल्दी ही उसे पता चल जाता है कि पुरुषों की इस दुनिया में कामयाब होने के लिए उसके पास एक अस्त्र है.. उसकी अपनी देह। इस एहसास के बाद वह हर शर्म तोड़ देती है। रेशमा से सिल्क बनने में उसे समय नहीं लगता। पुरुषों में अंतर्निहित तन और धन की लोलुपता को वह खूब समझती है। सफलता की सीढि़यां चढ़ती हुई फिल्मों का अनिवार्य हिस्सा बन जाती है।

निर्माता, निर्देशक, स्टार और दर्शक सभी की चहेती सिल्क अपनी कामयाबी के यथार्थ को भी समझती है। उसके अंदर कोई अपराध बोध नहीं है, लेकिन जब मां उसके मुंह पर दरवाजा बंद कर देती है और उसका प्रेमी स्टार अचानक बीवी के आ टपकने पर उसे बाथरूम में भेज देता है तो उसे अपने दोयम दर्जे का भी एहसास होता है।

सिल्क के बहाने द डर्टी पिक्चर फिल्म इंडस्ट्री के एक दौर के पाखंड को उजागर करती है। साथ ही डांसिंग गर्ल में मौजूद औरत के दर्द को भी जाहिर करती है। मिलन लुथरिया ने द डर्टी पिक्चर में विद्या बालन की अद्वितीय प्रतिभा का समुचित उपयोग किया है। हिंदी फिल्मों में हाल-फिलहाल में ऐसी साहसी अभिनेत्री नहीं दिखी है। विद्या बालन ने सिल्क के किरदार में खुद को ढाल दिया है। इन दिनों हर एक्टर कैरेक्टर में ढलने के लिए अपने रंग रूप में परिवर्तन लाते हैं, लेकिन वह ज्यादातर कास्मेटिक चेंज ही होता है। विद्या ने भद्दी दिखने की हद तक खुद को बदला है। यह उनकी अभिनय प्रतिभा और निर्देशक की दृश्य संरचना की खूबी है कि अंग प्रदर्शन और कामुक भाव मुद्राओं के बावजूद विद्या अश्लील नहीं लगतीं। पहले आयटम गीत में दर्शकों को रिझाने के लिए प्रदर्शित उनकी उत्तेजक मुद्राएं भी स्वाभाविक लगती हैं। विद्या की संवेदनशीलता और संलग्नता से अश्लील उद्देश्य से रचे गए दृश्यों में भी स्त्री देह का सौंदर्य दिखता है। ऐसा लगता है कि किसी शिल्पकार ने बड़े यत्‍‌न से कोई सौंदर्य प्रतिभा गढ़ी हो। दरअसल, निर्देशक की मंशा देह दर्शन और प्रदर्शन की नहीं है। वह उस देह में मौजूद औरत को उसे संदर्भो के साथ चित्रित करने में लीन है। विद्या बालन ने निर्देशक मिलन लुथरिया के साथ मिलकर पर्दे पर उस औरत को जीवंत कर दिया है। फिल्म के दौरान विद्या बालन याद नहीं रहती। हमारे सामने सिल्क रहती है, जो दर्शकों को एंटेरटेन करने आई है। विद्या ने इस फिल्म में अभिनय का मापदंड ऊंचा कर दिया है।

द डर्टी पिक्चर निर्देशक-लेखक के संयुक्त प्रयास की सम्मलित सफलता है। मिलन लुथरिया और रजत अरोड़ा की परस्पर समझदारी और सहयोग ने फिल्म को मजबूत आधार दिया है। फिल्म के संवाद बहुत कुछ कह जाते हैं। द डर्टी पिक्चर के संवाद अलग मायने में द्विअर्थी हैं। इसका दूसरा अर्थ मारक है और सीधे चोट करता है और झूठ पाखंड की कलई खोल देता है। उन संवादों को विद्या बालन ने सार्थक ढंग से उचित ठहराव, जोर और भाव के साथ अभिव्यक्त किया है। समकालीन अभिनेत्रियों को विद्या से संवाद अदायगी का सबक लेना चाहिए।

द डर्टी पिक्चर में विद्या बालन के बराबर में नसीरुद्दीन शाह, इमरान हाशमी, तुषार कपूर और अन्य कलाकार हैं। निश्चित ही नसीरुद्दीन शाह ने सूर्यकांत के सटीक चित्रण से सिल्क के किरदार को और मजबूती दी है। इमरान हाशमी और तुषार कपूर अपेक्षाकृत कमजोर अभिनेता हैं और उनकी कमियां इस फिल्म में भी दिखती हैं। सहयोगी कलाकारों की सहजता से फिल्म को विश्वसनीयता मिली है।

मिलन लुथरिया ने इस पीरियड फिल्म में प्रापर्टी और सेट को हावी नहीं होने दिया है। फिल्म के किरदारों के साथ हम तीस साल पहले के परिवेश में जाते हैं। फिल्म का गीत-संगीत भी उसी दौर का है। गीतों के फिल्मांकन में भी मिलन ने उस दौर की प्रवृत्तियों को ध्यान में रखा है। इमरान और विद्या पर फिल्माया गया इश्क सूफियाना अनावश्यक और ठूंसा हुआ लगता है। फिल्म यहीं थोड़ी कमजोर भी पड़ती है, जब दो विरोधी चरित्रों को लेखक-निर्देशक जोड़ने की कोशिश करते हैं। इस फिल्म की खूबी है कि आम और खास दर्शकों को अलग-अलग कारणों से एंटरटेन कर सकती है।

**** चार स्टार

Comments

शानदार, सटीक समीक्षा। उत्सुकता बढ़ गई है।
पूरा विश्लेषण एक ही पंक्ति में मिल जाता है-- अलग-अलग वर्ग के लिए अलग-अलग कारणों से दर्शनीय फिल्म का संकेत अच्छा है।
रंजना said…
चलिए एक बढ़िया ओवरव्यू मिल गया आपकी समीक्षा से...

यदि देखना हो पाया तो आपकी विवेचना स्मरण में रहेगी और निर्णय लेने,मत बनाने में सुविधा होगी...

आभार...
Anonymous said…
rajasthan ke bhanwari kand se milti julti lagti hai story but yaha plot bollywood hai and reality me politics. es par bhi movie bani ja skti hai
Arvind Mishra said…
sameeksha dekhne की utsukta jaaga rahee है
Anonymous said…
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