आफ़त होती है औरत-विद्या बालन
-अजय ब्रह्मात्मज
डांसिंग गर्ल सिल्क स्मिता के जीवन से प्रेरित फिल्म ‘द डर्टी पिक्चर’ में सिल्क की भूमिका निभाने की प्रक्रिया में विद्या बालन में अलग किस्म का निखार आया है। इस फिल्म ने उन्हें शरीर के प्रति जागृत, सेक्स के प्रति समझदार और अभिनय के प्रति ओपन कर दिया है। ‘द डर्टी पिक्चर’ के सेट पर ही उनसे यह बातचीत हुई।
- चौंकाने जा रही हैं आप? पर्दे पर अधिक बोल्ड और थोड़ी बदतमीज संवाद बोलते नजर आ रही हैं। क्या देखने जा रहे हम?
0 बदतमीज तो नहीं कहूंगी। यह एक बेबाक लडक़ी का किरदार है। पर्दे पर उसे दिखाने का कोई शॉर्टकट नहीं है। उसकी पर्सनैलिटी को सही कंटेक्स्ट में दिखाने के लिए ऐसा चित्रण जरूरी है। वह निडर लडक़ी थी। मैं नहीं कहूंगी कि यह सिल्क स्मिता के ही जीवन से प्रेरित फिल्म है। उस वक्त ढेर सारी डांसिंग गर्ल थीं। उनके बगैर कोई फिल्म पूरी नहीं हो पाती थी। उनके डेट्स के लिए काफी टशन रहती थी। हीरो-हीरोइन के डेट्स मिल जाते थे, लेकिन उनके गाने और समय के लिए फिल्मों की शूटिंग रुक जाती थी।
- हिंदी फिल्मों में डांसिंग गर्ल की परंपरा रही है। कुक्कू, हेलन आदि... सिल्क स्मिता के दौर में क्या खास बात थी?
0 हेलन और कुक्कू जी के जमाने में डांसिंग गर्ल की एक अलग डिग्निटी थी। नौवें दशक में डांसिंग गर्ल वास्तव में आयटम गर्ल के तौर पर इस्तेमाल होने लगीं। उस दौर में काफी लड़कियां आईं। उनमें सिल्क स्मिता पहली थीं। उन्हें सभी जानते हैं। नायलेक्स नलिनी, पॉलिएस्टर पद्मिनी आदि न जाने कितनी लड़कियां थीं, लेकिन सिल्क की बात अलग थी। इस फिल्म में मेरा नाम सिल्क ही रखा गया है। फिल्म में उनके जीवन के अंश जरूर हैं। वह अपने किस्म की पहली लडक़ी थीं। उन्होंने साफ कहा था कि मेरी बॉडी है। खुद को पॉपुलर करने या काम पाने के लिए मैं अपनी बॉडी का इस्तेमाल करूंगी मुझे इसमें कोई झिझक नहीं है। उन्होंने अपनी सेक्सुएलिटी को सेलिब्रेट किया। उस दौर में यह बहुत बड़ी बात थी। आज ढेर सारी लड़कियां पॉपुलैरिटी के लिए अपनी बॉडी और सेक्सुएलिटी का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उस जमाने में किसी ने बेझिझक और निडर होकर यह किया। इसके प्रति उनके मन में कोई अपराधबोध भी नहीं था। न सिर्फ कपड़ों और डांस में, बल्कि पूरे एटीट्यूड में वह बिंदास थीं। अपने काम पर उन्हें गर्व था। उन्होंने इसे शोषण की तरह नहीं लिया। पूरी समझदारी और सहमति के साथ उन्होंने अपने काम को एंज्वॉय किया। ‘द डर्टी पिक्चर’ का एक संवाद उनके बारे में बताता है, ‘जिंदगी एक बार मिली है तो दो बार क्या सोचना?’ हर लम्हे का आनंद उठाती हैं सिल्क।
- ‘द डर्टी पिक्चर’ आपकी पिछली फिल्म ‘इश्किया’ से काफी आगे है। क्या इस भूमिका को निभाते समय अभिनेत्री विद्या बालन के मन में कोई द्वंद्व भी रहा?
0 तब ‘इश्किया’ मेरे लिए आगे की फिल्म थी। अभी ‘द डर्टी पिक्चर’ काफी आगे की फिल्म है। अभिनेत्री के तौर पर मैंने अपनी कोई सीमा तय नहीं की है। मैंने हमेशा कहा है कि अगर किरदार की जरूरत हो तो मैं कुछ भी कर सकती हूं। अगर किसी फिल्म में वेश्या का किरदार निभा रही हूं तो पहनावे और मिजाज में उसकी तरह लगूंगी। ‘द डर्टी पिक्चर’ में दर्शकों को रिझाने के लिए कुछ नहीं रखा गया है। किरदार निभाते समय मेरे मन में कोई द्वंद्व नहीं रहता। इस फिल्म के संवाद और कपड़ों में खुलापन है। इस फिल्म को करते समय मैंने महसूस किया कि जो बोल्ड और बिंदास होते हैं, वे सरल और सीधे भी होते हैं। वे डरते और मुकरते नहीं हैं। मेरे किरदार में एक मासूमियत भी है।
- इस फिल्म के लिए हां कहने की क्या वजह थी?
0 जब मिलन लूथरिया मेरे पास स्क्रिप्ट लेकर आए थे तो मैंने भी उनसे यही सवाल किया था कि मैं ही क्यों? उन्होंने कहा था कि फिल्म बन जाने के बाद मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम क्यों? फिलहाल मैं इस किरदार में और किसी को नहीं देख पा रहा हूं। मैंने मिलन की पिछली फिल्म ‘वन्स अपऑन ए टाइम इन मुंबई’ देखी थी। मैंने देखा कि मिलन किसी ट्रिकी सीन को भी वल्गर नहीं होने देते। इस फिल्म में वल्गैरिटी का बहुत स्कोप था, लेकिन उन्होंने बहुत संभाल कर शूटिंग की। इस फिल्म के प्रोमो देखकर लोग मुझ से कह भी रहे हैं कि मैं कहीं से भी वल्गर नहीं लग रही। उस जमाने में अंग प्रदर्शन और शरीर के झटकों में एक कामुकता और अश्लीलता रहती थी। मिलन ने यह सब नहीं होने दिया। इस फिल्म के दृश्यों को करते समय कभी नहीं लगा कि मैं गंदी या अश्लील हरकत कर रही हूं। मैंने सच्चाई के साथ किरदार को चित्रित किया। मैं भूल गई कि मेरी परवरिश क्या रही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर क्या सोचती हूं।
- कुछ खास तैयारी करनी पड़ी? आप ने उस दौर की फिल्में देखीं या डांसिंग गर्ल का बारीक अध्ययन किया?
0 मिलन ने कहा था कि किसी तैयारी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि तुम हर सीन के हिसाब से रिएक्ट करना। पहले से सोच कर करोगी तो सब कुछ बनावटी और नकली दिखेगा। पहले ही दिन की शूटिंग के बाद महसूस हो गया था कि मैं किसी बंधन या दबाव में नहीं हूं। सिल्क को मैंने आत्मसात कर लिया था। मेरे लिए यह समझना जरूरी था कि बॉडी का इस्तेमाल गलत नहीं है और मेरा शोषण नहीं हो रहा है। अगर किरदार की नासमझी में होता या किसी दबाव में होता तो शोषण होता। सिल्क अपने समय से बहुत आगे थी। उसका कहना था कि यह मेरा शरीर है। मैंने अपनी मर्जी से इसका इस्तेमाल कर रही हूं। मुझे यकीन है कि फिल्म देखते समय दर्शक सिल्क की सच्चाई को समझ पाएंगे। वह कनेक्ट बन गया तो दर्शक भी किरदार को उसके बॉडी के पार जाकर देख सकेंगे।
- इस फिल्म के तीन मर्द नसीरुद्दीन शाह, इमरान हाशमी और तुषार कपूर की क्या भूमिकाएं हैं। क्या वे सिल्क के अलग-अलग पहलुओं को उद्घाटित करेंगे?
0 मैं लेखक रजत अरोड़ा का एक संवाद बोलूंगी -‘इतिहास में मर्दो का जमाना रहा है। औरतों ने आकर आफत की है।’ मर्द हर हाल में मर्द रहता है। औरत हर मर्द के साथ अपने रिश्ते के हिसाब से खुद को ढाल लेती है और फिर मैनीपुलेट करती है। वही मजेदार चीज है। औरत एक साथ मां, बेटी और बीवी होती है, लेकिन मर्द हर जगह मर्द ही रहता है। आप मानते हैं मेरी बात?
- शायद मैं सहमत न होऊं... मर्द भी रंग बदलते हैं... हो सकता है कि जेंडर भिन्नता की वजह से मैं आपकी तरह नहीं सोच सकता...
0 यह लंबा विवाद है। मर्द कभी औरत को नहीं समझ पाएंगे और औरतें भी मर्द को नहीं समझ पाएंगी। यह सिलसिला चलता रहेगा। औरत-मर्द का रिश्ता दोधारी तलवार है।
- मैं तीनों मर्दों से आप के किरदार के रिश्तों की बात पूछ रहा था...
0 नसीर बहुत ही मतलबी और स्वार्थी मर्द हैं। उनसे जरूरत का रिश्ता है। इमरान के साथ नफरत का रिश्ता है,लेकिन नफरत भी एक नजदीकी रिश्ता होता है। तुषार के साथ प्यार और संभाल का रिश्ता है। मैं तुषार को पनपने देती हूं। लेकिन तीनों ही आखिरकार मर्द हैं। उनका ‘मेल इगो’ ही रिश्ते को परिभाषित करता है।
- किरदार को निभाने में आप के और मिलन के अप्रोच में कोई फर्क रहा क्या? मिलन और उनके लेखक मर्द हैं। उन्होंने सिल्क के किरदार को अपने नजरिए से लिखा होगा। आप एक औरत हैं, सिल्क के किरदार को निभाते समय औरत के मिजाज को आप ने समझा होगा... कभी कोई अंतर नजर आया सोच और अप्रोच में?
0 मिलन और रजत के साथ कहानी और चरित्र को लेकर मेरी पूरी सहमति थी। उसे निभाने की जिम्मेदारी उन्होंने मुझ पर छोड़ दी थी। मिलन हमेशा कहते हैं कि 70 प्रतिशत मैं एक्टर पर छोड़ देता हूं। मैंने महसूस किया कि मिलन के साथ बहस और सवाल की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि उन्होंने स्टोरी समझदारी और उसे चित्रित करने का काम मेरे ऊपर छोड़ दिया। इस फिल्म को देखते समय आप निर्देशक और अभिनेत्री की परस्पर समझदारी देख पाएंगे। कई बार मेरे पोट्रेयल से किरदार के नए पहलू उद्घाटित हुए। मिलन भी चौंक जाते थे कि मुझे तो कुछ नया दिखा। मैंने खुद को पूरी तरह से उनके हवाले कर दिया था। पूर्ण समर्पण... उन्हें मुझ पर विश्वास था और मुझे उन पर उतना ही विश्वास था। कभी समझ में नहीं आया तो भी मैंने उनकी बात मानी। कई बार मेरे चित्रण को उन्होंने कबूल किया। सिल्क के किरदार को निभाते समय मैंने महसूस किया कि पांच किरदारों को एक साथ जी रही हूं। वह कभी बच्ची है तो कभी औरत है। कभी सेक्सुअल एनीमल है तो कभी नार्मल औरत है।
- आप फेमिनिस्ट नहीं हैं, फिर भी क्या सिल्क का किरदार औरत की मर्यादा के बाहर है या अगर मैं पूछूं कि ‘लाज ही औरत की कहना है’ जैसी सोच के विपरीत है सिल्क का किरदार... आप क्या सोचती हैं? मैं यह सवाल औरत विद्या बालन से पूछ रहा हूं।
0 सिल्क अपनी इज्जत का खयाल रखती है। वह आत्मसम्मान को महत्व देती है। उसकी मर्जी के खिलाफ उससे कुछ नहीं करवाया जा सकता। उसे नहीं लगता कि लाज का संबंध शरीर से है। वह सच्चाई से अपना काम कर रही है और दूसरों से इज्जत चाहती है। सिल्क के व्यक्तित्व में दोहरापन नहीं है। मेरे निभाए किरदारों में एक इज्जतदार औरत है सिल्क। वह अपने औरत होने का जश्न मनाती है। वह अपने काम के लिए शरीर दिखाती है, अंग प्रदर्शन करती है, लेकिन कहती है कि उसकी वजह से आप मेरा शोषण नहीं कर सकते। मुझे बदचलन या नीच औरत नहीं कह सकते। इस फिल्म में यही कोशिश है कि सिल्क महज एक शरीर नहीं है। मर्दों का नजरिया है कि औरत या तो सीता होती है या वेश्या होती है, लेकिन जैसा कि कहा गया है... ‘तू कौन है तेरा नाम है क्या, सीता भी यहां बदमान हुई।’
- इस फिल्म में सिल्क के किरदार को निभाने की प्रक्रिया में शरीर और सेक्सुएलिटी की आप की झिझक कितनी खत्म हुई या यह बताएं कि अब आप इन चीजों को किस रूप में देखती हैं?
0 मुझे लगता है कि शरीर को लेकर मैं सहज हो गई हूं। झिझक और खत्म हुई है। शरीर को लेकर अतिरिक्त रूप से सचेत नहीं हूं अब। एक्टर विद्या भी मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है। इस फिल्म से मुझे मुक्ति मिली है, मैं दायरों और सीमाओं से निकल गई हूं। अब मैं बंधन रहित हूं। अगर कैरेक्टर की डिमांड हो तो मैं 200 प्रतिशत तक योगदान कर सकूंगी।
- और आगे बढ़ कर पूछूं तो क्या किसी फिल्म में न्यूड सीन भी कर सकती हैं?
0 अश्लीलता के लिए हरगिज नहीं करूंगी, लेकिन राजा रवि वर्मा के लिए ‘म्यूज’ का रोल है तो जरूर करूंगी। मुझे अगर वह किरदार अच्छा लगा तो कर सकती हूं। अभी तो यही कहूंगी कि मैं खुद को न्यूड सीन में नहीं देख पाऊंगी, लेकिन अगर किसी निर्देशक ने समझा दिया तो कर भी सकती हूं। सिल्क जिंदगी के हर लम्हे को मजेदार बनाना चाहती थी। वह आफत थी। उसे कोई अपराध बोध नहीं था। मैंने उसी रूप में पर्दे पर उसे जीवंत किया है। यह फिल्म दर्शकों को अच्छी लगेगी। इसमें हम सभी की महीनों की मेहनत है। इस फिल्म में मैंने बहुत कुछ दिया है। मुझे हमेशा गर्व रहेगा कि मैंने सिल्क का किरदार निभाया। मैं बहुत खुश हूं।
- आपकी मां और बहन की क्या प्रतिक्रिया सही?
0 मां की पहली प्रतिक्रिया थी कि तुम तो बिल्कुल पहचान में नहीं आ रही हो। मेरी बहन को बहुत अच्छा लगा। उसे मेरा काम पसंद आया। उसने कहा कि इसे निभाते समय तुम झिझकती तो पर्दे पर वह अश्लील लगता। तुम ने सच्चाई के साथ किया है, वह पर्दे पर दिख रहा है।
- अगली फिल्म?
0 सुजॉय घोष की ‘कहानी’ पूरी हो चुकी है। वह जनवरी में रिलीज होगी। इस बीच मेरी तबियत खराब रही, इसलिए मैंने कोई फिल्म भी नहीं साइन की।
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